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नमक और चीनी का उपयोग हमारे भोजन में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। नमक और चीनी दोनों के अत्यधिक सेवन से वयस्कों और बच्चों दोनों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। दुनिया भर के अधिकांश स्वास्थ्य संगठनों के अनुसार, वयस्कों को प्रति दिन 3/4 से 1 चम्मच के बीच नमक का सेवन सीमित करना चाहिए। वहीं चीनी के मामले में महिलाओं को एक दिन में अधिक से अधिक 6 चम्मच और पुरुषों को 9 चम्मच तक सेवन करना चाहिए। नमक और चीनी का सेवन शिशुओं के लिए वर्जित होना चाहिए क्योंकि इसका अधिक सेवन उनके लिए हानिकारक होता है और इससे उनकी गुर्दे की कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है, उनके दाँतों में सड़न पैदा हो सकती है और इसके साथ प्रतिरोधक क्षमता में कमी होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों के अनुसार, 6 महीने की उम्र तक शिशुओं को नमक नहीं दिया जाना चाहिए। क्योंकि बच्चे में सोडियम की आवश्यकता, उसे उसकी माँ के दूध में मौजूद नमक से पूरी हो जाती है। 6 महीने से 1 वर्ष की आयु के शिशुओं को प्रति दिन 1 ग्राम से अधिक नमक नहीं दिया जाना चाहिए, जिसमें 0.4 ग्राम सोडियम होता है। 1 से 3 वर्ष की आयु के बच्चों के नमक का सेवन प्रति दिन 2 ग्राम तक सीमित रहना चाहिए और 4 से 6 वर्ष के बच्चों को प्रति दिन 3 ग्राम से अधिक नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
शिशुओं को अपने आहार में शक्कर या परिष्कृत (रिफाइंड) शक्कर की आवश्यकता नहीं होती है। कार्बोहाइड्रेट से भरपूर और अन्य प्राकृतिक मीठे खाद्य पदार्थों, जैसे फलों के सेवन से बच्चे में चीनी की आवश्यकता पूरी की जा सकती है।
आपको अपने बच्चे के आहार में नमक और अतिरिक्त चीनी शामिल करने से क्यों बचना चाहिए, इसके विभिन्न कारण यहाँ दिए गए हैं:
१. गुर्दे के कार्यों को प्रभावित करता है: अत्यधिक नमक के सेवन से यह गुर्दे के कार्य पर बुरा असर डाल सकता है, क्योंकि शिशु के गुर्दे रक्त से स्रावित नमक के उच्च स्तर को संसाधित और समाप्त नहीं कर पाते हैं।जिससे किडनी पर तनाव पड़ता है और बाद में यह किडनी की बीमारी का कारण बन सकता है।
२. गुर्दे में पथरी का कारण बनता है: नमक में उपस्थित सोडियम की अधिक मात्रा के कारण शरीर मूत्र के जरिए अधिक कैल्शियम बाहर निकाल देता है। यह कैल्शियम गुर्दे में पथरी का निर्माण कर सकता है। गुर्दे में पथरी के कारण शरीर में तेज दर्द, बुखार और ठंड लगना, मतली और उल्टी, पेशाब करते समय जलन और पेशाब में खून आना जैसी परेशानी होने लगेगी।
३. उच्च रक्त चाप: अधिक नमक का सेवन उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन का कारण बन सकता है। जो बच्चे बहुत अधिक नमक का सेवन करते हैं, उन्हें बड़े होने पर उच्च रक्तचाप जैसी बीमारी होने का खतरा रहता है ।
४. पानी की कमी होने का खतरा: जिन शिशुओं के शरीर में अतिरिक्त नमक होता है, उनके शरीर में पानी की कमी होने का खतरा होता है, क्योंकि नमक मूत्र और पसीने के रूप में शरीर से पानी को कम करता है। शिशु यह बताने में असमर्थ होते हैं कि वह प्यासे हैं और आपको भी जब तक बच्चे में इसके गंभीर लक्षण दिखाई न दें तब तक शायद इस बात का एहसास न हो। बच्चे को बहुत अधिक नमक देने से होने वाली पानी की कमी के लक्षणों में गुर्दे में पथरी, जोड़ों और मांसपेशियों की क्षति, कब्ज और यकृत (लिवर) की क्षति शामिल है।
५. कमजोर हड्डियां: बहुत ज्यादा नमक के सेवन से शरीर में सोडियम का स्तर बढ़ जाता है। यह बदले में बहुत अधिक कैल्शियम के उत्सर्जन का कारण बनता है। इस प्रकार शरीर कैल्शियम खो देता है, जो मजबूत हड्डियों के विकास के लिए आवश्यक है। कैल्शियम की कमी के कारण बच्चों में ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी उभर सकती है जो हड्डियों को पतला और नाजुक बना देती है।
६. दाँतों की सड़न: अतिरिक्त शर्करा का अधिक मात्रा में सेवन कैविटी और दाँतों के क्षय का कारण बन सकता है। मुँह में मौजूद बैक्टीरिया, खाद्य पदार्थों से चीनी का उपयोग कर एसिड का उत्पादन करते हैं, जो दाँतों को नुकसान पहुँचाता है।
७. मोटापा: आहार में बहुत अधिक चीनी का मतलब है, अधिक कैलोरी। इसे परिणामस्वरूप एक सक्रिय बच्चे के शरीर में भी, बहुत सारी अप्रयुक्त कैलोरी पहुँचती है, जो वसा में परिवर्तित हो कर शरीर में इकट्ठा हो जाती है। मोटापा या शरीर में अतिरिक्त चर्बी होना एक बच्चे के लिए बहुत अस्वास्थ्यकर है।
८. मधुमेह: बहुत अधिक चीनी खाने से बच्चे को आगे चलकर टाइप 2 मधुमेह हो सकता है। मधुमेह एक बीमारी है, जो शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने की क्षमता को प्रभावित करती है।
९. सुस्ती: रक्त में शर्करा के उच्च स्तर के परिणामस्वरूप हार्मोन इंसुलिन का अति-उत्पादन हो सकता है जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। बहुत अधिक इंसुलिन रक्त शर्करा के स्तर में अचानक गिरावट का कारण बन सकता है, जिससे बच्चे को सुस्ती, निष्क्रियता और थकान का अनुभव हो सकता है।
१०. अतिसक्रियता: चूंकि चीनी बहुत जल्दी रक्त में अवशोषित हो जाती है, इसलिए चीनी के अधिक सेवन से रक्त में शर्करा के स्तर में वृद्धि हो जाती है। इससे एड्रेनालाईन उच्च स्तर पर चला जाता है और बच्चों में अतिसक्रियता का कारण बनता है।
११. आहार की खराब आदतें: बचपन में अधिक नमक और चीनी के सेवन से बड़े होने पर खाने की गलत आदतें लग जाती हैं। यह खराब जीवन शैली से संबंधी बीमारियों जैसे मोटापे, मधुमेह और उच्च रक्तचाप आदि का कारण बनता है।
१२. माँ का दूध पीने से इनकार करना: यदि बच्चे नमक और चीनी का स्वाद पसंद करना शुरू कर देते हैं, तो वे स्तनपान करने से इनकार कर सकते हैं। यह बढ़ते बच्चे के लिए हानिकारक है, क्योंकि माँ के दूध में बच्चे के विकास और वृद्धि के लिए आवश्यक कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं।
१३. सब्जियों का असली स्वाद नहीं जान पाते: यदि बच्चे के भोजन में बहुत अधिक नमक या चीनी डाल दी जाती है, तो इससे सब्जियों और भोजन का असली स्वाद दब जाता है। यदि आहार में बहुत अधिक नमक या चीनी न शामिल की जाए तो शिशु सब्जियों का स्वाद लेना शुरू कर देता है ।
शिशुओं के लिए नमक और चीनी के सेवन की मात्रा के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर नीचे दिए गए हैं:
6 महीने तक के बच्चे की सोडियम की जरूरतें स्तनपान से पूरी हो जाती हैं। इसके अलावा, अधिकांश खाद्य पदार्थों में स्वाभाविक रूप से सोडियम होता है। अतः 1 वर्ष के बच्चे को प्रति दिन 1 ग्राम से कम नमक का सेवन करना चाहिए।
नमक के बिना भी आहार को स्वादिष्ट बनाया जा सकता है। जीरा पाउडर, हींग, दालचीनी, और धनिया-पुदीने आदि जैसे पदार्थ खाने को स्वादिष्ट बनाते हैं और खाने का स्वाद बढ़ा सकते हैं। आप प्याज और लहसुन का उपयोग करके भी खाने को स्वादिष्ट बना सकती हैं। हालांकि, आहार में मसाले को बहुत ही कम मात्रा में शामिल किया जाना चाहिए और नए आहार को धीरे-धीरे देना शुरू करना चाहिए (पहले दिन 1 बड़ा चम्मच, अगले दिन 2 चम्मच, और आगे इसी तरह) यह सुनिश्चित करने के लिए कि बच्चे को किसी प्रकार की कोई एलर्जी न हो। हर्ब को अच्छी तरह से धोया जाना चाहिए और बारीक कटा हुआ या बहुत छोटे टुकड़ों में होना चाहिए। इन्हें 7 महीने की उम्र के बाद ही बच्चे के आहार में शामिल करना चाहिए।
ऐसे बहुत से मीठे पदार्थ हैं जिनमें प्राकृतिक रूप से मिठास होती है और जिनका उपयोग आप बच्चे के खाने में चीनी के विकल्प के रूप में कर सकती हैं । इनमें कोई भी मसले हुए फल, खजूर की चाशनी और शहद शामिल हैं। हालांकि, 8 महीने से कम उम्र के शिशुओं को खजूर की चाशनी और शहद नहीं दिया जाना चाहिए।
वयस्क बिना नमक का भोजन नहीं खा सकते, क्योंकि वे इसके आदी हो जाते हैं, लेकिन बच्चे ने अभी तक नमक का स्वाद नहीं चखा है, इसलिए उसे यह महसूस नहीं होगा कि भोजन बेस्वाद है। यदि बच्चा भोजन पसंद नहीं करता है, तो आप जीरा, दालचीनी या हींग जैसे स्वाद बढ़ाने वाले मसाले डाल सकती हैं, आप चाहें तो पुदीना या धनिया की पत्ती और लहसुन और प्याज का उपयोग करके स्वाद को बढ़ा सकती हैं।
आपको 1 वर्ष की आयु तक बच्चे को नमक देने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप नमक डालना चाहती हैं, तो इसे 6 महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए प्रति दिन 1 ग्राम से कम मात्रा में दें। हालांकि, 1 वर्ष से कम उम्र के शिशुओं के लिए नमक का प्रयोग न करना ही बेहतर है। 1 वर्ष से कम उम्र के शिशुओं को चीनी देने की भी सलाह नहीं दी जाती है। बच्चे के खाने में अतिरिक्त शर्करा की आवश्यकता नहीं होती है । आप मसले हुए फल, खजूर की चाशनी या शहद जैसे प्राकृतिक चीनी के विकल्प का उपयोग कर सकती हैं। चीनी की मात्रा कम करने के लिए शिशुओं को दिए जाने वाले फलों के रस को भी पतला करना चाहिए।
नमक और चीनी बच्चों को लाभ से ज्यादा नुकसान पहुँचा सकते हैं। इसलिए, जब तक बच्चा 1 वर्ष का नहीं हो जाता, तब तक इनसे बचना बेहतर होता है। प्रसंस्कृत (प्रोसेस्ड) खाद्य पदार्थ भी शिशुओं को नहीं दिए जाने चाहिए, क्योंकि इनमें नमक अधिक मात्रा में होता है। सफर के दौरान बच्चे को कोई भी कमर्शियल फूड देने से पहले यह जांच कर लें की उसमें अतिरिक्त चीनी या नमक न मिला हो । अपने बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए बिना नमक या चीनी का घर का बना खाना दें।
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