बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों के लिए आसानी से किए जाने वाले स्ट्रेचेस – एक्सरसाइज और एक्टिविटी

क्या आपके बच्चे टीवी के सामने अपनी पीठ झुकाकर बैठते हैं या अपने स्मार्टफोन में गेम खेलते समय अजीब पोजीशन में बैठे रहते हैं? अगर हाँ तो इसे बदलने की जरूरत है और साथ ही आपको इसके बारे में जानकारी भी होनी चाहिए कि बच्चे का एक्टिव रहना कितना जरूरी है। इसके लिए आप उसे स्ट्रेचिंग और बेसिक एक्सरसाइज करा सकती हैं।

बच्चों के लिए स्ट्रेच करने का सबसे अच्छा समय कब होता है?

स्ट्रेचिंग का सबसे ज्यादा फायदा तब होता है जब इसे किसी भी शारीरिक एक्टिविटी से पहले और बाद में किया जाता है। उदाहरण के लिए, अगर आपका बच्चा फुटबॉल खेलता है, तो यह आपको तय करना है कि वह खेल से पहले और खेल के बाद मैदान पर स्ट्रेचिंग या एक्सरसाइज करता है या नहीं। क्योंकि रेगुलर स्ट्रेचिंग करने से शरीर लचीला बनता है और चोट लगने से भी बचाव होता है।

बच्चों के लिए आसान और मजेदार स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज

नीचे बच्चों के लिए कुछ योगा स्ट्रेचिंग और कुछ जिमनास्टिक स्ट्रेचिंग बताई गई हैं जिन्हें वो आसानी से कर सकते हैं।

1. अधोमुख श्वानासन

 

  • इसे डाउनवार्ड डॉग पोज भी कहा जाता है। सबसे पहले बच्चे को सीधा खड़ा करें और उसे अपने घुटनों को सीधा रखने के लिए कहें।
  • अब उसे हाथों को ऊपर उठाने के लिए कहें और फिर उन्हें आगे बढ़ाकर जमीन छूने के लिए कहें।
  • पैरों और हाथों के बीच पर्याप्त दूरी होनी चाहिए।
  • ध्यान दें कि उसकी पीठ अच्छे से स्ट्रेच हो और उसकी नजरें नीचे पैरों की ओर होनी चाहिए।

2. भुजंगासन

  • कोबरा पोज के नाम से भी जाने जाने वाले इस आसन के लिए पहले अपने बच्चे को नीचे की ओर मुंह अधोमुख श्वानासन में आने के लिए कहें।
  • फिर उसे अपनी कोहनी मोड़कर फर्श पर नीचे जाने के लिए कहें।
  • अब उसे अपनी छाती को ऊपर उठाने के लिए कहें, फिर गर्दन को बाहर की ओर खींचकर लगभग पांच सेकंड के लिए इसी स्थिति में रहने के लिए कहें।
  • उसे लगातार दो से तीन बार यह स्टेप दोहराने के लिए कहें।

3. वीरभद्रासन-2

  • यह आसन वॉरियर-2 पोज के नाम से भी जाना जाता है। अपने बच्चे को अपने पैरों को उतना स्ट्रेच करने के लिए कहें जितने में वो सहज महसूस करे और यह खिंचाव उसे अपने कूल्हों तक महसूस हो।
  • अब उसे अपने बाएं पैर की अंगुलियों को अंदर की ओर और अपने दाएं पैर की अंगुली को बाहर की ओर इस तरह मोड़ने के लिए कहें कि दाहिना पैर उसके शरीर से नब्बे डिग्री एंगल पर हो।
  • इसके बाद, उसे अपने दोनों हाथों को तब तक ऊपर उठाना है जब तक कि वे फर्श के समानांतर न हों।
  • अब उसे अपने दाहिने घुटने को उस बिंदु पर मोड़ना है जहां से उसके पैर की अंगुलियां नजर आएं, उसे दस सेकंड के लिए इस स्थिति में रुकने को कहें।
  • यही प्रक्रिया दूसरे पैर के लिए भी अपनाएं।

4. वृक्षासन

  • ट्री पोज या यानी वृक्षासन के लिए बच्चे को अपने एक पैर को जमीन पर मजबूती से टिकाने के लिए कहें और दूसरे पैर को धीरे-धीरे कमर की ओर उठाने के लिए कहें।
  • फिर उसके दूसरे पैर के घुटने को मोड़ कर, जिस पैर पर बच्चा खड़ा होता है उस पैर की जांघ के ऊपर रखकर शरीर को संतुलित करने को कहें।
  • इसके बाद दोनों हाथों को नमस्कार की मुद्रा में लाकर कोहनियों को इस तरह ऊपर उठाने के लिए कहें कि उसके अग्रभाग जमीन के समानांतर हों।
  • उसे करीब दस सेकेंड तक इसी स्थिति में रहने दें और फिर दूसरे पैर के साथ इसी प्रक्रिया को दोहराएं।

5.  उष्ट्रासन

  • इसे कैमल पोज भी कहते हैं। इसमें बच्चे को उसके पैरों के बीच पर्याप्त जगह रखते हुए घुटने के बल बैठने के लिए कहें।
  • इसके बाद उसे अपने दोनों हाथों को उसकी पीठ के निचले हिस्से पर रखने के लिए कहें।
  • हाथों का उपयोग धीरे से पीठ को आगे की ओर धकेलने के लिए कहें और सिर को वार्म-अप के रूप में वापस लेकर आएं।
  • अब उसे धीरे से वापस जाने के लिए कहें और तब तक वह अपने हाथों से अपने टखनों को मजबूती से पकड़ न लें।

6. पश्चिमोत्तानासन

  • बच्चे को जमीन पर बिठाएं, उसके पैर बाहर की ओर स्ट्रेच होने चाहिए और पीठ जमीन पर 90 डिग्री में होनी चाहिए।
  • उसे अपने दोनों हाथों को अपने पैर की अंगुलियों की ओर स्ट्रेच करने के लिए कहें।
  • एक बार जब वह टिप पर पहुंच जाए, तो उसे कम से कम 10 सेकंड के लिए इस स्थिति में रहने के लिए कहें।
  • अब उसे धीरे-धीरे अपनी सामान्य स्थिति में आने के लिए कहें।

7. चक्रासन

  • अपने बच्चे को घुटनों के बल बैठने के लिए कहें और टखना कूल्हों से छू हो रहा हो।
  • अब उसे अपनी हथेलियों को कंधे के नीचे रखने के लिए कहें।
  • अब उसे अपनी हथेली और टखनों की मदद से जमीन से ऊपर उठने के लिए कहें।
  • यह कुछ बच्चों के लिए मुश्किल हो सकता है जिससे हो सकता है कि वे अपने सिर को भी नीचे की ओर सपोर्ट देने के लिए उपयोग करें।

8. रॉकिंग प्लैंक

  • बच्चे को सबसे पहले जमीन के समानांतर लेटने के लिए कहें, जिसमें उसका चेहरा जमीन की ओर होना चाहिए। इसमें आगे की ओर भुजाओं और पीछे की और पैर की उंगलियों का सहारा लिया जा सकता है।
  • ध्यान दें कि इस दौरान न तो उसका सिर और न ही नितंब (कूल्हे) ऊपर उठे हुए हों, और उसका पूरा शरीर एक सीधी रेखा में होना चाहिए।
  • इसके बाद उसे अपने पैर की उंगलियों की मदद से एक रॉकिंग मोशन करने के लिए कहें।
  • उसे दस सेकंड के लिए ऐसा करने दें और फिर उसे आराम करने को कहें।

बच्चों के लिए स्ट्रेचिंग गेम्स और एक्टिविटीज

बच्चों के लचीलेपन और अच्छी सेहत के लिए कुछ डायनेमिक स्ट्रेचिंग गेम्स और एक्टिविटीज: 

1. अल्फाबेट और स्ट्रेच

यह बारह या उससे अधिक बच्चों के ग्रुप में अच्छा काम करता है। बच्चों को चार-चार बच्चों के तीन ग्रुप्स में बांट लें। हर ग्रुप को एक गुप्त अल्फाबेट (अक्षर) दें जो उन्हें केवल अपने शरीर का उपयोग करके बनाना होगा। उन्हें बैठने या खड़े होने की अनुमति है क्योंकि उन्हें अल्फाबेट बनाने के लिए अपने शरीर को मिलाते रहना होगा। जो ग्रुप सबसे अच्छा अल्फाबेट बनाएगा वह और दूसरा ग्रुप जो अनुमान लगाकर सही उत्तर देगा, दोनों जीत सकते हैं!

2. लिम्बो

दो बच्चों को अपने कंधे की लंबाई पर एक पोल रखना होगा। जबकि अन्य बच्चों का उद्देश्य बिना छुए पोल के नीचे से जाना है। अगर सभी बच्चे पास हो जाते हैं, तो पोल को कम ऊंचाई पर रखा जाता है, और अन्य बच्चों को फिर से पोल के नीचे से जाने के लिए कहा जाता है। यह तब तक चलता है जब तक कि केवल एक बच्चा बिना छुए पोल को पार करने में सफल हो नहीं हो जाता है।

3. मिरर इमेज चैलेंज

इसमें दो बच्चों को आमने-सामने खड़ा किया जाता है और उन्हें एक दूसरे की नकल करनी होती है। जो ज्यादा ट्विस्ट और टर्न लाने में काबिल होता है वह जीत जाता है।

4. ह्यूमन स्प्रिंग

इस गेम में बच्चों को आमने-सामने खड़ा किया जाता है और फिर उन्हें एक-दूसरे की ओर गिरना होता है। उन्हें अपनी हथेली का उपयोग करके सहारा देते हुए दूसरे बच्चे की हथेली का उपयोग करके खुद को गिरने से बचाना है। गेम में मुश्किलें बढ़ाने के लिए बच्चों के बीच दूरियां बढ़ाई जाती हैं।

5. मार्शल आर्ट

कराटे, ताइक्वांडो और जुजित्सु जैसे विभिन्न गेम्स और स्ट्रेचेस बच्चे में लचीलापन लाने में मदद करते हैं क्योंकि इसमें बैक स्ट्रेच, हैमस्ट्रिंग स्ट्रेच आदि सब शामिल होता हैं।

उनका साथ देने को लिए आप खुद भी इसमें शामिल हो सकती हैं। याद रखें कि बड़ों की तुलना में बच्चे अधिक लचीले होते हैं इसलिए उन्हें आगे बढ़ने दें और आप सावधानी के साथ उनको कॉपी करें।

स्ट्रेचिंग करने के क्या फायदे हैं?

  • अगर आपका बच्चा एथलेटिक्स की तैयारी कर रहा है, तो जहां स्ट्रेचिंग से मांसपेशियों के लचीलेपन को बढ़ाने में मदद मिलेगी और वहीं इसकी प्रैक्टिस से मांसपेशियों में आने वाले खिंचाव से भी बचाव होगा।
  • स्टडीज से पता चला है कि योग जैसी स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज रोजाना करने से बच्चों का फोकस बढ़ता है।
  • कार्डियो और स्ट्रेचिंग को एक साथ करने पर शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।
  • स्टडी से पता चलता है कि लगातार स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करने से सेरेब्रल पाल्सी वाले बच्चों की गति में सुधार लाने में मदद मिल सकती है।
  • रोजाना सुबह स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज (उचित पोषण के साथ) करने से बच्चों को लंबा होने में मदद मिलती है।
  • रोजाना स्ट्रेचिंग से पॉश्चर में सुधार होने से बच्चा पुराने पीठ दर्द से निजात पा सकता है।
  • जैसे-जैसे आपके बच्चे का तनाव बढ़ेगा, उसकी मांसपेशियों में भी खिंचाव आने लगेगा, जिससे कंधे, गर्दन और सिर में दर्द शुरू हो सकता है। ऐसे में स्ट्रेचिंग उस तनाव को कम करने में मदद कर सकती है।

यह भी पढ़ें: 

बच्चों के लिए मार्शल आर्ट
बच्चों के लिए योग – फायदे और आसन
बच्चों के लिए सुनने की एक्टिविटी, गेम्स और एक्सरसाइज

समर नक़वी

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