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आँखों के संक्रमण की संभावना एक शिशु के लिए उतनी ही होती है जितनी की एक वयस्क के लिए, और ये कहना भी गलत नहीं होगा कि उनसे ज्यादा ही होती है। गर्भवती महिलाओं के जननमार्ग में मौजूद कीटाणुओं के कारण नवजात शिशुओं को प्रसव की प्रक्रिया के दौरान ही आँखों का संक्रमण हो सकता है। संक्रमण के कारण बच्चे के आँखों में सूजन हो जाती है और साथ ही खुजली भी हो सकती है। जिससे आपका बच्चा परेशान हो सकता है।
नवजात शिशु भी आँखों के संक्रमण के लिए उतने ही संवेदनशील होते हैं जितने कि वयस्क। आमतौर पर, नेत्र संक्रमण बैक्टीरिया या वायरल होता है। यहाँ कुछ लक्षणों के बारे में बताया गया है, आइए पढ़ें।
आँख के सफेद हिस्से में या पलकों के अंदर अगर लालपन दिखता है तो आपका बच्चा वायरल नेत्र संक्रमण से पीड़ित हो सकता है।
आँख से किसी भी पीले रंग का स्राव का मतलब है कि यह बैक्टीरियल संक्रमण है। इसमें आँखों को स्वच्छ सूती के कपड़े से साफ करने की सलाह दी जाती है।
आँखों के ऊपरी भाग व पलकों में सूजन एक वायरल संक्रमण का संकेत है।
यदि आपके शिशु की पलकें एक दूसरे से चिपक जाती हैं, तो यह बैक्टीरियल संक्रमण हो सकता है । इस स्थिति में बच्चों को बहुत असुविधा होती है, इसे काम करने के लिए स्वच्छ कपड़े से हल्के हांथों से साफ करने की सलाह दी जाती है।
पानी भरी आँखें एक वायरल संक्रमण का संकेत है। इससे खुजली भी उत्पन्न हो सकती है और साथ ही आँखों से सूखापन भी महसूस होता है। इस स्थिति में आँखें को धोएं साफ पानी से धोने की सलाह दी जाती है।
जब शिशु आँख के संक्रमण से पीड़ित होते हैं, तो उन्हें इसे झेलने में काफी परेशानी होती है और इससे वे बेहद परेशान हो जाते हैं, रोना शुरू कर देते हैं। इस अवस्था में आँखों में डालने के लिए कई ड्रॉप्स आते हैं जिनका उपयोग हम बड़े तो कर सकते हैं, पर छोटे बच्चों के लिए ये सहज नहीं है। आप अपने शिशु को आँखों की जांच कराने के लिए डॉक्टर के पास ले जा सकते हैं और दवाइयां ले सकते हैं लेकिन तब तक, आपके बच्चे की परेशानी का हल निकालना बहुत जरूरी है।
घरेलू उपचार प्राकृतिक विकल्पों पर होते आधारित हैं और शायद ही कभी शिशु के लिए हानिकारक होते हैं। हो सकता है ये घरेलु नुस्खे संक्रमण का इलाज न कर पाए, पर कम से कम वे बच्चे को शांत करने हेतु कुछ राहत प्रदान कर सकते हैं और फिर आप उसे आगे की जांच के लिए डॉक्टर के पास ले जा सकते हैं।
यहाँ शिशुओं में आँखों के संक्रमण के लिए कुछ सामान्य उपाय दिए गए हैं।
कैमोमाइल तेल के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इस तेल में विभिन्न एंटी-इंफ्लामेट्री गुण होते हैं इसलिए वह आँखों के संक्रमण का इलाज करने हेतु एक अच्छा विकल्प है। एक कप पानी में तेल की कुछ बूंदों को उबालें। फिर इसे छानकर, रुई के फाहे डुबोकर इस्तेमाल कर सकते हैं। इन रुई के फाहे को शिशु की आँख के ऊपर रखने से उसे काफी राहत मिलती है और यह संक्रमण के इलाज में कारगर भी होती हैं।
समुद्री नमक काफी कारगर है इसमें। अपने आप में नमक एक बहुत अच्छा क्लींजिंग एजेंट है और यह एक बेहतरीन एंटी-बायोटिक भी है। दो-तीन कप पानी में एक चम्मच नमक मिलाकर इसे गर्म करके एक घोल तैयार करें, यह आँखों के संक्रमण के इलाज के लिए बेहतरीन उपाय है। बच्चे की आँखों को इससे धोया जा सकता है क्योंकि यह आँखों से निकला स्राव या ठोस परत को हटाने में सक्षम है। इसके अलावा, संक्रमण को कम करने के लिए पानी में डूबा हुआ रूई का फाहा शिशु की आँख पर रखें।
यह पहले तो विचित्र लग सकता है, लेकिन स्तन का दूध वास्तव में, आँखों के संक्रमण का इलाज करने का एक अच्छा तरीका है। माँ के दूध में पहले से ही बहुत सारे विटामिन और पोषक तत्व होते हैं, साथ ही साथ बहुत सारे रोग-प्रतिरोधक भी होते हैं जो शिशु की इम्युनिटी मजबूत करने में मदद करती हैं। आपको बस एक ड्रॉपर का उपयोग करके शिशु की आँखों में दूध की एक बूंद डालनी है। इससे संक्रमण को कम किया जा सकता है। स्तन के दूध को ‘कंजन्क्टिवाइटिस’ यानि ‘आँख आना’ का मुकाबला करने के लिए भी जाना जाता है।
इस पौधे की प्रजाति विभिन्न संक्रमणों के इलाज के लिए जानी जाती है, जिसमें से एक आँख का संक्रमण भी शामिल है। पौधे में बहुत सारे अपमार्जक गुण होते हैं जो आँख में खुजली को कम करते हैं। इनमें एलर्जी-रोधी घटक होते है जो सक्रिय रूप से सूजी हुई आँखों को कम करने में मदद करता है। 2 कप पानी में थोड़ा सा आयब्राइट उबालकर एक घोल बनाएं, जिसमें रुई के फाहे डुबोए जा सकते है। पानी को निचोड़ें और फिर फाहे को शिशु की आंखों पर रखें।
आँखों के संक्रमण से राहत पाने का सबसे कारगर तरीका है पानी का इस्तेमाल। थोड़े ठंडे पानी से आँखों को धोने से तुरंत राहत मिलती है और इसके अंदर हो सकने वाले किसी भी छोटे कणों को बाहर निकाल सकता है। उसके तुरंत बाद गर्म पानी में भिगोएं गए रुई के फाहे को आँखों पर रखें। तापमान परिवर्तन संक्रमण से निपटने में मददगार हो सकता है और साथ ही आँखों के स्राव को हटाने में भी सहायता करता है। इससे आँखों के संक्रमण की सूजन और दर्द में काफी कमी आती है।
चाय में कई कीटाणु-रोधी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो कि सेवन करने पर शरीर को फायदा पहुंचाते हैं। ये आँख के संक्रमण के इलाज के लिए भी प्रभावी होते हैं। टी बैग को गर्म पानी में डुबोकर फिर उसे ठंडा करें, इससे चाय के घटक सक्रिय हो जाते हैं। संक्रमण से निजात पाने के लिए, इस टी बैग को बारी-बारी से प्रत्येक आँख पर रखा जा सकता है।
यह सबसे लोकप्रिय ठंढक प्रदान करने वाला प्राकृतिक सौंदर्य उपचारों का हिस्सा है। चमेली के फूल का पानी त्वचा को सुकून प्रदान करने के लिए जाना जाता है और इसका उपयोग आँखों को भी राहत पहुँचाने के लिए किया जा सकता है। चमेली के फूलों को रात भर साफ पानी में रखकर, इस पानी को ड्रॉपर के जरिये आँखों में डालने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका सुखदायक अहसास संक्रमण के कारण हुए सूजन में तुरंत राहत दिलाता है।
कुछ आँखों के संक्रमण जो शक्तिशाली जीवाणुओं के कारण होते हैं, उनके लिए सामान्य घरेलू उपचार प्रभावी नहीं होते। ऐसे मामलों में, संक्रामक जीवाणुओं से सीधे मुकाबला करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करना सबसे अच्छा विकल्प है। आपके डॉक्टर शिशु के लिए सुरक्षित मलहम या ड्राप्स भी दे सकते है। आँख के आसपास होने वाले पीले रंग के किसी भी स्राव को हल्के नमकीन पानी में भिगोए हुए रुई के फाहे से पोंछकर हटा दिया जाना चाहिए।
कभी-कभी, शिशुओं के आँखों के टियर डक्ट में स्पष्ट मार्ग नहीं होने से या इसके रास्ते में कुछ रुकावट होने पर, आँखों में जलन होती है। ऐसी स्थिति में, अपनी उंगलियों को हल्का गर्म करके, शिशु के आँख और नाक की ऊंचाई के बीच के क्षेत्र की मालिश करना अच्छा होता है। उंगलियों की गर्माहट टियर डक्ट को साफ करते हुए मार्ग में फंसी हुई किसी भी चीज को हटाने में मदद करती है।
कई बार, डॉक्टर खुद ही बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए आयड्रॉप देते हैं, क्योंकि बच्चे को जन्म के तुरंत बाद संक्रमण होने की सम्भावना होती है। ये बूंदें नवजात शिशु की आँखों के लिए काफी संवेदनशील हो सकती हैं और अत्यधिक जलन पैदा कर सकती हैं। ऐसी स्थिति में, हमें कुछ देर प्रतीक्षा करनी चाहिए, जलन खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है।
शिशु की आँखें बेहद संवेदनशील होती हैं और उनमें संक्रमण या जलन होने के कारण शिशु तुरंत परेशान हो जाते हैं। दर्द को शांत करने और शिशु को राहत पहुँचाने के उद्देश्य से, आप जांच सकते हैं कि संक्रमण का कारण क्या है और उसके अनुसार, सही उपचार कर सकते है या अपने डॉक्टर से परामर्श ले सकते हैं।
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