आज के व्यस्त जीवन और सर्वव्यापी तकनीक के युग में, हमने इंटरनेट को अपने बच्चों का एक मनोरंजन स्रोत बना दिया है । परंतु, अपने बच्चे के साथ थोड़ा वक्त बिताना, साथ ही उसे कुछ कहानियाँ सुनाना और उसके साथ थोड़ा ज्ञान बांटना, इससे बेहतर और कुछ भी नहीं है । आप अपने बच्चे को ऐसी नैतिक शिक्षा देने वाली कहानियाँ सुना सकते हैं, जो आपको मिली शिक्षा के अनुरूप हो।
पुराने समय की बात है, दो भाई थे जो एक जंगल के नज़दीक रहते थे, बड़ा भाई अपने छोटे भाई के प्रति बहुत धूर्त था, और उसका सारा खाना खा जाता था और उसके सभी अच्छे कपड़े भी ले लेता था। एक दिन, बड़ा भाई, बाज़ार में बेचने के लिए , कुछ लकड़ियाँ इक्कठा करने जंगल में गया। जैसे ही वह एक पेड़ से दूसरे पेड़ की शाखाएं काटकर आगे बढ़ा , उसकी मुलाकात एक जादुई पेड़ से हुई। पेड़ ने उससे कहा, “हे! दयालु महोदय, कृपया मेरी शाखाओं को ना काटें। यदि आप मुझे छोड़ देते हैं, तो मैं आपको अपने सुनहरे सेब दूंगा। बड़ा भाई मान गया लेकिन वह पेड़ द्वारा दिए गए सेबों की संख्या से निराश था, लालच ने उस पर क़ाबू पा लिया, और उसने पेड़ को डराया कि यदि पेड़ ने उसे और सेब नहीं दिए तो वह पूरी शाखा काट देगा। सेब देने के बजाय, जादुई पेड़ ने उसपर सैकड़ों छोटी सुइयों की बौछार कर दी । बड़ा भाई दर्द से कराहते हुए ज़मीन पर गिर गया और धीरे–धीरे सूरज ढलने लगा।
यहाँ छोटा भाई चिंतित हो गया और अपने बड़े भाई की तलाश में निकल पड़ा, उसने अपने भाई को शरीर पर सैकड़ों सुइयों के साथ पाया। वह उसकी तरफ़ दौड़ा और उसने प्रत्येक सुई बहुत सावधानी और प्यार से निकाली। सारी सुईयाँ निकालने के बाद, बड़े भाई ने उसके साथ बुरा व्यवहार करने के लिए माफ़ी मांगी और बेहतर इंसान बनने का वादा भी किया। पेड़ ने बड़े भाई के दिल में आया बदलाव देखा और उन्हें सभी सुनहरे सेब दे दिए, जिससे उन्हें कभी कोई कमी महसूस नहीं हुई।
नम्र और दयालु होना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका फल हमेशा अच्छा ही मिलेगा।
अकबर ने एक बार अपनी अदालत में एक प्रश्न रखा, जिसने सभी को चक्कर में डाल दिया। वे सब जवाब ढूंढने की कोशिश कर ही रहे थे कि इतने में वहाँ बीरबल आया और उसने समस्या जाननी चाही। फिर उन्होंने उसे, अकबर द्वारा पूछे सवाल के बारे में बताया।
‘इस शहर में कुल कितने कौवे हैं?’
बीरबल तुरंत मुस्कुराया, अकबर के पास गया और घोषणा की, कि उनके सवाल का जवाब “इक्कीस हजार पाँच सौ तेईस” है। जब उससे पूछा गया कि उसे जवाब कैसे पता है, तो बीरबल ने कहा कि, ‘अपने आदमियों से कौओं की संख्या गिनने को कहें। यदि संख्या ज़्यादा है, तो शहर के बाहर से कौओं के रिश्तेदार उनसे मिलने आए हैं और यदि संख्या कम है, तो कौवे शहर के बाहर अपने रिश्तेदारों से मिलने गए हैं। जवाब से प्रसन्न होकर अकबर ने बीरबल को माणिक और मोती की माला भेंट की।
आपके उत्तर के लिए स्पष्टीकरण होना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि उत्तर देना।
एक बार एक लड़का था जिसके पिता ने एक दिन उससे कहा कि अब वह इतना बड़ा हो गया है कि भेड़ों की देखभाल कर सके।हर दिन वह भेड़ों को घास चरने के लिए ले जाता और उन पर निगरानी रखता। देखते ही देखते, भेड़ें बड़े हो गए और उनका ऊन भी घना हो गया था । परंतु वह लड़का दुखी था, वह इन उबाऊ भेड़ों पर नज़र नहीं रखना चाहता था, उसे भागना था, जी भर के खेलना था। इसलिए, उसने कुछ मज़ेदार करने का फैसला किया और एक दिन वह चिल्लाने लगा ‘भेड़िया! भेड़िया!’ इससे पहले कि भेड़िया किसी भेड़ को खा जाए, उसे भगाने के लिए पूरा गाँव पत्थरों के साथ दौड़ता हुआ वहाँ पहुँचा। जब उन्होंने देखा कि वहाँ कोई भेड़िया नहीं है, तब वे उसे डाँटते – फटकारते हुए वहाँ से निकल गए कि कैसे वह उनका समय बर्बाद कर रहा था और बिना वजह के डरा भी रहा था। अगले दिन, लड़का फिर चिल्लाया ‘भेड़िया! भेड़िया!!’ और गाँव वाले फिर से उस भेड़िये को भगाने के लिए दौड़ते हुए वहाँ पहुँचे।
लड़का उसने पैदा किए दर पर हस रहा था और गाँव वाले वहाँ से निकल गए, और उनमें से कुछ औरों से ज़्यादा क्रोधित थे। तीसरे दिन, जब वह लड़का एक छोटी पहाड़ी पर गया, तो उसने अचानक एक भेड़िए को अपनी भेड़ों पर हमला करते देखा। वह जितना हो सके उतने ज़ोर से चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया! भेड़िया! भेड़िया!’ लेकिन इस बार कोई गाँव वाला उसके भेड़ों को बचाने नहीं आया क्योंकि उन्हें लगा कि वह फिर से मज़ाक कर रहा है।पहले बिना वजह सिर्फ ‘भेड़िया!’ चिल्लाने से, उस दिन उसने अपनी तीन भेड़ें खो दी।
लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए कहानियाँ न बनाएं क्योंकि ऐसा करने से जब आपको वाकई में ज़रूरत होगी तब आपकी मदद करने के लिए कोई नहीं आएगा।
यह एक बहुत ही लालची और अमीर आदमी की कहानी है जो एक दिन संयोगवश एक परी से मिला। परी के बाल एक पेड़ की कुछ शाखाओं में फंस गए थे, जैसे ही उस अमीर आदमी को समझा कि यह और पैसा कमाने का मौका है, उसने परी से मदद के बदले में उसकी एक मांग पूर्ण करने के लिए कहा। उसने कहा कि, ‘मैं जिस भी वस्तु को छुऊं, वह सोने की बन जाए‘, और कृतज्ञता से भरी उस परी ने उसकी इच्छा पूरी कर दी।
वह लालची इंसान सभी पत्थरों और कंकड़ों को छूकर उन्हें सोने में परिवर्तित करते हुए अपनी पत्नी और बेटी को अपने नए वरदान के बारे में बताने के लिए घर की ओर भागा। घर पहुँचते ही, उसकी बेटी उसका स्वागत करने के लिए दौड़ती हुई बाहर आई, जैसे ही उसे अपनी गोद में लेने के लिए वह आदमी नीचे झुका, उसकी बेटी सोने की मूर्ति में परिवर्तित हो गई।उसे अपनी मूर्खता का एहसास हुआ और उसने अपने जीवन के बाकी दिन, उसका वरदान वापस लेने के लिए, परी की तलाश में बिता दिए।
लालच बुरी बला है।
पैटी, एक दूधवाली थी, जिसने अभी–अभी अपनी गाय का दूध निकाला था और अब उसके पास दो घड़े भरकर ताज़ा मलाईदार दूध था। उसने एक लकड़ी पर दोनों घड़ों को टांग दिया और बाज़ार में दूध बेचने निकल पड़ी। चलते– चलते वह मन ही मन दूध और उससे मिलने वाले पैसों के बारे में विचार करने लगी।
उसने सोचा, ‘इस दूध को बेचने से जो पैसे मिलेंगे, उन पैसों से मैं मुर्गी खरीदूंगी’ ।”मुर्गी अंडे देगी और उन अंडों से मुझे और मुर्गियाँ मिलेंगी । वे सभी मुर्गियाँ अंडे देंगी, और मैं और पैसों के लिए उन्हें बेच सकती हूँ। फिर मैं पहाड़ी पर घर खरीदूंगी और फिर सभी गाँववालें मुझसे ईर्ष्या करेंगे । वे मुझे अपना मुर्गी का व्यवसाय बेचने के लिए कहेंगे और मैं अपना सर ऐसे उछालकर, उन्हें मना कर दूंगी । ऐसा कहते हुए, पैटी ने अपना सर उछाला और अपने दोनों दूध के घड़े गिरा दिए, सारा दूध जमीन पर गिर गया और पैटी रोने लगी ।
अनिश्चित चीज़ों के आधार पर कोई योजना न बनाएं।
यह कहानी हमें बताती है कि कैसे विभिन्न लोग प्रतिकूल परिस्थितियों का विभिन्न प्रकारों से सामना करते हैं। “आशा” के पिता ने तीन अलग– अलग बर्तनों में उबलते पानी में एक अंडा, एक आलू और तीसरे में कुछ चाय की पत्तियाँ डाली। उन्होंने आशा को दस मिनट तक बर्तनों पर नज़र रखने के लिए कहा। दस मिनट के बाद उन्होंने आशा को आलू और अंडा छीलने और चाय को छानने के लिए कहा, आशा के समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
फिर उसके पिता ने उसे समझाया कि, ‘यह तीनो चीज़ें समान परिस्थिति में थे, लेकिन देखो कैसे उन तीनों पर उसका अलग– अलग प्रभाव पड़ा है । आलू अब नर्म हो गया था, अंडा कड़ा हो गया था और चाय के पत्तियों ने तो पानी का ही रंग बदल दिया था। हम सभी इन वस्तुओं की तरह हैं, जब कोई प्रतिकूल परिस्थिति आती है तो हम भी ठीक इन्हीं की तरह प्रतिक्रया देंगे, अब आप आलू हैं, अंडा हैं या चाय की पत्ती हैं?’
यह हम पर निर्भर करता है कि हम प्रतिकूल परिस्थिति का सामना कैसे करते हैं।
एक बार एक गुलाब था जिसे अपनी सुंदरता पर बहुत गर्व था, वह सिर्फ़ एक बात से निराश था कि वह एक कैक्टस के बगल में उगा था। हर दिन, गुलाब कैक्टस के रूप को लेकर उसका तिरस्कार करता था, लेकिन कैक्टस हमेशा शांत ही रहता था। बगीचे के अन्य सभी पौधों ने गुलाब को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसे तो अपनी ही सुंदरता पर बहुत घमंड था।
गर्मियों के मौसम में बगीचे के बीचों–बीच मौजूद एक कुआँ सूख गया और पौधों को देने के लिए बिलकुल भी पानी नहीं बचा था। गुलाब मुरझाने लगा, उसने देखा कि एक चिड़िया कैक्टस में अपनी चोंच डालकर पानी पी रही थी। हालांकि गुलाब शर्मिंदा था, उसने फिर भी कैक्टस से थोड़े पानी के लिए पूछा। दयालु कैक्टस तुरंत मान गया और दोनों ने दोस्त बनकर गर्मी के इस कठिन परिस्थिति का मिलकर सामना किया।
कभी किसी भी व्यक्ति की उसके रूप के आधार पर राय नहीं बनानी चाहिए।
राज दुखी था क्योंकि उसे अपनी अंग्रेजी की परीक्षा में बहुत कम नंबर आए थे। दादी उसके बगल में आकर बैठी और उसे एक पेंसिल दी। राज ने हैरान होकर अपनी दादी की ओर देखा और कहा कि वह परीक्षा में अपने प्रदर्शन के बाद इस पेंसिल के लायक नहीं है। उसकी दादी ने उसे समझाया कि, ‘तुम इस पेंसिल से बहुत सी चीजें सीख सकते हो क्योंकि यह तुम्हारी तरह ही है। जब तुम उसे नुकीला बनाते हो, तो वह भी ऐसा ही दुख महसूस करती है जैसा तुम, अपनी परीक्षा में कम नंबर आने पर करते हो, परंतु यह आपको एक बेहतर छात्र बनने में मदद करेगा । जिस तरह पेंसिल की सभी अच्छाइयाँ उसके अंदर ही होती हैं, उसी तरह तुम्हें भी इस बाधा को दूर करने के लिए अंदर से ही ताक़त मिलेगी और आखिर में, जैसे यह पेंसिल किसी भी सतह पर अपनी छाप छोड़ती है , वैसे ही आप भी जहाँ चाहे वहाँ अपनी पहचान छोड़ सकते हैं। राज का मन शांत हो गया और उसने खुद से वादा किया कि वह बेहतर प्रदर्शन करेगा।
हम सभी में वह बनने की शक्ति हैं जो हम बनना चाहते हैं।
नासिर को अपने बगीचे में एक बरगद के पेड़ के पीछे एक क्रिस्टल बॉल मिला। जब पेड़ ने उसे बताया कि वह क्रिस्टल बॉल उसकी कोई भी इच्छा पूरी करेगा, तब उसने बहुत सोचा लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसे क्या चाहिए। इसलिए उसने क्रिस्टल बॉल को अपने बैग में रखा और अपनी इच्छा के बारे में सोचने का फैसला किया। कई दिन गुज़र गए और नासिर ने कुछ भी नहीं मांगा माँगा, लेकिन उसके एक करीबी दोस्त ने उसे क्रिस्टल बॉल को निहारते हुए देख लिया था । उसके दोस्त ने वह बॉल नासिर से चुराया और गाँव के सभी लोगों को दिखा दिया। सभी लोगों ने महल और सोना मांगा लेकिन वे एक वस्तु वास्तु से अधिक कुछ मांग नहीं सकते थे। अंत में, हर कोई नाराज़ था क्योंकि किसी को भी वो नहीं मिल सकता था जो वे चाहते थे। वे सभी बहुत दुखी हुए और उन्होंने नासिर से मदद मांगने का फैसला किया। नासिर ने चाहा कि सब कुछ वैसा ही हो जाए, जैसा कि गाँव वालों के ने अपने लालच को पूरा करने से पहले हुआ करता था। महल और सोना गायब हो गया और गाँववाले एक बार फिर खुश और संतुष्ट हो गए।
धन और ऐश्वर्य से सुख प्राप्त नहीं होता।
तीन पड़ोसी अपनी फ़सलों को लेकर बहुत परेशान थे, तीनों खेतों में ऐसी फ़सलें थी जो मुरझा रही थी और कीटों द्वारा संक्रमित भी थी। हर दिन वे अपनी फसलों को बचाने के लिए अलग–अलग योजनाएं बनाते थे, पहलेवाले ने खेत में एक बिजूका रखा, दूसरे ने कीटनाशकों का उपयोग किया, और तीसरे ने अपने खेत पर एक बाड़ लगाया, परंतु सब निरर्थक साबित हुआ। एक दिन गाँव के प्रमुख ने तीनों किसानों को बुलाया, उन्होंने तीनों को एक–एक लकड़ी दी और उन्हें वह तोड़ने को कहा। तीनों किसान उन्हें आसानी से तोड़ सकें, अब उन्होंने उन्हें तीन लकड़ियों का गट्ठर दिया और उन्हें वह तोड़ने को कहा। इस बार, किसानों को लकड़ियाँ तोड़ने के लिए अधिक ताक़त लगानी पड़ी। गाँव के प्रमुख ने कहा, ‘अकेले काम करने से ज़्यादा ताक़त साथ काम करने से मिलती है।‘ किसानों ने अपनी योजनाओं की सारी चीज़ें इक्कठा की और आख़िरकार अपने खेतों के कीटों से छुटकारा पाया।
एकता में बहुत बल होता है।
एक दिन हरि स्कूल के बाद पैदल चल कर घर जा रहा था, उसे अचानक भूख के कारण कमज़ोरी महसूस हुई और उसे पता था कि उसकी माँ ने उसके लिए घर पर खाना तैयार नहीं रखा होगा, वह हताश हो गया और घर–घर जाकर खाना माँगने लगा। आख़िरकार, एक लड़की ने उसे एक बड़ा गिलास भरकर दूध दिया। जब हरि ने उसके बदले में उसे कुछ पैसे देने चाहे तब उस लड़की ने पैसे लेने से इनकार कर दिया और उसे अपने घर जाने के लिए कहा । कई वर्षों बाद, वह लड़की,जो अब बहुत बड़ी हो गई थी, गंभीर रूप से बीमार पड़ गई और ऐसा कोई नहीं था जो उसका इलाज कर सकता था। अंत में, वह शहर के सबसे बड़े अस्पताल में गई जहाँ शहर के सर्वोत्तम डॉक्टर थे। डॉक्टर ने उसका इलाज करने में महीनों गुज़ार दिए जब तक कि वह ठीक नहीं हो गई। वह खुश थी, लेकिन उसे यह भी डर था कि वह बिल का भुगतान नहीं कर पाएगी। जब अस्पताल वालों ने उसे बिल सौंपा और उसने वह खोला तो उस पर लिखा था, ‘एक गिलास दूध द्वारा पूरे बिल का भुगतान किया जा चुका है।‘
अच्छा काम कभी बेकार नहीं जाता है, उसका इनाम हमें कभी ना कभी मिलता ही है।
एक बार एक लोमड़ी बहुत भूखी थी और कुछ खाने की तलाश में थी, उसने हर जगह ढूंढा, लेकिन उसे खाने के लिए कुछ भी नहीं मिला। अंत में, गड़गड़ाहट की आवाज़ करने वाले अपने पेट को लेकर, वह एक किसान के घर की दीवार के पास आकर रुक गई। दीवार के ऊपर, ऐसे बड़े और रसीले अंगूर लटक रहे थे जो उसने शायद ही कभी देखे होंगे । गहरा जामुनी रंग से लोमड़ी को पता चल गया कि यह अंगूर एकदम पके हुए हैं और खाने के लिए तैयार हैं। लोमड़ी ने अपने मुँह में अंगूर पकड़ने के लिए हवा में ऊंची छलांग लगाई, लेकिन वह उन तक पहुँच नहीं सकी। उसने फिर कोशिश की लेकिन वह फिर भी उन तक पहुँच नहीं सकी, उसने और कई बार कोशिश की लेकिन एक बार भी अंगूरों तक पहुँच नहीं पाई। आख़िरकार, लोमड़ी ने घर वापस जाने का फैसला किया और पूरा समय यह कहती रही कि, ‘मुझे यकीन है कि अंगूर वैसे भी खट्टे ही थे’।
यदि हम किसी वस्तु को प्राप्त ना सकें तो उसे तुच्छ दृष्टि से देखना ज़्यादा आसान लगता है।
दो जिगरी दोस्त हुआ करते थे – एक चींटी और एक टिड्डा। टिड्डे को पूरे दिन आराम करना और अपना गिटार बजाना पसंद था परंतु चींटी पूरे दिन कड़ी मेहनत करती थी। जिस समय वह बगीचे के सभी कोनों से खाना इकट्ठा करती थी तब टिड्डा या तो आराम करता या अपना गिटार बजता रहता, या सोता रहता था। टिड्डा, चींटी को हर दिन थोड़ा आराम करने के लिए कहता था, लेकिन चींटी मना कर देती थी और अपना काम जारी रखती थी। जल्द ही, सर्दी का मौसम आया और दिन में व रात में ठंड बहुत बढ़ गई। ऐसे में बहुत कम प्राणी बाहर जाते थे, अब टिड्डे के लिए खाना जुटाना मुश्किल हो गया और वह भूख से बेहाल हो गया। लेकिन, चींटी के पास सर्दियों में बिना किसी चिंता के रहने के लिए पर्याप्त खाना था।
उचित समय पर कार्य करना ही कल आपके काम आएगा।
अजय एक छोटा लड़का था जिसे अपने स्कूल और अपने स्कूल के साथियों से बहुत लगाव था। एक दिन, जब वह अपनी डेस्क पर बैठा था, तो उसे अचानक गीलापन महसूस हुआ और फिर उसे समझा कि उसने अपनी पैंट गीली कर ली थी! अजय लज्जित हो गया, वह नहीं जानता था कि वह क्या करे या कहे क्योंकि वह जानता था कि क्लास में हर कोई उसकी पैंट के गीली होने पर उसका मज़ाक उड़ाएगा। वह अपने डेस्क पर बैठा रहा और किसी भी तरह की मदद के लिए भगवान् से प्रार्थना करने लगा। तभी दीक्षा कक्षा के पौधों को पानी देने के लिए एक जग में पानी ले जा रही थी, जैसे ही वह अजय के डेस्क के पास पहुँची, वह अचानक फिसल गई और सारा पानी अजय की गोद में गिर गया, सभी लोग अजय की मदद करने के लिए दौड़ पड़े। शिक्षक ने दीक्षा को फटकारा और अजय को शॉर्ट्स का एक अतिरिक्त सेट दिया। दिन के अंत में, अजय बस में दीक्षा से मिला, उसने उससे पूछा, ‘तुमने वह जान–बूझकर किया था ना?’ दीक्षा ने जवाब दिया, ‘मैंने भी एक बार अपनी पैंट गीली की थी’।
दूसरों की हमेशा मदद करें।
दो करीबी दोस्त जंगल से गुज़रने वाले एकांत और खतरनाक रास्ते पर चल रहे थे। जैसे–जैसे सूरज ढलने लगा, वे डरने लगे लेकिन उन्होंने एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा। अचानक उन्होंने देखा कि सामने से एक भालू आ रहा है, एक दोस्त सबसे नज़दीकी पेड़ की ओर दौड़ा और फटाफट ऊपर चढ़ गया । लेकिन दूसरा पेड़ पर चढ़ना नहीं जानता था इसलिए वह मृत होने का नाटक करते हुए ज़मीन पर लेट गया। भालू ज़मीन पर पड़े लड़के के पास गया और उसके सिर के चारों ओर सूँघने लगा। लड़के को मरा हुआ जानकर, भालू आगे बढ़ गया। पेड़ पर चढ़ा दोस्त नीचे उतरा और उसने अपने दोस्त से पूछा कि भालू ने उसके कान में क्या कहा। उसने जवाब दिया, ‘उन दोस्तों पर कभी भरोसा मत करना जो तुम्हारी परवाह नहीं करते हैं।
सच्चा मित्र वही होता है जो मुसीबत में काम आए।
निष्कर्ष: नैतिक शिक्षा देने वाली यह छोटी कहानियाँ आपको आपके बच्चों के साथ अच्छा वक्त बिताने में मदद करती हैं और साथ ही उन्हें महत्वपूर्ण सीख भी देती हैं। अगली बार जब आप बच्चों का मनोरंजन करना चाहते हैं, तो नैतिक शिक्षा देने वाली कहानियाँ हमेशा एक बेहतरीन विकल्प है।
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