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जब कोई बच्चा बड़ा होता है, तो वह कई प्रकार के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास से गुजरता है जो उसे वास्तविक दुनिया के साथ तालमेल बिठाने और दूसरों के साथ मेलजोल करने में मदद करता है। शुरुआती सालों में दिमाग का विकास होना सबसे अहम माना जाता है क्योंकि इस दौरान बच्चे की बहुत अधिक प्रगति होती है। दुर्भाग्य से, कुछ बच्चे जरूरत के अनुसार विकास के इन चरणों तक नहीं पहुंच पाते हैं और उनकी परिपक्वता (मैच्योरिटी) उसी उम्र के अन्य बच्चों के लेवल से मेल नहीं खाती है। ऐसी स्थिति में, ऑक्यूपेशनल थेरेपी ही उनकी मदद करती है।
ऑक्यूपेशनल थेरेपी उन सभी एक्टिविटीज का समूह है, जैसे कि एक्सरसाइज और तकनीकें जो बच्चों को उनके स्किल्स को विकसित करने में मदद करती हैं और उन्हें आत्मनिर्भर होकर जीना सिखाती हैं। ऐसे बहुत से बच्चे होते हैं जिनको रोज के काम करने में भी आपकी मदद चाहिए होती है, जैसे दांतों को ब्रश करना, कपड़े पहनना या स्कूल से जुड़ी कोई भी एक्टिविटी जैसे कि ब्लैकबोर्ड पर जो लिखा है उसे नोट करना या साधारण उपकरणों का उपयोग करने में भी मदद चाहिए होती है। उनकी मोटर प्रतिक्रियाएं और सेंसरी नोड्स अन्य बच्चों के लेवल के हिसाब से प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। जिसकी वजह से उनका काम काफी स्लो हो जाता है और दूसरों की तुलना में वह अधिक गलतियां करते हैं जिसका उन पर काफी प्रभाव पड़ता है।
ऑक्यूपेशनल थेरेपी की मदद के साथ आपका बच्चा धीरे-धीरे ज्यादातर एक्टिविटीज को खुद से करना शुरू कर देता है।
आप एक बार जरूर यह सोचेंगी कि ‘क्या मेरे बच्चे को अपना जीवन जीने के लिए ऑक्यूपेशनल थेरेपी की जरूरत है?’ कुछ बच्चे दूसरों की तुलना में देर से स्किल विकसित कर सकते हैं और उन्हें किसी थेरेपी की जरूरत नहीं होती है। हालांकि, ऐसे कुछ मामले होते हैं जिनमें बच्चे के लिए ऑक्यूपेशनल थेरेपी को अहमियत दी जाती है:
अपने बच्चे के लिए ऑक्यूपेशनल थेरेपी इस्तेमाल करने से निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं।
कुछ बच्चों को रोजमर्रा की जरूरी एक्टिविटीज करने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनमें दांत ब्रश करना, टॉयलेट जाना, कुछ लिखने या खींचने के लिए पेंसिल पकड़ना, अपने कपड़े पहनना, शर्ट का बटन लगाना आदि शामिल हैं। ये ऐसे काम हैं जिन्हें बच्चों को खुद से करना शुरू कर देना चाहिए। यही वजह है कि ऑक्यूपेशनल थेरेपी उन्हें इस तरह के कामों को करने में मदद करती है।
जब बच्चों के सेंसरी ऑर्गन सही से काम नहीं करते हैं, तब उन्हें ढंग से देखने में परेशानी होती है, आवाज या तो बहुत तेज सुनाई देती है या फिर बिल्कुल सुनाई नहीं देती, वे स्पर्श को समझ नहीं पाते, गंध को भी नहीं पहचानते हैं और उन्हें स्वाद की अलग-अलग समझ होती है। इसकी वजह से कोई बच्चा स्कूल में या तो बहुत एक्टिव हो जाता है या फिर सुस्ती से भरा रहता है और उदास हो जाता है। ऑक्यूपेशनल थेरेपी द्वारा, इन बच्चों को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण वापस लाने और उनके अनुसार उनका आकलन करना सिखाया जाता है।
सेरेब्रल पाल्सी एक ऐसी स्थिति है जो कि किसी भी तरह की शारीरिक हलचल को करने से काफी हद तक रोकती है। ज्यादातर बच्चे भी मांसपेशियों में डिस्ट्रॉफी से पीड़ित होते हैं, जिससे वे हिलने-डुलने में असमर्थ हो जाते हैं और व्हीलचेयर का सहारा लेते हैं। ऐसे में उनका जीवन इसके इर्द-गिर्द ही घूमता है, ऑक्यूपेशनल थेरेपी उन्हें अपनी एक्टिविटीज को ठीक से करना सिखाती है और कुछ जरूरी एडजस्टमेंट करके यह उनकी जिंदगी का जरूरी हिस्सा बना देती है।
हालांकि जो बच्चे सेंसरी प्रोसेसिंग डिसऑर्डर (एसपीडी) से पीड़ित होते हैं उनको ऑटिज्म के साथ जोड़ा जा सकता है, लेकिन दोनों की समस्याएं अलग हैं। ऑटिस्टिक बच्चे एसपीडी वाले बच्चों के समान प्रवृत्ति दिखाते हैं लेकिन इसके विपरीत नहीं। इन बच्चों को लोगों के साथ बातचीत करने में परेशानी होती है, खेल में शामिल नहीं होते हैं और किसी भी एक्टिविटी से दूर रहते हैं। इसमें हर बच्चे के व्यवहार को अलग से संभालने की जरूरत होती है और ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए ऑक्यूपेशनल थेरेपी बहुत मदद करती है। केवल उन समस्याओं के बारे में बताना जो आवश्यक हैं, कोई समाधान नहीं होता है और यह बच्चों के छोटे से छोटे मुद्दों को भी जल्द से जल्द दूर करने में मदद करता है।
कुछ बच्चों के अंगों और उंगलियों की मांसपेशियों में समस्या होती है। इससे चलने, साइकिल चलाने आदि सीखते समय परेशानी होती है। ऑक्यूपेशनल थेरेपी व्यक्तिगत तरीके से इस समस्या पर काम करती है या तो फिर उन्हें इसके अनुकूल बनने में मदद करती है और यहां तक कि इस समस्या को पूरी तरह से खत्म भी कर सकती है।
ये बच्चे शुरू से ही सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं जब तक कि किसी एक घटना ने उन्हें ऐसा करने में असमर्थ बना दिया होता है। ऐसे बच्चों के लिए समस्या यह है कि वे जो पहले से जानते थे उसे भूलने लगते हैं और अलग तरीके से काम करना शुरू कर देते हैं। ऑक्यूपेशनल थेरेपी उन्हें पहले की तरह सभी एक्टिविटीज को करने और उनके बारे में समझने में मदद करती है।
विशेष जरूरत वाले बच्चों को ऑक्यूपेशनल थेरेपी की जरूरत होती है वहीं शारीरिक विकलांगता वाले बच्चों के लिए फिजिकल थेरेपी को महत्व दिया जाता है। हालांकि, फिजिकल थेरेपी मुख्य रूप से दर्द को कम करने, शारीरिक गति और शक्ति में सुधार लाने पर ध्यान देती है। यह अधिकतर अंगों और जोड़ों से जुडी होती है। वहीं ऑक्यूपेशनल थेरेपी का सारा ध्यान बच्चे के कौशल, व्यवहार संबंधी विकार और फिर से सीखने की क्षमताओं पर होता है।
यहां बच्चों के लिए कुछ ऑक्यूपेशनल थेरेपी एक्टिविटीज के बारें में जानकारी दी गई है।
कुछ बच्चों को रात में ठीक से सोने में परेशानी होती है। ऐसे में नींद से पहले नहाना, बॉडी मसाज, थेरेपी जिसमें रेत और पानी का उपयोग किया जाता है, वे चीजें जो आवाज और रोशनी के प्रभाव को कम करते हैं, इसके अलावा कुछ प्रकार की खुशबू जो बेहतर नींद लेने में मदद करती हैं, आप बच्चे के लिए उसका उपयोग कर सकती हैं, ये सभी चीजें बच्चे की नींद में खलल को कम करके उसे भरपूर सोने में मदद कर सकती हैं।
बच्चों को सभी उत्तेजनाओं और ट्रिगर के प्रति प्रतिक्रिया देने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन कुछ ऐसी तकनीकें हैं जिनका उपयोग करके इनका मुकाबला किया जा सकता है जो बच्चे को अंदर तक शांत करती हैं। बीन बैग का उपयोग करना भी बच्चे के मन को तुरंत शांत कर देता है। अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) वाले बच्चों के लिए स्ट्रेस बॉल, चबाने वाले खिलौने, मुलायम कंबल का उपयोग करना भी अच्छा ऑक्यूपेशनल उपचार है।
कुछ बच्चे अपने अंगों की एक्टिवटीज को आंखों से देख नहीं पाते हैं या किसी एक हिस्से को इस्तेमाल करने में विफल हो जाते हैं। बच्चों को हाथ और आंख के कॉर्डिनेशन के साथ, बल्ले और गेंदों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करें या गेंद को अच्छी तरह से पहचानने के उन्हें कैच करने लिए कहें। जो बच्चे शरीर के बाएं या दाएं हिस्से का उचित तरीके से उपयोग नहीं कर सकते हैं, उनके लिए बाइलेटरल एक्टिविटीज जैसे रस्सी खींचना, आटा गूंथना, रोलिंग पिन का उपयोग करना आदि काफी मदद करता है।
कई बच्चों को थ्री डायमेंशनल स्पेस के शेप को समझने में परेशानी होती है। ऐसे में इस शेप की मिट्टी की वस्तुएं बनाकर और उन्हें इसको समझने की कोशिश करने के लिए कहें। विभिन्न वर्णमाला के शेप में केक को बेक करना, वैसे ही सांचों का उपयोग आपके बच्चे को मदद करेगा। कुछ सरल जिगसॉ पजल भी इसमें अद्भुत काम कर सकते हैं।
यदि किसी बच्चे को अपने हाथों या पैरों को ठीक से इस्तेमाल करने में समस्या होती है, तो ऐसे कई व्यायाम जैसे कलाइयों को ट्विस्ट करना, उंगलियों को मोड़ना आदि का उपयोग आप कर सकती हैं। कागज को ठीक से काटने के लिए विशेष कैंची से उसकी मदद की जा सकती है। चलने-फिरने से संबंधित समस्याओं के लिए आप बच्चे को निगरानी में तैराकी करवा सकती हैं, या पतले प्लेटफॉर्म पर चलते समय संतुलन बनाने के लिए भी कह सकती हैं।
इन बच्चों को चीजों को अलग तरीके से आजमाने के लिए प्रोत्साहन की जरूरत होती है। उन्हें यह प्रोत्साहन, ब्रश के बजाय कपड़े से कुछ पेंट करने, या दूर से एक बॉक्स में सिक्के को डालने या क्राफ्ट से जुड़ी कोई भी एक्टिविटीज से मिल सकता है जो न सिर्फ उनके देखने की क्षमता को बल्कि उनके अंगों में भी सुधार लाता है।
बच्चों के लिए ऑक्यूपेशन थेरेपी एक्सरसाइज कौड़ियों के बराबर होती हैं। लेकिन उनको करने के लिए बच्चे और उसकी परेशानियों के बारे में आपको अच्छे से पता होना चाहिए। इसके अलावा, इस दौरान आप अपने बच्चे के आत्मसम्मान को बनाए रखें क्योंकि उसकी इन समस्याओं को हल करना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि वह आगे चलकर एक सफल जिंदगी बिता सके।
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