In this Article
- बेबी को पहली बार डेंटिस्ट के पास कब ले जाना चाहिए?
- बच्चे को पहली बार डेंटिस्ट के पास ले जाने पर क्या होता है?
- अगर आपके बेबी का दांत टूट जाए या क्रैक हो जाए तो क्या करें?
- बच्चों का पहला डेंटल एक्स-रे कब होना चाहिए?
- बेबी को उसके पहले डेंटल चेकअप के लिए कैसे तैयार करें
- बच्चे को पहली बार डेंटिस्ट के पास ले जाने के लिए टिप्स
- पीडियाट्रिक डेंटिस्ट और रेगुलर डेंटिस्ट के बीच क्या अंतर होता है
हर मां अपने बच्चे के चेहरे पर मुस्कान देखना चाहती है, जाहिर है आप भी यही चाहती होंगी। हर बार जब वह आपको देखकर मुस्कुराता है और उसके छोटे छोटे क्यूट से दांत दिखते हैं तो आपको अपना बच्चा बहुत प्यारा लगता है। अगर आप नहीं चाहती हैं कि उसे और उसके प्यारे दांतों को कोई नुकसान पहुंचे, तो आपको उसकी डेंटल हेल्थ का बहुत खयाल रखना होगा ताकि उसकी मुस्कान ऐसे ही खूबसूरत बनी रहे और उसके मसूड़े और दांत हेल्दी रहें! इसके लिए आपको बच्चे का ओरल केयर रूटीन बनाना होगा, जो उसे आगे चलकर मुंह और दांतों की साफ-सफाई बनाए रखने में भी मदद करेगा। इसलिए, जैसे ही आप बच्चे का पहला दांत निकलते हुए नोटिस करें या जब उसका पहला दांत निकल आए तो आपको बिना देरी किए बच्चे को डेंटिस्ट के पास ले जाना चाहिए ।
बेबी को पहली बार डेंटिस्ट के पास कब ले जाना चाहिए?
एक नए माता-पिता के रूप में, आपको बच्चे के जीवन के शुरुआती कुछ सालों के दौरान उसकी ओरल हेल्थ को लेकर ज्यादा चिंता और सवाल नहीं होते हैं, लेकिन यह ऐसी चीज है जिसे आपको अनदेखा नहीं करना चाहिए। आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आपको अपने बच्चे को पहली बार डेंटल विजिट पर कब लेकर जाना चाहिए। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (एएपी) और अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक डेंटिस्ट्री (एएपीडी) की गाइडलाइन के अनुसार, बच्चे को पहली बार डेंटिस्ट के पास तब लेकर जाना चाहिए जब उसका दांत निकलना शुरू हो जाए, यानी 6 महीने से साल भर के अंदर बच्चे के दांत निकलना शुरू हो जाते हैं।
बच्चे को पहली बार डेंटिस्ट के पास ले जाने पर क्या होता है?
आपको पहली बार डेंटिस्ट के पास अपने बच्चे को ले जाने को लेकर चिंता करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि डेंटिस्ट से पहली मुलाकात कम समय के लिए और बहुत जल्दी हो जाती है। डेंटिस्ट माता-पिता में से किसी एक को बच्चे की जांच करते समय डेंटल चेयर पर उसे पकड़ कर बैठने के लिए कहेंगे। पहली मुलाकात में, डेंटिस्ट नीचे बताई गई कुछ जांच करेंगे।
- वह आपके बच्चे के दांतों को गिनेंगे।
- जांच करेंगे कि बच्चे के दांत खराब तो नहीं हो रहे हैं।
- बच्चा कैसे चबा रहा है यह चेक करेंगे।
- वह मसूड़ों, जबड़े या ओरल टिश्यू से जुड़ी कोई भी संभावित समस्या की जांच करेंगे।
- जरूरत पड़ने पर वह बच्चे के दांतों को साफ कर सकते हैं।
- वह आपको फीडिंग से जुड़ी जानकारी से दे सकते हैं, बॉटल फीडिंग से दांतों का खराब होना, दांत निकलना, पैसिफायर और अंगूठा चूसने की आदत, मुंह की सफाई कैसे करें आदि बातें भी कर सकते हैं।
- वह आपको बच्चे की ओरल हाइजीन को बनाए रखने के बारे में बताएंगे और अगली बार कब आना है, यह भी बताएंगे।
अगर आपके बेबी का दांत टूट जाए या क्रैक हो जाए तो क्या करें?
यदि आपके बच्चे के दांत टूटते हैं, तो आपको उसे लेकर डेंटिस्ट के पास जाने की सलाह दी जाती है। इस बीच आप उसका मुंह गुनगुने पानी से क्लीन करें और एक साफ कपड़े की मदद से इसे आराम से पोछें। आप दर्द वाली जगह पर अपने बच्चे के चेहरे पर ठंडी सिकाई का भी उपयोग कर सकती हैं। जब आप डेंटिस्ट से मिलती हैं, तो वह दांतों के शार्प किनारों की जांच करेंगे। इसके अलावा मसूड़ों की सूजन या दांतों में होने वाले क्रैक को चेक करेंगे जो नर्व को प्रभावित करने वाले फ्रैक्चर और दांतों में इंफेक्शन जैसी समस्या पैदा कर सकता है।
बच्चों का पहला डेंटल एक्स-रे कब होना चाहिए?
आमतौर पर, बच्चों के लिए डेंटल एक्स-रे की सलाह नहीं की जाती है, क्योंकि बच्चों के दूध के दांत कुछ समय के बाद गिर जाते हैं। हालांकि, कोई गंभीर समस्या होने पर ज्यादातर बच्चों का पहला डेंटल एक्स-रे 5 या 6 साल की उम्र में किया जाता है। यह उस दौरान होता है जब बच्चे के वयस्क दांत निकलना शुरू होते हैं। इस समय लिया गया एक्स-रे डेंटिस्ट को यह जानने में मदद करता है कि बच्चे के एडल्ट टीथ में किसी प्रकार की कोई समस्या तो नहीं हो रही है। लेकिन कुछ बच्चों को जिन्हें दांतों की सड़न या क्लेफ्ट लिप/पैलेट जैसी अन्य डेंटल प्रॉब्लम होती है, उनका दूसरों बच्चों की तुलना में डेंटल एक्स-रे पहले करने पड़ता है।
बेबी को उसके पहले डेंटल चेकअप के लिए कैसे तैयार करें
यह बहुत आम बात है कि बच्चे अजनबियों के पास जाने या उन्हें खुद को छूने नहीं देते हैं। अक्सर पेरेंट्स जब बच्चे को लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं तो उनके लिए यह काफी चुनौती भरा काम हो जाता है। जब आपका बच्चा फ्रेश फील कर रहा हो उस समय डॉक्टर का अपॉइंटमेंट लेना आपके लिए सही रहेगा, इसलिए कोशिश करें की सुबह के समय ही चेकअप के लिए जाएं। अपने बच्चे की एंग्जायटी को कम करने के लिए आप क्लीनिक में होने वाली एक्टिविटी के बारे में उसे सतर्क करें और इसके लिए आपको क्या करना चाहिए यह नीचे बताया गया है:
- उसे डेंटिस्ट के साथ बच्चों वाली पिक्चर बुक दिखाएं ।
- बच्चे को अपना मुंह खोलने के लिए कहें। आपके कहने से जब वह अपना मुंह खोलता है, तो उसके दांतों को गिनने और चेक करने का नाटक करें। बच्चे के साथ अक्सर इस तरह की एक्टिविटी की प्रैक्टिस करें और इस तरह आप उसे डेंटल विजिट के लिए तैयार कर सकती हैं ।
- आप बच्चे के डेंटिस्ट होने की एक्टिंग करें। एक ऐसा टूथब्रश लें जिस पर कोई जानवर या उसका पसंदीदा कार्टून बना हो और उसे अपनी डेंटिस्ट्री स्किल दिखाएं।
- डेंटिस्ट के पास जाते समय बच्चे के खिलौने और कलर पेंसिल साथ ले जाएं ताकि उसे व्यस्त रखा जा सके और वह क्लीनिक में आपको परेशान न करें।
- उसे प्यार करें और सहज रखने का प्रयास करें।
बच्चे को पहली बार डेंटिस्ट के पास ले जाने के लिए टिप्स
आज के समय में आपको अपने बच्चे की ओरल हेल्थ के बारे में बहुत ज्यादा एक्टिव रहने की आवश्यकता है, ताकि वो हमेशा खूबसूरत मुस्कान दिखा सके। बच्चे को डेंटिस्ट से परिचित कराएं, उससे पॉजिटिव तरीके से बात करना शुरू करें कि डेंटिस्ट कौन होते हैं हम उनके पास क्यों जाते हैं आदि। बच्चे को सहज रखने के लिए आपको यहां बताई गई टिप्स को फॉलो करना चाहिए।
- आपको जो भी सवाल डेंटिस्ट से पूछने हों, उनकी एक लिस्ट बना लें।
- बच्चे को जारी किसी भी तरह की दवाइयों की लिस्ट भी साथ में रखें।
- हेल्थ हिस्ट्री के बारे में फॉर्म भरने के लिए तैयार रहें।
- डॉक्टर के पास जाने से पहले फॉर्म के लिए पूछें कि क्या आप इसे घर पर भर सकती हैं।
- अपॉइंटमेंट के लिए वो समय चुनें जिसमें बच्चा आराम से रहे, सोने के समय पर उसे परेशान न करें।
- डॉक्टर के पास जाने से पहले बच्चे को थोड़ा खाना खिलाकर ले जाएं, ताकि उसे भूख न लगे। आप साथ में कुछ स्नैक्स भी रख सकती हैं।
पीडियाट्रिक डेंटिस्ट और रेगुलर डेंटिस्ट के बीच क्या अंतर होता है
बच्चे की पहली डेंटल विजिट यादगार होनी चाहिए, क्योंकि बच्चे अपने अनुभव और जगह को याद रखते हैं। वैसे तो दोनों तरह के डेंटिस्ट दांतों की जांच करते हैं या फिर बच्चे को जिस ओरल हेल्थ केयर की जरूरत होती है उसके बारे में बताते हैं। फिर भी, पीडियाट्रिक डेंटिस्ट और रेगुलर डेंटिस्ट के बीच बड़ा फर्क यह है कि पीडियाट्रिक डेंटिस्ट 2 साल की ट्रेनिंग और लेते हैं। एक्स्ट्रा ट्रेनिंग से डॉक्टर को ज्यादा प्रैक्टिस करने का मौका मिलता है जिससे वो बच्चों के व्यवहार, मैनेजमेंट और इलाज के बारे में ज्यादा बेहतर तरीके से जान पाते हैं। इसलिए, जब आप पीडियाट्रिक डेंटिस्ट के पास जाएंगी, तो आप देखेंगी कि रेगुलर डेंटिस्ट के मुकाबले पीडियाट्रिक डेंटिस्ट द्वारा आपके बच्चे की बेहतर तरीक से जांच की जा रही है।
कम उम्र से ही अपने बच्चे की ओरल हेल्थ का बहुत खयाल रखें। पीडियाट्रिक डेंटिस्ट के साथ अच्छा तालमेल रखने उसके दांतों की एक उचित और सही समय पर देखभाल हो पाती है। इससे बच्चे का स्वस्थ ओरल केयर रूटीन बनेगा, जो बड़े होने के बाद भी उसके काम आएगा।
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