बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों के लिए 15 मजेदार बेडटाइम स्टोरीज

बच्चों को कहानियां सुनना अच्छा लगता है। वे विशेष रूप से रात में सोने से ठीक पहले अपनी माँ या पिता से एक कहानी सुनना पसंद करते हैं। बच्चों के लिए उनके सोते समय कहानियां पढ़ना उनके साथ समय बिताने और अपने बंधन को मजबूत करने का एक बहुत अच्छा तरीका है।कहानियां सुनने की आदत उन्हें भविष्य में किताबें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है। आपका अपने बच्चे के लिए किताब पढ़कर कहानी सुनाना उन्हें किताबों से प्रेम करना सिखाता है। इससे बच्चे की याददाश्त तेज होती है, उसकी भाषा में सुधार होता है और उसकी कल्पना शक्ति मजबूत होती है। यहाँ हम आपके बच्चों के लिए 15 ऐसी बेहतरीन, लोकप्रिय और रोचक कहानियां लाए हैं, जिन्हें सोते समय सुनने में उसे बहुत मजा आएगा।

बच्चों के लिए सबसे अच्छी बेडटाइम स्टोरीज

बच्चे हमेशा एक्टिव होते हैं, और कई बार उन्हें रात में सुलाना चैलेंजिंग हो सकता है। ऐसे में एक अच्छी कहानी आपकी मदद कर सकती है। जब आप उन्हें कहानी सुनाने का लालच देंगी तो वे झट से बिस्तर पर आने को तैयार हो जाएंगे और अगर कहानी मजेदार हो तो उसे सुनकर वे आपको बिना तंग किए सोने को भी तैयार हो जाएंगे।

1. बदसूरत बत्तख का बच्चा

यह बेहद पुरानी और लोकप्रिय कहानियों में से एक है। एक बार एक बत्तख ने किसी किसान के खेत में 6 अंडे दिए। बत्तख के उन अंडों में कहीं से एक और अंडा जा मिला | बत्तख ने 7 अंडे देखे तो सोचा कि शायद उससे गिनने में गलती हो गई थी और उसने सारे अंडे सेये | कुछ दिनों बाद 6 अंडों में से पीले रंग के चूजे निकल आए पर सातवें अंडे से निकला बच्चा दिखने में अलग-सा था | वह थोड़ा बड़ा और बेडौल भी था । उसके अजीब दिखने के कारण बाकी सभी चूजे उस पर हँसते थे | वे उसके साथ खेलना भी नहीं चाहते थे | जब उसने अपना प्रतिबिंब पानी में देखा तो बहुत दुखी हो गया | वह बाकियों जैसा नहीं था इसलिए खुद को बदसूरत समझकर वह उदास हो गया | उसके अलग रूप और बेढब चाल को देखकर बाकी पशु-पक्षी और किसान के बच्चे भी उसका मजाक उड़ाते थे । एक दिन एक बच्चे ने तो उस पर पत्थर भी फेंक दिया जिससे वह डर के वहाँ से भाग गया | वह दूर एक तालाब के पास चला गया और वहीं रहने लगा । धीरे-धीरे समय बीता और सर्दियां आईं । तालाब का पानी जमने लगा, बर्फ गिरने लगी । एक दिन पास से गुजरते एक किसान ने बच्चे को ठंड में ठिठुरते देखा तो उसे अपनी झोंपड़ी में ले आया और खाना और रहने को जगह दे दी । फिर वसंत ऋतु आई, अब तक बच्चा बहुत बड़ा हो गया था इसलिए गरीब किसान उसे तालाब में छोड़ आया । अचानक वहाँ हंसों का एक झुंड आया । उन्हें देखकर बिचारा बच्चा छिपने की कोशिश करने लगा, तभी अचानक उसने पानी में अपना प्रतिबिंब देखा और वह हैरान रह गया । वह बत्तख नहीं था वह तो एक हंस था। अपने असली रूप का पता चलने पर उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और वह भी हंसों के उस झुंड में शामिल हो गया और अपने नए परिवार के साथ उड़ गया ।  

2. राजा मिडास का स्पर्श

आपने बचपन में अपने स्पर्श से सोना बनाने वाले राजा की कहानी सुनी है । ग्रीस (यूनान) में मिडास नाम का एक राजा था। उसे सोने से बहुत प्रेम था। उसके पास बहुत सारा सोना था और जितना सोना वह जमा करता जाता था उतना ही ज्यादा सोना पाने का उसका लालच बढ़ता जाता था। अपने खजाने में बैठकर वह अपना पूरा समय सोना गिनने में लगाता था। एक दिन जब वह सोना गिनने में व्यस्त था तब भगवान प्रकट हुए और मिडास से बोले कि वह उसकी कोई मनोकामना पूरी कर सकते हैं। मिडास यह सुनकर बहुत खुश हो गया और बोला, “मैं जिस चीज को स्पर्श कर लूँ वह सोने की हो जाए!” भगवान ने कहा, “ऐसा ही हो, कल सुबह उठने के बाद तुम जो कुछ स्पर्श करोगे वह सोने में बदल जाएगा”। अगले दिन जब राजा सो कर उठा, उसने अपने पलंग को छुआ, और पलंग सोने का हो गया। उसके कपड़े, उसके बर्तन, उसकी तलवार, अब कुछ सोने का हो गया। फिर वह नाश्ता करने बैठा लेकिन जैसे ही उसने फलों को हाथ लगाया, वे भी सोने के बन गए। पीने का पानी भी सोने में बदल गया। मिडास को बहुत तेज भूख लग रही थी और उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। इतने में ही उसकी बेटी भागती हुई उसके पास आई और उसे परेशान देखकर उसके से लग गई। मिडास को छूते ही वह भी सोने के बुत में तब्दील हो गई। अब मिडास दहाडें मारकर रोने लगा। उसे अपनी बेवकूफी पर बहुत पछतावा हुआ। उसे यह समझ आ गया था कि सोना संसार की सबसे अच्छी चीज नहीं है। उसने भगवान को पुकारा । भगवान ने फिर प्रकट होकर पूछा, “मिडास, क्या तुम इतना सारा सोना पाकर खुश हो?” मिडास ने कहा, “नहीं! मैं संसार का सबसे दुखी मनुष्य हूँ। मुझे माफ कर दो। मेरा सब कुछ ले लो लेकिन मेरी बेटी को पहले जैसा बना दो। मैं उसे ही सबसे ज्यादा प्यार करता हूँ, सोने को नहीं!” भगवान ने उसकी बात सुनकर कहा, “ठीक है मिडास, तुम समझ गए हो कि सोना संसार की सबसे कीमती वस्तु नहीं है।” ऐसा कहकर भगवान ने अपने वरदान को उल्टा कर दिया। मिडास की बाँहों में उसकी प्यारी बेटी पहले की तरह अठखेलियाँ करने लगी और उसने कभी न भूलनेवाला सबक सीख लिया।

3. भेड़िया आया – भेड़िया आया

यह कहानी ईसप की दंतकथाओं से है और सच्चाई के महत्व को बताती है। किसी गाँव में एक चरवाहा रहता था। उसे गाँव भर की भेड़ें चराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वह भेड़ों को प्रतिदिन पहाड़ी पर स्थित चरागाह में ले जाता और उन्हें चरने के लिए छोड़ देता। यूं तो चरवाहा अपने काम को अच्छी तरह करता था लेकिन रोज-रोज एक ही काम करते-करते वह ऊब-सा गया था। इसलिए एक दिन उसने सोचा कि क्यों न दिल बहलाने के लिए कुछ हंसी-मजाक किया जाए। बस, लगा जोर-जोर से चिल्लाने—‘‘भेड़िया आया! भेड़िया आया! बचाओ! भेड़िया भेड़ों को खा रहा है।’’ गाँव वाले खेतों में काम कर रहे थे। उन्होंने चरवाहे की डरी हुई आवाजें सुनीं तो जो भी उनके हाथ में आया, वह लेकर भेड़िये को मारने के लिए पहाड़ी की ओर दौड़ पड़े। परंतु वहाँ पहुँचकर उन्होंने देखा कि भेड़ें तो आराम से चर रही थीं और चरवाहा पेट पकड़कर खूब जोर से हँस रहा था। यह देखकर गाँव वाले गुस्से में भुनभुनाते वहाँ से चले गए। कुछ दिन बाद चरवाहे ने फिर यही हरकत दोहराई। इस बार भी गाँव वालों को मूर्ख बनाकर चरवाहे को बहुत मजा आया। गाँववालों को इस बार उस पर बहुत गुस्सा आया।

अगले दिन फिर चरवाहा भेड़ों को चराने पहाड़ी वाले मैदान पर ले गया। मगर जब वह एक पेड़ के नीचे बैठा अपनी बांसुरी बजा रहा था, तभी उसे गुर्राने जैसी आवाजें सुनाई दीं। उसने सिर उठाकर देखा तो कुछ दूर सचमुच एक बड़ा-सा भयानक भेड़िया गुर्राता हुआ भेड़ों की ओर बढ़ रहा था। भेड़ों ने एक खूंखार भेड़िए को अपनी ओर बढ़ते देखा तो वे डरकर इधर-उधर भागने लगीं। चरवाहा बेहद डर गया और जोर-जोर से चिल्लाने—‘‘भेड़िया आया! भेड़िया आया!! बचाओ…बचाओ !’’ इस बार वह बहुत डरा हुआ था। चिल्ला-चिल्ला कर सहायता की पुकार कर रहा था और खेतों की ओर आशा भरी नजरों से देख रहा था। मगर गाँव वालों ने सोचा कि वह इस बार भी मजाक कर रहा होगा, इसलिए वे नहीं आए। चरवाहे ने जैसे-तैसे एक पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचाई और भेड़िये ने 2-3 भेड़ों को मार डाला। चरवाहा अब अपने किए पर बुरी तरह पछता रहा था। गाँव वापस आकर उसने सबको अपनी आपबीती सुनाई और क्षमा मांगी, साथ ही वादा किया कि भविष्य में वह ऐसा झूठ फिर कभी नहीं बोलेगा।

4. चींटी और टिड्डा

यह भी ईसप की कहानियों में से है और कड़ी मेहनत व भविष्य की योजना का महत्व बताती है।गर्मी के दिनों की बात है। एक जगह एक मैदान में एक टिड्डा यहाँ-वहाँ कूद रहा था और फुदक रहा था और बहुत चहक रहा था। टिड्डा बहुत मस्ती में था और गाना गाते हुए आगे बढ़ रहा था। अचानक ही एक चींटी उसके सामने से गुजरी। उसने देखा की चींटी एक मक्‍के के दाने को लुढ़काते हुए अपने घर में ले जाने का प्रयास कर रही है। यह देखकर टिड्डा उससे बोला कि इतनी मेहनत और कठिन कार्य करने के बजाय आओ कुछ अच्छा समय गुजारते हैं। यह सुनकर चींटी ने कहा, “मैं ठंड के लिए खाना जमा कर रही हूॅं और में तुम्हें भी यहीं सलाह दूँगी की तुम भी खाना जमा कर लो।” टिड्डे ने उसे जवाब दिया कि ठंड का मौसम आने में तो अभी काफी समय है, उसकी चिंता अभी से क्यूँ करनी। मेरे पास अभी के लिए पर्याप्त खाना है।

चींटी वहाँ से चली गई और उसने अपना काम जारी रखा। टिड्डा हर दिन उस चींटी को खाना जमा करते हुए देखता पर उसने खुद अपने लिए काम करने की नही सोची। आखिरकार ठंड के दिन आ ही गए । टिड्डा तब भूख से बेहाल हो गया और दाने-दाने का मोहताज हो गया, इसके उलट चींटी के पास खाने का भंडार था जो उसने गर्मी के दिनों में ही अपने लिए जमा कर लिए थे। वह अपने घर में जमा किया हुआ खाना खाकर आराम से समय बिताने लगी। यह देखकर टिड्डे को भी अपनी गलती का एहसास हुआ और वह सोचने लगा कि अगर उसने भी समय रहते अपने लिए खाना जमा कर लिया होता तो उसे आज दाने-दाने का मोहताज नहीं होना पड़ता।

5. ब्यूटी और बीस्ट

यह एक प्रसिद्ध परी कथा है जो बताती है कि हमें किसी व्यक्ति के बाहरी रूप से ज्यादा उसके अच्छे स्वभाव को अधिक महत्व देना चाहिए। एक समय की बात है, एक व्यापारी की 3 बेटियां थीं। एक दिन उसे किसी काम से दूर देश जाना था, जाने से पहले उसने अपनी बेटियों को अपने पास बुलाया और पूछा कि तुम तीनों के लिए परदेस से क्या लाऊं? पहली बेटी ने सुंदर कपड़े मांगे, दूसरी ने गहने और तीसरी बेटी जिसका नाम ब्यूटी था, उसने कहा उसे लाल गुलाब का फूल चाहिए। व्यापारी उनके लिए तोहफा लाने का वादा करके घर से निकल पड़ा। जब वह अपना काम खत्म करके वापस घर की और लौट रहा था तब अचानक आंधी-तूफान आ गया और वह रास्ता भटक गया और एक महल के पास पहुँच गया। बाहर अंधेरा था और महल से रोशनी आ रही थी तो उसने सोचा कि आज रात वो इसी महल में रुक जाएगा। व्यापारी महल के अंदर गया पर उसे वहाँ कोई नहीं दिखा, टेबल पर बहुत सारे स्वादिष्ट पकवान रखे देखकर उसकी भूख और भी बढ़ गई। उसने पेट भर कर खाना खाया और मुलायम, गद्देदार बिस्तर पर सो गया। जब सुबह उठकर बाहर देखा तो सुंदर गुलाब का बगीचा दिखा। उसने बगीचे से अपनी बेटी के लिए फूल तोड़ लिया तभी अचानक वहाँ एक राक्षस प्रकट हुआ और बोला मैंने तुम्हें अपने महल में खाने और रात बिताने दी और तुम मेरे ही बगीचे से फूल तोड़ रहे हो। व्यापारी डर गया और उसने बताया कि मैंने यह फूल अपनी बेटी के लिए तोड़ा है। राक्षस ने कहा वो उसे जाने देगा लेकिन शर्त यह है कि उसे अपनी बेटी को उसके पास भेजना होगा। व्यापारी ने डर कर हाँ कह दिया और अपने घर लौट कर अपनी तीनों बेटियों को बताया। तब ब्यूटी ने कहा, आप घबराए नहीं, मैं आपका वादा निभाऊंगी। ब्यूटी उस महल में चली गई, राक्षस का डरावना रूप देख कर पहले तो वो डर गई लेकिन राक्षस ने उसका स्वागत किया। सबसे सुंदर कमरा उसे रहने के लिए दिया और उसे अच्छे से रखने लगा। धीरे-धीरे दोनों को एक-दूसरे का साथ अच्छा लगने लगा। ब्यूटी जान गई थी कि राक्षस देखने में भले ही क्रूर हो लेकिन वह दिल का बहुत ही नेक और दयालु है। वहीं राक्षस को ब्यूटी से प्यार हो गया था और वह उससे शादी करना चाहता था, लेकिन ये बात उसे बताने में डर रहा था कि ब्यूटी उसके जैसे डरावने दिखने वाले राक्षस से क्यों शादी करेगी? 

एक बार ब्यूटी को अपने पिता से मिलने की इच्छा हुई। राक्षस ने उसे पिता से मिलने की इजाजत दे दी और सात दिन में वापिस आने को कहा। ब्यूटी ने तय समय में आने का वादा किया और अपने घर चली गई। परिवार से मिलने की खुशी में सात दिन कब निकल गए, ब्यूटी को पता ही नहीं चला। उस रात नींद में ब्यूटी ने सपना देखा कि राक्षस की हालत बहुत खराब है और वह जल्दी ही मरने वाला है। अगले ही दिन वह महल वापस आ गई और उसने पाया कि राक्षस बगीचे में बेसुध पड़ा हुआ है। ये देख कर वो रोने लगी और कहने लगी मैं तो तुमसे शादी करना चाहती थी। ये सुनकर राक्षस का रूप बदल गया और वो एक सुंदर राजकुमार बन गया। तब राजकुमार ने उसे बताया कि उसने एक चुड़ैल को युद्ध में हरा दिया था जिसने गुस्से में आकर उसे श्राप दे दिया था कि जब कोई लड़की उसे राक्षस के रूप में प्यार करेगी, सूरत की जगह उसके गुणों को पसंद करेगी तब ही उसे उसका असली रूप मिलेगा।

6. सिंड्रेला

सिंड्रेला एक और प्रसिद्ध परी कथा है जो जादू और रोमांच से भरी हुई है। बहुत पहले एक शहर में एक लड़की एला अपनी सौतेली माँ और दो सौतेली बहनों के साथ रहती थी। सौतेली माँ एला से घर के सारे काम करवाती थी और बहुत बुरा बर्ताव करती थी। एला की सौतेली बहन ने भी उसे पसंद नहीं करती थी वह हमेशा उसे अपने से दूर रखती थीं । एला जब बहुत काम करके थक जाती थी वह अपने घर की चिमनी के पास ही सो जाती थी जिसके कारण उसकी सारी राख उसके ऊपर गिर जाती थी जिसको अंग्रेजी भाषा में सिंडर कहते है। उसकी सौतेली बहनें यह सब देखकर उसे सिंडर-एला नाम से चिढ़ाने लगीं। धीरे-धीरे एला का नाम सिंड्रेला पड़ गया।

एक दिन ऐलान हुआ कि राजा ने महल में एक बहुत बड़ा आयोजन रखा है और राज्य की सभी लड़कियों को बुलाया गया है ताकि राजकुमार अपनी पसंद की लड़की से शादी कर सके। शहर की सारी लड़कियां बहुत खुश और उत्साहित थीं। सिंड्रेला और उसकी बहनें भी वहाँ जाना चाहती थीं लेकिन सिंड्रेला की ये खुशी उसकी सौतेली माँ को रास नहीं आई और उसने सिंड्रेला को महल में जाने से मना कर दिया और अपनी दोनों बेटियों को खूब सजा-सवांर कर ले गई। बेचारी सिंड्रेला बहुत दुखी हुई और चुपचाप एक जगह जाकर बैठ गई, तभी वहां एक जादूगरनी आई। उसने सिंड्रेला को दुखी देखा तो उसकी मदद करनी चाही। सिंड्रेला ने सारी बात जादूगरनी को बताई। जादूगरनी ने अपनी छड़ी घुमाई और वहाँ पड़े एक बड़े से कद्दू को एक बग्घी मे बदल दिया। वहीं चार चूहे उछल कूद मचा रहे थे, जादूगरनी ने चूहों को घोड़ा बना दिया। अब जरूरत थी एक कोचवान की। जादूगरनी ने चारों तरफ नजर घुमाई तो उसे एक मेंढक दिखा और उसे कोचवान में बदल दिया। सिंड्रेला यह सब देख हैरान हो रही थी कि तभी जादूगरनी उसकी तरफ मुड़ी और अपनी जादू की छड़ी घुमा दी, और पलक झपकते ही सिंड्रेला के मटमैले और फटे हुए कपड़े साफ और सुंदर हो गए। उसके पैरों में टूटी हुई चप्पल की जगह सुंदर कांच की जूती आ गई। अब सिंड्रेला महल में जाने के लिए तैयार थी। जादूगरनी ने सिंड्रेला को विदा करते हुए कहा, “बेटी, तू अपनी इच्छा पूरी कर ले, लेकिन याद रखना रात 12 बजते ही यह सारा जादू खत्म हो जाएगा। सिंड्रेला जब महल पहुँची तो सबकी नजरें उसी को देखने लगी। वह बहुत ही सुंदर लग रही थी लेकिन उसकी सौतेली माँ या बहनें उसे पहचान नहीं पाईं। राजकुमार ने उसे देखते ही फैसला कर लिया कि वह इसी लड़की से शादी करेगा। राजकुमार सिंड्रेला के साथ डांस करने लगा और समय बीतता ही गया। अचानक 12 बजे का घंटा बजा और सिंड्रेला बिना राजकुमार से कुछ कहे वहाँ से भाग निकली। भागते वक्त सिंड्रेला की कांच की एक जूती महल में ही छूट गई जो राजकुमार ने उठा ली। राजकुमार ने सिंड्रेला को बहुत ढूंढा लेकिन वह उसे कहीं नहीं मिली। आखिरकार सारे राज्य में ऐलान हुआ कि जिस लड़की के पैरों मे वह जूती आएगी राजकुमार उसी से शादी करेंगे। राजकुमार के सेवक पूरे राज्य भर में सभी लड़कियों के घर में जाकर उन्हें जूती पहना कर देखने लगे। एक दिन वे सेवक सिंड्रेला के घर भी पहुँचे जहाँ उसकी दोनों बहनों ने जूती पहनने की हर कोशिश की लेकिन कोई फायदा नही हुआ। अब सेवक सिंड्रेला को जूती पहनाने के लिए आगे बढ़े। सिंड्रेला के पैर में तुरंत जूती आ गई। सेवकों ने राजकुमार को खबर दी। जब राजकुमार वहाँ आया तो सिंड्रेला ने अपने पास की दूसरी जूती भी निकालकर पहन ली। राजकुमार की खुशी का ठिकाना न रहा और वह हमेशा के लिए सिंड्रेला को रानी बनाने के लिए अपने साथ लेकर चला गया।

7. लालची चूहा

यह बच्चों के लिए बहुत अच्छी शॉर्ट स्टोरी है जो बताती है कि लालच कैसे मुसीबत में डाल सकता है। एक बार एक चूहा था जिसे बहुत दिनों से खाना नहीं मिला था और वह बहुत भूखा था। वह बहुत दुबला हो गया था। बहुत खोज के बाद, चूहे को मक्के के दानों से भरी टोकरी मिली। टोकरी में एक छोटा सा छेद था, जिसके माध्यम से वह बस अंदर फिट हो सकता था। वह टोकरी में घुसा और पेट भर कर मक्का खाया। लेकिन पेट भरने के बाद चूहे ने खाना बंद नहीं किया, वह और खाता ही गया, जबकि उसका पेट बहुत फूल गया था । अब चूहे का पेट इतना बड़ा हो गया था कि बाहर निकलने के लिए वह छेद से गुजर ही नहीं पा रहा था। चूहा बहुत परेशान हो गया तभी पास से एक दूसरा चूहा गुजर रहा था। चूहे ने उसे पूरी बात बताई जिसे सुनकर दूसरा चूहा बोला कि अब उसे तब तक इंतजार करना होगा जब तक कि वह दुबारा-पतला न हो जाए, ताकि उस छेद से बाहर निकल सके। चूहे को लालची होने और जरूरत से ज्यादा मक्के के दाने खाने का बहुत पछतावा हुआ।

8. नकलची बंदर

एक बार एक टोपी बेचने वाला अपनी ढेर सारी टोपियां लेकर बेचने जा रहा था। रास्ते में सुस्ताने के लिए वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया और थकान की वजह से उसे नींद आ गई। इतने में उस पेड़ पर रहने वाले बंदर नीचे आए और उसकी सारी टोपियां उठा ले गए और पेड़ पर चारों तरफ फैला दीं। कुछ देर बाद उस टोपीवाले की नींद खुल गई तो उसने देखा कि सब बंदर उसकी टोपियां लेकर चले गए हैं तो वह उनसे टोपियां मांगने के लिए डराने लगा। लेकिन उसे ऐसा करते देख बंदर चिढ़ गए । सभी बंदर उसकी नकल करने लगे, जैसा टोपीवाला करता बंदर भी वैसा ही करते। आखिर में टोपीवाले ने गुस्से में अपने सिर पर पहनी हुई टोपी निकालकर जमीन पर फेंक दी। यह देखकर उन बंदरों ने भी नकल करके सारे टोपियां नीचे फेंक दीं। फिर क्या था, टोपीवाले को अपनी सारी टोपियां फिर से मिल गईं और वह खुश होकर अपने रास्ते चला गया।

9. राजा के नए कपड़े

यह एक बहुत ही मजेदार बेडटाइम स्टोरी है जिसे हैंस एंडरसन ने लिखा था। एक राजा नए कपड़ों का बेहद शौकीन था, उसे उसे सिर्फ नए-नए कपड़े पहनने का शौक था और इसके लिए वह बहुत पैसे खर्च करता रहता था। इसे जान कर एक बार दो ठग उसके दरबार में आए और निवेदन किया कि हम आपके लिए एक अद्भुत पोशाक बनाना चाहते हैं। यह ऐसी पोशाक है जो मूर्ख को नहीं दिखेगी। इसे बनाने के लिए हमें सोने- चांदी के तारों और एक कमरे की जरूरत होगी जिसमें हम अपना करघा लगाएंगे। राज तो था ही शौकीन, उसने तुरंत जरूरी इंतजाम करा दिए। ठग करघा लगा कर हाथ ऐसे चलाने लगे जैसे कुछ बुन रहे हों। राजा पोशाक को बनते देखना चाहता था, पर उन्होंने बताया कि बनने के बाद ही दिखाएंगे, आप चाहें तो अपने मंत्रियों को बीच- बीच में भेजते रहिए। मंत्री बीच-बीच में देखने आने लगे। कुछ न दिखने पर भी वे वापस आ कर खूब तारीफ करते। अगर कहते कि वहाँ तो कुछ भी नहीं दिखा, तो उन्हें मूर्ख समझा जाता। इधर ठग चांदी-सोना इकट्ठा करते रहे। आखिर एक दिन बताया कि पोशाक तैयार हो गई। दरबार में जा कर दोनों ठगों ने ऐसा नाटक किया मानो राजा को पहना रहे हों। पोशाक के पीछे का हिस्सा उठाने के लिये पीछे दो सेवक भी खड़े किए। सेवकों ने भी मूर्ख समझे जाने के डर से अपने हाथ ऐसे उठा लिए जैसे सचमुच पोशाक का कोई किनारा पकड़ रखा हो। नई पोशाक पहन कर राजा का जुलूूस नगर में निकला। एक सेवक राजा के सिर के ऊपर छत्र उठाए चल रहा था। सड़क के दोनों तरफ खड़ी प्रजा की भीड़ ऐसे दिखा रही थी, जैसे पोशाक की प्रशंसा कर रही हो। तभी भीड़ में से एक बच्चा बोल पड़ा, ‘राजा ने तो कुछ पहना ही नहीं है।’ और भीड़ में कानाफूसी शुरू हो गई। शंका तो राजा के मन में भी थी, पर मूर्ख कहलाने के भय से वह यों चलता रहा, जैसे कुछ हुआ ही न हो। बच्चे की बात सुनकर, भीड़ में अन्य लोग भी कहने लगते हैं कि राजा नग्न है। बाकी लोगों के भी ऐसा कहने पर राजा बहुत शर्मिंदा हुआ। उसे पता चल गया कि उसके गर्व और मूर्खता ने उसे ऐसी स्थिति में डाल दिया था जहाँ वह उपहास का पात्र बन गया।

10. अलादीन और जादुई चिराग

यह द अरेबियन नाइट्स की एक कहानी है जिसमें जादुई चिराग की कथा है । यह एक गरीब दर्जी के बेटे अलादीन की कहानी कहता है। पति के निधन के बाद, अलादीन की माँ कपास की कताई करके घर चलाती थी । एक दिन, एक चालाक जादूगर अलादीन के पास आता है और कहता है कि वह उसे एक छोटा सा काम करने के लिए पैसे देगा। वह उसे टोकन के रूप में एक अंगूठी भी देता है। फिर वह उसे एक गहरी सुरंग में छिपी हुई गुफा के पास ले जाता है और उसे अंदर जाने और वहाँ रखा हुआ एक चिराग लाने के लिए कहता है। गुफा सोने और खजाने से भरी होती है। अलादीन चिराग को ढूँढता है और सुरंग के दरवाजे पर आता है। जादूगर अलादीन से उसे दीपक देने के लिए कहता है, लेकिन अलादीन उसे पहले सुरंग से बाहर निकलने में मदद करने के लिए कहता है। जादूगर क्रोधित हो जाता है और अपने जादू का इस्तेमाल करके अलादीन को सुरंग के अंदर बंद कर देता है। दुखी और हताश अलादीन अनजाने में अपनी अंगुली पर पहनी अंगूठी रगड़ता है, और तभी अंगूठी से एक जिन्न जादुई रूप से प्रकट होता है। जिन्न अलादीन से कहता है कि वह उसकी कोई एक इच्छा पूरी कर सकता है। अलादीन जिन्न को सुरंग से बाहर निकलने में मदद करने के लिए कहता है। बाहर आने के बाद अलादीन चिराग लेकर घर पहुँचता है और अपनी माँ को सब कुछ बताता है। अगले दिन, उसकी माँ सफाई करते समय चिराग को रगड़ देती है और चिराग से एक जिन्न बाहर आता है। जिन्न अलादीन से उसकी इच्छा पूरी करने को कहता है। अलादीन जिन्न को उसे अमीर बनाने के लिए कहता है। जिन्न उनकी सारी इच्छाओं को पूरा कर देता है। वे अब अमीर हो जाते हैं। कुछ दिनों बाद अलादीन उस राज्य की राजकुमारी से शादी करता है और दोनों जिन्न द्वारा बनाए एक शानदार महल में रहने लगते हैं। एक दिन, जादूगर एक चिराग बेचने वाले का वेश धरकर आता है और पुराने के बदले नए चिराग देने का दावा करता है। राजकुमारी जादुई चिराग जादूगर को दे देती है क्योंकि उसे कुछ मालूम नहीं होता। अब जादूगर अलादीन के धन, महल और यहाँ तक ​​कि राजकुमारी को भी ले जाने के लिए चिराग के जिन्न को हुक्म देता है। अलादीन बहुत परेशांन हो जाता है और सब कुछ वापस पाने का रास्ता खोजने की कोशिश करता है। तभी अचानक उसे जादू की अंगूठी याद आती है और अंगूठी के जिन्न की मदद से वह अपने महल, चिराग और राजकुमारी को वापस पा लेता है। इसके बाद अलादीन चिराग और अंगूठी दोनों के जिन्न को स्वतंत्र कर देता है और राजकुमारी के साथ खुशी-खुशी रहने लगता है।

11. भूखी कैटरपिलर

यह कहानी छोटे बच्चों को नंबर्स, फलों के नाम, हफ्ते के दिनों और एक तितली के जीवन चक्र के बारे में सिखाती है। कहानी में बताया गया है कि एक रविवार की सुबह, एक पेड़ की पत्ती पर एक अंडे से लाल मुँह वाली कैटरपिलर निकलती है और भोजन की तलाश शुरू होती है। वह एक पत्ती खाती है, लेकिन उसे अब भी बहुत भूख लगी है। फिर वह अगले पाँच दिनों में, रोज एक नई चीज बढ़ती मात्रा में खाती है। कैटरपिलर सोमवार को एक सेब, मंगलवार को दो नाशपाती, बुधवार को तीन प्लम, गुरुवार को चार स्ट्रॉबेरी और शुक्रवार को पाँच संतरे खाती है। फिर, शनिवार को, कैटरपिलर चॉकलेट केक, आइसक्रीम कोन, अचार, स्विस चीज़, सैलेमी, लॉलीपॉप, चेरी पाई, सॉसेज, कपकेक और तरबूज एक-एक टुकड़ा खाकर बहुत मजे करती है। इसके बाद, कैटरपिलर को बहुत ज्यादा खाना खाने से पेट में दर्द होता है। रविवार को वह वापस एक बड़ी हरी पत्ती खाती है और बेहतर महसूस करती है। इसके बाद वह अपने चारों ओर एक कोकून का आवरण बनाती है, जिसमें वह दो हफ्तों तक रहती है। दो हफ्तों के बाद, कैटरपिलर रंगीन पंखों के साथ एक सुंदर तितली के रूप में कोकून से बाहर निकलती है और उड़ने लगती है। 

12. एकता की शक्ति

यह कहानी बच्चों को एकता रखने का महत्व बताती है। एक बार एक बहेलिया जंगल में गया और पक्षियों को पकड़ने के लिए अपना जाल फैलाकर उस पर चावल के दाने बिखेर कर झाड़ियों में छुप गया। कुछ देर बाद आकाश में झुंड में उड़ते हुए कबूतरों को जंगल में चावल के दाने दिखे। उन सभी के मुँह में पानी भर आया और दाने चुगने के लिए सभी नीचे उतरे। तभी उनमें मौजूद एक बुद्धिमान कबूतर को कुछ शक हुआ की भला जंगल में चावल के दाने कहा से आ गए, हो न हो इसमें कोई धोखा हो सकता है। उसके मना करने के बावजूद सभी कबूतर दाना चुगने नीचे उतरे और शिकारी द्वारा फैलाए जाल में फंस गए। कबूतर उड़ने की कोशिश करने लगे लेकिन असफल रहे। तब बुद्धिमान कबूतर बोला, दोस्तों अगर हम सभी एक साथ पूरी शक्ति लगाकर उड़ें तो निश्चित ही हम सभी इस जाल को लेकर उड़ सकते हैं। इसके बाद उन कबूतरों ने एक साथ पूरी ताकत लगाई और जाल को लेकर उड़ने लगे, पास में छिपा बहेलिया उनके पीछे दौड़ा लेकिन कबूतरों की एकता की शक्ति के पीछे वह असफल रहा और उन्हें पकड़ नहीं पाया। कबूतर अपने दोस्त चूहे के पास पहुँचे जिसने जाल काटकर उन्हें आजाद होने में मदद की। इस प्रकार कबूतरों की एकता की ताकत ने उन्हें बहेलिये की कैद में जाने से बचा लिया।

13. सोने का अंडा

एक गाँव में एक व्यापारी और उसकी पत्नी रहते थे। वह अलग-अलग बाजारों में जाकर मुर्गियां खरीदा करता था और घर में मुर्गी पालन करता था। एक दिन की बात है वो व्यापारी बाजार से छोटी सी सुंदर मुर्गी खरीद कर लाया। कुछ महीने के बाद उस मुर्गी ने अंडा दिया तो व्यापारी और उसकी पत्नी हैरान रह गए। वो अंडा सोने का था। वह मुर्गी उसी प्रकार प्रतिदिन एक सोने का अंडा देती और वो उस अंडे को बेच कर खूब पैसे भी कमाते। पर कुछ पैसे आने के कारण उनके मन में लालच बढ़ने लगा और झट से अमीर बनने की चाहत होने लगी। व्यापारी सोचने लगा कि अगर यह मुर्गी हर दिन एक अंडा देती है तो इसके पेट में कितने सारे अंडे होंगे और अगर वो अंडे उसे मिल जाएंगे तो कितनी आसानी से वो जल्द से जल्द अमीर बन सकता है। ऐसा सोच कर उस व्यापारी ने उस मुर्गी को मार डाला और जब उसका पेट चीर के देखा तो उसमें कोई भी सोने का अंडा नहीं था। 

14. लोमड़ी और सारस

एक बार की बात है, एक जंगल में चालाक लोमड़ी थी जो हर किसी जानवर को अपनी मीठी बातों में फंसा कर कुछ न कुछ ले लेती थी या खाना खा लेती थी।उसी जंगल में एक सारस पक्षी रहता था। लोमड़ी ने अपने चालाकी से उसे दोस्त बनाया और खाने पर घर बुलाया। सारस इस बात पर खुश हुआ और लोमड़ी के घर खाने बार जाने के लिए आमंत्रण स्वीकार कर लिया। अगले दिन सारस, लोमड़ी के घर खाने पर पहुँचा। उसने देखा लोमड़ी उसके लिए और अपने लिए एक-एक प्लेट में सूप ले कर आई है। यह देख कर सारस मन ही मन बड़ा दुखी हुआ क्योंकि लंबी चोंच होने के कारण वह प्लेट में सूप नहीं पी सकता था। लोमड़ी ने चालाकी से सवाल पूछा, “मित्र सूप कैसा लग रहा है”। सारस ने उत्तर दिया, “यह बहुत अच्छा है पर मेरे पेट में दर्द है इसलिए में नहीं पी पाउँगा” और वह वहाँ से चला गया।अगले दिन लोमड़ी बिना सारस के बुलाए ही उसके घर पहुँच गई। जब सारस ने देखा तो उसने उसका अच्छे से स्वागत किया। कुछ देर बाद सारस दो लंबे मँह वाली सुराही में सूप लेकर आया। सारस की लंबी चोंच आराम से उस सुराही में चली गई और वो सूप पीने लगा पर उस लोमड़ी का मुँह उस सुराही में घुसा ही नहीं। सूप पीने के बाद सारस ने लोमड़ी से प्रश्न पुछा, “सूप कैसा लगा”। यह सुन कर लोमड़ी को अपना समय याद आया और शर्म के मारे वहाँ से चली गई।

15. एन्ड्रोक्लीज़ और शेर

पुराने समय में यूरोप में धनी लोग अपने यहाँ दास रखा करते थे। उन दासों को अपने स्वामी की हर आज्ञा का पालन करना पड़ता था। ऐसे ही एक दास का नाम एन्ड्रोक्लीज़ था। एन्ड्रोक्लीज़ का मालिक अपने दासों के साथ बहुत बुरा व्यवहार करता था। उनसे बहुत काम लिया जाता था फिर भी उन्हें भूखा रहना पड़ता था। एक दिन एन्ड्रोक्लीज़ तंग आकर चुपके से भाग गया। वह जंगल की पहाड़ियों के बीच एक गुफा में रहने लग। एक दिन वह जंगल में घूम रहा था कि उसने सामने से आते हुए एक शेर को देखा। एन्ड्रोक्लीज़ डर गया। वह शेर से दूर भागना चाहता था परंतु उसे उपयुक्त अवसर नहीं मिला। शेर धीरे-धीरे उसके पास आया और बैठ गया। वह अपना अगला पैर बार-बार उठाकर एन्ड्रोक्लीज़ को कुछ इशारा कर रहा था। एन्ड्रोक्लीज़ ने ध्यान से देखा तो पाया कि शेर के पंजे में एक बड़ा-सा काँटा गड़ा हुआ था। उसने तुरन्त काँटा खींचकर निकाल दिया और घाव पर जड़ी-बूटियों का रस डाल दिय। शेर को आराम मिला। उसने एन्ड्रोक्लीज़ को कोई हानि नहीं पहुँचाई। शेर और एन्ड्रोक्लीज़ गुफा में एक साथ रहने लगे। इधर एन्ड्रोक्लीज़ को ढूँढने के लिए उसके मालिक ने जंगल में सिपाही भेजे थे। उन्होंने एन्ड्रोक्लीज़ को ढूंढकर गिरफ्तार कर लिया और अपने मालिक के पास ले आए । मालिक ने उसे जेल में डालने तथा एक महीने बाद भूखे शेर के पिंजरे में डाल देने का हुक्म दिया। नियत दिन पर मालिक ने बहुत सारे लोगों को बुलाया। एन्ड्रोक्लीज़ को जेल से निकालकर भूखे शेर के बड़े से पिंजरे में डाल दिया गया। भूखा शेर उसकी ओर लपका परंतु एन्ड्रोक्लीज़ को देखते ही वह शांत पड़ गया और उसके पास आकर बैठ गया। सब लोग यह दृश्य देखकर चकित रह गए। दरअसल यह वही शेर था, जिसके पंजे से एन्ड्रोक्लीज़ ने काँटा निकाला था। शेर एन्ड्रोक्लीज़ को पहचान गया था। एन्ड्रोक्लीज़ ने तब मालिक को पूरी घटना बताई। लोगों ने मालिक से एन्ड्रोक्लीज़ को दासता के बंधन से मुक्त करने को कहा। मालिक ने लोगों की बात मान ली और एन्ड्रोक्लीज़ को स्वतंत्र कर दिया।

स्टोरी टाइम को रोचक बनाने के लिए टिप्स

कहानी सुनाना भी एक कला है। बच्चों को किसी कहानी में मजा भी तभी आता है जब उसे उनके अनुसार प्रस्तुत किया जाए। यहाँ बताया गया है कि आप अपने बच्चे को कहानी सुनाते समय उसे मजेदार बनाने के लिए क्या कर सकती हैं:

  1. प्रत्येक कैरेक्टर के लिए अलग-अलग आवाज निकालें और कहानी पढ़ते हुए अपना टेंपो और पिच बदलें। इससे आपके बच्चे को कहानी में दिलचस्पी आती है।
  2. जब आप पढ़ें तो अपने बच्चे को उसकी उंगली से शब्दों पर निशान बनाने के लिए कहें। यह उसे अक्षर और शब्दों की पहचान करने में मदद करता है और पढ़ने में रूचि बढ़ाता है।
  3. कहानी सुनाने के बाद उसके बारे में 5-10 मिनट बच्चे से बात करें । आप उससे पूछ सकती हैं कि उसने क्या सीखा या कहानी के किस कैरेक्टर के बारे में वह क्या सोचता है। इससे उसकी कल्पना शक्ति और तर्क शक्ति बढ़ती है।
  4. बच्चे की कल्पना शक्ति बढ़ाने का एक और तरीका यह है कि आप उसे कहानी जारी रखने के लिए कहें या उसे अपनी तरफ से उसमें कुछ जोड़ने के लिए कहें। यह बहुत मजेदार होता है और आप दोनो को इसमें मजा आएगा।
  5. किसी लंबी कहानी को कई भागों में बाँटें और रोज एक भाग पढ़ें। इससे आपके की मेमोरी और फोकस दोनों अच्छा होगा साथ ही कम समय देकर कहानी में आगे क्या होगा, इस बात का सस्पेंस भी बनेगा।

बच्चों को सोते समय कहानियां सुनाना उन्हें अच्छे मैनर्स, सही व गलत का अंतर और दूसरों के लिए सम्मान सिखाने का एक शानदार तरीका है। इससे उनमें मोरल वैल्यूज और सिविक सेंस विकसित होता है। इसके अलावा, उनके संज्ञानात्मक विकास में भी फायदा होता है। रात का यह रूटीन आपको अपने बच्चे के दृष्टिकोण और सोचने के तरीके के बारे में बहुत कुछ समझने में मदद करता है। बेडटाइम स्टोरीज सुनने से बच्चे को शब्दावली (वोकैबुलरी) बढ़ाने और भाषा में निपुणता प्राप्त करने में भी मदद मिलती है। अपने बच्चे में रचनात्मक और कल्पनात्मक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए, आप एक्टिविटी किट खरीद सकती हैं।

यह भी पढ़ें:

10 मोरल वैल्यूज जो आपको अपने बच्चों को सिखाने चाहिए
बच्चों के लिए 14 आसान व छोटी कविताएं

श्रेयसी चाफेकर

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