In this Article
- घर पर बना सेरेलेक क्या है
- सेरेलेक का पोषण मान
- यदि बाजार में रेडीमेड सेरेलेक उपलब्ध है तो घर पर सेरेलेक क्योँ बनाएं?
- घर पर बने सेरेलेक के लाभ
- घर पर कैसे बनाएं सेरेलेक
- घर पर सेरेलेक तैयार करते समय बरती जाने वाली सावधानियां
- शिशुओं के लिए साथु–मावु कैसे तैयार करें?
- तैयार साथु–मावु पाउडर को स्टोर कैसे करें?
- क्या 10 महीने से कम उम्र के शिशुओं को घर पर बनाया हुआ सेरेलेक दिया जा सकता है?
सुपर मार्केट से खरीदे जाने वाले खाद्य पदार्थ रेडी–टू–यूज़ यानि आसानी और जल्द ही तैयार हो जाने वाले खाद्य पदार्थ होते हैं। बस तैयार पाउडर को पानी में मिलाएं और आपका काम हो गया! लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि शिशु के लिए दुकानों से खरीदे गए डिब्बाबंद उत्पादों का उपयोग करना आपके बच्चे के पोषण की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा समझौता है? हम सभी जानते हैं डिब्बाबंद खाद्य के विपरीत घर पर ताजा पका हुआ भोजन के लाभ के बारे में । तो क्यों न हम नन्हे शिशुओं लिए भी घर का बना सेरेलेक या जिसे हम साथु–मावु भी कहते हैं वो बनाए जो कि उतना ही स्वादिष्ट और उससे भी ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक हो । आइए, और जानते हैं ।
घर पर बना सेरेलेक क्या है
इस व्यंजन के स्वास्थ्य लाभ इतने प्रसिद्ध हैं कि तमिल के लोग इसे साथु मावु कहते हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ है “स्वस्थ आटा”। जैसा कि नाम से पता चलता है, साथु मावु या होम मेड सेरेलेक – आपके बच्चे के लिए ताजा सामग्रियों से घर पर ही तैयार किया हुआ स्वादिष्ट आहार है। यह इतना स्वादिष्ट और पौष्टिक होता हैकि, वयस्क भी इसका सेवन कर सकते है। 6 माह से अधिक आयु तक के शिशुओं को यह स्वादिष्ट भोजन दिया जा सकता है।
इसका गाढ़ापन दलिया या पॉर्रिज की तरह होता है, जिसे आप अपने स्वादानुसार फलों की प्यूरी, सीरियल, विभिन्न प्रकार की दालों और अनाज के साथ भी बना सकते हैं। इस व्यंजन को बनाने के लिए यह एक टिप है – आप साथु–मावु के पोषक तत्वों को बढ़ाने के लिए उसमे डाली जाने वाली कुछ सामग्रियों को पहले से ही रातभर पानी में भिगोकर स्प्राउट के रूप में तैयार कर सकते हैं।
इस व्यंजन को विभिन्न सामग्रियों के साथ मिलाकर अनगिनत तरीकों से तैयार किया जा सकता है इसलिए बच्चे अक्सर इसका सेवन करना पसंद करते हैं।
सेरेलेक का पोषण मान
सामग्री |
पोषण संबंधी जानकारी |
गेहूं का दलिया |
यह कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और मैग्नीशियम से भरपूर होता है। |
बादाम |
इसमें वसा, प्रोटीन, कैल्शियम और मैग्नीशियम की अधिक मात्रा मौजूद है। |
चावल |
यह फाइबर और कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत है। |
मक्का |
इसमें उच्च मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन व विटामिन ‘बी6’ मौजूद हैं और यह एक एंटीऑक्सीडेंट भी है। |
काली उड़द की दाल |
यह प्रोटीन और विटामिन ‘बी’ से परिपूर्ण खाद्य पदार्थ है। |
काजू |
यह स्वास्थ्यवर्धक वसा, मैग्नीशियम, विटामिन ‘बी6’, और प्रोटीन से परिपूर्ण है। |
इलायची |
यह फाइबर और लौह तत्व से भरपूर है । |
साबूदाना |
इसमें कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी उच्च मात्रा में होती है। |
चने की दाल |
इसमें प्रोटीन की मात्रा ¼ होती है और यह लौह तत्व, कैल्शियम व मॉलिब्डेनम का अच्छा स्त्रोत है। |
मसूर की दाल |
प्रोटीन, फाइबर, लौह तत्व और फोलेट से भरपूर है । |
हरा चना |
यह प्रोटीन, फाइबर–युक्त आहार, लौह तत्व और मैग्नीशियम से भरपूर है । |
स्रोत: https://www.mylittlemoppet.com/sathu-maavu-powder-for-babies/
यदि बाजार में रेडीमेड सेरेलेक उपलब्ध है तो घर पर सेरेलेक क्योँ बनाएं?
बेशक, पैक किए गए उत्पाद थोक में उपलब्ध होते हैं और आसानी से बनाए भी जा सकते हैं लेकिन घर पर बनाए हुए व्यंजन से बेहतर कुछ नहीं होता । बाजार में उपलब्ध पैक किए हुए खाद्य पदार्थों के कुछ हानिकारक तथ्य निम्नलिखित हैं जिनके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए और यह अपने बच्चे को देने से बचें:
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प्रेज़रवेटिव और रसायन: अपने बच्चों को प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ खिलाने के साथ–साथ, हम उन्हें प्रेजर्वेटिव और अन्य रसायन भी खिला रहे हैं। प्रेजर्वेटिव खाद्य पदार्थ के डिब्बों में उन हानिकारक प्रभावों का उल्लेख नहीं होता है जो सीधे बच्चों की आंतों को प्रभावित करते हैं। सोडियम लॉरेल सल्फेट (एस.एल.एस.) जैसे रसायन त्वचा में जलन पैदा करते हैं, खनिज (मिनरल) तेल पूर्णावरोधक होने के कारण त्वचा के छिद्रों को बंद करने में सक्षम है और इत्यादि। यदि हम जो भी खाते हैं उसके लिए सचेत हैं, तो यही सिद्धांत हमें अपने बच्चों के लिए भी अपनाना चाहिए।
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भंडारण/स्टोरेज के तरीके: किसी को भी स्पष्ट रूप से यह पता नहीं होता है कि हमारे रसोई तक पहुँचने से पहले, शिशु का भोजन कैसी स्थितियों में पैक किया गया है। यह सोचना गलत होगा कि डिब्बे में पैक किया हुआ भोजन सुरक्षित है। आप सोचकर परेशान भी हो सकती हैं किंतु इसके विनिर्माण प्रक्रिया, स्टोरेज या शिपिंग के दौरान यह दूषित भी हो सकता है।
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एलर्जी: कुछ सामग्री से बच्चों को एलर्जी होने की संभावना हो सकती है। दूध, मेवा, ग्लूटेन और अंडे ऐसे तत्व हैं जिनसे शिशुओं को आमतौर पर एलर्जी होने की संभावना होती है। पैक किए हुए भोजन में सभी सामग्रियां मिश्रित होने के कारण उसकी मात्रा और उपलब्धता का पता लगाना कठिन होता है। इसके विपरीत, शिशु के लिए घर पर भोजन तैयार करते समय, उपयुक्त सामग्रियों का उपयोग आसानी से किया जा सकता है।
अंततः घर पर बने माँ के हाथ का भोजन पैक भोजन से बढ़ कर होता है और साथ ही यह सुरक्षित, पौष्टिक और सस्ता भी होता है। घर का बना भोजन शुरू से ही सही खान–पान की आदतों को भी जन्म देता है।
घर पर बने सेरेलेक के लाभ
साथु–मावु या घर में तैयार किया हुआ सेरेलेक के लाभ निम्नलिखित हैं, जो आपके बच्चे के लिए अत्यधिक लाभदायक हो सकते हैं:
- घर में भोजन तैयार करते समय सामग्रियों को अनुकूलित किया जा सकता है और एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों व सामग्रियों से बचा जा सकता है।
- पका हुआ दलिया न केवल बच्चे के भोजन के रूप में बल्कि इडली, केक और डोसे के रूप में भी परोसा जा सकता है।
- ब्राउन राइस, फाइबर गुणों में उच्च होता है और पाचन में मदद करता है।
- घर में बना सेरेलेक, रसायन और प्रेज़रवेटिव पदार्थों से मुक्त होता है और इसमें मौजूद सभी सामग्रियां ताजी होती हैं।
- रागी, साथु–मावु की एक प्रमुख सामग्री है जिसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है और यह हड्डियों के समुचित विकास में मदद करती है।
- इस व्यंजन में उपयोग की गई चने की दाल में उच्च स्तर पर प्रोटीन होता है जो बच्चे की वृद्धि और विकास में तेजी से मदद करता है।
- घर पर बनाए गए साथु–मावु में किसी भी तरह के प्रदूषक होने का कोई डर नहीं होता है ।
- घर में तैयार किए हुए सेरेलेक के पाउडर को सामान्य तापमान में लगभग एक महीने के लिए और फ्रिज में लगभग तीन से छह महीने तक स्टोर किया जा सकता है।
घर पर कैसे बनाएं सेरेलेक
साथु–मावु की विधि में सरल सामग्रियों का उपयोग किया जाता है जो अक्सर आपकी रसोई में ही मौजूद रहती हैं।
सामग्री
- ब्राउन राइस – 1 कप
- रागी – 1 कप
- चने की दाल – ½ कप
- मसूर की दाल – ½ कप
- मूंग की दाल – ½ कप
- बादाम – ½ कप
- इलाइची – 8-10 फलियां
विधि
- रागी, चने की दाल, मसूर की दाल और मूंग की दाल को अलग–अलग बरतन में रातभर के लिए भिगोकर रखें।
- फिर भीगी हुई दाल के दानों को एक मुलायम सूती कपड़े में बांधकर अलग एक सूखी जगह पर रख दें।
- प्रत्येक अंकुरित अनाज को एक दिन के लिए धूप में सुखाएं।
- एक साफ और सूखे नॉन–स्टिक बर्तन में ब्राउन राइस, रागी, चना, मसूर दाल, मूंग दाल, बादाम और इलाइची को अलग–अलग भून लें। यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक सामग्री को मध्यम से धीमी आंच पर भूनें ताकि यह केवल बाहर से नहीं बल्कि अंदर से भी अच्छी तरह से पक जाए। सभी सामग्रियां भुन जाने के बाद गहरे रंग की हो जाती हैं। भुनने के बाद इसे ठंडा होने के लिए अलग रख दें।
- सभी सामग्रियों को एक साथ ब्लेंडर (ग्राइंडर) में डालकर पाउडर के रूप में पीस लें।
- इसे ठंडा होने दें।
- पाउडर को एक वायुरोधी डिब्बे में रख दें।
घर पर सेरेलेक तैयार करते समय बरती जाने वाली सावधानियां
घर पर सेरेलेक बनाते समय, कुछ चीजें ध्यान में रखना आवश्यक है, वे इस प्रकार हैं:
- गीले बर्तन का उपयोग न करें और किसी भी सामग्री को भूनने से पहले, सुनिश्चित कर लें कि यह सूखा है।
- प्रत्येक सामग्री को चख कर पता करें कि वह अच्छी तरह से भुन चुका है, यह चबाने में भुने हुए मेवे की तरह आसान होना चाहिए।
- किसी भी प्रकार की गंदगी के कणों को हटाने के लिए प्रत्येक सामग्री को पीसने से पहले धो लें।
- पिसी हुई सामग्री से बारीक पाउडर अलग करने के लिए उसे अच्छी तरह से छान लें।
- एक ही आकार की सामग्री को एक साथ भूना जा सकता है क्योंकि वे पकने के लिए समान समय लेंगी।
- पीसने से पहले सभी सामग्रियों को ठंडा करें।
शिशुओं के लिए साथु–मावु कैसे तैयार करें?
शिशुओं के लिए साथु–मावु तैयार करने हेतु निम्नलिखित सरल चरणों का पालन करें:
चरण 1: 1 कप पानी में 2 बड़े चम्मच साथु–मावु का पाउडर मिलाएं।
चरण 2: गर्म करते समय, मिश्रण को लगातार चलाते रहें ताकि वह बर्तन में न चिपके।
चरण 3: इसे धीमी आंच पर लगभग 10 मिनट तक पकाएं। सुनिश्चित करें कि चावल और दाल अच्छी तरह से पक चुका है।
चरण 4: मीठा व्यंजन बनाने के लिए इसमें गुड़ मिलाएं या नमकीन बनाने के लिए आप इसमें नमक भी मिला सकती हैं।
उपयोगी सुझाव
बच्चे को साथू–मावु खिलाते समय, नीचे दिए हुए कुछ महत्वपूर्ण सुझावों को ध्यान में रखें:
- नए खाद्य पदार्थों की शुरुआत करते समय, सुनिश्चित करें कि आप 3-दिवसीय नियम का पालन कर रही हैं। इस तरह यह पता लगाना आसान हो जाता है कि शिशु को किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जी है या नहीं। पहले दिन, दिनभर में एक बार, एक चम्मच भोजन देंरें। दूसरे दिन, पूरे दिन में लगभग दो बार, दो चम्मच भोजन दें। तीसरे दिन, पूरे दिन में तीन बार लगभग तीन चम्मच भोजन दें नए खाद्य पदार्थों के कारण किसी भी प्रकार की एलर्जी की प्रतिक्रियाओं को समझने के लिए यह एक बहुत ही क्रमिक कदम हो सकता है।
- इस मिश्रण को एक स्वास्थ्य पेय बनाने के लिए, एक चम्मच पाउडर को 100 मिलीलीटर दूध में मिलाएं। सुनिश्चित करें कि बच्चे को यह स्वास्थ्य पेय देने से पहले अच्छी तरह से पका लें।
- एक साल से कम उम्र के शिशु के भोजन में मिठास के लिए शहद न मिलाएं। शहद में बीजाणु होते हैं जो बोट्युलिज्म का कारण बन सकता है और यह शिशु के लिए घातक भी साबित हो सकता है।
- उन बच्चों के लिए जो अभी भी ठोस भोजन लेने का प्रयास रहे हैं, उनके दलिया में माँ का दूध मिलाया जा सकता है।
- एक साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए,आप यह व्यंजन पकाते समय आप इसमें एक बड़ा चम्मच गाय का दूध भी मिला सकती हैं । अध्ययनों के अनुसार एक वर्ष से कम उम्र के शिशुओं को गाय का दूध देने से उनमें लौह तत्व की कमी और निर्जलीकरण हो सकता है।
- दलिया का गाढ़ापन इस बात पर निर्भर करता है कि यह कैसे बनाया गया है। आप इसे अपने अनुसार गाढ़ा या पतला बनाने के लिए इसमें पानी मिला सकती हैं।
तैयार साथु–मावु पाउडर को स्टोर कैसे करें?
स्टोर करने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखें:
- साथु–मावु को एक वायुरोधी डिब्बे में ठंडी और सूखी जगह में रखा जा सकता है।
- पाउडर से तैयार किए गए दलिया या पॉर्रिज को दो घंटे में बच्चे को खिलाकर खत्म करें।
क्या 10 महीने से कम उम्र के शिशुओं को घर पर बनाया हुआ सेरेलेक दिया जा सकता है?
हाँ, यह शिशुओं को दिया जा सकता है और आप बिना किसी संकोच के ऐसा कर सकती हैं। घर पर बने सेरेलेक की खास बात यह है कि इसे आपके बच्चे की आवश्यकताओं के अनुकूल ही बनाया जा सकता है। इसकी नर्म बनावट, इसे बच्चे के लिए माँ के दूध से ठोस भोजन में परिवर्तन करने काएक अच्छा विकल्प बनाती है। छह महीने के बच्चे के लिए घर के बने सेरेलेक में मूंग या मसूर जैसी मूल दालें और चावल व गेहूँ जैसे अनाज होने चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि इनमें प्रोटीन होता है और मांसाहारी भोजन की तुलना में यह पाचन तंत्र पर हल्का होता है।
घर में पकाया हुआ भोजन खाने की आदत आपके बच्चे के लिए सराहनीय है। इससे बच्चे में विभिन्न फलों, सब्जियों, चने, दालों और अनाज जैसे प्राकृतिक खाद्य पदार्थ को खाने की आदत डाली जा सकती है । यह न केवल किफायती है, बल्कि स्वास्थ्य के अनुकूल भी है। शिशु के लिए पहला भोजन बनाने की यह पारंपरिक भारतीय पद्धति दुनिया भर में प्रचलित है।