बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों को नैतिक शिक्षा देने वाली प्राणियों की शीर्ष 25 कहानियां

हम बच्चों को अपने आस-पास की हर एक चीज से कुछ न कुछ सिखा सकते हैं। उन्हें सिखाने और शिक्षित करने का सबसे बेहतरीन तरीका है ‘कहानी’ सुनाना । सदियों से बच्चों को जो कहानियां सुनाई जाती हैं वह काल्पनिक और रोमांचक होती हैं और ऐसे हम बच्चों तक अपनी परंपराएं और संस्कृति पहुँचाते हैं । इन कहानियों में पिरोई हुई नैतिकता बच्चों को शिक्षित करने में हमारी मदद करती है ।

बच्चों के लिए प्राणियों की 25 लघु नैतिक कहानियां

मातापिता होने के नाते बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करना हमारा एक महत्वपूर्ण कर्तव्य है। कभीकभी कहानियों में काल्पनिक वस्तुओं और जानवरों का उपयोग करने से कहानियां और भी ज्यादा मनोरंजक और समझने में सरल हो जाती हैं। यह कहा जा सकता है कि प्राणियों की कथाएं ज्ञान व नैतिक मूल्यों के आधार पर होती हैं जिनमें बच्चों को सुसंगत व समझदारी सिखाने के लिए अपने अनुभवों को अधिक सरलता से व्यक्त किया जा सकता है।

यहाँ नैतिक शिक्षा के साथ कुछ सर्वोत्तम लघु कथाएं दी हुई हैं जो बच्चों के मनोबल व सदाचार को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं, आइए जानते हैं;

1. कछुआ और खरगोश

एक बार एक कछुए और खरगोश में शर्त लगी कि उनमें तेज कौन दौड़ सकता है । खरगोश ने घमंड से कहा कि मुझसे तेज तो कोई भी नहीं दौड़ पाएगा और कछुआ बेचारा मायूस व चुप था क्योंकि वह तेज नहीं दौड़ सकता था । एक दिन खरगोश ने कछुए के साथ दौड़ में हिस्सा लेने को कहा। उसने कछुए से कहा कि जो पहले पहुँचेगा वह जीत जाएगा । कछुए ने भी हाँ कर दी, अब खरगोश तो तेजी से आगे बढ़ गया किंतु कछुआ पीछे धीरेधीरे आने लगा । बहुत दूर निकल जाने पर घमंडी खरगोश आराम करने लगा और सो गया इतने में कछुआ उससे आगे निकल गया और जीत गया ।

नैतिक शिक्षा:

किसी भी कार्य को कम न समझें और अपने अहंकार को पीछे रखकर हर कार्य को देखें। कभीकभी धीरे चलने और धैर्य रखने से भी चुनौती का बेहतरीन तरीके से सामना किया जा सकता है।

2. भेड़ की खाल में भेड़िया

एक गाँव में एक चरवाहा था, उसके पास बहुत सारी भेड़ें थी। वह जंगल में उन्हें चराने ले जाता था। उसी जंगल में एक भेड़िया रहता था। एक दिन उस भेड़िए ने जंगल में बहुत सारी भेड़ें देखी और उसे लालच आ गया । भेड़िए ने उन भेड़ों को खाने की योजना बनाई और भेड़ की नकली खाल पहन कर उनके समूह में घुस गया। भेड़ों को इस बात की खबर नहीं लगी और वह चालाक भेड़िया एकएक करके उन भेड़ों को खाने लगा, जबकि किसी को भी उसपर शक नहीं हुआ। अंत में वह सारी भेड़ों को खा गया।

नैतिक शिक्षा:

इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि दिखावा भ्रामक भी हो सकता है। किसी भी व्यक्ति या उसकी परिस्थितियों के आधार पर उसे कभी न आंकें, खुद की सुरक्षा के लिए थोड़ी सी सावधानी बरतना आवश्यक है।

3. द थ्री लिटिल पिग्ज

एक बार 3 लिटिल पिग अपनी माँ के साथ रहा करते थे और जब वो थोड़े बड़े हुए तो उन्होंने अपना खुद का घर बनाने का सोचा और तीनों अलगअलग दिशाओं में निकल पड़े। पहले पिग ने स्ट्रॉ का घर बनाया जिसे एक भेड़िये ने उड़ा दिया और वह लिटिल पिग को खा गया। फिर दूसरे पिग ने लकड़ियों का घर बनाया, यद्यपि भेड़िए को लकड़ी का घर तोड़ने में अधिक मेहनत लगी किंतु अंत में उसने दूसरे पिग का घर तोड़कर भी उसे खा गया। अब थी तीसरे पिग की बारी, पर वह थोड़ा समझदार और चालाक था। उसने अपना घर ईंटों का बनवाया जिसे वह भेड़िया नहीं तोड़ पाया। अपनी हार को देखकर भेड़िया बौखला गया और तीसरे पिग के घर की चिमनी से वह उसके घर में घुसने की कोशिश करने लगा। तीसरा पिग था बहादुर, वह बिना घबराए भेड़िए से बचने का तरीका सोचना लगा। उसने अपना दिमाग चलाया और चिमनी में तेज आग लगा दी और उस आग के ऊपर एक बड़ा सा बर्तन रख दिया जिसमें पानी भरा हुआ था। पानी उबलने तक वह भेड़िया उस बर्तन में गिरा और मर गया, तीसरे लिटिल पिग ने उसको पकाया और अपने रात के खाने में उसके स्वाद का आनंद उठाया।

नैतिक शिक्षा:

यह कहानी बच्चों को शिक्षा देती है कि कोई भी कार्य करना जितना आवश्यक है उतना ही उसे पहली बार में सही से करना उससे कहीं ज्यादा आवश्यक है।

4. प्यासा कौवा

एक बार एक प्यासा कौवा पानी की तलाश में उड़ते हुए एक गाँव की ओर आया। उसे कहीं भी पानी दिखाई नहीं पड़ रहा था। अचानक उसे एक पेड़ के नीचे घड़ा दिखाई दिया वह तुरंत उस घड़े के ऊपर जा बैठा, किंतु उसे वहाँ भी पानी नहीं मिला क्योंकि घड़े में पानी बहुत कम था और उसकी चोंच पानी तक नहीं पहुँच पा रही थी। कई बार प्रयास करने के बाद भी वह सफल नहीं हुआ। तब उसे एक तरकीब सूझी, उसने पास ही पड़े कंकड़ों को एकएक करके घड़े में डालना शुरू किया जिससे पानी ऊपर आने लगा। थोड़ी ही देर में पानी इतना ऊपर आ गया कि वह सरलता से मटके का पानी सके। फिर क्या था उसने पानी पिया और खुशीखुशी उड़ गया।

नैतिक शिक्षा:

विपत्ति के पहले संकेत में ही हार न मानें। किसी भी समस्या का समाधान निकालने के लिए अपने आसपास की सभी उपयुक्त चीजों का उपयोग करके अपने लक्ष्य को पाएं ।

5. गोल्डिलॉक्स एंड द थ्री बियर

एक बार एक एक गाँव में गोल्डिलॉक्स नामक एक लड़की रहती थी वह मन से बहुत चंचल व स्वभाव से घमंडी थी । एक दिन जंगल की ओर चलतेचलते वह बहुत थक गई और उसे भूख लगने लगी । खाने की तलाश में वह जब आगे बढ़ी तो उसे एक घर मिला । यह घर 3 भालुओं का था जिनमें से एक भालू सबसे बड़ा, दूसरा उससे छोटा और तीसरा सबसे छोटा था ।वह लड़की उस घर में अंदर गई तो उसने देखा कि वहाँ कोई नहीं है । बस एक बड़ी सी टेबल और 3 कुर्सियां रखीं हैं और जिसमें से एक कुर्सी सबसे बड़ी, दूसरी सबसे छोटी और तीसरी कुर्सी मध्यम आकार की है ।उसने देखा की टेबल पर तीन कटोरों में गरमा गरम दलिया रखा हुआ है। वह सबसे छोटी कुर्सी में बैठ कर दलिया खाती है और जब वह अंदर देखती है तो कमरे में उसे तीन अलग अलग आकार के बिस्तर दिखते हैं वह सबसे छोटे वाले बिस्तर में जैसे ही सोने का प्रयास करती है वह बिस्तर टूट जाता है ।तो वह मध्यम आकार के बिस्तर पर सो जाती है ।जब वे तीनों भालू वापस आते हैं और अपने घर में इतना फैलाव देख कर हैरान रह जाते हैं ।सबसे छोटा भालू देखता है कि उसका दलिया किसी ने खा लिया है तो वह शोर मचाने लगता है और जब वह अपना बिस्तर टूटा हुआ देखता है तो वह और तेज चिल्लाने लगता है । इतने में गोल्डिलोक्स जाग जाती है और तीन भालुओं को देखते ही घबरा कर भाग जाती है ।

नैतिक शिक्षा:

हमेशा कुछ भी करने से पहले अपने आस-पास के लोगों के बारे में सोच लें, विशेषकर तब जब आपके कार्य उन्हें प्रभावित कर सकते हैं।

6. खट्टे अंगूर

एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी, एक दिन उसे बहुत जोरों की भूख लगी। वह जगहजगह खाने की तलाश में भटकने लगी। एक जगह उसे स्वादिष्ट अंगूरों से लदी हुई बेल दिखी। यह देखते ही लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया और वह अंगूर खाने के लिए बेल के पास पहुँची। बहुत प्रयास करने पर भी वह अंगूरों तक नहीं पहुँच पाई क्योंकि अंगूर बहुत ऊँचे लगे हुए थे। अंत में उसने थक कर हार मान ली ओर अपने मन को समझाने के लिए यह सोच लिया कि अंगूर खट्टे हैं उन्हें खाकर कोई फायदा नहीं है।

नैतिक शिक्षा:

जब तक सफलता ना मिले तब तक प्रयास करें और हारने पर दुखी न हों । अपनी हार को मुस्कुराते हुए स्वीकार करें और दूसरों को दोष देने के बजाय अपनी हार से कुछ सीखें ।

7. बिल्ली के गले में घंटी

एक दिन बिल्ली के डर परेशान होकर चूहों ने एक बैठक बुलाई । इस बैठक में सभी चूहे बिल्ली से बचने के लिए अलगअलग सुझाव देने लगे । तभी एक होशियार चूहा उठा और बोला क्यों ना हम बिल्ली के गले में एक घंटी बांध दें । जिससे वह जब भी आएगी तो घंटी की आवाज से हमें पहले ही पता लग जाएगा और हम अपनी जान बचा कर भाग जाएंगे । सभी चूहों को उसका यह सुझाव पसंद आया और वे मान भी गए किंतु एक बूढ़े चूहे ने उठकर पूछा कि बिल्ली के गले में घंटी बांधेगा कौन?

नैतिक शिक्षा:

किसी कार्य के बारे में बात करना अच्छी बात है किंतु उसे पूर्ण करना और अधिक अच्छी बात है । कार्य कठिन हो सकता है किंतु एक अच्छे विचार के उतारचढ़ाव को समझना भी आवश्यक है ।

8. जंगली कुत्ता और चतुर खरगोश

यह कहानी एक शिकारी कुत्ते और खरगोश की है जिसमें कुत्ता, खरगोश का पीछा करता है। दौड़ते-दौड़ते जब कुत्ता थक जाता है और खरगोश का पीछा करना छोड़ देता है तो पास में खड़ी कुछ बकरियां उसका मजाक उड़ाने लगती हैं । थोड़ी देर बाद शिकारी कुत्ता उन बकरियों से कहता है कि खरगोश अपना जीवन को बचाने के लिए अधिक तेज दौड़ रहा था।

नैतिक शिक्षा:

सर्वोत्तम कार्य के सर्वोत्तम परिणाम भी मिलते हैं। किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के लिए प्रेरणा जरूरी है।

9. द अग्ली डक्लिंग

एक बार एक बत्तख अपने 4 अंडों से बच्चे निकलने का बहुत लंबे समय तक इंतजार करती है। कुछ समय बाद उसके तीन अंडों से बच्चे बाहर आ जाते हैं किंतु एक अंडा अब भी बचा था। एक दिन अचानक वह अंडा भी टूट गया और उससे जो बच्चा निकला वह अन्य से थोड़ा अलग था। वह थोड़ा बड़ा, सफेद रंग का और जिसकी गर्दन भी थोड़ी बड़ी थी। बत्तख अपने चारों बच्चों को जहाँ भी लेकर जाती सभी प्राणी उस अलग से बत्तख को अग्ली डकलिंग कहकर दुत्कार देते थे। दुखी होकर वह अग्ली डकलिंग अपनी माँ के पास जा ही रहा था कि उसने अपनी माँ को भी एक बिल्ली के कारण उसे दुत्कारते हुए सुना तो अग्ली डकलिंग वहाँ से दूर चला गया। वह जहाँ भी जाता लोग उसे दुत्कार देते थे और उसे लगता था कि वह बहुत बदसूरत है इस वजह से कोई भी उसके साथ नहीं रहना चाहता है। वह डकलिंग घूमतेघूमते एक बुढ़िया के घर पहुँचा और वहाँ से भी उसे नकारा कहकर निकाल दिया गया। बेचारा डकलिंग अकेला मुश्किलों में अपने दिन बिताने लगा। एक दिन वह एक झील में बहुत उदास बैठा था, जहाँ एक हंसों का समूह आया तो वह उनसे छिपने लगा। समूह में से एक हंस ने उससे जाकर बात करने का प्रयास किया तो वह खुद को बदसूरत बताते हुए उससे दूर हो गया। ऐसा व्यवहार देखकर हंस ने उसे समझाया और बताया कि तुम भी हम में से एक हो, तुम एक हंस हो। यह सुनकर उसने पानी में खुद का प्रतिबिंब देखा तब उसे एहसास हुआ कि वह एक हंस है और वह भी सभी हंसों की तरह सुंदर है।

नैतिक शिक्षा:

हर कोई सुंदर होता है, वह भले ही दुनिया के बनाए आदर्शों से कुछ अलग ही क्यों न हों।

10. दो बिल्लियां और एक चालाक बंदर

यह कहानी दो बिल्लियों की है जिसमें वह दोनों केक के लिए लड़ रहीं थी। एक बंदर ने उन्हें देखा और दोनों को केक बराबर हिस्से में बांटने के लिए मदद करने को कहा। केक को आधा करने के बाद बंदर ने कहा कि यह बराबर टुकड़ों में नहीं हैं और बड़े टुकड़े से थोड़ा सा केक खा लिया। फिर उसने दूसरे टुकड़े से भी थोड़ा सा केक खा कर बोला कि यह अब भी बराबर नहीं है। अंत में ऐसा करतेकरते वह पूरा केक खुद ही खा गया।

नैतिक शिक्षा:

जब हम आपस में लड़ते हैं तो फायदा दूसरे उठाते हैं।

11. शेर और चूहा

एक बार एक जंगल में एक शेर के सामने एक चूहा आ गया और वह शेर चूहे को खाने के लिए लपका । तभी उस चूहे ने शेर से निवेदन किया कि वह उसे ना खाए । शेर ने पूछा उससे मेरा क्या फायदा होगा? तो चूहे ने कहा कभी आपको मेरी जरूरत पड़ी तो मैं आपकी जरूर मदद करूंगा । पहले तो शेर ने हँसते हुए कहा एक छोटा सा चूहा मेरी क्या मदद करेगा किंतु चूहे द्वारा कई बार विनती किए जाने के बाद शेर ने चूहे की जान बख्श दी और उसे जाने दिया । कुछ समय बाद एक दिन जंगल में शिकारियों के जाल में शेर कुछ इस तरह से फँस गया कि बहुत कोशिशों के बाद भी वह नहीं निकल पा रहा था । शेर ने उस समय हार मान ली थी किंतु उस समय वही चूहा वहाँ खड़ा हो कर सब देख रहा था । कुछ देर बाद चूहा शेर के पास पहुँचा और अपने छोटेछोटे दाँतों से उसका जाल काट दिया । इस प्रकार से चूहे ने भी शेर की जान बचा कर अपना वादा पूरा किया ।

नैतिक शिक्षा:

आप नहीं जानते कि कौन आपका अच्छा दोस्त बन सकता है इसलिए हर किसी के लिए दयालु भाव रखें। फिर हर कोई आपके लिए दया का भाव रखना शुरू कर देगा।

12. शहरी चूहा और देहाती चूहा

एक बार शहर का एक चूहा गाँव में अपने चचेरे भाई के घर गया । देहाती भाई ने अपने शहरी भाई को साधारण दाल और चावल खाने के लिए परोसा । शहरी चूहे ने गाँव के साधारण चावल और दाल खाने से इंकार कर दिया और अपने भाई को केक व विभिन्न प्रकार के व्यंजन खिलाने के लिए शहर लेकर आ गया। शहर में बड़ेबड़े घर व विभिन्न प्रकार के व्यंजन देखकर देहाती चूहा आश्चर्यचकित रह गया। वे दोनों अच्छीअच्छी चीजें खा ही रहे थे कि उन्होंने देखा कि दो कुत्ते एक बिल्ली को मारने के लिए उसके पीछे भाग रहे थे । ऐसा देख कर दोनों भाई डर गए और अपनी जान बचाकर छिप गए ।

नैतिक शिक्षा:

विलासपूर्ण चीजों से अच्छा, उन साधारण चीजों के साथ खुश रहना है जिनका आनंद आप सुकून से ले सकते हैं।

13. मगरमच्छ और बंदर

एक बार एक बंदर और एक मगरमच्छ बहुत अच्छे दोस्त थे। जिस नदी में मगरमच्छ अपनी पत्नी के साथ रहता था उसी नदी के किनारे लगे सेब के पेड़ पर बंदर का घर था । बंदर प्रतिदिन अपने दोस्त मगरमच्छ को खाने के लिए स्वादिष्ट सेब देता था । एक दिन मगरमच्छ अपनी पत्नी के लिए सेब लेकर गया । सेब खाकर उसकी पत्नी ने कहा कि जो बंदर इतने स्वादिष्ट सेब रोज खाता है उसका खुद का कलेजा कितना स्वादिष्ट होगा और उसने मगरमच्छ से बंदर का कलेजा लाने को कहा । मगरमच्छ पत्नी की बातों में आ गया और बंदर के पास पहुँचा एवं उसे अपने घर आने को कहा । बंदर भी मान गया और अपनी दोस्त की पीठ पर बैठ गया, दोनों घर की ओर चल पड़े । बीच रास्ते में जब बंदर को पता चला कि मगरमच्छ की पत्नी को उसका कलेजा खाना है तो बंदर ने मगरमच्छ को तुरंत बताया कि उसका कलेजा तो घर पर ही रह गया है और उसे वह कलेजा लेने घर वापस ही जाना होगा । यह सुनकर मगरमच्छ पीछे मुड़ गया । किनारे पर पहुँचते ही बंदर ने छलांग लगाई और अपने पेड़ पर चढ़ गया । वह बंदर फिर कभी उस मगरमच्छ की बातों में नहीं आया।

नैतिक शिक्षा:

तनावपूर्ण स्थिति में भी शांत रहने और ध्यान से सोचने से आपको अधिक मदद मिल सकती है।

14. हाथी और उसके दोस्त

एक बार एक जंगल में जूनो नामक हाथी बहुत उदास और अकेला रहता था। उसने कई बार जंगल के अन्य जानवरों से दोस्ती करने का प्रयास किया किंतु बड़े शरीर के कारण अन्य जानवर उससे दोस्ती नहीं करते थे। एक दिन सभी जानवर डेरा नामक शेर से डरकर इधर उधर भाग रहे थे। शेर को रास्ते में जो भी आ रहा था वह उसे खाता जा रहा था। जूनो ने जब यह देखा तो वह डेरा के सामने गया और उसे एक लात मारी । लात पड़ते ही शेर वहाँ से तुरंत भाग गया और जूनों ने जंगले में सबकी जान बचा ली । अंत में जूनो हर किसी का दोस्त बन चुका था।

नैतिक शिक्षा:

जन्म से मिली हुई खूबियां आपकी सर्वोत्तम खूबियां होती हैं और यह आपकी सफलता का कारण भी बनती हैं।

15. मूर्ख शेर

एक बार एक शेर भूखा होता है और शिकार की तलाश में निकल जाता है। जंगल में चलतेचलते उस शेर को एक गुफा मिलती है जिसके निवासी बाहर गए थे। उसने वहाँ रुक कर उन जानवरों का इंतजार करने का निर्णय लिया और वह वहीं सो गया। उस गुफा में एक सियार रहता था और जब वह अपनी गुफा के पास आता है तो उसे कुछ गलत लगता है। अंदर जाने से पहले वह सियार अपनी गुफा को आवाज लगाकर पूछता है। उसकी गुफा तो जवाब नहीं देती है लेकिन इतने में वह शेर बोल पड़ता है और सियार अपनी जान बचाकर वहाँ से भाग जाता है।

नैतिक शिक्षा:

जल्दबाजी में अक्सर हम मूर्खतापूर्ण निर्णय लेते हैं। व्यक्ति को कोई भी कार्य करने से पहले शांति से सभी विकल्पों के बारे में सोचना चाहिए।

16. बंदर और डॉल्फिन

एक दिन एक बंदर समुंदर के तूफान में फंस जाता है और इतने में वहाँ एक डॉल्फिन आती है और उस बंदर को तूफान से बाहर निकलने में उसकी मदद करती है । वह डॉल्फिन बंदर से पूछती है कि क्या वह किसी टापू को जानता है वह बंदर कहता है कि हाँ वह एक टापू जानता है। उस समय बंदर अपनी शान में यह भी झूठ बोल देता है कि वह वहाँ का राजकुमार है । फिर क्या डॉल्फिन उसे उस टापू में छोड़कर वापस चली जाती है । अंत में वह बेचारा राजकुमार बंदर उस टापू में अकेला ही फंस जाता है ।

नैतिक शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अधिक बातें बनाना और छद्म आपको कहीं नहीं ले जाएगा ।अपने शब्दों को बोलते समय खयाल रखें कि आप क्या हैं और क्या बोल रहे हैं । वास्तव में आपको तद्नुसार ही व्यवहार करना चाहिए ।

17. चालाक मेंढक

एक तालाब में एक मेंढक रहा करता था। उसी तालाब में और भी कई प्रकार के जीवजंतु भी रहते थे। जैसे मछलियां, बत्तख आदि जिन्हें आपस में एक साथ खेलना बहुत पसंद था। एक दिन मेंढक ने कुछ मछुआरों को इस तालाब के बारे में बात करते सुना के यह तालाब बहुत ही बड़ा है ओर यहाँ शिकार करने पर हमें काफी फायदा होगा। यह बात तुरंत उस मेंढक ने उस तालाब के सभी जीवों को बताया लेकिन अपने कौशल के घमंड में चूर प्राणियों में से किसी ने भी उसकी एक न सुनी। जब शिकारी आए तो तालाब में रहने वाले सभी जीवों को पकड़ कर ले गए और सिर्फ मेंढक ही अपनी चतुराई के कारण बच गया क्योंकि उसने पहले ही तालाब छोड़ दिया था।

नैतिक शिक्षा:

मुसीबत आने का अंदेशा होते ही उससे बचने का उपाय खोजना बेहतर है।

18. दो बकरियां

एक जंगल में एक नाले पर बड़े से पेड़ के गिर जाने की वजह से उस पर पुल का निर्माण हो गया था।अब वह पुल जंगल के प्राणियों के लिए यातायात के साधन रूप में इस्तेमाल होने लगा। एक दिन एक बकरी ने उस पुल को पार करके दूसरे सिरे पर जाने की सोची इत्तेफाक से दूसरी तरफ से एक बकरी उसी पुल से इस तरफ आ रही थी। पुल इतना चौड़ा नहीं था कि दोनों बकरियां एक बार में उस पुल को पार कर पातीं लेकिन अपनी ताकत के घमंड में चूर दोनों बकरियों ने पीछे हटने से मना कर दिया। बीच में पहुँचते ही दोनो बकरियां आपस में लड़ने लगीं ओर नाले में गिर गई और अपनी जान से हाथ धो बैठीं ।

नैतिक शिक्षा:

अपनी ताकत पर घमंड न करें और हर जगह सिर्फ ताकत ही उपयोग नहीं करना चाहिए ।

19. दोस्ती

यह कहानी है एक कुत्ते की जिसका नाम था पेप्सी। पेप्सी को अपनी सुंदरता और सफाई पर बहुत घमंड करता था। वह गली के कुत्तों के साथ भी नहीं खेला करता था, क्योंकि उसे लगता था के वह काफी गंदे है। एक दिन जब पेप्सी के मालिक घर में नहीं होते हैं तो कुछ चोर घर में घुस आते हैं । पेप्सी उन पर भौंकता है। चोर पेप्सी को एक बोरे में बंद कर देते हैं। पेप्सी की आवाज सुन कर गली का एक कुत्ता मोती उसकी मदद करने के लिए आता है ओर वह चोरों को भगा देता है साथ ही पेप्सी की भी जान बचाता है। उस दिन के बाद से पेप्सी ओर मोती आपस में बहुत अच्छे दोस्त बन जाते हैं।

नैतिक शिक्षा:

आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर किसी से भेदभाव न करें ।

20. दहाड़ता शेर

शेरू नाम का एक शेर था। वह हमेशा जंगल के प्राणियों को अपनी दहाड़ से डराता रहता था।जंगल के सभी प्राणी उससे काफ़ी परेशान थे और उसे ऐसा करने के लिए मना भी कर चुके थे और इसी वजह से कोई भी उसके साथ खेलना नहीं चाहता था। एक दिन किसी तरह से शेरू ने रिंकु खरगोश को अपने साथ खेलने के लिए मना लिया। खेलते वक्त शेरू ने दहाड़ना शुरू कर दिया जिस वजह से रिंकु द्वारा फेंकी गई गेंद शेरू के गले में फंस गई। गेंद को शेरू के गले से निकालने के लिए जंगल के सभी जानवरों को उसकी मदद करनी पड़ी। उसके बाद शेरू ने कसम खा ली अब वह किसी को भी बिना वजह परेशान नहीं करेगा।

नैतिक शिक्षा:

किसी को भी अपने मनोरंजन के लिए परेशान न करें ।

21. आलसी गधा

एक गाँव में एक धोबी रहता था। उसके पास एक गधा था जो बहुत ही आलसी था। वह इतना आलसी था के हमेशा काम से बचने के लिए कुछ न कुछ बहाने करता रहता था। एक दिन जब धोबी गधे को ढूंढ़ रहा था, तभी गधा घर से भाग कर जंगल में आ गया ताकि उसका मालिक उसे कोई काम न दे सकें। तभी वह जोर से तूफान आने लगा जिस वजह से गधा खूब डर गया। उसने घर जाने की सोची, रास्ते में उसे यह भी लग रहा था उसका मालिक उसे खूब पिटाई लगाएगा, लेकिन जब वह घर पहुँचा तो उसका मालिक उसे सही सलामत देख कर बहुत खुश हुआ। यह देख कर गधे को अपनी गलती का एहसास हो गया ओर उसने कभी आलस न करने की कसम खाई।

नैतिक शिक्षा:

आपको अपना हर कार्य पूरी लगन के साथ करना चाहिए ।

22. खतरनाक सांप

एक पेड़ पर एक कौवे का जोड़ा रहता था। उसी पेड़ के नीचे एक खतरनाक जहरीला सांप भी रहता था। वह सांप अक्सर कौवों के न रहने पर उनके अंडे चुरा लिया करता था। इस बात से कौवे का जोड़ा बहुत दुखी था । उन्होंने एक लोमड़ी से मदद की गुहार लगाई। लोमड़ी ने उन्हें एक तरकीब दी और कहा जब राजकुमारी तालाब में नहाने आएं तो उनके गले का हार चुरा लेना। कौवों ने वैसा ही किया और उस हार को चुरा कर सांप के बिल में डाल दिया। जब राजकुमारी के सैनिक हार को ढूंढ़ते हुए सांप का बिल खोदने लगे तो सांप गुस्से से बाहर निकला और सैनिकों पर हमला कर दिया जिस वजह से सैनिकों ने सांप को मार दिया और हार अपने साथ ले गए।

नैतिक शिक्षा:

जैसी करनी वैसी भरनी

23. ऋषि और चूहा

एक बार एक चूहा भागता हुआ ऋषि की कुटिया में घुस गया। ऋषि ने देखा के एक बिल्ली उसका पीछा कर रही थी। संत ने चूहे को बिल्ली में बदल दिया। एक दिन वही बिल्ली फिर भागते हुए ऋषि की कुटिया में आ गई, इस बार एक कुत्ता उसका पीछा कर रहा था। यह देख ऋषि ने बिल्ली को कुत्ते के रूप में बदल दिया। कुछ दिनों के बाद वह कुत्ता भागते हुए आया, इस बार उसका पीछा एक शेर कर रहा था। ऋषि ने इस बार कुत्ते को शेर के रूप में बदल दिया। शेर जंगल में गया और उसने वहाँ के राजा को हरा दिया और वहाँ राज करने लगा। एक दिन वह शेर ऋषि को ही खाने के लिए उसकी कुटिया में गया। जब ऋषि ने शेर को आते हुए देखा तो उसने शेर को वापस चूहे के रूप में बदल दिया ओर फिर इधर कभी न आने को कह दिया।

नैतिक शिक्षा:

जो आपकी मदद करता है उसी के साथ बेईमानी न करें ।

24. एक बकरी

आशा नाम की एक काम वाली एक घर में काम करती थी। एक दिन उस घर की मालकिन ने आशा से कहा कि वह बाहर जा रही है और जब काम पूरा हो जाए तो दरवाजा बंद करके ही वह जाए । आशा जाते समय दरवाजा बंद करना भूल गई जिस वजह से घर में एक बकरी घुस गई। बकरी सीधा आराम घर में चली गई जहाँ उसने आइने में एक और बकरी देखी । अब क्या था उसने आव देखा ना ताव और अपनी ही छवि पर हमला कर दिया जिस वजह से शीशा टूट गया ।जब मालकिन घर में वापस आइ और टूटे हुए शीशे को देखते ही उसने आशा को नौकरी से निकाल दिया।

नैतिक शिक्षा:

अपने कर्तव्यों को पूरी जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए ।

25. गाय की घंटी

एक बार नासिर नामक एक किसान अपनी गायों को जंगल में चरा रहा था। सभी गायों के गले में एक घंटी बंधी हुई थी। एक दिन एक आदमी नासिर के पास आया और उसने उन घंटियों को खरीदने के लिए बड़ी रकम देने के लिए कहा। लालच में आकर नासिर घंटियां बेचने के लिए तैयार हो गया और उसने सारी घंटियां बेच दी। लेकिन अब नासिर की गायों के गले में घंटियां नहीं थी जिसकी वजह से उसने अपनी सारी गायें खो दी । वास्तव में वह व्यापारी चोर था जिसने उन गायों को चुरा लिया था। अंत में बेचारा नासिर रोता हुआ अपने घर गया, जहाँ उसके पिता उससे बहुत नाराज हुए।

नैतिक शिक्षा:

लालच बुरी बला है ।

नैतिक कहानियां बच्चों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जो उनमें चरित्र का निर्माण और सद्गुणों का भाव उत्पन्न करने में मदद करती हैं । यह कहा जा सकता है कि बच्चों का मन बहुत जल्द प्रभावित होता है और जो भी संस्कार आप अपने बच्चों को बचपन से ही देते हैं, वह उनके साथ जीवन भर रहता है। नैतिक कहानियां पढ़ने से बोलचाल में सुधार आता है ओर रचनात्मकता भी बढ़ती है। बच्चों के लिए ऐक्टिविटी बॉक्स लाएं जिसमे अनेक नैतिक कहानियां है और आप इन कहानियों के माध्यम से अपने बच्चों को अच्छे संस्कार प्रदान कर सकते हैं ।

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जिद्दी बच्चों के साथ कैसे डील करें?

सुरक्षा कटियार

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