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फलों की प्यूरी सरलता से बनाई जा सकती है और सरलता से खाई भी जा सकती है,साथ ही इसमें पोषण तत्वों की मात्रा भी अत्यधिक होती है जो कि शिशु के संपूर्ण विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। लेकिन अगर आप हर दूसरे दिन एक ही तरह के फल की प्यूरी परोसेंगी,तो आपका शिशु नखरे कर सकता है। इस लेख में हम कुछ सुझाव देंगे कि शिशु को फलों की प्यूरी कैसे और कब खिलाना शुरू करना है।
शिशुओं को फलों की प्यूरी कब और कैसे दें?
फलों की प्यूरी आमतौर पर पचाने में आसान होती है। फिर भी, आपको यह जानने की ज़रूरत है कि अन्य सभी ठोस खाद्य पदार्थों की तरह ही आपके बच्चे के आहार में फलों को शामिल करने का सबसे अच्छा समय कब है। आप एक फल, एक चम्मच और दिन में दो बार खिलाने के साथ शुरुआत कर सकती हैं, धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाएं।
अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि शिशु के लगभग 6-8 महीनों का होने पर इसकी शुरुआत धीरे-धीरे कर सकती हैं। इस समय तक शिशु आमतौर पर स्तनपान कम करने लगता है। इसलिए, सम्पूर्ण पोषण के लिए उन्हें अपने आहार में अन्य खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है।
फलों की प्यूरी बनाने के लिए सुझाव
फलों की प्यूरी का अधिकतम लाभ उठाने के लिए, नीचे दिए गए सुझावों का पालन करें और शिशु के लिए प्यूरी बनाना सीखें।
- फलों का प्यूरी हमेशा पके फलों से बनाई जाती है क्योंकि यह स्वाद में मीठे होते हैं और आसानी से पिस भी जाते है।
- हर फल का पोषण महत्वपूर्ण होता है इसलिए आपको बच्चे के आहार में हर एक फल शामिल करना चाहिए। इस प्रकार अलग-अलग फलों की प्यूरी से बच्चे को संतुलित पोषण की प्राप्ति होगी।
- सबसे पहले, एक फल की प्यूरी बनाकर आज़मा लें और फिर धीरे-धीरे अलग अलग फलों को मिलाकर प्यूरी बनाएं।
- शिशु को 12 महीने तक संतरे, अनानास और कृष्णा फल (पैशन फ्रूट) जैसे फल न दें, क्योंकि यह फल शिशुओं में एलर्जी का कारण हो सकते हैं।
- फलों को न उबालें क्योंकि इससे इनके पोषक तत्व नष्ट हो सकते हैं। प्यूरी में अधिक पोषण बनाए रखने के लिए आप उन्हें स्टीम कर सकते हैं।
शिशु के लिए प्यूरी बनाने की आसान विधि
जैसा कि हमने पहले ही कहा है, एक ही तरह के फल से प्यूरी बनाने की शुरुआत करें। शिशु को एक प्रकार के फल सुहाने के बाद ही आप दूसरे को चुन सकती हैं और फिर मिश्रित फलों की प्यूरी भी बनाकर दे सकती हैं।
1. चीकू या सपोटा की प्यूरी
नर्म और मीठा चीकू 7 महीने के शिशुओं के लिए बेहतरीन फल है। यह विटामिन ए और सी से भरपूर होता है।
सामग्री
- 1 छोटा चीकू
- स्तनदूध/फॉर्मूलादूध
विधि
- चीकू को छीलें और टुकड़ों में काट लें ।
- बीज निकाल लें ।
- इसे ब्लेंडर में पीस लें ।
- आप इसमें स्तन का दूध/फॉर्मूला दूध डाल सकती हैं।
2. खजूर की प्यूरी
8 महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए खजूर की प्यूरी उपयुक्त है। यह बी काम्प्लेक्स विटामिन्स और सेलेनियम, कॉपर, पोटैश्यिम, मैग्नीशियम, मैंगनीज, कैल्शियम और लौह तत्व जैसे खनिजों का अच्छे स्रोत हैं।
सामग्री
- कुछ ताज़े खजूर
- स्तन का दूध/फॉर्मूलादूध
विधि
- खजूर के बीज निकाल लें।
- प्यूरी बनाने के लिए, खजूर को एक छोटे बर्तन में रखें और उसमें प्रेशर कूकर की मदद से 4-5 सीटी लगाकर पर्याप्त रूप में इतना नर्म करें कि उससे प्यूरी बनाई जा सके।
- प्रोसेसर में उबले हुए खजूर को पीस लें।
- थोड़ा स्तन दूध/फॉर्मूलादूध डालें।
3. पपीता और पके अमरूद की प्यूरी
मिश्रित फल की प्यूरी एक उत्तम पौष्टिक भोजन है, खासकर 8 महीने से अधिक उम्र के शिशुओं के लिए। इसमें संतरे से बहुत अधिक मात्रा में विटामिन ए और अन्य फलों की तुलना में अधिक मात्रा में विटामिन सी होता है। इसमें प्रोटीन, फाइबर और फॉलेट भी होता है जिसे अक्सर ‘फलों की रानी’ या ‘सुपर फल’ भी कहते हैं क्योंकि इसमें अन्य फलों की तुलना में अधिक पोषक तत्व होते हैं इसलिए ही यह प्यूरी शिशु के भोजन का एक अनिवार्य हिस्सा है।
पपीता कैरोटीन जैसे एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन सी और फ्लेवोनॉइड का एक बेहतर स्रोत है। इसमें विटामिन बी, फॉलेट, पैंटोथेनिक एसिड, पोटैशियम, कॉपर, और मैग्नीशियम भी हैं। इसमें फाइबर होता है और इसलिए यह पचाने में आसान होता है। क्रिस्टोफर कोलंबस ने इसकी अच्छाई और स्वाद को देखते हुए इसे “फ़रिश्तों का फल” कहा था।
सामग्री
- आधा अमरूद (पका हुआ)
- पपीते के कुछ टुकड़े (पका हुआ )
विधि
- दोनों फलों को पहले धोकर, छील लें और छोटे टुकड़ों में काट लें।
- पपीते में से बीज हटा दें।
- पपीते को अधिक मात्रा और अमरूद को कम मात्रा में लें।
- इसे फूड प्रोसेसर में पीस लें।
4. नाशपाती और आलूबुखारे की प्यूरी
शिशु के 6-8 महीने की उम्र में, उसे यह प्यूरी दी जा सकती है। आलूबुखारा हल्का रेचक होता है इसलिए इसे पहले छह महीनों में नहीं देना चाहिए।
नाशपाती में विटामिन ए, सी, फॉलेट और पोटैशियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे खनिज होते हैं। आलूबुखारा शक्कर, प्रोटीन, विटामिन सी और विटामिन के का अच्छा स्रोत है। चूंकि इन दोनों फलों में उच्च मात्रा में फाइबर होता है, इसका गाढ़ा प्यूरी आपके शिशु को कब्ज़से राहत दिला सकता है।
सामग्री
- नाशपाती का छोटा टुकड़ा और कुछ आलूबुखारा
विधि
- नाशपाती को धो लें, छील लें और छोटे टुकड़ों में काट लें ।
- आलूबुखारा को धोएं, बीज निकाले और एक टुकड़ों मे काटें ।
- इसे नर्म होने तक स्टीम करें ।
- फिर फूड प्रोसेसर में पीस लें ।
- पतली प्यूरी बनाने के लिए पानी डालें ।
- इसे पतला करने के लिए इसमें पानी/स्तन का दूध/फार्मूला दूध डालें ।
5. अंगूर, तरबूज़ और नींबू की प्यूरी
यह प्यूरी बच्चे के पेट को लंबे समय तक भरा रख सकता है क्योंकि प्रत्येक अंगूर में लगभग 5 कैलोरी होती है।
इसमें तीन बेहतरीन स्रोतों के पोषक तत्व मौजूद हैं। अंगूर केवल कैलोरी से परिपूर्ण नहीं होते हैं बल्कि इनमें विटामिन ए, सी, बी-6,विटामिन के तथा पोटेशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, लौह तत्व जैसे खनिज भी होते हैं, इसमें रेसवेराट्रॉल और फाइबर भी मौजूद हैं। तरबूज़ में विटामिन ए, बी 6 और सी, लाइकोपीन, एंटीऑक्सिडेंट, अमीनो एसिड की बेहतर मात्रा और पौटेशियम कुछ पोटेशियम भी होता है। नींबू विटामिन सी के लिए जाना जाता है, इसमें फॉलेट और पोटैशियम भी मौजूद होता है।
सामग्री
- बीज रहित हरे अंगूर
- तरबूज़ का रस
- नींबू का एक टुकड़ा
विधि
- फलों को धोएं।
- अंगूर की ऊपरी परत को चाकू से छीलें।
- अंगूर को आधा काट लें।
- उन्हें एक ब्लेंडर में पीस लें।
- थोड़ा नींबू डालें, बहुत ज़्यादा डालने पर खट्टा हो सकता है।
- इसे पतला बनाने के लिए,थोड़ा सा तरबूज का रस डालें।
- चीनी डालें।
- किसी भी तरह का दूध न डालें क्योंकि इसमें मौजूद नींबू से दूध का पनीर बन जाएगा।
- यदि आप गर्म मौसम वाले स्थान में रहती हैं तो आप पहले से ही अंगूर को फ्रिज में रख सकती हैं जिससे प्यूरी को ठंडा बनाया जा सके
यह प्यूरी, शुद्ध, प्राकृतिक तत्वों से परिपूर्ण होती हैं जो आपके शिशु के सेहतमंद विकास के लिए काफी लाभदायक हैं।