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जब मौसम बदलने लगता है, तो इसके साथ वातावरण के तापमान और नमी में परिवर्तन आने लगता है। परिणाम स्वरुप आपके शिशु की त्वचा और होठों में शुष्की आ सकती है, जो आगे चलकर फटे या कड़क होंठों की समस्या में बदल सकती है। चूंकि शिशुओं की त्वचा दूध से नमी प्राप्त करती है, इसलिए उनकी त्वचा वयस्कों की तुलना में अधिक रूखी होती है और मौसम में बदलाव के कारण आसानी से प्रभावित हो सकती है।
छोटे बच्चों के लिए, विशेष रूप से जो नवजात शिशु हैं, उनके शुष्क होंठों के प्रति अधिक खयाल रखने की आवश्यकता है। शिशु के होंठ फट सकते हैं, उनमें दरारें पड़ सकती हैं और साथ ही उसके होंठों पर घाव भी हो सकता है।
कई बार, बच्चों में होंठों को लगातार चूसते रहने की आदत के कारण होंठ फट जाते हैं। हालांकि, फटे व सूखे होंठ निश्चित रूप से आपके बच्चे में डिहाइड्रेशन होने की स्थिति का एक प्रबल संकेत है। मौसम में बदलाव और हवा का संपर्क अक्सर रूखे होठों का कारण बन सकता है, लेकिन अगर आपका बच्चा नाक के बजाय अपने मुँह से ज्यादा सांस लेता है, तो इससे भी होंठ फट सकते हैं।
शिशु के रूखे होंठों के लिए व्यक्तिगत आदतों से लेकर वातावरण की स्थितियों तक अनेक कारण हो सकते हैं।
डिहाइड्रेशन का कारण दोतरफा है। पहला, यदि मौसम रूखा है तो वह शिशु की त्वचा से नमी कम करके उसे रूखा बना देता है, और दूसरा कि बच्चा ऐसे मौसम में है कि निरंतर रूप से उसे पसीना आ रहा हो और शरीर से नमी कम हो रही हो। इसके साथ ही यदि शिशु आवश्यकतानुसार दूध नहीं पी रहा है तो उसके शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है जिसके कारण भी होंठ सूखे पड़ सकते हैं।
बच्चे के शरीर में पोषण की कमी फटे होंठों का एक और कारण है। यदि नवजात शिशु में पोषण और विटामिन की अत्यधिक कमी होती है तो उसके होंठ भी नम और स्वस्थ नहीं होंगे। जिन बच्चों में रोग-प्रतिरोधक शक्ति कम होती है उनमें यह समस्या अधिक बढ़ जाती है।
बच्चों में एलर्जी होने की संभावना अनेक रूपों में होती है किन्तु कुछ प्रकार की एलर्जी ऐसी भी होती है जो विशेष कपड़े पहनने के कारण हो सकती है। संवेदनशील त्वचा किसी भी लोशन, क्रीम या यहाँ तक कि जो कपड़े आप अपने बच्चे को पहनाते हैं उन पर भी प्रतिक्रिया कर सकती है। यदि एक माँ किसी विशेष चैपस्टिक का उपयोग करती है और बच्चे को प्यार से चूमती है तो उसके स्पर्श से भी बच्चे को एलर्जी की संभावना हो सकती है।
मुँह से सांस लेने के कारण हवा का आदान-प्रदान होता है और वह आपके बच्चे के होंठों के चारों तरफ ही रहती है। हवा उसके मार्ग में आने वाली हर चीज से नमी को सोख लेती है। बच्चे में जुकाम या नाक बंद की समस्या के परिणामस्वरुप उसे मुँह से सांस लेनी पड़ती है किन्तु यह प्रक्रिया बच्चे के होंठों को रूखा बना देती है जो आगे चलकर उसके लिए अत्यधिक असुविधाजनक होते हैं।
बच्चों को सुरक्षित और नियंत्रित वातावरण में रहने की आवश्यकता होती है, विशेषकर नवजात शिशुओं को। उनकी त्वचा बदलते मौसम का सामना करने में अक्षम होती है। अत्यधिक गर्मी या रूखी सर्दी या तेज हवा आपके बच्चे के शरीर से नमी को पूरी तरह से सोख लेती है जिस कारण से उसके होंठ फटने लगते हैं।
शुरूआती हफ्तों में शिशुओं को कुछ न कुछ चूसने या मुँह में डालने की आदत होती है और इस तरह से वे अक्सर अपनी जीभ को बाहर निकालते हैं और अपने होंठों को चूसने का प्रयास करते हैं। मुँह में मौजूद सलाइवा बच्चे के होंठों पर आ जाता है और बाहरी वातावरण में वही सलाइवा सूख जाता है और होंठों को कड़क और रुखा बनाता है। बार-बार यह प्रक्रिया होने के कारण बच्चे के होंठों पर दरारें पड़ जाती हैं और वे फटने लगते हैं।
एक नवजात शिशु अपना ज्यादातर समय स्तनपान करते हुए बिताता है, जिस कारण से ऐसा लग सकता है कि स्तनपान की वजह से बच्चों के होंठ अत्यधिक फटते हैं। किन्तु स्तनपान के कारण बच्चों में होंठ फटने की समस्या नहीं होती है। माँ का दूध बच्चे के फटे होंठों को ठीक करने में मदद करता है। यदि बच्चा पूरे दिन में माँ का पर्याप्त दूध पीता है तो बच्चे के होंठ फटने की संभावना कम हो जाती है।
नवजात शिशु के फटे हुए होंठ जिन लक्षणों से स्पष्ट होते हैं, वे इस प्रकार हैं:
शिशु के रूखे होंठों का उपचार करने के लिए अनेक तरीके हैं जो तेजी से राहत देने में मदद करते हैं और किसी भी असुविधा को कम कर सकते हैं।
हमें बड़ों के लिए उपयोग किए जाने वाले बाम या क्रीम का उपयोग कभी भी शिशु के होंठों पर नहीं करना चाहिए। विशेष रूप से नवजात शिशुओं के लिए बनाए गए विशिष्ट लिप बाम बाजार में उपलब्ध हैं। यह प्राकृतिक घटकों का उपयोग करके बनाए जाते हैं और शिशु की नाजुक त्वचा के लिए सौम्य होते हैं। बेहतर है कि अपने शिशु के होठों पर इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह कर लें।
लैनोलिन से निर्मित, यह आपके शिशु के होंठों के लिए एक प्रभावी मॉइस्चराइजर का काम करता है, जिससे होंठों पर पड़ी दरारें तेजी से ठीक होने लगती हैं। लैनोलिन के कारण यह जेली एक सौम्य उपचारक है और साथ ही पूरी तरह से सुरक्षित है, भले ही आपका शिशु अपने होंठों पर लगी जेली को चाट ही क्यों न ले।
इसका उपयोग करने के लिए अपने हाथ में थोड़ी सी जेली लेकर बच्चे के होठों पर लगाएं। पेट्रोलियम जेली का उपयोग रात में विशेषकर शिशु के सोते समय करें ताकि यह होठों पर अधिक समय तक रहे और प्रभावी रूप से राहत दे सके।
नारियल का तेल एक सदियों पुराना उपाय है। घर पर आसानी से उपलब्ध होने के कारण कई परिवारों में इसका उपयोग किया जाता है। नारियल के तेल का मुख्य घटक लॉरिक एसिड होता है, जो मुख्य रूप से इलाज के लिए जाना जाता है और बच्चे पर इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता। शिशु के होंठ सूखने या रूखे होने पर अपने हाथ में थोड़ा सा तेल लें और उसके होंठों पर लगा दें, किन्तु उससे पहले अपने हाथ साफ करना न भूलें।
यह क्रीम दो चीजों को ध्यान में रखते हुए बनाई जाती है। पहली, निप्पल को रोग-मुक्त व सौम्य करने के लिए और दूसरी, दूध पीते समय शिशु के मुंह में क्रीम भी जा सकती है। इसलिए, यह क्रीम आपके शिशु के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है और यह क्रीम शिशु के होठों पर लगाने से भी समान परिणाम मिलते हैं। तथापि इसका उपयोग करने से पहले एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
यह बच्चे के फटे होंठों को ठीक करने का सबसे सुरक्षित और प्राकृतिक तरीका है। अपने शिशु के होंठों पर दूध लगाने के लिए निप्पल को धीरे से बच्चे के होठों पर रखकर दूध निकालें या अपनी उंगली से उसके होठों पर थोड़ा सा दूध लगाएं, खयाल रहे दूध को बच्चे के होठों पर रगड़ें नहीं। माँ का दूध बच्चे के होंठों को हाइड्रेट करता है और उसमें मौजूद प्राकृतिक तत्व उसके फटे होठों को मुलायम रखते हैं।
यदि शिशु के होंठ हमेशा फटे रहते हैं, तो यह पोषण संबंधी कमी या विटामिन ‘ए’ की अतिरिक्त खुराक का संकेत हो सकता है। ऐसे दुर्लभ उदाहरण हैं जहाँ बच्चे ‘कावासाकी’ रोग से पीड़ित होते हैं, जो 6 माह से 2 साल तक के बच्चों को होता है। हालांकि उसमें रूखे होंठों के साथ-साथ बुखार और लाल आँखें सहित कई अन्य लक्षण भी दिखाई देते हैं। यदि ये लक्षण लंबे समय तक नजर आते हैं, तो बच्चे की जांच करवाएं।
शिशु के होंठों को फटने से रोकने के लिए सबसे बेहतरीन तरीका है उसके होंठों को सूखने न दें। अपने घर के अंदर का तापमान अनुकूल बनाए रखें और आवश्यकतानुसार ह्यूमिडिफायर का उपयोग करें। बच्चे को सही कपड़ों से ढककर रखें और यहाँ तक कि घर के अंदर भी उसे तेज धूप या तेज हवा से बचाकर रखें।
बड़ों के लिए फटे हुए होंठ एक सामान्य समस्या होती है किन्तु बच्चों की संवेदनशील त्वचा और मुँह से दूध पीने की निर्भरता इस समस्या को उनके लिए दर्दनाक और असुविधाजनक बना देती है। शुरूआती समय पर संकेत दिखते ही इसका सही उपचार करने से आपके बच्चे को होंठ फटने की समस्या से सुरक्षित रखा जा सकता है।
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