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जब से कोविड-19 महामारी शुरू हुई है, तब से ही लगभग हर माता-पिता इस बात को लेकर राहत महसूस करते रहे हैं कि कोरोना वायरस की इस बीमारी में वयस्कों के मुकाबले बच्चों को गंभीरता से प्रभावित करने की संभावना बहुत कम है। लेकिन यह भी देखा गया है कि कुछ बच्चे कोरोना वायरस से पीड़ित होने के बाद बहुत ज्यादा बीमार हो जाते हैं, और हल्का कोविड-19 होने के बावजूद कई बार इसके लक्षण महीनों तक जारी रहते हैं। ऐसे मामलों के कारण, बेहतर है कि बच्चों को कोरोना वायरस की वैक्सीन दी जाए और इसीलिए अगर पीडियाट्रिशन पेरेंट्स से अपने बच्चों को जल्द से जल्द टीका लगाने का आग्रह करते दिखाई दें तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।
यूएसए जैसे देश 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीनेशन की शुरुआत कर चुके हैं, और अन्य देश इस उम्मीद पर हैं कि क्लीनिकल ट्रायल्स समाप्त होने के बाद और जब टीके शुरू हो जाएंगे तो वे भी इसका पालन करेंगे।
आइए, अब जानते हैं कि भारत में बच्चों के लिए कोविड वैक्सीन पर क्या स्थिति है।
भारत में अभी बच्चों के लिए कोरोना वायरस का टीकाकरण शुरू नहीं हुआ है, क्योंकि अभी वैक्सीन का परीक्षण चल रहा है। उम्मीद है कि बच्चों के लिए कोविड के टीके 2022 की पहली तिमाही से उपलब्ध होंगे।
यूं तो बच्चों में कोविड-19 इंफेक्शन गंभीर रूप से विकसित होने के मामले बेहद कम हैं, और बीमारी से होने वाली मौतें भगवान की कृपा से और भी दुर्लभ हैं। लेकिन कभी-कभी हल्के लक्षणों वाले कोविड-19 से पीड़ित हुए बच्चों में भी मल्टी-सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएस-सी) नामक एक घातक स्थिति विकसित होने की संभावना होती है।
बच्चे, विशेष रूप से छोटे बच्चे, संभवतः कोविड-19 को फैलाने वाले एजेंट नहीं होते हैं। लेकिन घातक और तेजी से फैलने वाले वेरिएंट के उभरने का मतलब है कि बच्चे और किशोर यानी टीनएजर्स जल्द ही कोरोना वायरस के प्रसार में अधिक योगदान दे सकते हैं। इसलिए, जैसे ही उनके लिए वैक्सीन उपलब्ध हों, बच्चों का भी टीकाकरण करवाना आवश्यक और महत्वपूर्ण है।
अमेरिका ने इस साल मई के महीने में यंग टीनएजर्स का (12-15 वर्ष) का टीकाकरण शुरू कर दिया है।
यूरोपीय देशों में से इटली ने 31 मई 2021 को 12-15 साल के बच्चों के लिए फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer-BioNTech) वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी दी।
वहीं जर्मनी जल्द ही 12 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी बच्चों और किशोरों को कोविड-19 वैक्सीन देने की शुरुआत करेगा।
फ्रांस में भी 15 जून से 12 वर्ष से अधिक आयु के सभी बच्चों को कोविड-19 टीका लगाने की शुरुआत की गई और अब तक 20 लाख से ज्यादा बच्चों को इसका पहला शॉट मिल चुका है।
स्विट्जरलैंड में, फिलहाल 12 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी बच्चों के लिए टीके की सिफारिश की जा रही है।
वहीं एशियाई देशों में इजराइल ने 5-11 वर्ष की आयु के उन बच्चों के लिए कोविड-19 वैक्सीन को मंजूरी दे दी है जिन्हें जोखिम ज्यादा है।
इसके अलावा जापान ने भी इस साल 28 मई को 12 साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए फाइजर वैक्सीन लगाने को मंजूरी प्रदान कर दी है।
हाँ, बच्चों के लिए उपलब्ध COVID-19 टीके सुरक्षित हैं। क्लीनिकल ट्रायल्स में सुरक्षा हमेशा मुख्य चिंता का विषय होती है और इसका पूरा ध्यान रखा जाता है। सफल परीक्षण और टेस्टिंग के बाद ही हर तरह की वैक्सीन को मंजूरी दी जाती है।
भारत सरकार के कोविड वैक्सीन एडवाइजरी पैनल के प्रमुख डॉ एन. के. अरोड़ा के अनुसार, स्वस्थ बच्चों के लिए वर्ष 2022 की पहली तिमाही तक कोरोना वायरस के टीके उपलब्ध होंगे।
तब तक, भारत के सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने आपातकालीन उपयोग के लिए जायडस कैडिला द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित नीडल-फ्री कोविड-19 वैक्सीन जायकोवी-डी को अधिकृत किया है। यह देश में 12-18 वर्ष की आयु वर्ग के टीनएजर्स को लगाई जाने वाली पहली वैक्सीन है।
छोटे बच्चों के लिए कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध कराए जाने से पहले, हर एक एज ग्रुप के लिए क्लीनिकल ट्रायल और टेस्ट पूरा करने की जरूरत है। यह ये सुनिश्चित करने के लिए है कि वे इन एज ग्रुप्स के लिए पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी हैं। यह धारणा नहीं बनाई जा सकती कि एक वैक्सीन का किसी बच्चे पर वैसा ही प्रभाव पड़ेगा जैसा कि एक वयस्क पर होता है। एक बार टेस्ट पूरा होने के बाद, निष्कर्षों की समीक्षा की जाएगी, और उसके अनुसार बच्चों और किशोरों के लिए वैक्सीनेशन रेकमेंड किया जाएगा।
भारत में, हमदर्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस एंड रिसर्च में 26 अगस्त 2021 को 2 से 17 वर्ष की उम्र के बच्चों के बीच कोविड-19 वैक्सीन कोवोवैक्स (Covovax) के दूसरे/तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल्स के लिए वॉलंटियर्स की भर्ती शुरू हुई है। ये ट्रायल्स दस जगहों पर आयोजित किए जाएंगे और इनमें कुल 920 बच्चे, जिसमें 2 से 11 वर्ष के एज ग्रुप और 12 से 17 वर्ष के एज ग्रुप से प्रत्येक में 460 बच्चे शामिल होंगे।
भारत के ड्रग रेगुलेटर ने इस साल जुलाई के महीने में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) की सिफारिशों के आधार पर विशिष्ट शर्तों के साथ 2 से 17 वर्ष की आयु के बच्चों पर कोवोवैक्स वैक्सीन के दूसरे/तीसरे चरण के परीक्षण करने की अनुमति दी है।
कोवैक्सीन के ट्रायल में, 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों और 6 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों को दोनों टीके मिले हैं। 2 से 6 साल के बीच के बच्चों को अभी भी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में दूसरा शॉट मिलना बाकी है।
हाँ। कोविड-19 वैक्सीन, शारीरिक दूरी बनाए रखने, मास्क पहनने और अन्य सावधानियों के पालन के साथ, आपके बच्चे की स्कूल में सुरक्षित वापसी और खेल और अन्य ग्रुप एक्टिविटीज में भागीदारी सुनिश्चित करने में मदद करेगी।
19 जुलाई 2021 को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक ने स्कूलों को फिर से खोलने के संबंध में कहा कि भारत को धीरे-धीरे स्कूलों को फिर से खोलने पर विचार करना चाहिए।
आमतौर पर कहे तो, हाँ। आपके बच्चे को इंजेक्शन वाली जगह, यानी बांह के ऊपरी हिस्से में दर्द का अनुभव हो सकता है और वह सामान्य से अधिक थकान महसूस कर सकता है। उसे जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और यहां तक कि बुखार और ठंड लगना भी संभव है। ये साइड इफेक्ट्स आमतौर पर कुछ समय के लिए ही होते हैं और ज्यादातर 48 घंटों के भीतर चले जाते हैं।
यह सलाह दी जाती हैं कि बच्चों के रूटीन वैक्सीनेशन को दिलवाने में देरी न करें। यह महत्वपूर्ण है कि शिशुओं और बच्चों का टीकाकरण समय पर होता रहे क्योंकि ये टीके उन्हें गंभीर बीमारियों से बचाते हैं। इसका मतलब यह भी है कि जब आपका छोटा बच्चा दूसरे बच्चों के साथ खेलने के लिए वापस आए, तो वह कुछ अन्य बीमारियों से भी सुरक्षित रहेगा।
हां, बच्चे और वयस्क वैक्सीन के प्रति अलग-अलग रिएक्शन देते हैं, और कोविड-19 वैक्सीन भी इसमें शामिल है। शुरुआती परीक्षणों के रिजल्ट्स से पता चला है कि 12 से 15 साल के बच्चों, जिन्हें फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन की दो स्टैंडर्ड डोज दी गई थीं, उनके शरीर में 16 से 25 साल के युवाओं की तुलना में काफी अधिक मात्रा में वायरस-ब्लॉकिंग एंटीबॉडी विकसित हुई हैं।
न्यूयॉर्क में कोलंबिया विश्वविद्यालय की एक इम्यूनोलॉजिस्ट डॉना फार्बर के अनुसार, ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चों का इम्युनिटी सिस्टम उन सेल्स से भरा होता है जो कभी पैथोजन्स के संपर्क में नहीं आए होते हैं, और इसलिए वे वैक्सीन के प्रति ज्यादा मजबूत रिस्पॉन्स देते हैं।
जबकि अधिकांश बच्चे और किशोर कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार नहीं होते हैं, और बहुत कम संख्या में ऐसे बच्चे होते हैं जो बेहद बीमार हो जाते हैं और उन्हें अस्पताल में एडमिट होने की जरूरत पड़ सकती है। यहां तक कि जो बच्चे पूरी तरह से ठीक महसूस करते हैं वे अभी भी स्कूल और अन्य महत्वपूर्ण सोशल इंटरेक्शन से चूक जाते हैं और सिरदर्द, मतली, या स्वाद और गंध महसूस न होने जैसे साइड इफेक्ट्स का अनुभव कर सकते हैं। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि जैसे ही भारत में कोविड-19 वैक्सीन को मंजूरी मिलती है और यह उपलब्ध होता है, आप अपने बच्चे को तुरंत कोरोना वायरस का टीका लगवाएं। वैक्सीन आपके बच्चे और परिवार को इन सभी जोखिमों से सुरक्षित रखने और बाहरी दुनिया में भरपूर इम्युनिटी प्राप्त करने में मदद करने का सबसे अच्छा तरीका है।
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