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नींद में चलना, जिसे सोमनांबूलिज्म के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी बीमारी है, जो कि लगभग 1% से 15% आबादी को प्रभावित करती है। यह बीमारी बड़ों की तुलना में बच्चों में अधिक देखी जाती है।
अगर आपका बच्चा सोमनांबूलिज्म यानी जिसे हम बोलचाल की भाषा में स्लीप वॉकिंग भी कहते हैं, उससे ग्रस्त है तो यह जरूरी है, कि आपको इस बीमारी के कारण, संकेत, इलाज एवं अन्य जरूरी जानकारी पता हो।
स्लीप वॉकिंग (नींद में चलना) या सोमनांबूलिज्म एक ऐसी बीमारी है, जिसमें इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति जब नींद में रहता है, तो उसमें कई तरह की गतिविधियां देखी जाती हैं, खासकर चलना। इस बीमारी में कई तरह की गतिविधियां शामिल हैं, जैसे केवल उठकर खिड़की से झांकने जैसी मामूली गतिविधियों से लेकर घर से बाहर निकल कर दूर तक चले जाने जैसी गंभीर गतिविधियां।
स्लीप वॉकिंग बड़ों की तुलना में बच्चों में अधिक देखा जाता है। आमतौर पर 1% से 15% की आबादी इस बीमारी से जूझती है, जिनमें से आधे से अधिक बच्चे होते हैं। ऐसा पाया गया है, कि अगर बच्चा थका हुआ हो या उसकी नींद पूरी न हुई हो, तो नींद में चलने की संभावना अधिक हो सकती है।
केवल नींद में चलना आपके बच्चे के लिए नुकसानदायक नहीं होता है, लेकिन चूंकि ऐसे में बच्चे को पता नहीं होता है, कि वह क्या कर रहा है, इसलिए यह उसके लिए खतरनाक हो सकता है। क्योंकि अगर वह नींद में चलते हुए घर से बाहर निकल जाता है, सीढ़ियां चढ़ने-उतरने लगता है, तो वह खुद को चोट पहुंचा सकता है। ऐसे कई उदाहरण देखे गए हैं, जब बच्चे चलते हुए सड़क पर चले जाते हैं और सुबह होने पर वे खुद को किसी अनजान जगह पर पाते हैं। ऐसे में बच्चे को यह बीमारी होने की चिंता न भी हो, पर नींद में चलने पर वह क्या करता है इसे लेकर चिंता होना स्वाभाविक है।
बच्चों में नींद में चलने की बीमारी के कुछ कारण इस प्रकार हैं:
जब आप स्लीप वॉकिंग शब्द सुनती हैं, तो पहली बात जो आपके दिमाग में आती है, वह होती है नींद में चलना। लेकिन नींद में चलना ही इस बीमारी का एकमात्र लक्षण नहीं होता है। स्लीप वॉकिंग के कई संकेत और लक्षण होते हैं और इनमें से कुछ सबसे प्रमुख संकेत इस प्रकार हैं, जो कि बच्चों में देखे जाते हैं:
स्लीप वॉकिंग की पहचान में स्लीपिंग पैटर्न की जांच और बच्चे की नींद में चलने की घटनाओं के बारे में जानकारी शामिल है। शारीरिक जांच भी की जाती है, इसमें बुरे सपने, नींद के दौरान दौरे और पैनिक अटैक की जांच होती है। कुछ मामलों में नोक्टर्नल स्लीप स्टडी या पॉलीसोम्नोग्राफी भी की जाती है, जिसमें बच्चे को सारी रात लैब में सोना पड़ता है और उसकी ब्रेन वेव्स, हार्ट रेट, ऑक्सीजन का लेवल और पैरों की हलचल को देखा जाता है।
सोमनांबूलिज्म को ठीक करने के लिए, आपको इसकी जड़ तक जाना होगा, क्योंकि यह आमतौर पर नींद की कमी, तनाव और एंग्जाइटी जैसी छुपी हुई समस्याओं के कारण होता है। इसलिए जब आप समस्या की जड़ तक पहुंच जाती हैं, तो इस बीमारी को ठीक करना बहुत आसान हो जाता है। इस बीमारी में इलाज के कई तरह के विकल्पों से मदद मिल सकती है। पर ज्यादातर मामलों में, जब बच्चा अपने टीनएज यानी किशोरावस्था में पहुंचता है, तब नींद में चलने की उसकी घटनाएं रुक जाती हैं।
कुछ मामलों में ड्रग्स और कुछ खास दवाएं नींद में चलने का कारण होती हैं। अपने डॉक्टर से कुछ ऐसे वैकल्पिक दवाओं के बारे में बात करें, जिनसे स्लीप वॉकिंग जैसे साइड इफेक्ट ना हों।
थेरेपी और काउंसलिंग से भी स्लीप वॉकिंग से आराम मिल सकता है। तनाव में कमी और स्लीप थेरेपी के कुछ सेशन इसमें बहुत मदद कर सकते हैं।
बहुत सारे बच्चे नींद में चलने का अनुभव करते हैं और जब बच्चा अपनी किशोरावस्था तक पहुंचता है, तब ये घटनाएं धीरे-धीरे रुक जाती हैं। भविष्य में नींद में चलने की घटनाओं से बचने के लिए आप नीचे दिए गए सुरक्षात्मक मापदंडों को ध्यान में रख सकती हैं:
जैसा कि पहले बताया गया है, स्लीप वॉकिंग अपने आप में नुकसानदायक नहीं है, लेकिन इस दौरान बच्चे द्वारा की जाने वाली हरकतें उसे चोट पहुंचा सकती हैं। अगर आपका बच्चा नींद में चलता है, तो यह जरूरी है, कि आप उसे सुरक्षित रखने के लिए सब कुछ करें, ताकि वह इन घटनाओं के दौरान खुद को नुकसान न पहुंचाए।
स्लीप वॉकिंग एक ऐसी बीमारी है, जो कि आपकी सोच के तुलना में कहीं अधिक लोगों को प्रभावित करती है। ज्यादातर मामलों में आप नींद में चलने की घटनाओं में धीरे-धीरे आती हुई कमी को महसूस करेंगी। कुछ मामलों में आपका बच्चा गलत गतिविधियां कर सकता है, जैसे अलमारी में पेशाब करना, मारना या चीखना। इससे आप परेशान हो सकती हैं, लेकिन आपको यह समझने की जरूरत है, कि बच्चा अपनी इन हरकतों पर या व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रख सकता है। आपको धैर्य बनाए रखने और समझदारी दिखाने की जरूरत है। इसके लिए बच्चे को सजा देना ठीक नहीं है, क्योंकि इससे स्थिति और भी बिगड़ सकती है। उससे बात करें और अगर ये घटनाएं बार-बार होने लगी हैं, तो एक थेरेपिस्ट से मदद लें।
यहां पर कुछ घर पर करने के लिए कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिन्हें नींद में चलने वाले बच्चे को संभालते समय आपको ध्यान में रखना चाहिए –
नींद में चलना एक ऐसी बीमारी है, जो आपको परेशान कर सकती है, खासकर अगर आपका बच्चा इससे जूझ रहा हो तो। पर सही इलाज और थेरेपी के साथ आप इसे ठीक करने में मदद कर सकती हैं। ऊपर दिए गए टिप्स, इलाज और सावधानियों को अपनाने से आप अपने बच्चे को सुरक्षित रख सकती हैं।
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