बच्चों के लिए स्वामी विवेकानंद की प्रेरणादायक कहानियां

बच्चों के लिए स्वामी विवेकानंद की प्रेरणादायक कहानियां

बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में मातापिता की अहम भूमिका होती है, इसलिए आप उन्हें उन सभी महापुरुषों के किस्से सुनाएं, जिनके व्यक्तित्व की झलक आप अपने बच्चे में देखना चाहती हैं । युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद के बारे में हम सभी जानते हैं। बच्चों के लिए स्‍वामी विवेकानंद से जुड़ी कई कहानियां और किस्‍से हैं जिनसे उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है। इसके साथ ही आपको अपने बच्चे के साथ समय बिताने का भी मौका मिलेगा।

स्वामी विवेकानंद का वास्तविक नाम नरेंद्रनाथ था। वह बचपन में बहुत नटखट थे, लेकिन साथ ही बहुत ज्यादा होशियार भी थे, यदि एक बार कोई चीज उनके सामने से गुजर जाए तो वो उसे कभी नहीं भूलते थे। ऐसे प्रतिभावान व्यक्तित्व की कहानियां सुनने में आपके बच्चे को भी मजा आएगा।

बच्चों को बताने के लिए स्वामी विवेकानंद की कुछ प्रसिद्ध कहानियां यहाँ दी गई हैं:

1. केवल अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाएं

एक बार स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे। एक दिन वो कहीं से गुजर रहे थे तो अचानक से उनकी नजर पुल पर खड़े कुछ लड़कों की ओर गई। उन्होंने देखा की वो लड़के नदी में तैर रहे अंडे के छिलके पर बहुत देर से निशाना लगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वो निशाना लगाने में सफल नहीं हो रहे हैं । यह देखकर स्वामी विवेकानंद लड़कों के पास गए और उनके हाथों से बंदूक लेकर खुद निशाना लगाने लगे और एक बार में उनका निशाना बिलकुल सटीक लग गया। फिर क्या था, एक के बाद उन्होंने 12 निशाने लगाए और सभी निशाने बिलकुल ठीक लगे।

यह देख कर वहाँ मौजूद सभी लड़के हैरान रह गए और उनसे पूछा स्वामी अपने यह कैसे किया? हम इतनी देर से निशाना लगाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन हममें से कोई भी निशाना लगाने में सफल नहीं हुआ और आपने इतनी आसानी से सारे निशाने बिलकुल सटीक लगाए, तो स्वामी विवेकानंद ने उन्हें उत्तर देते हुए कहा कि कुछ भी असंभव नहीं है, बस तुम जो भी काम करो उसमें अपना पूरा ध्यान लगाओ। अगर तुम निशाना लगा रहे हो तो तुम्हारा पूरा ध्यान अपने लक्ष्य पर होना चाहिए, फिर तुम कभी नहीं चूकोगे ।

सीख: स्वामी विवेकानंद की इस कहानी से यह सीखने को मिलता है कि आप जिस चीज को प्राप्त करना चाहते हैं उसमें अपना पूरा ध्यान लगाएं ।

2. सत्य का साथ कभी न छोड़ें

स्वामी विवेकानंद शुरुआत से ही तेज छात्र थे इसलिए जब भी वो कुछ बताते तो बाकी के सभी छात्र उन्हें बड़े गौर से सुनते । एक दिन अपनी कक्षा में वह अपने मित्रों को कहानी सुना रहे थे और उन्हें पता ही नहीं चला कि उनके अध्यापक ने कब कक्षा में आकर पढ़ाना शुरू कर दिया। मास्टर साहब ने पढ़ाना ही शुरू किया था कि उन्हें कुछ फुसफुसाने की आवाज सुनाई दी और उन्होंने तेज आवाज में पूछा, कौन बात कर रहा है? सभी छात्रों ने स्वामी विवेकानंद और उनके दोस्तों की ओर इशारा कर दिया । फिर क्या था मास्टर जी क्रोधित हो गए और स्वामी जी और उनके साथियों से पाठ से संबंधित प्रश्न करने लगे। अपने सभी सवालों का जवाब पाते ही मास्टर हैरान रह गए और समझ गए की स्वामी जी का ध्यान उनके पाठ पर था और बाकी के छात्र बातों में लगे हुए थे।

स्वामी विवेकानंद को छोड़कर मास्टर जी ने बाकी के छात्रों को सजा के तौर पर बेंच पर खड़े होने के लिए कहा, सभी छात्रों के साथ स्वामी भी अपनी बेंच पर खड़े हो गए । मास्टर ने स्वामी विवेकानंद से कहा कि वो बैठ जाए, तो उन्होंने कहा कि नहीं सर, मुझे भी इनके साथ खड़ा होना होगा, क्योंकि वो मैं ही था जो इनसे बात कर रहा था । यह बात सुनकर मास्टर और सभी छात्र स्वामी विवेकानंद की सच बोलने की हिम्मत को देख कर बहुत प्रभावित हुए।

सीख: स्वामी विवेकानंद के इस किस्से से यह सीखने को मिलता है कि भले ही परिस्थिति आपके हित में न हो लेकिन आपको हमेशा सत्य का साथ देना चाहिए ।

स्वामी विवेकानंद

3. मुसीबत में डरकर भागने के बजाय उसका सामना करें

एक बार बनारस के एक मंदिर से स्वामी विवेकानंद निकल रहे थे कि तभी उन्हें बहुत सारे बंदरों ने घेर लिया । बंदर स्वामी विवेकानंद के हाथों से प्रसाद छीनने लगे, करीब आने लगे और उन्हें डराने लगे। स्वामी विवेकानंद घबरा कर वहाँ से भागने लगे, उनको दौड़ता देख बंदर भी उनके पीछेपीछे भागने लगे ।

यह पूरा नजारा वहाँ खड़े एक वृद्ध सन्यासी देख रहे थे, उन्होंने विवेकानंद जी से वहीं रूक जाने को कहा, वे बोले डरो मत! उनका सामना करो और देखो कि क्या होता है । सन्यासी की बात सुनकर विवेकानंद बंदरों का सामना करने के लिए पलटे और आगे बढ़ने लगे । विवेकानंद को अपनी ओर आते हुए देख बंदर भागने लगे और बंदरों को भागता देख वो हैरान हो गए और बाद में उन्होंने वृद्ध संयासी को उनकी मदद करने के लिए बहुत धन्यवाद कहा।

सीख: इस किस्से के बाद स्वामी विवेकानंद ने लोगों को यही सीख दी कि यदि तुम किसी चीज से भयभीत होते हो तो उससे भागने के बजाय उसका सामना करो ! सच अगर हम अपने जीवन में डर से भागने के बजाय उनका डट कर सामना करें तो हम खुद ही कितनी समस्याओं का हल निकाल सकते हैं ।

4. देने का आनंद पाने के आनंद से बड़ा है

स्वामी विवेकानंद अमेरिका में एक महिला के यहाँ ठहरे हुए थे। एक दिन वो भ्रमण करके काफी थक गए, अपने निवास वापस लौटे और अपने भोजन की व्यवस्था करने लगे। जब खाना तैयार हो गया, तो स्वामी विवेकानंद ने देखा की उनके दरवाजे पर कई बच्चे खड़े हैं और उन्हें बहुत भूख लगी है। यह देख कर विवेकानंद ने अपनी सारी रोटी उन बच्चों में बांट दी । उस महिला ने जब देखा कि स्वामी विवेकानंद ने अपना सारा खाना बच्चों में बांट दिया तो वह आश्चर्य में पड़ गई । आखिरकार उससे रहा नहीं गया और उसने स्वामी विवेकानंद से यह प्रश्न कर ही लिया कि आपने अपना सारा भोजन इन बच्चों को दे दिया अब आप क्या खाएंगे? स्वामी जी ने उन्हें मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि माँ रोटी तो केवल पेट की ज्वाला शांत करने वाली वस्तु है और देने का आनंद पाने के आनंद से बड़ा होता है ।

सीख: स्वामी विवेकानंद की ये कहानी हमें निःस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करने की प्रेरणा देती है और हमेशा खुद से पहले दूसरों को प्राथमिकता देना सिखाती है।

उम्मीद है कि आपको स्वामी विवेकानंद की ये कहानियां पसंद आई होंगी जिन्हें आप अपने बच्चों को सुना सकती हैं। कहानी के माध्यम से बताई जाने वाली बातों को बच्चे अधिक रूचि लेकर सुनते हैं, इसलिए अपने बच्चों को स्वामी विवेकानंद की महानता के साथसाथ नैतिक शिक्षा देने वाली ये कहानियां जरूर सुनाएं।

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