बच्चों का शर्मीलापन कैसे दूर करें

बच्चों का शर्मीलापन कैसे दूर करें

हर बच्चे का व्यव्हार अपने आप में अलग और खास होता है। कई बच्चे बहुत मिलनसार और शरारती होते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जो शर्मीले होते हैं और खुद को दूसरों से अलग रखना पसंद करते हैं। शिशुओं और बच्चों में शर्मीलापन होना बेहद आम है, लेकिन अक्सर, यह कई माता-पिता के लिए चिंता का कारण होता है। ऐसे बच्चे सामाजिक व्यवहार निभाने में बेहद असहज महसूस कर सकते हैं और जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, जिन लोगों के साथ वे सहज महसूस नहीं करते, उनसे बात करने से बचने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। यदि आपका बच्चा भी शर्मीला है, तो आप जानना चाहेंगी कि आप उसे इस समस्या से कैसे बाहर निकालें और उसकी कैसे मदद करें, ताकि वह भी बाकी बच्चों की तरह दूसरों का साथ एन्जॉय कर सके और उनके साथ घुलमिल सके।  

बच्चों का कितना शर्मीलापन ज्यादा माना जाता है? 

बच्चे का ज्यादा या कम शर्माना जैसा कुछ नहीं हैं। अगर आपका बच्चा शर्मीला है और यह बात आपको या बच्चे को परेशान नहीं कर रही है तो कोई बड़ी बात नहीं है। जो बच्चे शर्मीले होते हैं, वे बेहतर श्रोता बनते हैं और स्कूल में उनका व्यवहार ऐसा खराब नहीं होता है, जिसकी वजह से उन्हें डांट पड़े। अगर शर्मीला होने की वजह से बच्चा खुश नहीं रहता है, तो यह बहुत ज्यादा हो जाता है, ऐसा नहीं होना चाहिए। अगर बच्चा नियमित रूप से स्कूल जाने से मना करता है, बर्थडे पार्टी में जाने से इंकार कर देता है, ग्रुप एक्टिविटी या दूसरे इवेंट में जाने से बचता है तो आपको उसमें ऐसे व्यवहार के नोटिस होने पर किसी प्रोफेशनल से बात करनी चाहिए।

बच्चों का कितना शर्मीलापन ज्यादा माना जाता है? बच्चों के शर्मीले होने के कारण

बच्चों के शर्मीले होने के कुछ संभावित कारण आपको नीचे बताए गए हैं। ये कारण अक्सर कॉम्बिनेशन के रूप में काम करते हैं, इसलिए उन्हें ध्यान से देखें:

  • पर्सनालिटी: एक बच्चा जो भावनात्मक रूप से सेंसिटिव होता है, उसके बड़े होने पर शर्मीले स्वभाव की संभावना ज्यादा होती है।
  • जेनेटिक: बच्चे का शर्मीला होने का एक कारण जेनेटिक भी हो सकता है जो उसकी पर्सनालिटी को प्रभावित कर सकता है।
  • सोशल इंटरेक्शन में कमी: यदि बच्चों को उनके शुरुआती सालों में सामाजिक रूप से अलग-थलग कर दिया जाता है, तो वे अपने अंदर जरूरी सामाजिक व्यवहार विकसित नहीं कर पाते हैं और लोगों से बात करने में संकोच महसूस करते हैं।
  • असफलता का डर: बच्चों को जब उनकी क्षमता से ज्यादा परफॉर्म करने के लिए जोर दिया जाता है, तो उनके अंदर फेल हो जाने का डर बैठ जाता है, जिसे यह माना जाता है कि बच्चा शर्मा रहा है।
  • आलोचना: जब माता-पिता, भाई-बहन या करीबी दोस्त किसी बच्चे की उसके शुरुआती सालों में बात-बात पर आलोचना करते हैं, धमकाते हैं या चिढ़ाते हैं, तो इससे वे शर्मीले स्वभाव के बनते जाते हैं।
  • परिवार: कभी-कभी पेरेंट्स का बहुत ज्यादा प्रोटेक्ट करना भी उन्हें शर्मीला बना सकता है, जिससे उनके अंदर नए परिवेश में जाने से डर पैदा होने लगता है।
  • आपके व्यवहार से सीखना: जो माता-पिता शर्मीले होते हैं अक्सर वो अपने बच्चों में भी ये सब डालते हैं। पेरेंट्स बच्चे के पहले रोल मॉडल होते हैं और बच्चे उनके व्यवहार को फॉलो करते हैं, इसलिए वे आपको जैसा सार्वजनिक जहाज पर देखते हैं खुद भी वैसा व्यवहार अपनाते हैं।

बच्चों के शर्मीले होने के कारण

बच्चे का शर्मीला होना कब समस्या पैदा कर सकता है? 

जब पेरेंट्स यह देखते हैं कि उनका बच्चा शर्मीला है, तो वे यह जानना चाहते हैं कि उसका व्यवहार नॉर्मल है या नहीं। नए लोगों से मिलने या किसी नई परिस्थिति का सामना करने पर बच्चे का अपने मां या पिता से चिपकना नॉर्मल हो सकता है। अगर यह एक टेम्परेरी फेज नहीं लग रहा तो यह एक समस्या बन सकता है। ज्यादातर बच्चे इससे बाहर निकल जाते हैं, क्योंकि उनकी उम्र के बच्चों के साथ उनका घुलना-मिलना बढ़ने लगता है। जब आप अपने बच्चे को अन्य बच्चों से घिरे हुए अकेले खेलते हुए देखती हैं तो यह आपको चिंतित कर सकता है। टीचर से बात करके चेक करें कि क्या वह अपनी उम्र के स्कूल के बच्चों या आपके पड़ोस के बच्चों से बात करने में शर्माता है।

शर्मीलेपन के कारण बच्चों में देखे जाने वाले कॉम्प्लिकेशन

अगर बच्चा शर्मीला है तो इससे उसकी क्वालिटी ऑफ लाइफ प्रभावित हो सकती है, कैसे? आइए नीचे पढ़ कर जानते हैं।

  • आपका बच्चा एक्टिविटीज जैसे स्पोर्ट्स, डांस, म्यूजिक, या ड्रामा जैसी मजेदार बातों में भाग लेने से मना कर सकता है।
  • इससे उसे सोशल स्किल का अभ्यास करने और एक व्यक्ति के रूप में विकसित होने के अवसर कम मिल सकते हैं।
  • आत्मसम्मान कम होना और एकांत में रहना या उनका महत्व कम है ऐसी भावना आ सकती है।
  • जज किए जाने के डर से पूरी क्षमता नहीं दिखाते हैं।
  • बहुत ज्यादा एंग्जायटी होना।
  • कांपना, शरमाना और हकलाना ऐसे फिजिकल प्रभाव भी बच्चे को और शर्मिंदा कर सकते हैं।

शर्मीले बच्चों की मदद करने के लिए टिप्स

पेरेंट्स के रूप में, आपको अपने बच्चे को इससे बाहर निकालने के तरीकों को जानना होगा। लेकिन पहले, आपको यह समझना चाहिए कि शर्मीलापन एक पर्सनालिटी ट्रेट है न कि बच्चे की गलती। इसे स्वीकार करना आपकी ओर से बच्चे की मदद करने का पहला कदम होगा। आइए देखें कि आप अपने बच्चे में आत्मविश्वास विकसित करने और उनकी शर्म को दूर करने के लिए क्या कर सकती हैं।

1. इस मुद्दे पर चर्चा करें: बच्चों में तब भी शर्मीलापन नोटिस किया जाता है जब वे अपने पेरेंट्स को एक दूसरे से बहस करते हुए देखते हैं। जहाँ तक ​​हो सके उन्हें ऐसी स्थिति से दूर रखें। अगर आपका बच्चा किसी ट्रॉमा शिकार हुआ है तो आप प्रोफेशनल सलाह लें। उसके टीचर से बात करें और स्कूल में उसके व्यवहार के बारे में पूछें क्योंकि इससे आपको उसकी पर्सनालिटी के बारे में काफी कुछ पता चल सकता है। शर्मीलेपन को दूर करने के लिए उन स्ट्रेटेजीज को शेयर करें जो आपने इतने सालों में सीखा है। इससे बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ेगा
2. बात करने के लिए प्रोत्साहित करें: आप अपने बच्चे को उसकी उम्र के बच्चों के साथ बातचीत करने और खुलकर बात करने के लिए कह सकती हैं। आप वीकेंड पर एक प्ले सेशन भी आयोजित कर सकती हैं, जिसमें पड़ोसियों और स्कूल के बच्चों के साथ-साथ आपका बच्चा अपने कजिन के साथ खेले और बातचीत करे, ताकि उसका व्यवहार नियंत्रित रखा जा सके। बच्चे को खुलकर उसकी भावनाएं प्रकट करने के लिए कहें, उससे बातचीत करें और यह उसकी शर्म को कम करने का एक अच्छा तरीका होगा।
बात करने के लिए प्रोत्साहित करें
3. सहानुभूति दिखाना: शर्मीले बच्चों के साथ सहानुभूति न रखना ही उनके लिए बेहतर होगा, वरना बच्चे को इस तरह के व्यवहार को जारी रखने का बढ़ावा मिल सकता है, जिससे वह और ज्यादा शर्मीला हो सकता है। बच्चे के इस व्यवहार को यह न कहें कि वो जो भी है, जैसे भी है, ठीक है और उसे अपने ऐसे होने पर खराब नहीं महसूस होना चाहिए।
4. प्रेरित और प्रोत्साहित करें: ज्यादातर माता-पिता यह नहीं जानते कि वे अपने बच्चे में शर्मीलेपन को दूर करने के लिए उसकी कैसे मदद करें, लेकिन आपको यह बता दें कि इसके लिए किसी विशेष स्किल की आवश्यकता नहीं होती है। दूसरों के बारे में बिना चिंता किए बच्चे को अपनी पसंद की चीजें करके अपनी पहचान खुद बनाने के लिए प्रोत्साहित करें। उसकी स्ट्रेंथ और स्किल पर काम और उसे अपनी एक पर्सनालिटी डेवलप करने में मदद करें।
5. टैगिंग से बचें: जब आप किसी सोशल गैदरिंग में हों, तो अपने बच्चे को दूसरों से मिलवाते समय उसे एक शर्मीले बच्चे के रूप में लेबल न करें, क्योंकि इससे उसका आत्मविश्वास टूट सकता है। उसे बताएं कि वो किसी पार्टी, इवेंट या किसी पर्टिकुलर सिचुएशन को कैसे हैंडल करता है। जब भी आप उसे ऐसे नोटिस करती हैं, तो पॉजिटिव व्यवहार के साथ उसे प्रोत्साहित करें, क्योंकि इससे उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वह हर बार ग्रुप या बड़े इवेंट पर अपना व्यवहार अच्छा रखने की कोशिश करेगा।

समय और प्रयास के साथ, आप अपने बच्चे का शर्मीलापन दूर कर सकती है और उसे सिखा सकती हैं कि लोगों के साथ घुलना-मिलना एक मजेदार अनुभव हो सकता है। बच्चे के स्वभाव से भले ही शर्मीलापन पूरी तरह से न मिटाया जा सके लेकिन पेरेंट्स बच्चे को इमोशनल सपोर्ट और आत्मविश्वास देने में भूमिका जरूर निभा सकते हैं।

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