बच्चों को कहानियां बहुत अच्छी लगती हैं। वास्तव में कहानियां किसी भी फन एक्टिविटीज से ज्यादा मजेदार होती हैं। यह बच्चे के कॉग्निटिव विकास में बहुत मदद करती हैं। आज भी याद हैं वो बचपन के दिन जब नानी माँ और दादी माँ हमें रात को सोते समय परियों की कहानियां, पंचतंत्र की कहानियां और बच्चों की छोटी-बड़ी, हँसाने वाली कहानियां सुनाया करती थी। इन कहानियों की कल्पनाओं में हम एक प्यारी सी नींद में सो जाया करते थे। आप भी अपने बच्चे के साथ कुछ ऐसा कर सकती हैं, आप भी उसे प्यारी-प्यारी हास्य लघु कथाएं सुना सकती हैं ताकि आपके बच्चे की मीठी यादें बनें और वह आगे चलकर इन प्यारी सी यादों को याद करके खुश हो सके।
यदि आप भी अपने बच्चे को लघु कथाएं सुना कर उसका मनोरंजन करना चाहती हैं तो आप बिलकुल सही जगह पर हैं। इस लेख में बच्चों के लिए प्रसिद्ध लघु कथाएं दी हुई हैं जो हो सकता है आपने भी अपने बचपन में सुनी होंगी। फिर क्या, इन कहानियों की लिस्ट में से कोई एक कहानी चुनकर अपने बच्चे को सुनाएं और अपने बचपन को याद करें व बच्चे का मनोरंजन करें। वे बेहतरीन कहानियां कौन सी हैं आइए जानते हैं;
एक बार एक खरगोश और एक कछुआ था। वो दोनों एक बहुत बड़े जंगल में बहुत सारे जानवरों जैसे शेर, हाथी, हिरण और मगरमच्छ के साथ रहते थे। खरगोश में यह खास बात थी कि वह बहुत तेज दौड़ता था इसलिए वो जब भी किसी के साथ रेस में भाग लेता था और तेज दौड़ने की वजह से जीत जाता था। समय के चलते लगातार जीतने की वजह से उस खरगोश को अहंकार यानी घमंड हो गया था। घमंडी खरगोश लगातार रेस में भाग लेता था और थोड़ी सी मेहनत करके ही जीत जाता था। उसी जंगल में एक समझदार कछुआ भी रहता था। खरगोश के विपरीत ही वह कछुआ बहुत धीरे चलता था। वास्तव में वह कछुआ पूरे जंगल में सबसे ज्यादा धीरे चलने वाला जानवर था। कछुआ अक्सर उस घमंडी खरगोश को देखता था और उसको यह समझ में आने लगा था कि सफलता उस खरगोश के सिर चढ़ती जा रही है। इसलिए कछुए ने सोचा कि वह खरगोश को सबक सिखाएगा। उसने खरगोश के साथ जंगल के सभी जानवरों को बुलाया और खरगोश को रेस करने के लिए चैलेंज दिया। अब क्या, यह सुनते ही सभी जानवर ठहाके मारकर जोर-जोर से हँसने लगे। सबने सोचा कि कछुए से तेज दौड़नेवाले जानवर भी उस खरगोश से हार चुके थे तो जंगल में सबसे धीरे चलनेवाला कछुआ खरगोश को कैसे हरा पाएगा? सब बहुत अचंभित थे और खरगोश को तो यह चैलेंज पसंद आना ही था इसलिए उसने इस चैलेंज को स्वीकार कर लिया।
अब अगले दिन खरगोश और कछुआ रेस करने के लिए पूरी तरह से तैयार थे। जंगल के बंदर ने हरी झंडी दिखाते हुए कहा, ‘ऑन योर मार्क, गेट सेट एंड गो।
खुद को चालाक समझने वाला खरगोश तेजी से दौड़ पड़ा और दौड़ते-दौड़ते वह तुरंत आधे रास्ते में पहुँच गया पर कछुआ बेचारा अभी अपनी धीमी चाल के साथ रेस की शुरुआत में था। कुछ समय के बाद खरगोश रुका और सोचने लगा कि कछुआ अंतिम लाइन तक पहुँचने में बहुत समय लगाएगा इसलिए जाहिर सी बात है उसे तो हारना ही है। इसलिए खरगोश सोचा कि वह थोड़ा सा सो लेता है।
खरगोश एक पेड़ की ठंडी छांव के नीचे लेटा और सो गया। इसी के साथ कछुए ने हार नहीं मानी और वह लगातार भागता रहा। अंत में सभी आश्चर्य चकित हो गए क्योंकि कछुआ रेस जीत चुका था।
अपने घमंड के कारण खरगोश रेस हार गया था। इस कहानी से हमें दो सीख मिलती है; पहली कि कभी भी किसी व्यक्ति को अपनी जीत पर घमंड नहीं करना चाहिए और दूसरी धीरे व संयम से कार्य करनेवाले ही जीत हासिल करते हैं।
एक जंगल में एक घमंडी व शैतान शेर रहता था और वह खुद को जंगल का राजा कहता था। वह शैतान शेर रोजाना जंगल के जानवरों को मारता था ताकि वह उन्हें खा सके। यह देखकर जंगल के सभी जानवर डरे हुए और चिंतित थे। जंगल के सभी जानवर सोचने लगे कि यदि वह घमंडी शेर लगातार ऐसा करता रहेगा तो जंगल में एक भी जानवर नहीं बचेगा। इसलिए सभी जानवरों ने शेर से कहा कि वह जंगल के सभी जानवरों को ऐसे न मारे। उन्होंने कहा कि हर दिन वे एक जानवर उसकी गुफा में भेज देंगे ताकि सभी जानवर निश्चिंत होकर रह सकें और ऐसे में शेर को शिकार भी नहीं करना पड़ेगा। शेर को यह योजना बहुत अच्छी लगी। इस तरह से उस दिन के लिए बाकी के जानवर शांति से रहने लगे और एक-एक करके बाकी के जानवर उस शैतान शेर का भोजन बनने लगे। बेचारे जानवर करते भी क्या? ऐसा कई दिनों तक चलता रहा। एक दिन एक चालाक खरगोश की बारी आई और उसे भी जबरदस्ती शेर के पास जाना पड़ा। खरगोश ने सोच लिया था कि वह उस शेर का अंत कर देगा। इसलिए उस खरगोश ने जंगल का लंबा रास्ता अपनाया और शेर तक बहुत देरी से पहुँचा।
भूखा शेर गुस्से में लाल था और उसने दहाड़ते हुए खरगोश से पूछा कि वह देर से क्यों आया है। खरगोश ने कहा कि उसे देर इसलिए हो गई क्योंकि रास्ते में उसके पीछे एक खूंखार सा शेर पीछे पड़ गया था और उसे खा जाना चाहता था। खरगोश ने यह भी कहा कि वह शेर खुद को जंगल का राजा कहता है। जब भूखे शेर ने यह बात सुनी तो उसे बहुत गुस्सा आया। भूखे शेर ने खरगोश से पूछा कि वह दूसरा शेर कहाँ था। तब खरगोश भूखे शेर को एक कुएं के पास लाया और कुएं की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वह दूसरा शेर इसके अंदर है।
जब भूखे शेर ने कुएं में देखा तो उसे पानी में अपनी ही छवि दिखाई दी पर भूखे शेर ने सोचा कि यही वह शेर है जो खुद को जंगल का राजा कहता है। शेर ने गुस्से में दहाड़ा तो उसकी छवि भी उसके जैसा कर रही थी। यह देखकर भूखे शेर को और ज्यादा गुस्सा आ गया और वह बिना कुछ सोचे समझे दूसरे शेर को मारने के लिए कुएं में कूद गया। उसे लगा कि वह उस शेर को मार देगा पर कुएं में तो सिर्फ उसकी छवि ही थी और इस प्रकार से अपनी ही बेवकूफी के कारण शेर मर गया। इस कहानी से यह सीख मिलती है कि शारीरिक बल से ज्यादा बुद्धि होना जरूरी है।
गर्मियों के दिन थे और एक बार एक प्यासा कौवा उड़ता हुआ पानी खोज रहा था। उसने काफी समय तक पानी खोजा पर उसे पानी न मिला। कौवे को बहुत जोर से प्यास लगी थी और इसी कारण से वह निराश भी था। काफी समय के बाद कौवे को एक घड़े में थोड़ा सा पानी दिखाई दिया और वह पानी पीने के लिए खुशी-खुशी उस घड़े के पास पहुँचा। कौवे ने घड़े से पानी पीने का प्रयास किया पर पानी बहुत कम होने के कारण वह उसे न पी सका। कौवे ने कई बार प्रयास किया पर वह सफल न हो पाया और वह दुखी होकर सोचने लगा कि अब क्या किया जाए।
अचानक से कौवे को जमीन पर कुछ कंकड़-पत्थर दिखाई दिए और उसने अपनी चोंच से उन पत्थरों को उठाया। एक-एक करके उसने सभी पत्थर उस घड़े में डाल दिए और पत्थरों की वजह से ही थोड़ी देर बाद घड़े का पानी ऊपर आ गया। अंत में कौवे ने उस पानी से अपनी प्यास बुझाई और उड़ गया।
एक बार एक शैतान गरड़िया (शेफर्ड) था। उसने अपनी भेड़ों को घास चरने के लिए छोड़ दिया। अब इतने समय तक खाली बैठा वह लड़का बोर होने लगा इसलिए वह पेड़ पर चढ़ा और जोर-जोर से चिल्लाने लगा, ‘बचाओ-बचाओ शेर आया और वह मेरी भेड़ों को खा जाएगा’। वहाँ के सभी लोग उस लड़के की मदद के लिए दौड़ते हुए आ गए पर वहाँ पर कोई शेर न देखकर बहुत नाराज हुए। अब क्या था उस लड़के को में बड़ा मजा आया।
अगले दिन फिर वह चिल्लाया ‘बचाओ-बचाओ शेर आया और वह मेरी भेड़ों को खा जाएगा’ और गाँव के भोले लोग फिर उसे बचाने चले आए। जब लोगों ने देखा कि वह झूठ बोल रहा है तो फिर से वे सब गुस्से में अपने-अपने घर चले गए। लड़का जोर-जोर से हँसने लगा और कुछ दिनों तक उसने ऐसा ही किया। एक दिन वहाँ पर सच में भेड़िया आया और वह उस लड़के की भेड़ों को खाने के लिए दौड़ा। वह लड़का चिल्लाया ‘बचाओ-बचाओ शेर आया और वह मेरी भेड़ों को खा जाएगा’ पर इस बार उसकी मदद के लिए कोई न आया। इस बार किसी ने भी उस लड़के पर विश्वास नहीं किया।
एक बार एक बंदर था और वह नदी के किनारे लगे बेर के एक पेड़ पर रहता था। उस नदी में एक मगरमच्छ भी रहता था और जब उसे भूख लगती तो बंदर कुछ बेर तोड़कर उस मगरमच्छ को दे दिया करता था। बहुत जल्द उस बंदर और मगरमच्छ में दोस्ती हो गई। रोजाना वह मगरमच्छ उस पेड़ के नीचे आता और बंदर उसे खूब सारे बेर खिलाता था। एक दिन उस बंदर ने मगरमच्छ को कुछ ज्यादा बेर दी और वह उसे घर ले जाए। मगरमच्छ ने जब बेर अपनी बीवी को दिए तो वह भी बेर खाकर बहुत खुश हुई। पर वह लालची थी और उसने अपने पति से कहा कि वह उस बंदर का दिल खाना चाहती है जो उन बेरों से ज्यादा मीठा होगा। इसलिए अगले ही दिन मगरमच्छ उस पेड़ के नीचे गया और बंदर को अपने घर पर खाने के लिए बुलाया। वह बंदर भी बहुत खुश हुआ और मान गया।
बंदर खुशी से मगरमच्छ की पीठ पर बैठा और उसके घर चल पड़ा। जब वे दोनों नदी के बीचों बीच पहुँच गए तो मगरमच्छ ने उत्साहित होकर उस बंदर को सारी बात बता दी और कहा कि मेरी बीवी तुम्हारा दिल खाना चाहती है। वह बंदर चालाक था इसलिए उसने तुरंत कहा कि वह तो अपना दिल बेर के पेड़ पर ही छोड़ आया है और उसे पहले अपना दिल लेना पड़ेगा। बंदर ने मगरमच्छ से कहा कि वापस चलो पहले मैं अपना दिल ले लेता हूँ तब हम दोनों तुम्हारे घर चलते हैं। यह बात सुनकर बेवकूफ मगमच्छ मान गया और वे दोनों वापस नदी के किनारे की ओर लौट गए। जैसे मगरमच्छ नदी के तट पर पहुँचा बंदर छलांग लगाकर पेड़ की सबसे ऊँची शाखा पर बैठ गया और खुद की जान बचा ली। तब बंदर ने मगरमच्छ से कहा कि वह उस पर कभी भी भरोसा नहीं करेगा। मगरमच्छ दुखी हो गया और वह अपने घर की ओर चला गया।
एक बार एक भाई-बहन होते हैं, लड़के का नाम होता है हंसेल और लड़की का नाम होता है ग्रेटेल। एक दिन उनकी माँ का देहांत हो जाता है और दोनों अपने पिता के साथ रहते थे। यद्यपि वे बहुत गरीब थे पर खुशी से एक साथ रहते थे। पर एक दिन उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली और उनकी नई बीवी बहुत ज्यादा बुरी व बेदिल थी। एक बार उसने अपने पति से कहा कि उसे अपने दोनों बच्चों को जंगल में छोड़ देना चाहिए क्योंकि हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं कि हम उन्हें खाना भी खिला सकें। पहले तो उसके पति ने मना किया पर फिर अंत में मान गया। अगली रात को पिता हंसेल और ग्रेटेल को जंगल में ले गया। हालांकि हंसेल ने उनकी योजना सुन ली थी और वह जानता था कि उसके पिता दोनों को जंगल में छोड़ने आए हैं। इसलिए उसने चलते-चलते जंगल के रास्ते में कुछ सफेद रंग के पत्थर फेंक दिए। दोनों बच्चों के पिता उन्हें जंगल में छोड़कर घर वापस आ गए। अब क्या था हंसेल और ग्रेटेल ने रास्ते पर पड़े सफेद पत्थरों की मदद से अपने घर को खोज लिया था। अगले दिन उनकी बुरी माँ ने उन बच्चों के साथ फिर से वही किया पर इस बार हंसेल ने कोई भी पत्थर नहीं लिए थे। चूंकि इस बार रास्ते में कोई सफेद पत्थर नहीं फेंके थे इसलिए उन्हें वापस घर जाने का रास्ता नहीं मिला और हंसेल व ग्रेटेल सच में जंगल में खो गए थे। दोनों भाई-बहन अकेले चलते-चलते थक चुके थे और उन्हें भूख भी लगी थी। कुछ देर बाद अचानक से उन दोनों को जंगल में एक सुंदर सा जिंजरब्रेड का घर दिखाई दिया।
भाई-बहन दोनों बहुत भूखे थे और ब्रेड देख कर वे खुशी से उसे खाने लगे। इतने में एक बूढ़ी औरत आई और उसने कहा कि वह उन दोनों बच्चों का खयाल रखेगी। अब हंसेल और ग्रेटेल खुशी-खुशी उस औरत के पास रहने लगे पर वे नहीं जानते थे कि वह बूढ़ी औरत चुड़ैल थी। उसने हंसेल को कैद कर लिया और उसे मोटा बना दिया ताकि वह उस बच्चे को खा सके। उस शैतानी चुड़ैल ने ग्रेटेल से घर के सभी काम करने को कहा। एक दिन उस चुड़ैल ने सोचा कि वह आज हंसेल को खा जाएगी और उसने ग्रेटेल को आग जलाने के लिए कहा। अब समय नहीं था, ग्रेटेल को अपने भाई की जान बचाने के लिए जल्द ही कुछ सोचना था और अचानक उसके दिमाग में एक आइडिया आया। ग्रेटेल ने आग जलाई और उसने चुड़ैल से आग की लौ चेक करने के लिए कहा। जब वह शैतानी चुड़ैल आग की लौ चेक कर रही थी तो ग्रेटेल ने उसे आग में ही धक्का दे दिया और अपने हंसेल को बचा लिया। इस तरह से ग्रेटेल ने अपने भाई की जान बचाई और दोनों भाई बहन वहाँ से चले गए।
एक बार दो बिल्लियों को एक रोटी मिली और वो दोनों बिल्लियां उस रोटी के लिए निरंतर लड़ रही थी। पहली बिल्ली ने कहा वह रोटी उसकी है तो छोटी बिल्ली भी कैसे पीछे हटती उसने भी कहा कि वह रोटी उसकी है। वहाँ पास में एक पेड़ पर काफी देर से बैठा बंदर सब कुछ देख रहा था और इसलिए उसने सोचा कि क्यों न वह इन दोनों बिल्लियों की मदद करे? वह बिल्लियों के पास गया और बोला कि वह रोटी को बराबर दो हिस्सों में करता है ताकि तुम दोनों को बराबर रोटी मिले। दोनों बिल्लियां इस बात पर राजी हो गईं पर जब बंदर ने रोटी के दो हिस्से किए तो एक टुकड़ा बड़ा और एक टुकड़ा छोटा हो गया। इसलिए उसने बड़ेवाले टुकड़े से थोड़ी सी रोटी तोड़ कर खा ली और इस बार रोटी का दूसरा हिस्सा बड़ा हो गया। यह कुछ देर तक चलता रहा और बंदर रोटी के दोनों टुकड़ों को बराबर करने के लिए लगातार उससे एक-एक बाईट खाता रहा। अंत में उसने पूरी रोटी खा ली। अब क्या था दोनों बिल्लियों को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने बंदर से पूछा कि उसने ऐसा क्यों किया तो चालाक बंदर ने कहा कि यदि तुम दोनों खुद ही इस समस्या को सुलझाती तो ऐसा नहीं होता। पर तुम ऐसा नहीं कर सकी और तुम्हारे पास जो भी था वह भी तुमने खो दिया। बंदर खुशी-खुशी अपने घर चला गया और दोनों बिल्लियां भूखी रह गईं।
कहानियां अक्सर हमें हमारे बचपन में ले जाती हैं। किसी के लिए स्टोरीटेलिंग एक कला है तो किसी के लिए यह एक परंपरा है। बहुत पहले से लोग अपने बच्चों को कहानियां सुनाते रहे हैं और बच्चे उतने ही इंट्रेस्ट से कहानियों को सुनते भी आए हैं। ऊपर दी हुई कहानियां काफी लोकप्रिय हैं और आपका बच्चा भी इन कहानियों को बहुत पसंद करेगा इसलिए आप उसे यह कहानियां जरूर सुनाएं। कहानियों से बच्चों की कल्पनाएं व क्रिएटिविटी बढ़ती है और साथ ही बच्चे की वोकैब्युलरी में भी सुधार आता है। बच्चों के लिए ज्यादातर कहानियों में मॉरल भी होता है। इससे आपके बच्चे को वैल्यूज सीखने को मिलती हैं और उसमें सही-गलत पहचानने की समझ आती है। कहानियों में ढेर सारा मनोरंजन भी होता है।
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