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पर्सनालिटी डेवलपमेंट की पहली थ्योरी को अल्फ्रेड एडलर ने डेवलप किया था, जिन्होंने इंडिविजुअल साइकोलॉजी की फील्ड को स्थापित किया। एडलर के अनुसार, एक व्यक्ति दूसरे लोगों के साथ किस तरह से इंटरेक्शन करता है, यह समझकर उसके व्यक्तित्व को समझना जरूरी है। इस प्रकार उन्होंने यह प्रस्तावित किया, कि व्यक्तित्व के गुण और व्यवहार शुरुआती बचपन से ही बनने शुरू हो जाते हैं, जैसे कि जन्म का क्रम। इसका मतलब यह हुआ, कि आपका जन्म जिस क्रम में हुआ है, वह आपके कैरेक्टर को प्रभावित कर सकता है। हालांकि बर्थ ऑर्डर आपके लिंग, सामाजिक-आर्थिक स्टेटस, शैक्षणिक योग्यताएं और ऐसी ही अन्य बातों के जितना प्रभावशाली नहीं होता है, लेकिन आप किस प्रकार के व्यक्ति बनेंगे इस पर निश्चित रूप से प्रभाव डाल सकता है।
बर्थ ऑर्डर, अन्य भाई बहनों की तुलना में एक बच्चे की पोजीशन होती है। बच्चे का बर्थ ऑर्डर निर्णायक नहीं होता है, यानी कि यह किसी कोड्स के सेट के रूप में मानव व्यक्तित्व को प्रमाणित नहीं कर सकता है। जन्म के क्रम की कोई आदर्श स्थिति नहीं होती है, बल्कि जन्म के क्रम से संबंधित विशेषताएं तीन अति महत्वपूर्ण फैक्टर के द्वारा फीकी पड़ सकती हैं। पहली, माता-पिता का व्यवहार या परवरिश की तकनीक, क्योंकि वे आपके रोल मॉडल होते हैं। इसके बाद आता है पैरेंटल बर्थ ऑर्डर और अंत में आता है, हर बच्चे के बीच अंतर।
बर्थ ऑर्डर और पेरेंटिंग टेक्निक आपस में जुड़े हुए हैं। उदाहरण के लिए, अक्सर पहला बच्चा एक पेरेंटिंग एक्सपेरिमेंट बन जाता है, जिसमें इनट्यूशन और ट्रायल एंड एरर मेथड का एक मिश्रण होता है। बच्चे के जन्म के बाद अक्सर पेरेंट्स डर के कारण स्ट्रिक्ट हो जाते हैं और अनुशासन के पहले से स्थापित नियमों के अनुसार व्यवहार करते हैं। वहीं दूसरी ओर अपने पूर्व अनुभवों के बाद वे अपने दूसरे और तीसरे बच्चे के साथ कुछ शिथिल पड़ जाते हैं। इसके अलावा वे भविष्य में आने वाले अपने बच्चों के साथ अधिक जुड़े हुए नहीं होते हैं, क्योंकि अब उन्हें एक से अधिक बच्चों के देखभाल करनी होती है।
व्यक्तित्व पर बर्थ आर्डर का प्रभाव कई तरह से देखा गया है, इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
पहले जन्म लेने वाले बच्चे अक्सर प्राकृतिक लीडर्स होते हैं, जो कि अपने लक्ष्य पर केंद्रित होते हैं और जिम्मेदार होते हैं। आमतौर पर यह गुण इसलिए उभरता है, क्योंकि पूरे घर का ध्यान इन पर ही होता है और इससे उन्हें लगातार संरक्षण मिलता रहता है। इसके अलावा जब छोटा भाई या बहन आता है, तब पहले जन्म लेने वाले बच्चे में उनके लिए एक सुरक्षात्मक स्वभाव पैदा हो जाता है और उन्हें बेहद जिम्मेदारी का एहसास होता है। पहले जन्म लेने वाले बच्चे मेहनती होते हैं और अपने पेरेंट्स और शिक्षकों को खुश करने के लिए उत्सुक होते हैं।
लेकिन अगर पेरेंट्स बहुत अधिक सख्त या डिमांडिंग होते हैं, तो ऐसे में पहला बच्चा उन्हें खुश करने के लिए कड़ी से कड़ी मेहनत करता है और इसके लिए वह अपनी मानसिक शांति को भी दांव पर लगा देता है। हर काम में परफेक्ट होना उनके चरित्र का एक आम गुण होता है, जिसके कारण उसकी भावनाओं के परिपक्व होने के बजाय उसका वातावरण बौद्धिक बन जाता है। अध्ययन दर्शाते हैं, कि इसी कारण से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में एंग्जायटी और डिप्रेशन के संकेत सबसे अधिक देखे जाते हैं। अगर पेरेंट्स छोटे भाई बहनों के लिए इन्हें इग्नोर करते हैं, तो इनके मन में जलन और असुरक्षा की भावना का विकास भी संभव होता है, विशेषकर अगर उनमें उम्र का अंतर कम हो तो।
मंझले बच्चे अक्सर मिलनसार, समानतावादी और शांतिप्रिय होते हैं, क्योंकि उनके पास उनके बड़े भाई या बहन की तरह अधिकार नहीं होते हैं या फिर छोटे भाई और बहन की तरह क्यूटनेस फैक्टर नहीं होता है। ऐसे में उनमें डिप्लोमेसी तकनीकों का विकास हो जाता है। ऐसे बच्चे अक्सर दोस्तों से घिरे रहते हैं और पेरेंट्स के बजाय दोस्तों पर ही अधिक आश्रित होते हैं, क्योंकि उनके पेरेंट्स का पूरा ध्यान उनके बड़े या छोटे भाई बहनों पर होता है। ऐसे बच्चों का स्वभाव काफी दोस्ताना होता है। ये टीम के साथ बेहतरीन रूप से काम कर सकते हैं और अपने साथ वालों को हमेशा सहयोग करते हैं।
बीच में जन्म लेने वाले बच्चों की बात की जाए, तो जन्म का क्रम और पर्सनालिटी डेवलपमेंट इतने सिंपल नहीं होते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि बीच में जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या एक से अधिक हो सकती है, जिससे हर मंझले बच्चे के व्यक्तित्व के खास गुणों को समझना काफी मुश्किल हो सकता है।
आमतौर पर जिस बच्चे का जन्म सबसे अंत में होता है, उसे माता-पिता और भाई बहनों का सबसे अधिक प्यार और देखभाल मिलती है और अब तक उनके माता-पिता संभवतः अपने नियमों को लेकर शिथिल पड़ चुके होते हैं और उन्हें अपने बड़े भाई बहनों की तुलना में अपने अक्खड़ स्वभाव के प्रदर्शन का मौका मिल जाता है। ऐसे बच्चे अक्सर शैतान और डेयरडेविल्स होते हैं, लेकिन ये काफी क्रिएटिव और इनोवेटिव भी होते हैं। छोटे बच्चे अक्सर कला, संगीत या खेलकूद में बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं। ऐसा अपने बड़े भाई बहनों की तुलना में बेहतर करने की प्रतिस्पर्धा के कारण देखा जाता है।
यहां पर इस नकारात्मक पहलू का ध्यान रखने की जरूरत है, कि अंत में जन्म लेने वाले बच्चे गैरजिम्मेदार होते हैं और वे अपने परिवार के बड़े सदस्यों पर बहुत अधिक निर्भर होते हैं, जिसके कारण वयस्क होने पर वे बड़ी आसानी से अपने काम छोड़ सकते हैं, क्योंकि उनके लिए इन्हें करने वाला कोई और मौजूद नहीं होता है।
जब परिवार में केवल एक बच्चा होता है, तब अपने माता-पिता से मिलने वाले प्यार और लगाव के कारण वे एक कॉन्फिडेंट व्यक्ति के रूप में बढ़ते हैं। इसके अलावा, वे ज्यादातर समय अकेला रहना पसंद करते हैं और काफी इंटेलिजेंट और अच्छे वक्ता होते हैं, क्योंकि उनके साथ बातचीत करने के लिए केवल उनके माता-पिता ही साथ होते हैं।
माता-पिता की देखभाल के मामले में इकलौते बच्चे के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाला कोई नहीं होता है। उन्हें बहुत अधिक लाड़-प्यार मिलता है और वे जिस किसी से भी मिलते हैं सबसे ऐसे ही व्यवहार की उम्मीद करते हैं। ये निर्भर और स्वार्थी हो सकते हैं और भाई बहनों के साथ रहने वाले बच्चों की तुलना में, अपनी उम्र के बच्चों के साथ ग्रुप बनाने में कम सक्षम होते हैं।
निम्नलिखित मामलों में इस संरचना के कुछ अपवाद हो सकते हैं:
ब्लेंडेड परिवारों में ऐसे परिवार शामिल होते हैं, जो तलाक और पुनर्विवाह के कारण बनते हैं। ऐसे मामले में बच्चे को अपने पेरेंट्स को सौतेले भाई बहनों या हाफ-सिबलिंग्स के साथ बांटना पड़ता है और संतुलन की उनकी भावना से बाहर निकलना पड़ता है। पहले जन्म लेने वाले बच्चे को बड़े सौतेले भाई के कारण अपनी पोजीशन छोड़नी पड़ती है या फिर छोटे बच्चे को नवजात शिशु के साथ अटेंशन को बांटना पड़ता है। लेकिन अगर बच्चे की उम्र 5 साल से अधिक हो, तो अलग परिवार के साथ मिलने के बाद भी उसकी पर्सनालिटी पूरी तरह से नहीं बदलती है। बड़े बच्चों को परिवारों के ब्लेंड होने में जटिलताओं का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उन्हें बड़े-छोटे के ऑर्डर में बदलाव को संभालना कठिन महसूस होता है।
‘फैमिली विदिन फैमिली’ के अंदर जुड़वां बच्चों के जैसे मामले आते हैं, जिसमें किसी भी बच्चे का कोई विशेष जन्म क्रम नहीं होता है। जुड़वां बच्चे चाहे पहले जन्म लें या बाद में, वे हमेशा एक की तरह ही व्यवहार करते हैं। यही कारण है, कि जुड़वां बच्चों को आमतौर पर एक ही समझा जाता है। आमतौर पर इन्हें एक साथ नाम लेकर ही पुकारा जाता है। वे अपनी खास पोजीशन के कारण जन्म के क्रम में फिट नहीं बैठते हैं।
ये बच्चे कम से कम 5 से 6 वर्ष के अंतर में जन्म लेते हैं और बर्थ ऑर्डर के पैटर्न को रिपीट करते हैं। उदाहरण के लिए, 5 साल के एक बच्चे का बड़ा भाई या बहन 12 वर्ष का हो और छोटा भाई या बहन 1 वर्ष का हो, तो ऐसे में उसमें मंझले बच्चे के बजाय पहले जन्म लेने वाले बच्चे के गुणों का विकास होने की संभावना अधिक होगी।
बच्चे को गोद लेना अधिक अंतर वाले बच्चे होने जैसा ही है। अगर दो बड़े बच्चों वाले परिवार में गोद लिया गया एक बच्चा काफी छोटा है, तो वह स्वाभाविक रूप से परिवार का शिशु बन जाएगा, फिर चाहे उसका वास्तविक बर्थ आर्डर जो भी हो। लेकिन, अगर बड़े बच्चों वाले परिवार के द्वारा गोद लिए जाने पर अगर बच्चे की उम्र 6 साल से अधिक हो, तो ऐसे में उसके वास्तविक जन्म क्रम के गुण उसमें विद्यमान रहेंगे।
बर्थ ऑर्डर पर्सनालिटी गुण अक्सर वयस्क होने पर भी रह जाते हैं। उदाहरण के लिए, पहले जन्म लेने वाले बच्चे हमेशा ही प्रतियोगी और एंबिशियस स्वभाव के रह जाते हैं, ताकि उन्हें उनके माता-पिता और अन्य आधिकारिक लोगों से मान्यता प्राप्त हो सके। आशा के अनुरूप, कंपनी हेड, डॉक्टर और ऐसे ही अन्य कई लीडरशिप पोजीशन में मौजूद ज्यादातर लोग पहले जन्म लेने वाले बच्चे होते हैं। लोगों को खुश रखने वाले मंझले बच्चे बड़े होने के बाद भी ऐसे ही मददगार और मिलनसार रहते हैं। इसके अलावा मंझले बच्चे अपनी जरूरतों पर ध्यान देने के बजाय दूसरों को खुश करने पर अधिक ध्यान देते हैं, जिसके कारण उन्हें दिशाहीन या खोया हुआ महसूस हो सकता है। अंत में जन्म लेने वाले बच्चे के पास रहना काफी आनंददायक महसूस होता है, क्योंकि उनमें बच्चों वाली स्फूर्ति और चमक होती है। बच्चों जैसे इस स्वभाव को अक्सर बचपना या अपरिपक्वता समझ लिया जाता है, जिसके कारण अक्सर उन्हें गंभीरता से नहीं लिया जाता है। जब एकमात्र बच्चों की बात आती है, तो वयस्क होने पर वे बदलाव या अटेंशन के कमी को लेकर कम असुरक्षित महसूस करते हैं। आमतौर पर यह इसलिए होता है, क्योंकि जब वे अन्य वयस्कों के समूह से इंटरेक्ट करते हैं, तब उन्हें उनके आत्म केंद्रित होने का एहसास हो जाता है।
माता-पिता, भाई-बहन और मित्र बच्चे के व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्व होते हैं। इस विषय पर किए गए रिसर्च के आधार पर, कुछ एक्सपर्ट यह मानते हैं कि इस मामले में भाई बहनों का प्रभाव अधिक होता है। वहीं, दूसरों का यह मानना है, कि हमउम्र लोगों का प्रभाव अधिक होता है। हालांकि सभी अध्ययनों में यह पाया गया है, कि पैरेंटल रोल मॉडल की मौजूदगी बच्चे के व्यक्तित्व के विकास में बेहद जरूरी होती है।
नहीं, व्यक्तित्व की कोई भी विशेषता जन्म के क्रम से निर्धारित नहीं होती है। आपके बच्चे के कैरेक्टर की विशेषताओं को बेहतर बनाने के कुछ कदम यहां पर दिए गए हैं:
इसमें उनकी पोजीशन और परिवार और दोस्तों के समूह में अपनी भूमिका को समझना शामिल है। जब आप आपके बच्चे पर लागू होने वाले विभिन्न गुणों के समूह को जान जाते हैं, तब आप उन्हें बेहतर ढंग से सहयोग करने में सक्षम हो जाते हैं।
इसमें बच्चे के विभिन्न भावनात्मक अड़चनों और उनके स्रोतों का पता लगाना शामिल है। उसके विभिन्न मूड, उनके उतार-चढ़ाव और उनके कारण को पहचानें। क्या मंझला बच्चा इसलिए परेशान है, कि उसे प्यार की कमी महसूस होती है? क्या सबसे छोटा बच्चा हर वक्त एक बच्चे की तरह समझे जाने को लेकर नाराज है?
इस पड़ाव पर, आपको वास्तव में अपने व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत है, न केवल इसके बारे में सोचने की। अपने बड़े बच्चे से बात करें। उसे यह आश्वासन दें, कि चाहे कुछ भी हो जाए आप उसे बहुत प्रेम करते हैं और उसे सहमति के लिए इतनी अधिक मेहनत करने की कोई जरूरत नहीं है। अपने मंझले बच्चे को वह प्यार दें, जिसकी उसे जरूरत है। उन सबको अलग अलग समय दें, फिर चाहे वह केवल एक आइसक्रीम खाना हो या पार्क में घूमने जाना हो। छोटे बच्चे को या एकमात्र बच्चे को अधिक जिम्मेदारियां और काम दें और उन्हें पूरा करने पर कोई इनाम भी दें। इससे आप पर या आसपास मौजूद दूसरे लोगों पर उसकी निर्भरता में कमी आएगी।
हाल के वर्षों में यह बहस का एक हॉट टॉपिक बन चुका है। जहां कुछ अध्ययन यह दर्शाते हैं, कि जन्म का क्रम और बुद्धिमता आपस में जुड़े होते हैं, वहीं दूसरे अध्ययन यह दर्शाते हैं, कि बुद्धिमता जेनेटिक्स, सामाजिक-आर्थिक तत्व और पैरेंटल गाइडेंस से जुड़ी होती है। जर्मन यूनिवर्सिटी में किए गए एक बड़े अध्ययन में यह पाया गया, कि एकमात्र बच्चों और बड़े बच्चों के परफॉर्मेंस सबसे बेहतरीन आईक्यू वाले थे। लेकिन छोटे भाई बहनों के आईक्यू में भिन्नता के कोई आंकड़े नजर नहीं आए। इसके अलावा उन्होंने जन्म के क्रम और रचनात्मकता, भावनात्मक परिपक्वता या टैलेंट के बीच कोई पारस्परिक संबंध महसूस नहीं किया।
ऐसे कई अन्य फैक्टर हैं, जो बच्चे के व्यक्तित्व का निर्धारण करते हैं, इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
जब पारिवारिक भूमिकाओं की बात आती है, तो यह सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर में से एक है। उदाहरण के लिए, पहले जन्म लेने वाला बेटा और दूसरी बार जन्म लेने वाली बेटी का मतलब यह है, कि उसे माता-पिता से सहमति या ध्यान के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा। अपने लिंग के कारण वह स्वाभाविक रूप से अलग है और उसमें पहले जन्म लेने वाले बच्चे की विशेषताएं स्वाभाविक रूप से आ जाती है। इसके अलावा जब पेरेंट्स किसी जेंडर को अधिक प्राथमिकता देते हैं, तो इससे भी बर्थ ऑर्डर बाधित हो सकता है।
जैसा कि पहले बताया गया है, आयु में अंतर आपके बच्चे के व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जिन भाई बहनों के बीच कम अंतर होता है, वे एक दूसरे के प्रति अधिक प्रतिस्पर्धा रखते हैं, खासकर अगर वे एक ही जेंडर के हों तो। इससे बचने के लिए बच्चों के बीच आदर्श अंतर 5 वर्ष का माना जाता है, जिससे दोनों ही बच्चों को अपना एक खुद का स्पेस क्रिएट करने के लिए पर्याप्त समय मिलता है। यह जुड़वां बच्चों पर लागू नहीं होता है, क्योंकि उनमें कोई भी अंतर न के बराबर होता है।
व्यक्तित्व के विकास में जेनेटिक फैक्टर्स का गहरा प्रभाव होता है। इसलिए आपके बच्चे के स्वभाव से संबंधित कम से कम आधे गुण पहले से ही निर्धारित होते हैं। उदाहरण के लिए, आपका पहला बच्चा अपने छोटे भाई या बहन के प्रति सुरक्षात्मक स्वभाव का नहीं भी हो सकता है या फिर आपका मंझला बच्चा गुस्सैल और बदमिजाज भी हो सकता है। ऐसे में दूसरे लोगों से इंटरेक्ट करने का सही तरीका बच्चे को सिखाना आपकी जिम्मेदारी होती है और बच्चे भावनात्मक रूप से स्थिर हो सकते हैं और बड़े होकर खुशमिजाज रह सकते हैं।
जिस घर में एक से अधिक बच्चे होते हैं, उनमें एक दूसरे को बुली करना आम बात होती है। आमतौर पर बड़ा आकार होने के कारण, बड़े बच्चे छोटे बच्चों पर दबाव डाल सकते हैं। कभी-कभी अगर छोटा बच्चा अधिक स्ट्रांग हो या अधिक डोमिनेंट हो, तो यह स्थिति विपरीत भी हो सकती है, जिससे आपके बड़े बच्चे को अकेलापन और पावर-लेस महसूस हो सकता है।
सभी बच्चे खास होते हैं, लेकिन अगर एक बच्चा किसी एक खास चीज में निपुण हो, फिर चाहे वह खेलकूद हो, संगीत हो या पढ़ाई हो, तो माता-पिता का ध्यान आमतौर पर उन पर अधिक केंद्रित रहता है। ऐसे बच्चे को उसकी इच्छा के अनुसार पूरा प्यार और ध्यान मिलता है। लेकिन इससे दूसरे बच्चे को उदासी और गुस्से का एहसास हो सकता है। इसी प्रकार जिस परिवार में विकलांग बच्चे होते हैं, उनमें बर्थ ऑर्डर प्रभावित हो सकता है, क्योंकि कभी-कभी उन्हें अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है।
जहां जन्म क्रम का प्रभाव तर्कसंगत महसूस हो सकता है, वहीं इन पर किए गए ज्यादातर रिसर्च आंतरिक रूप से सुसंगत नहीं होते हैं। जैसा कि पहले बताया गया है, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, माता पिता की शिक्षा, माता-पिता की उपस्थिति और ऐसे ही अन्य फैक्टर्स का महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। बर्थ ऑर्डर पोजीशन बच्चों के व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं, लेकिन यह याद रखना जरूरी है, कि जब आपके बच्चों के व्यक्तित्व को आकार देने की बात आती है, तो परिवार में पर्याप्त प्रेम, देखभाल और आपसी सम्मान अधिक महत्वपूर्ण होता है।
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