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अगर आप एक नए माता-पिता हैं, तो आप इस बात से सहमत होंगे कि नए माता-पिता होने के सबसे कम रोमांचक कार्यों में से है शिशु का मल! फिर भी, यह शिशु के माता-पिता होने का एक अनिवार्य हिस्सा है।
जैसा कि सभी नए माता-पिता के साथ सामान्य है, जब आप पहली बार शिशु का मल साफ़ करने की प्रक्रिया करते हैं, तब आप सोचते हैं कि किस प्रकार का मल सामान्य है, और कौन सा नहीं । आइए ,हम इस विषय पर अधिक विस्तार से विश्लेषण करें कि आपका शिशु किस दौर से गुज़र रहा है इस बारे में आपको कब चिंतित होना चाहिए ।
शिशु की उम्र | दिनभर में कम से कम कितनी बार मल का आना आवश्यक है | शिशु के मल का रंग और प्रकार |
1 दिन | 1 | काले रंग की और गाढ़ी |
2 दिन | 0-1 | काले रंग की और गाढ़ी |
3 दिन | 1 | हरे रंग की, संक्रमणकालीन |
4 दिन | 4 | पीले या हरे रंग की |
5 दिन | 3-4 | गीली और पीले रंग की |
6 दिन | 3-5 | गीली और पीले रंग की |
6 हफ़्तों से ज़्यादा | 7-10 दिनों में 1 बार से लेकर 1 दिन में 3 -5 बार या उससे भी ज़्यादा तक | गीली और पीले रंग की |
शिशु के मल की आवृत्ति को प्रभावित करने के अनेक कारक हैं, जैसे बच्चे की उम्र और उसका दैनिक आहार । जिन शिशुओं को विशेष रूप से स्तनपान कराया जाता है, वे बोतल से दूध पीने वाले शिशु की तुलना में अधिक आवृत्ति से मल करते हैं। इसका संबंध बच्चे की प्रणाली की स्थिरता और आहार से है।
अधिक छोटे शिशु हर बार आहार ग्रहण करने के बाद मल त्याग करते हैं। इसका मतलब यह है कि शिशु एक ही दिन में छह से दस बार मल त्याग करता है। हालांकि, शिशु एक महीने का होने के बाद, मल त्याग की आवृत्ति आमतौर पर घट जाती है। आपका बच्चा एक दिन में चार बार मल त्याग कर सकता है या कई बार अनेक दिनों तक नहीं भी करता है। बोतल से पीने वाले और स्तनपान करने वाले शिशुओं पर भी यही बात लागू होती है।
जैसा कि पहले उल्लेख किया गया था, बच्चे का मल के रंग से लेकर उसकी अनुरूपता और होने की आवृत्ति तक सब कुछ बच्चे के आहार, आयु और अन्य कारकों पर निर्भर करता है। बहुत सारी मात्रा और रंग के साथ, नए माता-पिता के लिए यह चिंता करना सामान्य है कि क्या आपके शिशु की आंत्र की आदतों के साथ सब कुछ ठीक है। जब तक यह निम्नलिखित स्थितियों से प्रभावित नहीं होता, आप इसे सामान्य मान सकते हैं।
एक शिशु द्वारा किया गया पहला मल हरा, अलकतरा जैसा और चिपचिपा होता है, इसे मेकोनियम कहा जाता है। एक बार जब बच्चा स्तन का दूध या फार्मूला दूध पचाने लगता है, तब इस चिपचिपे तरल से हल्के रंग की कम चिपचिपी स्थिरता में बदलाव होता है । जब शिशु जन्म लेता है, तब उसका मल मलाई जैसी होती है जिसे सामान्य मानी जाती है। खासकर शिशु के स्तनपान के दौरान अगर उसका मल तरल है तो वह भी सामान्य ही मानी जाती है। इसका रंग भिन्न भी हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि माँ ने क्या खाया है। अगर आपके बच्चे का मल ठोस होता है, तो यह माँ द्वारा ग्रहण किए गए भोजन पर निर्भर करता है। इसमें बिना पचे हुए खाद्य पदार्थ भी हो सकते हैं, यह स्थिति भी बिलकुल सामान्य है।
स्तनपान करने वाले शिशुओं में, मल की गंध इस बात पर निर्भर करती है कि माँ ने क्या खाया है। जब आप तेज़ गंध वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करती हैं, तो आपके बच्चे का मल में भी वैसी ही गंध होगी।
शुरुआती दिनों में, यह बता पाना बहुत ही मुश्किल है कि आपका शिशु कब पॉटी करेगा, यह एक निरंतर प्रक्रिया है । हालांकि, जैसे ही बच्चे का पाचन तंत्र विकसित होता है, उसका शरीर एक स्वरूप में बदल जाता है। मल की नियमितता और आवृत्ति अधिक अनुमानित होती है। कुछ बच्चे दूध पीने के तुरंत बाद मल त्याग करते हैं, जबकि अन्य शिशु अपना आंत्र खाली करने के लिए कुछ समय लेते हैं। समय के साथ, आप इस आवृत्ति को समझ सकते हैं, और समय पर इसके लिए खुद को तैयार कर सकते हैं।
स्तनपान करने वाले शिशु आमतौर पर नर्म मल करते हैं, जो सामान्य रूप से हरे और पीले रंग का मिश्रण होता है।मल का रंग आपके भोजन की आदतों पर निर्भर करता है और यह भोजन के आधार पर ही एक दिन से दूसरे दिन तक भिन्न हो सकता है। स्तनपान के दौरान, मल आमतौर पर पतली होती है और यह दस्त जैसी दिखती है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि माँ के स्तन का दूध अत्यधिक तरल होता है।
स्तनपान के दौरान शिशु का मल झागदार भी हो सकती है, इसका मतलब यह है कि आपके बच्चे को वसा से भरपूर-दूध पर्याप्त नहीं मिल रहा है और वह साधारणतः शुरूआती दूध ही ग्रहण कर रहा है। ऐसी स्थिति में आप सबसे पहले अपने आहार जाँचें और सुनिश्चित करें कि आपका शिशु दूध पीने के लिए प्रत्येक स्तन पर पर्याप्त समय दे रहा है जिससे शिशु को उतना पोषण मिले जितने की उसे आवश्यकता है।
स्तनपान करने वाले बच्चों की तुलना में फॉर्मूला लेने वाले शिशुओं का मल कठोर होता है। उनका मल चिपचिपा होता है और हरे या पीले रंग की तुलना में अधिक भूरा और गहरा होता है। यह आमतौर पर एक तेज़ और तीखी गंध के साथ होता है।
यदि आप अपने बच्चे को स्तन के दूध से बोतल में लाने का बदलाव करती हैं, तो उसके मल का गंध, रंग और स्थिरता में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। रंग गहरा और अधिक ठोस हो जाएगा, इसकी गंध भी काफी तेज़ हो सकती है।
फार्मूला दूध पिलाए जाने वाले शिशुओं को मोटी और चिपचिपी मल होती है और पॉटी करने की आवृत्ति भी कम हो सकती है।
एक बार जब बच्चा ठोस आहार लेना शुरू कर देता है तो उसकी आंत्र की आदतों में भारी बदलाव होता है। अधिक प्रकार के भोजन को उसके आहार में शामिल करने के साथ वह जिस प्रकार का मल करता है, वह भी बदल जाती है।
ठोस आहार लेने वाले बच्चे का मल स्तनपान या फार्मूला दूध पीने वाले बच्चों की तुलना में गाढ़ी और गहरी होती है, यह मूंगफली के बटर जैसी दिखती है। खाए जाने वाले वास्तविक भोजन के आधार पर रंग भिन्न हो सकता है। यदि आप अपने बच्चे को पालक या हरी सब्जी खिलाने पर उसकी मल का रंग लाल या हरा पाती हैं, तो आश्चर्यचकित न हों।
चूंकि आपके बच्चे का पाचन तंत्र अब भी विकसित हो रहा है, इसलिए यह भी संभव है कि आपके बच्चे का मल में बिना पचा हुआ भोजन मौजूद हो। थोड़ा बहुत पचा हुआ भोजन भीकभी-कभी बच्चे के मल में मौजूद होता है, यह बहुत आम बात है। हालांकि, अगर यह नियमित रूप से होता है और उसका मल में महत्वपूर्ण मात्रा में बिना पचा हुआ भोजन होता है तो आपको डॉक्टर से परामर्श लेने आवश्यकता है ।
शिशु के लिए नए खाद्य पदार्थों और शिशुओं को समय की कम अवधि में महत्वपूर्ण वृद्धि के दौर से गुज़रने के साथ, माता-पिता के लिए यह पहचानना मुश्किल होता है कि क्या उनके बच्चे का मल सामान्य है या कोई चिंता का कारण है। अच्छी खबर यह है कि सामान्य से अलग होने वाली मल को लेकर चिंता का कोई कारण नहीं होता है। सिवाय जब आपको मल में बलगम या खून के साथ कुछ असामान्य दिखाई देता है, बाकी अन्य सभी स्थितियाँ सामान्य होती हैं या अपने आप ठीक हो जाती हैं। निम्नलिखित पंक्तियों में आइए हम उन संभावित परिवर्तन और उनके उपाय के बारे में जानते हैं ।
शिशुओं में कठोर मल असामान्य नहीं है, आपके बच्चे का मल अत्यधिक कठोर भी हो सकता है और इसे करते समय वह बहुत असहज या दर्द का महसूस कर सकता है। जब यह स्थिति होती है, तो सम्भव है कि शिशु कब्ज़ से ग्रसित है। कब्ज़ एक सामान्य समस्या है। हालांकि, अगर शिशु को निरंतर कब्ज़ की समस्या होती है तो तुरंत जाँच करवाएं। यह बच्चे के आहार में किसी चीज के प्रति संवेदनशीलता के कारण हो सकता है और इसे उपचार की आवश्यकता हो सकती है। यदि आपका बच्चा अभी तक ठोस पदार्थों को नहीं ले रहा है, तो डॉक्टर से परामर्श लिए बिना ही समाधान के लिये बच्चे को पानी न दें।
स्तनपान करने वाले शिशु सामान्य रूप से पतला मल करते हैं, इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। यदि मल इतना पतला है कि उसे डायपर में नहीं रखा जा सकता है, तो आपके बच्चे को संक्रमण या एलर्जी हो सकता है। इस प्रकार का दस्त खतरनाक होता है क्योंकि यह आपके बच्चे को निर्जलित कर सकता है और महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का नुकसान हो सकता है। यदि गीला मल दिन में कई बार और एक दिन से अधिक समय तक होता है, तो डॉक्टर से मिलें। यदि आपका बच्चा दस्त से पीड़ित है, तो आपको चिकित्सा उपचार में देरी नहीं करनी चाहिए।
हरा मलआमतौर पर आपके आहार में कुछ बदलाव के कारण होती है, यदि आपका बच्चा स्तनपान कर रहा है या यदि वह ठोस पदार्थों का सेवन करता है, तो उसके आहार के कारण हरा मल होना संभव है। हालांकि अगर शिशु को चमकीला हरा मल होता है तो इसका मतलब है कि आपके बच्चे को स्तनपान से पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं मिल रहा है। शिशु को स्तनपान कराने की दिनचर्या को ठीक करें, यह समस्या खुद ही ठीक हो जाएगी।
यदि शिशु लौह तत्वों के पूरक दवाओं का सेवन कर रहा है, तो काला मल सामान्य है। यदि आप अपने बच्चे को इस तरह की पूरक दवाएंनहीं दे रही हैं, तो यह सोचने का विषय है। काले रंग का मल रक्त के पाचन का परिणाम भी हो सकता है। जो कुछ इस तरह से हो सकता है, जैसे कभी-कभी शिशु स्तनपान करते समय स्तनों में हुए ज़ख्म के चलते रक्त के रिसाव को भी निगल लेता है, या अन्य गंभीर समस्याएं, जैसे ऊपरी आंतों में संक्रमण ।
बच्चे के मल में खून आना एक डरावनी और चिंताजनक स्थिति है यह एक बार होने वाली घटना हो सकती है या पाचन तंत्र में संक्रमण के कारण भी हो सकती है। छोटे बच्चों में दूध की एलर्जी के कारण मल में खून या दस्तों के दौरान खून आ सकता है । मल में आपके बच्चे के आहार का असर भी हो सकता है, जैसे कि बीट (चुकंदर) या टमाटर का रस। मल में खून का रंग चमकीला गहरा भी हो सकता है और रंग इस प्रकार के समस्याओं को इंगित करता है। इसलिए, जब भी आप अपने बच्चे के मल में रक्त देखते हैं, तो तुरंत जाँच करवाएं।
पीला मल लिवर के अनुचित संचालन का संकेत देता है क्योंकि यह एक पित्त वर्णक है जिसके कारण मल के रंग में बदलाव आता है। यदि आपके बच्चे का मल लगातार पीले रंग की हो रहा है, तो डॉक्टर की सलाह लेने में ही बुद्धिमानी है।
चॉक जैसा सफेद मल को भी असामान्य माना जाता है और इसे तत्काल चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है। यह आमतौर पर एक यकृत या पित्ताशय की समस्या के कारण होता है और आपातकालीन चिकित्सा की आवश्यकता न हो इसलिए इसका तुरंत इलाज अनिवार्य है, यदि यह समस्या आपके बच्चे को भी होती है तो डॉक्टर से मिलने में देरी न करें।
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