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आपने अक्सर बच्चों को ब्रेसेज़ पहने देखा होगा, यहाँ तक उन बच्चों को भी जिनके दाँत वास्तव में अच्छे दिखाई देते हैं। यह देखने के बाद आपको जरूर यह विचार आया होगा कि कहीं आपके बच्चे को इसकी जरूरत पड़ी तो? बच्चों को ऑर्थोडॉन्टिक ब्रेसेज़ लगवाना एक बड़ा फैसला होता है और यह फैसला लेने के दौरान इससे जुड़े हुए विभिन्न पहलुओं को जानना अत्यंत आवश्यक है।
हर बच्चे के दाँत हमेशा सही तरीके से नहीं उगते। कुछ बच्चों के दाँत टेढ़े-मेढ़े हो सकते हैं, कुछ के दाँत एक के ऊपर एक चढ़े हो सकते हैं, या कई अन्य बच्चों के एक ही जगह पर भरे हुए जैसे दांत उग आते हैं। ऊपरी और नीचे के जबड़े अलग-अलग आकार के होते हैं, जिन्हें सुधारने के लिए ब्रेसेज़ की जरूरत पड़ सकती है। इस स्थिती को मेलॉक्लूजन कहते हैं।
बच्चों की कुछ आदतें जैसे कि लगातार अंगूठा चूसने से, दाँत बाहर की ओर निकलने की आशंका होती है। दाँत कैसे आते हैं, उसमें वंशानुगत कारण भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।
ब्रेसेज़ दाँतों को सीधा करने का एक उपकरण हैं। इसलिए इनका इस्तेमाल वयस्क भी करते हैं। हालांकि, इसकी कार्यसाधकता बचपन में अधिक होती हैं क्योंकि हड्डी की संरचना अभी भी विकसित हो रही होती है। ज्यादातर बच्चों को 10 से 15 साल की उम्र में ब्रेसेज़ लगते हैं।
दाँतों और ब्रेसेज़ से जुड़े सभी मामलों में दाँतों के डॉक्टर की सलाह लेना सबसे बेहतर है। सबसे पहले, वो दाँतों की संरचना, उनके आकार, जबड़े की बनावट आदि की बारीकी से जांच करते हैं। आपके बच्चे को किसी चीज को काटने को कहकर डॉक्टर उसके जबड़े की गति को जांचते हैं और साथ ही पूछ सकते हैं कि क्या बच्चे को बोलने, खाने या हड्डी से किसी तरह की खटखट की आवाज आने की कोई समस्या तो नहीं हैं।
आगे की जांच में, ये देखने के लिए कि दाँतों की व्यवस्था कैसी है या भविष्य में किस तरह से बाकी के दाँत उग सकते हैं, डॉक्टर मुँह का एक्स-रे करता है। आपके बच्चे के काटने के तरीके को एक सांचे में ढाल कर डॉक्टर को उसके जबड़े की गति की बेहतर जानकारी मिलती हैं। इन सब से दाँतों के डॉक्टर को पता चलता है कि आपके बच्चे को ब्रेसेज़ की जरूरत है या नहीं, और अगर है तो किस तरह के ब्रेसेज़ लगाने हैं।
एक बच्चे को निम्नलिखित स्थितियों में ब्रेसेज़ की आवश्यकता हो सकती हैं:
कुछ विभिन्न प्रकार के ब्रेसेज़ जो दाँतों के डॉक्टर बच्चों के लिए सुझा सकते हैं वो इस प्रकार हैं:
इन ब्रेसेज़ में दाँतों को सही ढंग से पकड़कर रखने के लिए तारों के बजाय स्लाइड्स का इस्तेमाल किया जाता है। यह दाँतों को सही करने का एक निष्क्रय तरीका है क्योंकि इसमें किसी भी तरह के इलास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह कुछ समस्याओं का कारण बन सकता है क्योंकि यह दाँतों को जरूरत से ज्यादा दबाता है और कभी-कभी दाँतों के प्राकृतिक सही आकार में भी बदलाव कर सकता है। अच्छी बात यह है कि चूंकि इनमें कोई रिंग्स नहीं होते हैं, इन ब्रेसेज़ की आसानी से देखरेख की जा सकती है और ज्यादा दिन तक साफ रखा जा सकता है।
ये डेंटल मार्केट की एक बहुत ही अलग और नई अवधारणा है, इसमें आप खुद बच्चे के ब्रेसेज़ को एडजस्ट कर सकते हैं या सही तरह से लगा सकते हैं और इसके लिए आपको दाँतों के जानकार की भी जरूरत नहीं पड़ती है। इन ब्रेसेज़ का आकार अंग्रेजी के अक्षर A जैसा दिखता है। बच्चा जिस तरह का खाना खा रहा है उसके हिसाब से इन ब्रेसेज़ पर लगे रिटेनर्स को आप एडजस्ट कर सकते हैं। इसके अलावा, चूंकि ये बहुत अधिक दबाव नहीं डालते हैं, इसलिए इन्हें लगाने से दर्द भी कम होता है। बस इनमें एक समस्या है कि आपको सोते समय इन्हें निकाल कर सोना पड़ता है।
दूसरों की तुलना में ज्यादा सुविधाजनक, इन ब्रेसेज़ में एक स्प्रिंग होती है जिससे अलाइनमेंट बनाई जा सकती है। ये ब्रेसेज़ आमतौर पर दोनों जबड़ों के केवल सामने वाले 6 दाँतों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। हालांकि यह थोड़ा महंगा है पर यह कीमत बच्चे को मिलने वाली सुविधा के लिए जरूरी है ।
ये स्टील ब्रेसेज़ जैसे ही होते हैं बस इन्हें बनाने में अलग घटक का इस्तेमाल किया जाता है। यह इन ब्रेसेज़ को बाकी की तुलना में अधिक मजबूत और तुलनात्मक रूप से हल्का बनाता है। आमतौर पर इन ब्रेसेज़ को तब तक इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है जब तक बच्चे को पारंपरिक ब्रेसेज़ में इस्तेमाल किए जाने वाले निकल से एलर्जी न हो। टाइटेनियम ब्रेसेज़ की लागत सामान्य से अधिक होती है।
यह ब्रेसेज़ इस्तेमाल करने में सबसे आसान हैं क्योंकि यह एकदम बच्चे के दाँतों का प्लास्टिक का सांचा होते हैं। आमतौर पर इनका इस्तेमाल उन बच्चों के लिए किया जाता हैं जिनके दाँत टेढ़े-मेढ़े होते हैं। ये बेहद महंगे होते हैं और इन्हें बनाने में भी ज्यादा समय लगता है क्योंकि इन्हें खास तौर पर बच्चे के हिसाब से ही बनाया जाता है। इनका प्रभाव, हालांकि बहुत बेहतर होता है।
इन ब्रेसेज़ को अन्य ब्रेसेज़ की तरह सामने लगाने के बजाय दाँतों के पीछे लगाया जाता है, जिससे ये दिखाई नहीं देते हैं। ये खासतौर पर उन बच्चों के लिए हैं जो स्कूल में या दोस्तों के बीच अपने ब्रेसेज़ को लेकर थोड़ा असहज महसूस करते हैं। हालांकि, ये ब्रेसेज़ काफी महंगे होते हैं और उनकी लगाने की प्रक्रिया लंबी और मुश्किल होती है। इसके अलावा, इससे कई बार जीभ पर बाद में बहुत जलन होती है।
बच्चों द्वारा बहुत कम इस्तेमाल होने वाले ये, मुख्य रूप से उन बच्चों के लिए हैं जो ब्रेसेज़ में विशेष लुक चाहते हैं, या जिन्हें निकल कोटिंग से एलर्जी हैं। स्टेनलेस स्टील से बने ये ब्रेसेज़ बाकि चीजों में पारंपरिक ब्रेसेज़ के समान ही हैं।
ये ब्रेसेज़ थोड़े अलग होते हैं, और इनका लुक पारदर्शी होता हैं, ये अलग-अलग रंगों में मिलते हैं। सामान्य से अधिक मजबूत, ये ब्रेसेज़ ज्यादा घर्षण करते हैं, जिससे दाँतों के टूटने की संभावना रहती है, और साथ ही बाद में इन्हें हटाते समय परेशानी भी होती है।
अगर आप बार-बार दाँतों के डॉक्टर या डेंटल रिव्यु से बचाना चाहते हैं तो ये ब्रेसेज़ इस्तेमाल कर सकते हैं। ये महंगे होते हैं क्योंकि ये बच्चे के पैटर्न के अनुरूप होते हैं और इसलिए बाद में बहुत कम समायोजन की आवश्यकता होती हैं। इसमें दर्द और जबड़े की तकलीफ काफी कम हो जाती है क्योंकि इसमें इलास्टिक का इस्तेमाल न करते हुए केवल ब्रैकेट से गुजरती हुई एक तार का इस्तेमाल किया जाता है।
सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले ये ब्रेसेज़, स्टेनलेस स्टील से बने होते हैं। एक ब्रैकेट दाँत से चिपका होता है और तार को इलास्टिक टाई की मदद से उसमें डाला जाता है। ज्यादातर लोग ये ब्रेसेज़ इस्तेमाल नहीं करते हैं क्योंकि इनके कारण च्युइंग गम या चिप्स आदि खाने में परेशानी होती है क्योंकि ये चीजें इनमें आसानी से अटक जाती हैं।
स्वच्छता बनाए रखने और एक बच्चे के अच्छे मौखिक स्वास्थ्य के लिए ब्रेसेज़ की उचित देखभाल करना जरूरी है। जानिए कैसे करें ब्रेसेज़ की देखभाल:
बच्चों के लिए सामान्य मेटल या सिरेमिक ब्रेसेज़ की कीमत 18,000 से लेकर 60,000 रुपए के बीच रहती हैं, वहीं बेहद उन्नत और अनुकूलित ब्रेसेज़ की लागत 70,000 से 2 लाख तक होती है।
बच्चों के ब्रेसेज़ और दाँतों के इलाज की प्रक्रिया काफी महंगी होती है और इसके लिए जल्दबाजी में या आसानी से फैसला नहीं लिया जा सकता है। सभी विकल्पों को समझकर और अपने बजट और आवश्यकता के अनुरूप एक ब्रेस का चयन करके, आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके बच्चे का दाँतों का स्वास्थ्य सही रहे और बाद में जो भी समस्या सामने आए, उसे हल किया जा सके।
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