बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों के लिए तेनालीराम की 10 मजेदार और दिलचस्प कहानियां

लगभग 500 साल पहले विजयनगर साम्राज्य में हुए तेनालीरामकृष्ण एक कवि और राजा कृष्णदेवराय के सलाहकार थे। वह अपनी चतुरता और विनोदी व प्रखर बुद्धि के लिए जाने जाते थे। तेनालीराम की सभी कहानियां उनके और राजा के बीच के संबंध, उनकी बुद्धिमत्ता और उनकी आसानी से किसी भी समस्या को सुलझाने की क्षमता के बारे में हमें बताती है। आप अपने बच्चे को भी तेनालीरामकृष्ण के अद्भुत किस्से सुना सकती हैं ।

बच्चों के लिए तेनालीराम की लघु कथाएं

ऐसे अनेक किस्से हैं जो तेनालीराम की बुद्धिमत्ता को दर्शाते हैं। नीचे सूचीबद्ध 10 ऐसी मजेदार और रोचक कहानियां हैं जो तेनालीराम की बुद्धिमत्ता, उनकी प्रतिभा और उनके कौशल पर प्रकाश डालती हैं।

1. चोर और कुआं

एक बार जब राजा कृष्णदेवराय जेल का सर्वेक्षण करने के लिए गए, तो वहाँ पर बंदी बनाए गए दो चोरों ने राजा से दया करने की सिफारिश की । उन्होंने बताया कि वो दोनों चोरी करने में माहिर थे, इसलिए वे दोनों अन्य चोरों को पकड़ने में राजा की मदद कर सकते हैं।

राजा एक दयालु शासक था इसलिए उन्होंने अपने सिपाहियों से कह कर उन दोनों चोरों को रिहा करने का हुक्म दे दिया लेकिन एक शर्त के साथ। राजा ने चोरों से कहा कि हम तुम्हें रिहा कर देंगे और तुम्हें अपने जासूस के रूप में नियुक्त करेंगे, अगर तुम लोग मेरे सलाहकार तेनालीराम के घर में घुसकर वहाँ से कीमती सामान चुराने में कामयाब रहे तो । चोरों ने राजा की चुनौती को स्वीकार कर लिया।

उसी रात दोनों चोर तेनालीराम के घर गए और झाड़ियों के पीछे छिप गए। रात के खाने के बाद, जब तेनालीराम टहलने के लिए बाहर गए, तो उन्होंने झाड़ियों के बीच में कुछ सरसराहट सुनी। उन्हें अपने बगीचे में चोरों की मौजूदगी का एहसास हुआ।

थोड़ी देर बाद वह अंदर गए और अपनी पत्नी को जोर से कहा कि उन्हें अपने कीमती सामान के बारे में सावधान रहना होगा, क्योंकि दो चोर भाग रहे थे। उन्होंने अपनी पत्नी को सभी सोने और चांदी के सिक्के और आभूषण को एक बक्से में रख देने को कहा। चोरों ने तेनाली और उसकी पत्नी के बीच की बातचीत को सुना।

कुछ समय बाद, तेनालीराम ने बक्से को अपने घर के पीछे मौजूद कुएं में ले जाकर फेंक दिया। चोरों ने यह सब देखा। जैसे ही तेनाली अपने घर के अंदर गए, दोनों चोरों ने कुएं के पास जाकर उसमें से पानी निकालना शुरू कर दिया। वे पूरी रात पानी खींचते रहे। लगभग भोर में, वो उस बक्से को बाहर निकालने में कामयाब रहे, लेकिन उसमें मौजूद पत्थर देखकर चौंक गए। तभी तेनालीराम बाहर आए और उन चोरों से कहा कि हमें रात में अच्छी तरह से सोने के लिए और मेरे पौधों को पानी देने के लिए आपका बहुत धन्यवाद । दोनों चोरों समझ गए कि तेनालीराम ने उन्हें बेवकूफ बनाया है। उन्होंने तेनालीराम से माफी मांगी और उन्होंने उन चोरों को जाने दिया।

नैतिक शिक्षा

कहानी से नैतिक शिक्षा ये मिलती है कि आपको हमेशा गलत चीजों को स्वीकार करने से बचना चाहिए।

2. लालची ब्राह्मण

राजा कृष्णदेवराय की माँ बहुत धार्मिक थीं। एक दिन वह आईं और उन्होंने राजा से कहा कि वह अगली सुबह ब्राह्मणों को पके आमों की भेंट देना चाहती हैं। राजा ने अपने सेवक से आम लाने को कहा। उसी रात, राजा की माँ की मृत्यु हो गई। राजा बहुत दुखी थे, लेकिन उन्हें अपनी माँ की आखिरी इच्छा याद थी।

राजा ने सभी आवश्यक धार्मिक संस्कार किए। अंतिम दिन, उन्होंने कुछ ब्राह्मणों को बुलाया और उनसे अपनी माँ की अंतिम इच्छा पूरी करने का सुझाव मांगा। ब्राह्मण लालची थे, चर्चा के बाद, उन्होंने राजा से कहा कि उनकी माँ की आत्मा तभी शांत होगी जब राजा उन्हें सोने से बने आमों को दान करेंगे।

राजा ने अगली सुबह ब्राह्मणों को सोने के आमों को देने के लिए आमंत्रित किया। तेनालीराम ने जब यह सुना तो वो एक बार में ही समझ गए कि ब्राह्मण लालची थे। उन्होंने ब्राह्मणों को सबक सिखाने के लिए अपने घर बुलाया।

सभी ब्राह्मण राजा से सोने के बने आमों को पाकर बहुत खुश थे। अगले दिन तब वे तेनाली के घर गए तो उन्होंने सोचा कि वो भी उन्हें कुछ अच्छा दान देंगे। लेकिन जब वो लोग उनके घर के अंदर गए, तो उन्होंने तेनाली को हाथ में गर्म लोहे की पट्टी के साथ खड़े देखा।

ब्राह्मण यह देखकर हैरान थे। तेनाली ने उन्हें बताया कि उनकी माँ गठिया के रोग से पीड़ित थी। वह दर्द कम करने के लिए गर्म छड़ से अपने पैरों को जलाने की कामना करती थी। इस प्रकार, वह ब्राह्मणों के पैरों को जलाना चाहते थे ताकि उनकी माँ की आत्मा को शांति मिले।

ब्राह्मण तेनाली की चाल को समझ गए। शर्मिंदगी के साथ उन्होंने सोने के आमों को तेनाली को वापस लौटा दिया और वहाँ से चले गए। तेनाली ने राजा को सभी सोने के आम लौटा दिए और उन्हें बताया कि कैसे अपने लालच के चलते राजा को ब्राह्मणों ने फंसाया बनाया था।

नैतिक शिक्षा

किसी को लालच में नहीं पड़ना चाहिए और जो उनके पास हो या मिले उसमें उन्हें खुश होना चाहिए।

3. तेनालीराम और अपशकुनी आदमी

विजयनगर में राम्या नाम का एक व्यक्ति रहता था। उसे नगर के लोग अशुभ मानते थे। उनका मानना ​​था कि अगर उन्होंने उस व्यक्ति को सुबह सबसे पहले देख लिया, तो उनका दिन शापित हो जाएगा और उन्हें पूरा दिन कुछ खाने को नहीं मिलेगा।

यह कहानी राजा के कानों तक भी पहुँची। उन्होंने सत्य जानने के लिए राम्या को अपने महल में आमंत्रित किया। उन्होंने अपने सेवक को आदेश दिया कि वे अपने कमरे के ठीक बगल वाले कमरे में राम्या के रहने का बंदोबस्त करें। अगली सुबह, राजा बिना किसी से मिले, सबसे पहले राम्या के कमरे में उसका चेहरा देखने के लिए गए।

दिन के समय में, राजा भोजन के लिए बैठे, लेकिन कुछ खा नहीं सके, क्योंकि उनकी थाली में एक मक्खी बैठी थी। उन्होंने रसोइया को फिर से भोजन तैयार करने का आदेश दिया। जब तक दोपहर का भोजन तैयार हुआ, तब कृष्णदेवराय का भोजन करने का मन नहीं था। चूंकि उन्होंने कुछ नहीं खाया था, इसलिए वह अपने काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने इस बात को महसूस किया कि लोगों ने जो भी राम्या के बारे में कहा था वह वाकई में सच था। राजा ने फैसला किया कि राम्या जैसे आदमी को जीवित नहीं रहना चाहिए और अपने सैनिकों को उसे फांसी देने का आदेश दिया। सैनिक उसे फांसी नहीं देना चाहते थे, लेकिन वे अपने राजा का अनादर नहीं कर सकते थे।

अपने पति की फांसी की सजा सुनते ही राम्या की पत्नी तेनाली के पास मदद मांगने गई । उसमें रोते हुए पूरी बात तेनालीराम को बताई ।

अगली सुबह, जब सैनिक राम्या को फांसी देने के लिए ले जा रहे थे, तो रास्ते में तेनालीराम उनसे मिले। तेनाली ने राम्या के कान में कुछ फुसफुसाया और चले गए। जब सैनिक ने फांसी दिए जाने से पहले राम्या से उसकी आखिरी इच्छा पूछी, तो उसने कहा कि वह राजा को एक पत्र भेजना चाहता है।

सिपाही ने राम्या का पत्र राजा को सौंप दिया। राजा ने उस पत्र को पढ़ा जिसमें यह लिखा था कि यदि मेरा चेहरा देखकर कोई दिन भर भूखा रहता है, तो सुबह के समय सबसे पहले राजा का चेहरा देखने वाला व्यक्ति, अपनी जान गंवाता है। तो फिर कौन अधिक शापित हुआ वह या राजा? राजा समझ गए कि राम्या का क्या मतलब था और उन्होंने उसे रिहा कर दिया।

नैतिक शिक्षा

कभी अंधविश्वास न करें।

4. एक मुट्ठी अनाज या एक हजार सोने के सिक्के

विजयनगर साम्राज्य में विद्युलता नाम की एक महिला थी। उसे ललित कला के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों पर बहुत गर्व और अभिमान था। एक दिन उसने अपने घर के सामने एक बोर्ड लगाया। बोर्ड पर लिखा था कि जो भी बुद्धिमत्ता, विद्या और प्राचीन पुस्तकों के ज्ञान में उसे पराजित करेगा, वह उस व्यक्ति को एक हजार सोने के सिक्कों से पुरस्कृत करेगी। कई विद्वानों ने चुनौती ली लेकिन वो उसे हरा नहीं सके।

कई दिन बीत गए लेकिन अभी तक कोई भी उसे हरा नहीं सका था। एक दिन लकड़ी बेचने वाला एक आदमी उसके घर के बाहर तेज आवाज में चिल्ला रहा था। जब वो ऐसा लंबे समय तक करता रहा, तो विद्युलता चिढ़ गई। वह बाहर आई और उसने लकड़ी बेचने वाले से कहा कि वो अपनी लकड़ी उसे बेच दे। उस व्यक्ति ने कहा कि वह अपनी लकड़ी को पैसे के बदले नहीं बल्कि मुट्ठी भर अनाज के बदले बेचना चाहता है। विद्युलता उसकी बात से सहमत हो गई और उसे अपने घर के पीछे वाले हिस्से में उन लकड़ियों को रख देने के लिए कहा। उस आदमी ने जोर देकर कहा कि आप समझी नहीं कि मैंने आपसे वास्तव में क्या मांगा था। उसने आगे कहा कि अब अगर वह मुट्ठी भर अनाज का सही मूल्य नहीं चुका पाती हैं, तो आपको मुझे हजार सोने के सिक्के देने होंगे और साथ ही आपके घर के बाहर लगे बोर्ड को उतारना होगा, जिसमें आप लोगों को अपने साथ बौद्धिक तर्क करने के लिए आमंत्रित कर रही हैं। विद्युलता को गुस्सा आ गया और उसने कहा, “आप क्या बकवास कर रहे हैं?”

लकड़ी बेचने वाले ने जवाब दिया कि यह बकवास नहीं है आप मेरी बात का मतलब समझने में विफल रहीं और इसलिए अपने ही शब्दों के युद्ध में हार गई ।

जब उसने लकड़ी बेचने वाले की बात सुनी, तो उसे बहुत गुस्सा आया। दोनों के बीच एक बड़ी बहस के बाद, विद्युलता इस मामले को अदालत में ले गई। न्यायाधीश ने विद्युलता की बात को सुना। फिर उन्होंने लकड़ी वाले से पूछा कि तुम क्या चाहते हो। उसने न्यायाधीश से कहा कि लकड़ी के बदले मैंने इनसे एक मुट्ठी अनाज मांगा जिसका मतलब था कि अनाज जो उसके हाथ भर दे। चूंकि वह इतनी सरल बात को समझने में विफल रही, इसलिए यह उतनी समझदार नहीं थी जितनी ये खुद को मानती हैं और इसलिए इन्हें अपने घर के सामने से यह बोर्ड उतारना चाहिए।

न्यायाधीश लकड़ी बेचने वाले की चतुराई और बुद्धिमत्ता देख कर प्रभावित हुए और उन्होंने विद्युलता को उसे एक हजार सोने के सिक्के देने और अपने घर के बाहर बोर्ड उतारने के लिए कहा।

वास्तव में वह लकड़ी बेचने वाला और कोई नहीं बल्कि तेनाली राम ही थे और उन्होंने रूप बदलकर विद्युलता जैसी घमंडी महिला को सबक सिखाया था ।

नैतिक शिक्षा

आपको अपनी उपलब्धियों और बुद्धिमत्ता को लेकर हमेशा विनम्र होना चाहिए।

5. इनाम और सजा

जब तेनालीराम पहली बार हंपी आए, तो वह राजा कृष्णदेवराय से मिलना चाहते थे। अपनी पत्नी को मंदिर में छोड़कर, वह उनसे मिलने के लिए राजा के दरबार की ओर बढ़े। जब वह राजा के महल के बाहर पहुँचे, तो महल के द्वार पर मौजूद सिपाही ने उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी।

तेनालीराम ने सिपाही से बताया कि वह राजा से मिलना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने सुना है कि राजा कृष्णदेवराय बहुत दयालु और उदार हैं। तेनालीराम ने कहा कि चूंकि वह बहुत दूर से उनसे मिलने आए हैं, इसलिए राजा उन्हें उपहार जरूर देंगे। यह सुनकर सिपाही ने तेनाली से पूछा कि अगर उसे राजा से उपहार मिले, तो उन्हें क्या मिलेगा? तेनाली ने सिपाही से वादा किया कि राजा उसे जो भी देंगे, वह उसे सिपाही के साथ साझा करेंगे। यह सुनकर सिपाही ने उन्हें महल के अंदर जाने की अनुमति दे दी।

जब तेनाली राजा के दरबार में प्रवेश करने वाले थे, तो दूसरे सिपाही ने उन्हें रोक दिया। तेनालीराम ने उनसे भी यही वादा किया कि राजा जो उन्हें उपहार में देंगे वो उसका आधा हिस्सा उसे दे देंगे, इस बात पर दूसरे सिपाही ने भी तेनाली को अंदर जाने दिया।

जब तेनाली राजा के दरबार के अंदर गए, तो वह राजा को देखकर उनकी ओर भागे। राजा क्रोधित हो गए और उन्होंने सिपाही को आदेश दिया कि वो उन्हें पचास कोड़े लगाए। तेनाली ने हाथ जोड़कर राजा से कहा कि उन्हें यह उपहार उन सिपाहियों के साथ साझा करना है जिन्होंने उसे राजा के दरबार में प्रवेश करने में मदद की थी। यह सुनकर, राजा ने दोनों सिपाहियों को पचासपचास कोड़े लगाने का आदेश दिया।

राजा तेनालीराम की चतुरता और बुद्धिमत्ता से बहुत प्रभावित हुए। राजा ने उन्हें कीमती कपड़े भेंट किए साथ ही उन्हें अपने शाही दरबार में शामिल किया।

नैतिक शिक्षा

आपको कभी लालची नहीं होना चाहिए।

6. तेनालीराम का गधों को सलाम

राजगुरु तथाचार्य वैष्णव संप्रदाय के थे और विष्णु भगवान की पूजा करते थे। उन्होंने स्मार्त की अवहेलना की जो श्री आदि शंकराचार्य के अनुयायी थे।

जब से उन्होंने स्मार्त को देखा था तब से तथाचार्य हमेशा बाहर जाते समय अपने चेहरे को कपड़े से ढंक लेते थे ताकि उन्हें किसी भी स्मार्त का चेहरा न देखना पड़े। राजा सहित हर कोई उनके इस व्यवहार से नाराज था। अंत में राजा समेत सबने तेनाली से इस समस्या को हल करने का अनुरोध किया।

पूरी बात सुनने के बाद, तेनालीराम तथाचार्य के घर उनसे मिलने गए। जैसे ही उन्होंने तेनाली को देखा, उन्होंने अपना चेहरा ढंक लिया। यह देखकर तेनाली ने उनसे पूछा कि वह अपने शिष्य के सामने अपना चेहरा क्यों ढंक रखा है । तथाचार्य ने उन्हें बताया कि स्मार्त पापी थे और अगर उन्होंने उनका चेहरा देख लिया, तो वह अपने अगले जन्म में एक गधा बन जाएंगे। यह सुनकर तेनाली को समझ आ गया की उन्हें तथाचार्य को कैसे सबक सिखाना है।

कुछ दिनों के बाद तेनाली, राजा, तथाचार्य और सभी दरबारियों के साथ सैर सपाटा करने गए। जब वे लौट रहे थे, तो तेनालीराम ने रास्ते में कुछ गधों को देखा। उन्हें देखते ही, वह गधों की तरफ दौड़े और उन्हें सलाम करने के लिए नीचे झुक गए।

यह देखकर राजा सहित सभी लोग हैरान रह गए। राजा ने तेनाली से पूछा कि उसने ऐसा क्या किया है? तेनाली ने राजा को बताया कि वह तथाचार्य के पूर्वजों के प्रति अपना सम्मान अदा कर रहे थे, जिन्होंने स्मार्त का चेहरा देखने का पाप किया था और इस वजह से वो गधे बन गए थे।

राजा ने तेनाली की इस बात के पीछे उनके हास्य को समझ गए और तथाचार्य अपनी ही बात पर शर्मिंदा हो गए। तब से आचार्य ने कभी अपना चेहरा नहीं ढंका।

नैतिक शिक्षा

कभी भी लोगों को उनकी जाति या धर्म के आधार पर न तौलें।

7. कुत्ते को गाय में बदलने की तेनालीराम की इच्छा

एक सुबह, राजा कृष्णदेवराय उठे और नींद में ही अपने सेवक से नाई को बुलाने के लिए कहा। जब तक नाई आया, राजा अपनी कुर्सी पर सो रहे थे ।

नाई राजा को परेशान नहीं करना चाहता था। इसलिए उसने राजा को बिना जगाए चुपचाप और बड़ी कुशलता से उनके बाल और दाढ़ी काट दी। जब राजा उठे, तो उन्हें नाई नहीं दिखाई दिया, वो बहुत क्रोधित हो गए और अपने सेवक से नाई को तुरंत बुलाने के लिए कहा।

जैसे ही सेवक नाई को बुलाने गया राजा ने अपनी ठुड्डी और गाल को महसूस किया और देखा कि वो अच्छी तरह साफ है। उन्होंने आईने में देखा तो उसे समझ आया की नाई ने उन्हें जगाए बिना अपना काम अच्छी तरह किया है।

जब नाई आया, तो राजा ने उसके काम के लिए उसकी प्रशंसा की और उससे पूछा कि वह इनाम के रूप में क्या चाहता है। नाई ने कहा कि वह ब्राह्मण बनना चाहता था। राजा नाई की अजीब मांग से सोच में पड़ गया । क्योंकि राजा ने नाई से वादा किया था, इसलिए उन्होंने कुछ ब्राह्मणों को बुलाया और नाई की अजीब इच्छा के बारे में उन्हें बताया। सभी ब्राह्मण सहमत हो गए, क्योंकि राजा ने उन्हें धन के साथ पुरस्कृत करने के लिए कहा था ।

विजयनगर के अन्य ब्राह्मणों द्वारा नाई की मांग का विरोध हुआ, लेकिन वे सजा के डर से ज्यादा विरोध नहीं कर सकते थे। इसलिए उन्होंने इस मुद्दे पर तेनालीराम से मदद मांगी।

अगली सुबह, जब नाई को अपनी बदलने के लिए मंत्रोच्चार हेतु नदी में ले जाया जा रहा था, तो अनुष्ठान की देखरेख के लिए वहाँ राजा भी मौजूद थे उन्होंने देखा कि तेनाली अपने कुत्ते के साथ कुछ दूरी पर खड़े हैं। राजा उनके पास गए और पूछा कि तेनाली तुम यहाँ क्या कर रहे हो? इस पर तेनाली ने जवाब दिया कि वह कुत्ते को गाय में बदलने की कोशिश कर रहे थे।

यह सुनकर राजा हंसने लगे। उन्होंने तेनाली से कहा कि वह जो करने की सोच रहे हैं वो मूर्खता है । तेनाली ने राजा को उत्तर दिया कि यदि नाई ब्राह्मण बन सकता है, तो कुत्ता गाय में क्यों नहीं बदल सकता।

राजा समझ गए कि तेनाली का क्या मतलब है। उन्होंने नाई से कहा कि उसका ब्राह्मण में बदलना असंभव है उसे इसके बदले कुछ और मांगना चाहिए।

नैतिक शिक्षा

आप किसी व्यक्ति के बाहरी रूप को बदल सकते हैं, लेकिन उसके चरित्र को नहीं बदल सकते हैं।

8. सबसे बड़ा मूर्ख

राजा कृष्णदेवराय को घोड़े बहुत पसंद थे और उनके पास काफी अच्छी नस्ल के घोड़ों का संग्रह था।

एक बार अरब से एक घोड़ों का व्यापारी कृष्णदेवराय के दरबार में आया और उन्हें बताया कि उसके पास अरबी घोड़ों की कुछ अच्छी नस्लें हैं, जिन्हें वो बेचना चाहता है। उसने राजा को अनुरोध किया कि वो उसके साथ लाए हुए घोड़े को देखें, यदि उन्हें वो पसंद आता है तो वह बाकी के घोड़ों को भी देखने के लिए भेज देगा।

राजा ने घोड़े को प्यार करते हुए व्यापारी से कहा कि उन्हें सारे घोड़े पसंद आएंगे और राजा ने उसे 5000 सोने के सिक्के पहले ही दे दिए, व्यापारी ने वादा किया कि वो जाने से दो दिन पहले सारे घोड़े ले आएगा।

दो दिन बीत गए, फिर दो हफ्ते बीत गए लेकिन व्यापारी वापस नहीं आया। अब राजा को ज्यादा चिंता होने लगी । एक शाम, अपने मन को शांत करने के लिए, वह बगीचे में टहलने गए। वहाँ उन्होंने तेनालीराम को एक कागज में कुछ लिखते हुए देखा तो पूछा कि वह क्या लिख ​​रहे हैं। तेनाली ने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया । राजा ने उनसे फिर पूछा तो तेनाली ने उन्हें बताया की वो विजयनगर साम्राज्य के सबसे बड़े मूर्खों के नाम लिख रहे हैं।

राजा ने उनसे कागज लिया तो देखा कि उनका नाम सबसे ऊपर लिखा हुआ था । वह तेनाली से नाराज हो गए और उनसे स्पष्टीकरण मांगने लगे। तेनाली ने उन्हें जवाब दिया जो व्यक्ति किसी अजनबी को 5000 सोने के सिक्के दे दे वो इंसान मूर्ख ही हुआ। राजा के कहा अगर वो व्यापारी घोड़ों के साथ लौट आए तो? इस पर तेनाली ने कहा फिर उस स्थिति में वह आदमी मूर्ख होगा और वो राजा के बजाय उस व्यापारी का नाम लिख देगा ।

नैतिक शिक्षा

अनजान लोगों पर आँख मूंदकर विश्वास न करें।

9. राजा का सपना

एक सुबह, कृष्णदेवराय बहुत चिंतित नजर आ रहे थे। तेनालीराम ने राजा से पूछा कि वो किस बात से इतना चिंतित हैं। राजा ने जवाब दिया वह एक सपने की वजह से परेशान हैं। तेनाली ने पूछा आखिर क्या है वो सपना जो आपको परेशान कर रहा है।

राजा ने बताया कि उन्होंने बादलों में तैरते हुए एक सुंदर महल को सपने में देखा। यह कीमती पत्थरों से बना हुआ था और उसमें बहुत ही खूबसूरत बगीचे थे। लेकिन अचानक सपना समाप्त हो गया और राजा अब उस सपने को भूल नहीं पा रहे हैं।

तेनाली राजा को बताने ही वाले थे कि ऐसे सपनों का कोई मतलब नहीं होता है तभी कृष्णदेवराय के एक अन्य मंत्री चतुर पंडित ने राजा से कहा कि उन्हें अपने सपने का पीछा करना चाहिए और इसे सच करना चाहिए। चतुर पंडित एक चालाक आदमी था और उसने राजा को ऐसा महल बनाने के लिए प्रेरित किया ताकि वो अपनी जेब भर सके।

तेनाली, चतुर पंडित की भ्रष्ट नियत को समझ गए लेकिन उन्होंने इस योजना के प्रति अपनी असहमति नहीं दिखाई। राजा ने चतुर को अगले दिन परियोजना पर काम शुरू करने के लिए कहा।

दिन बीतते गए, राजा जब भी परियोजना के बारे में चतुर से पूछते तो चतुर बहाना बना देता। वह राजा से उनके सपने के बारे में कोई न कोई सवाल करता और फिर बहाने से उनसे पैसे मांग लेता।

एक दिन एक बूढ़ा व्यक्ति कृष्णदेवराय के दरबार में आया और उनसे न्याय मांगने लगा। चूंकि राजा बहुत न्याय प्रिय थे, इसलिए उन्होंने उस आदमी से वादा किया कि उसे न्याय दिया जाएगा।

बूढ़े व्यक्ति ने राजा को बताया कि वह एक हफ्ते पहले तक वो एक अमीर व्यापारी हुआ करता था लेकिन, उसे लूट लिया गया था और उसके परिवार के सदस्यों ने हत्या कर दी गई। राजा ने पूछा कि क्या वह जानता है कि ऐसा किसने किया और तो उस बूढ़े आदमी ने कहा कि वह जानता है। राजा ने जब नाम पूछा तो वो नाम सुनकर हैरान हो गए। बूढ़े व्यक्ति ने कहा कि उसे कल रात एक सपना आया था और उसने देखा कि उसे लूट लिया गया है और उसके परिवार की हत्या राजा और चतुर पंडित ने की है। यह सुनकर राजा क्रोधित हो गए और उससे पूछा कि तुम्हारा सपना कैसे सच हो सकता है। बूढ़े व्यक्ति ने यह कहते हुए वापस उत्तर दिया कि वह सिर्फ एक साम्राज्य का नागरिक था जिसका राजा एक असंभव सपने का पीछा कर रहा था।

इस जवाब को गहराई से समझने के बाद राजा समझ गए कि वह बूढ़ा व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि उनके अपने सलाहकार तेनालीराम थे।

नैतिक शिक्षा

व्यर्थ के प्रयत्नों से बचना ही बेहतर है।

10. तेनाली और महान पंडित

एक बार, एक पंडित विजयनगर आया । उसने राजा से संपर्क किया और दावा किया कि वह इतना ज्ञानी है कि किसी भी विषय पर बहस में राजा के सभी मंत्रियों को हरा सकते हैं।

राजा ने चुनौती स्वीकार की और अपने मंत्रियों को पंडित से मुकाबला करने को कहा। हालांकि, सभी मंत्री हार गए क्योंकि पंडित हर विषय का विद्वान था।

आखिर में, तेनालीराम की बारी आई। तेनाली ने पंडित को एक पुस्तक के आकार में एक कपड़े को लपेट कर दिखाया और उनसे कहा, “मैं इस महान पुस्तक थिलकस्था महिषा बंधनमके एक विषय पर आपके साथ बहस करुंगा।पंडित स्तब्ध रह गया, क्योंकि उसने ऐसी किसी किताब का नाम पहले नहीं सुना था ।

पंडित ने राजा से एक रात का समय मांगा। हालांकि, पंडित चिंतित था कि वह यह बहस हार जाएगा, क्योंकि उसने किताब के बारे में कभी कुछ नहीं सुना था। इसलिए उसने अपना सारा समान बांधा और रात को चुपचाप राज्य छोड़ कर चला गया ।

अगले दिन, राजा और दरबारियों ने सुना कि पंडित रात में राज्य छोड़कर चला गया । राजा तेनाली से प्रभावित हुए और कहा कि वह पंडित को डराने वाली उस किताब को पढ़ना चाहते हैं। तेनाली ने हंसते हुए कहा कि ऐसी कोई किताब ही नहीं है। उन्होंने केवल कुछ लकड़ियों का प्रयोग किया उसमें भेड़ का गोबर लगाया और उसे रस्सी से बांध कर किताब का आकार दे दिया और उसे ऊपर से कपड़े से ढक दिया और जो कपड़े की सामग्री का संस्कृत में नाम होता है उसे पुस्तक का नाम दे दिया– ‘थिलकस्था महिषा बंधनम

राजा तेनाली की चतुराई से प्रभावित हुए और उन्हें पुरस्कृत किया।

नैतिक शिक्षा

आपको अपने ज्ञान के बारे में अधिक अभिमानी नहीं होना चाहिए।

तेनालीराम के अद्भुत किस्से केवल कहानियों तक सीमित नहीं हैं बल्कि ये उनकी बुद्धिमत्ता और उनके चतुर बुद्धि का चित्रण करते हैं। इसलिए, तेनालीराम की इन कहानियों को अपने बच्चों को जरूर सुनाएं ।

यह भी पढ़ें:

बच्चों के लिए 15 सर्वश्रेष्ठ लघु नैतिक कहानियाँ
बच्चों को नैतिक शिक्षा देने वाली शीर्ष 10 प्रेरणादायक भारतीय पौराणिक कहानियां

समर नक़वी

Recent Posts

गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी | The Story Of Sparrow And Proud Elephant In Hindi

यह कहानी एक गौरैया चिड़िया और उसके पति की है, जो शांति से अपना जीवन…

1 week ago

गर्मी के मौसम पर निबंध (Essay On Summer Season In Hindi)

गर्मी का मौसम साल का सबसे गर्म मौसम होता है। बच्चों को ये मौसम बेहद…

1 week ago

दो लालची बिल्ली और बंदर की कहानी | The Two Cats And A Monkey Story In Hindi

दो लालची बिल्ली और एक बंदर की कहानी इस बारे में है कि दो लोगों…

2 weeks ago

रामायण की कहानी: क्या सीता मंदोदरी की बेटी थी? Ramayan Story: Was Sita Mandodari’s Daughter In Hindi

रामायण की अनेक कथाओं में से एक सीता जी के जन्म से जुड़ी हुई भी…

2 weeks ago

बदसूरत बत्तख की कहानी | Ugly Duckling Story In Hindi

यह कहानी एक ऐसे बत्तख के बारे में हैं, जिसकी बदसूरती की वजह से कोई…

2 weeks ago

रामायण की कहानी: रावण के दस सिर का रहस्य | Story of Ramayana: The Mystery of Ravana’s Ten Heads

यह प्रसिद्द कहानी लंका के राजा रावण की है, जो राक्षस वंश का था लेकिन…

2 weeks ago