हर माता-पिता के लिए वह स्थिति बहुत ही अजीब हो जाती है, जब उनका बच्चा सबके सामने उन पर गुस्सा दिखाता है या फिर यूं कह लें टैंट्रम दिखाता है। ऐसे में स्वभाविक है कि पेरेंट्स अपने बच्चे की इस हरकत से बेहद दुखी महसूस करते हैं। आप भी यह सोचती होंगी कि आखिर अपने बच्चे के गुस्से को कैसे हैंडल किया जाए। अक्सर देखा गया है कि 3-8 साल के बच्चों और टीनएजर्स में अग्रेशन काफी आम होता है ( यह उनके जीवन में होने वाले आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के बदलावों के कारण होता है)। बच्चों का गुस्सा ज्यादातर उनकी आवाज द्वारा ही दिखाई देता है, जैसे चिल्लाना, लगातार चिल्लाना जब तक उन पर कोई ध्यान न दे। कभी कभी बच्चे लोगों के साथ फिजिकल भी हो जाते हैं, जहां वह अपने से बड़े लोगों को लात मारते हैं, हाथ चलाते हैं, थूकते हैं, चिकोटी काटते हैं। ऐसी स्थिति को रोज-रोज झेलना माता-पिता के लिए काफी मुश्किल होता है।
लेकिन ऐसे में आपको बुद्धि से काम लेना होगा ताकि आप यह जान सकें कि आखिर आपके बच्चे को इतना गुस्सा क्यों आता है और जब ऐसी स्थिति आती है तो इसे कैसे संभाला जाए। यहां पर हम आपको कुछ ऐसी ट्रिक्स के बारें में बताएंगे ताकि आप उसकी सहायता से अपने हिंसक मिजाज वाले बच्चे को हैंडल कर सकें।
बच्चों में गुस्सा करने के कई कारण हो सकते है। ऐसे में माता-पिता होने के नाते आपको स्थिति को सुधारना चाहिए और ये समझना चाहिए कि आखिर आपका बच्चा अंदर से क्या महसूस कर रहा है, ताकि आप जल्दी से एक सही फैसला ले सकें। कभी-कभी बच्चे के अंदर गुस्सा इसलिए भी बढ़ता है, जब वह किसी मुश्किल प्रॉब्लम को हल नहीं कर पाता है या फिर उसकी क्षमता उसे कम लगने लगती है। ऐसी परिस्थिति में बच्चा निराश और घबरा जाता है। यदि आप बहुत परेशान महसूस कर रही हैं और यह समझ नहीं पा रही हैं कि कैसे अपने बच्चे के गुस्से को कंट्रोल करें, तो ऐसे में बात की जड़ तक जाने की कोशिश करें, उससे आपको मदद मिलेगी। ऐसे हालात में अपने पति के साथ बैठकर बात करें और समझें कि इसको कैसे संभालना है। इस बीच यह भी जानें कि बच्चे के इस व्यवहार का क्या कारण हो सकता है।
माना आपके बच्चे का व्यवहार बहुत अच्छा है, लेकिन कभी-कभी वो बिना किसी कारण या लॉजिक के कुछ भी बोल देता है। जिन बच्चों को अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) है या किसी भी अन्य तरह की चीजों को सीखने में दिक्कत आती है, खराब तर्क देते है और उनका इम्पल्सिव नेचर होता है, तो ऐसे में उनके गुस्से को आक्रामकता का नाम दे दिया जाता है जो गलत है। बच्चे अक्सर उनके किये गए कार्यों के महत्व से अनजान रहते हैं।
यदि आपका बच्चा आपसे नाराज है या कुछ अलग तरीके से व्यवहार कर रहा है, तो हो सकता है इसका कारण स्कूल या घर पर हुई कोई दर्दनाक घटना हो। ऐसा माना जा सकता है कि स्कूल में आपके बच्चे को तंग किया जा रहा हो या किसी रूप में उसे बुरे व्यवहार का सामना करना पड़ा हो। यदि ये घटनाएं बार-बार होती हैं, तो यह एक बड़ी समस्या है। ऐसे में बच्चे पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस सिंड्रोम (पीटीएसडी) से भी पीड़ित हो सकते हैं।
यदि आपका बच्चा समाज में उसके हिसाब से व्यवहार नहीं कर रहा है और नाटक कर रहा है, तो उसके इस व्यवहार का कारण असामान्य व्यवहार या उसका डिसऑर्डर हो सकता है। यह एक ऐसी गंभीर इमोशनल समस्या है, जिसका पता चलते ही तुरंत इलाज कराना चाहिए। इस समस्या का मुख्य कारण यह है कि जो बच्चे इससे पीड़ित होते हैं वे अपने नकारात्मक कार्यों और व्यवहार को पहले से ही करने के लिए ठान लेते हैं।
मनोविज्ञान के मुताबिक यह एक बेहद गंभीर दिमागी अवस्था है जहां भावनाएं और विचार इतने खराब हो जाते हैं कि व्यक्ति वास्तविकता को समझ नहीं पाता है। यह समस्या ज्यादातर स्किज़ोफ्रेनिक बच्चों में पाई जाती है, जो अपनी हिंसक प्रतिक्रियाओं को समझ नहीं पाते हैं। वे इस मामले में अपने आस-पास की चीजों नहीं पाते हैं और उनकी स्थिति मनोविकृति जैसी हो जाती है और वह अलग तरह से व्यवहार करते हैं।
यह एक ऐसा मानसिक विकार जो व्यक्ति को अग्रेशन और डिप्रेशन के बीच हिलाकर रख देता है, जिसका नतीजा काफी ज्यादा भयानक होता है। यह मामला उन बच्चों में देखने को मिलता है जिन्हें किसी भी प्रकार का बाइपोलर डिसऑर्डर हो, जैसे की मूड स्विंग होना, हमेशा गुस्सा आना आदि। इससे पीड़ित बच्चे अपना आत्म-नियंत्रण खो देते हैं और बहुत जल्दी चिड़चिड़े और गुस्से में आ जाते हैं। ये बच्चे शारीरिक और शाब्दिक दोनों तरीके से आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं।
यदि आपका बच्चा अधिक उतावला है और अक्सर बेचैन हो जाता है और उसकी एनर्जी निकलने का कोई रास्ता नहीं है तो ऐसे में वह बहुत जल्दी निराश यानी कि फ्रस्टेट होकर नखरे दिखाने लगेगा। यह उन बच्चों में ज्यादा पाया जाता है जिन्हें ऑटिज्म या दिमागी तकलीफ होती है। ऐसे बच्चे हमेशा परेशान या नाराज हो जाते हैं और अपनी भावनाओं को अपने मुंह से बता नहीं पाते हैं।
जब बच्चों को गंभीर चोट लगती है, तो उनके फ्रंटल लोब के डैमेज होने के कारण भी वह आक्रामक हो जाते हैं। कभी-कभी मिर्गी के रूप में भी बच्चों में आक्रामकता देखी गई है। अगर आपका बच्चा शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं है, जैसे कि अगर वह लगातार दर्द में है, तो उसका गुस्से में आना आम बात है।
यदि आपके घर का वातावरण सही नहीं है और बच्चा हमेशा अपने परिवार के सदस्यों के बीच झगड़ा, लड़ाई देखता है, जिसके कारण वह भी गुस्सा भरा व्यवहार करता है। इस प्रकार की आक्रामकता को ट्रिगर करने के सामाजिक-आर्थिक से लेकर स्कूली मुद्दों तक हो सकते हैं। यदि आपके बच्चे को स्कूल में धमकियां मिल रही हैं या वे स्कूल के काम पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ हैं, तो इससे होने वाली निराशा और लाचारी उसके अंदर के गुस्से को और स्ट्रांग करती है।
जब आप अपने बच्चों के आक्रामक व्यवहार के साथ डील कर रही होती हैं, तो दिन-ब-दिन इसे झेलने पर आपको भी बहुत गुस्सा आएगा, जिससे आप थक जाती हैं। हालांकि, ऐसे कई तरीके होते हैं जिनकी मदद से आप काम भी कर सकती हैं और अपने बच्चे को कैसे अच्छे से व्यवहार किया जाता है वो भी सिखा सकती हैं। यहां कुछ तरीके बताए गए हैं:
जब भी आपको अपने बच्चे के बुरे बर्ताव की वजह से गुस्सा आए या आप नाराज हों, तो 10 तक गिनती गिनकर खुद को शांत करें। खुद को शांत रखें और अपने बच्चे को उदाहरण देते हुए यह समझाएं कि नखरे करके या फिर शारीरिक या मौखिक रूप से गलत हरकत करने से उसे वह नहीं मिलेगा जो वह चाहता है। हर समय एक समान स्वभाव बनाए रखें और स्थिति के हिसाब से खुद को न ढालें।
जब भी आपका बच्चा काम करता है, तो आपको भी अच्छी पेरेंटिंग दिखाते हुए उसके लिए ‘टाइम-आउट’ तकनीक बनाएं। जब वह नखरे दिखाता है, तो उसे शांत स्वर में यह बताएं कि गुस्सा करने से कुछ नहीं होगा, उसे उनकी भावनाओं से निपटने के लिए ‘टाइम-आउट’ यानी की समय मिल रहा है। जितनी बार जरूरी हो उतनी बार यह बात दोहराएं और एक पैटर्न को सेट कर लें। ऐसा करने से यह आपके बच्चे को जरूरत पड़ने पर अच्छा व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित करेगा और वह यह जानेगा कि जब वह बुरा व्यवहार करता है, तो उसे एक ‘टाइम-आउट’ का सामना करना पड़ता है।
आत्म-नियंत्रण एक ऐसा महत्वपूर्ण तरीका है, जो न सिर्फ बच्चे बल्कि बड़ों के लिए भी जरूरी है। बच्चों को खुद पर कंट्रोल करना सिखाएं जब भी उन्हें गुस्सा आए, ताकि वह गुस्से में किसी को लात न मारे या हाथ न चलाए। अगर आपका बच्चा शुरू से ही आक्रामक है, तो इस तकनीक को जरूर अपनाएं, यह एक बेहतरीन तकनीक साबित होती है। सभी बच्चों में खुद को नियंत्रित करने की बचपन से ही क्षमता होती है, इसलिए बस आपको उसे विश्वास दिलाना है कि वह ऐसा कर सकता है।
जब किसी कठिन परिस्थिति की बात आती है तो ‘कठिन’ होना या ‘सख्त होना’ ठीक नहीं है। अपने बच्चे को सिखाएं कि जब चीजें उनके पक्ष में काम नहीं कर रही हों तो धमकी न दें या फिर उसके पीछे नहीं पड़े। इसकी बजाय उसे शांत तरीके से चीजें समझाएं। उसे शेयर करना सिखाएं और ये भी बताएं कि कमजोर होना कोई बुरी बात नहीं है। अपने बच्चे को समझाएं: जरूरी नहीं है आप अपनी भावनाओं से निपटने का तरीका जानते हो, लेकिन जब आप उस पॉइंट पर पहुंच जाते हैं तो गुस्सा होना ठीक नहीं है। फूट-फूट कर रोने से अच्छा है कि चीजों के बारे में बात करें।
अपने बच्चे को अनुशासन में रखने के लिए पिटाई सही मार्ग नहीं है क्योंकि आप उसके सामने एक उदाहरण पेश करना चाहती हैं। ऐसे में बच्चे इस बात को अपने दिमाग में भर लेते हैं कि इसका सहारा लेना ठीक है, भले ही इससे किसी भी कीमत पर बचा जा सकता हो।
आप अपने बच्चे को एक ऐसा वातावरण दें जहां वो बिना किसी डर के अपने गुस्से और नेगेटिव बातों को निकाल सके। उसे उसकी भावनाओं को समझने के लिए कहें और यह भावनाएं किस वजह से आ रही है उसे भी समझने के लिए कहें और इतना ही नहीं उनकी इन भावनाओं को व्यक्त करने के लिए उन्हें आप रचनात्मक तरीके दें। बाकी और भी तरीका है जिससे उन्हें अच्छी चीजें सोचने को मिलेंगी, जैसे बाहर जाकर खेलना, कलरिंग या कोई स्किल हासिल करना।
एक गुस्सैल बच्चे को संभालने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है कि, जब वह अच्छा व्यवहार करे तो उसकी तारीफ करें। जब बच्चा किसी कठिन परिस्थिति में कुछ सही करे, तो उसकी प्रशंसा करें और उसे बताएं कि अहिंसा हमेशा सबसे अच्छी चीज होती है।
जब भी आप अपने गुस्सैल बच्चे से बात करती हैं, तो उसकी बात की जड़ तक जरूर जाएं और फिर उससे शांति से चर्चा करें। उसे यह बताएं कि उसकी कुछ चीजों को स्वीकार नहीं किया जाएगा जैसे मारना, थूकना या लात मारना और अगर चीजें हाथ से निकलती है तो उसे ‘टाइम-आउट’ भी दिया जाएगा।
बच्चा जब भी कोई गलत काम करे तो उसको तुरंत कड़ी आवाज में डांटे और घटना की कार्रवाई करें। किसी भी परिस्थिति में पुरानी बातों को सामने न लाएं और कुछ समय पहले किए गए कार्य के लिए उसे बाद में नहीं डांटे।
माता-पिता के रूप में आपको हमेशा बच्चे के बुरे व्यवहार से निपटने के लिए खुद को एक टीम की तरह दिखाना चाहिए। दोनों पक्षों को एक ही बात कहने और करने की जरूरत है ताकि बच्चा दोनों में से किसी एक को अपनी बातों में न ले आएं। जब भी आक्रामकता से जुड़ी कोई बात आती है तो एक शांत कपल बनें और बच्चे के सामने अपने गुस्से को भी नियंत्रित रखें।
जब बात गुस्सैल बच्चों को संभालने की आती है तो आपके लिए धैर्य और एक निश्चित मात्रा में अधिकार सबसे बड़े सहयोगी होते हैं। समय के साथ, उनके नजरिए में सुधार आएगा और आप उसके जीवन में कुछ वास्तविक परिवर्तन लाने में सक्षम भी होंगी।
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