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जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसके शरीर को पोषण की अधिक आवश्यकता पड़ने लगती है। एक अच्छी तरह से संतुलित आहार से उसकी पोषण की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। फिर भी, कभी-कभी ऐसा होता है कि रोजमर्रा के खाने के साथ कुछ सप्लीमेंट्स की मदद ली जाती है, जैसे बच्चों को विटामिन डी देना। आमतौर पर इसके लिए डॉक्टर लिखकर देते हैं, लेकिन यह जानना महत्वपूर्ण है कि आखिर सप्लीमेंट्स जरूरी होते क्यों हैं।
अधिकांश शिशुओं के लिए, शुरूआती कुछ समय तक स्तनपान या फॉर्मूला दूध ही सब कुछ होता। उनके बड़े होने पर धीरे-धीरे उनके आहार में ठोस खाद्य पदार्थों को एक-एक करके शामिल किया जाता है। लेकिन इसके बावजूद, कुछ बच्चों को विटामिन की खुराक की आवश्यकता हो सकती है। ये आमतौर पर वे बच्चे हो सकते हैं जिन्हें सेहत से जुड़ी कुछ समस्या हो या जो किसी बीमारी के साथ पैदा हुए हों, जिनका शरीर कुछ तत्वों को अच्छी तरह से सिंथेसाइज नहीं कर पाता है। प्रीमैच्योर बच्चों को सामान्यतः ऐसी समस्या होती है। साथ ही, माँ का आहार बच्चे के पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तो अगर माँ शुद्ध शाकाहारी है या किसी विशिष्ट डाइट पर है जिसमें संपूर्ण पोषण नहीं मिलता है, तो आपके बच्चे को अलग से इसकी जरूरत पड़ सकती है।
जब तक सीमित या बताई गई खुराक के अनुसार सप्लीमेंट्स लिए जाएं, वे आमतौर पर टॉडलर के लिए हानिकारक नहीं होते हैं। अपने डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी सप्लीमेंट लेना शुरू नहीं करना चाहिए।
माँ का दूध आमतौर पर शिशुओं के लिए सबसे अच्छा आहार माना जाता है, खासकर नवजात बच्चे के लिए। इसमें बहुत सारा पोषण और एंटीबॉडी हो सकते हैं लेकिन माँ के दूध में सामान्य तौर पर आवश्यक मात्रा में विटामिन डी और आयरन नहीं होता है। हड्डी के स्वस्थ विकास के लिए विटामिन डी की बहुत आवश्यकता होती है, जबकि आयरन खून और मस्तिष्क के विकास का मुख्य अंग है। ऐसे मामलों में, डॉक्टर बच्चों के लिए विटामिन डी और आयरन के सप्लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं। आप भले ही आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ा दें, फिर भी एक सप्लीमेंट की आवश्यकता होगी क्योंकि बच्चों को आयरन की काफी जरूरत होती है।
ये विटामिन्स बच्चे को टेस्टी लगने वाले सिरप के रूप में मिल जाते हैं। आप उसे इसके ड्रॉप्स पिला सकती हैं या अपने दूध में मिलाकर दे सकती हैं, यदि वह बॉटल से दूध पिता हो। सूर्य के प्रकाश के माध्यम से विटामिन डी आमतौर पर एक सिंथेसिस प्रक्रिया होती है और सूरज की किरणें हमेशा आपके बच्चे के लिए अच्छी ही हों, ये जरूरी नहीं।
यदि आपको स्तनपान कराने से जुड़ी कोई समस्या है और बच्चे को फॉर्मूला दूध पिलाया जाता है तो उस मामले में विटामिन की आवश्यकताएं पूरी तरह से अलग होंगी। मार्केट में मिलने वाले अधिकांश फॉर्मूला दूध पाउडर में भरपूर विटामिन डी और आयरन के साथ बच्चे के शरीर के लिए जरूरी अन्य तत्व भी होते हैं। यदि बच्चा रोज के लिए निर्धारित फॉर्मूला दूध की मात्रा को पूरा पीता है तो ये सभी पोषक तत्व उसके शरीर में अच्छी तरह अब्सॉर्ब हो जाते हैं।
वहीं जब बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाता है और वह फॉर्मूला दूध की जगह पर ठोस आहार लेने लगता है तो उसकी दैनिक आवश्यकता की पूर्ति में कमी पड़ने लगती है। ऐसे मामले में, यह जांचना आवश्यक होगा कि विटामिन एक ऑप्टिमम स्तर पर है या नहीं। फार्मूला दूध और ठोस आहार दोनों के सेवन के साथ डॉक्टर आपको बच्चे के लिए सप्लीमेंट्स शुरू करने की सलाह दे सकते हैं।
बच्चों के लिए जरूरी कुछ विटामिन्स के बारे में नीचे जानकारी दी गई है।
यह उन कोर सप्लीमेंट्स में से एक है, जो डॉक्टर बड़े होते बच्चों के लिए देने को कहते हैं। शिशुओं की हड्डियों के बेहतर विकास के लिए विटामिन डी और विटामिन डी 3 जरूरी होते हैं। यद्यपि इसके लिए सूर्य का प्रकाश आसानी से मिलता है, लेकिन बच्चों को लंबे समय तक धूप में नहीं रखा जा सकता। इसलिए, विटामिन डी के स्रोत के रूप में अंडे और मछली जैसी चीजों का चयन फायदा कर सकता है। यदि आपके बच्चे ने ठोस पदार्थ खाना शुरू कर दिया है, तो उसे थोड़ा सा सीरियल दिया जा सकता है। होल ग्रेन्स से बनने वाले ये सीरियल्स में बहुतायत में विटामिन डी होता है और इसका दैनिक कोटा हासिल करने में इससे मदद मिल सकती है।
एक और विटामिन जो आँखों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इम्युनिटी को मजबूत करता है, और त्वचा की क्वालिटी को स्वस्थ और अच्छा बनाए रखता है। विटामिन ए विभिन्न फलों और सब्जियों के साथ-साथ डेयरी उत्पादों में आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। विटामिन ए फोर्टीफाइड स्प्रेड्स, गाजर, आम, हरी सब्जियां और शकरकंद विटामिन ए के बहुत अच्छे स्रोत हैं।
विटामिन सी सबसे आसानी से मिलने वाले और शरीर में बने रहने वाले विटामिन्स में से एक है। बच्चों को ज्यादातर प्राकृतिक स्रोतों से इसे दिया जा सकता है क्योंकि बहुत सारे फल और सब्जियां जैसे ब्रोकोली, मिर्च, टमाटर, कीवी, संतरा, नींबू आदि में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी होता है।
चूंकि माँ के दूध में आयरन नहीं होता है इसलिए इसे प्राप्त करने में थोड़े जतन करने पड़ते हैं। बच्चे के विकास के लिए यह काफी मात्रा में आवश्यक होता है। इस मामले में कोई भी कंजूसी या लापरवाही करने से बच्चे को शारीरिक बीमारियों के साथ-साथ व्यावहारिक समस्याएं भी हो सकती हैं और उसके स्वस्थ विकास में देरी हो सकती है। फॉर्मूला-आधारित फीडिंग से यह प्राप्त करने में मदद मिल सकती है और इसके अलावा कुछ फोर्टिफाइड सीरियल्स में भी आयरन पाया जाता है। यदि आपका बच्चा प्रीमैच्योर हुआ है, तो उसे आयरन सप्लीमेंट्स की जरूरत होगी, भले ही आप उसे उचित आहार दे रही हों।
कई ओमेगा-3 फैटी एसिड में से, डीएचए एक कोर फैटी एसिड है जो सीधे मस्तिष्क और आँखों की रोशनी के विकास पर काम करता है। यदि माँ अपने आहार में डीएचए से भरपूर खाद्य पदार्थ ले तो यह आसानी से बच्चे के शरीर में स्तनपान के माध्यम से पहुँचाया जा सकता है। अधिकांश बेबी फॉर्मूला में डीएचए होता है। यह मांस में पाया जाता है, यही वजह है कि जो माएं शाकाहारी हैं या वेगन डाइट लेती हैं, उन्हें अपने डीएचए के सप्लीमेंट्स की आवश्यकता हो सकती है।
बच्चे के बड़े होते जाने के साथ जब उसका पहला दाँत निकलेगा तो फ्लोराइड की आवश्यकता स्वयं महसूस होने लगेगी। फ्लोराइड के सप्लीमेंट्स होते हैं, लेकिन वे दाँतों की चमक को फीका कर देते हैं। उस संबंध में फ्लोराइड युक्त पानी एक बेहतर ऑप्शन है। शहरों में उपलब्ध अधिकांश पानी में फ्लोराइड होता है। यदि आप आमतौर पर ग्राउंड वॉटर का उपयोग करते हैं, तो आपके डॉक्टर सप्लीमेंट्स लेने के लिए कह सकते हैं।
हो सकता है कि आपका बच्चा भी उन बच्चों के जैसा हो जो हरी सब्जियों को देखकर मुँह बनाते हैं। उसे शायद सब्जियों का स्वाद कतई पसंद न हो और इतनी छोटी उम्र में आप उसे खाने के लिए जबरदस्ती नहीं कर सकती। यह सुनिश्चित करना कि खाने के अन्य ऑप्शन आवश्यक विटामिन से भरपूर हैं, एक अच्छी तकनीक है। यदि आपको इस बारे में संदेह है कि आपके बच्चे को सही आहार मिलता है या नहीं, तो डॉक्टर इस बात की पुष्टि करने के लिए आपके बच्चे की खून की जांच करवाने की सलाह दे सकते हैं और यदि आवश्यक हो तो सप्लीमेंट्स देने को कह सकते हैं।
मार्केट में बच्चों को दिए जाने वाले मल्टीविटामिन सिरप आसानी से मिल जाते हैं। इसमें अलग-अलग विटामिन होते हैं। संभव है कि कोई विशेष तत्व आपके बच्चे में साइड इफेक्ट पैदा कर सकता है अगर यह सही खुराक में मौजूद नहीं हो। जब तक कि डॉक्टर आपके बच्चे के लिए स्पष्ट रूप से इसे निर्धारित न करें, मल्टीविटामिन से दूर रहना अच्छा है।
इस बात का ध्यान रखें कि सप्लीमेंट्स निश्चित मात्रा में दिए जाते हैं, भले ही बच्चा उसे और लेना चाहता हो। यदि आपका बच्चा बड़ा है और इधर-उधर हाथ लगा सकता है, तो सावधानी बरतते हुए सप्लीमेंट्स को उसकी पहुँच से दूर रखें।
विटामिन और अन्य मिनरल्स बच्चे के विकास में एक आवश्यक भूमिका निभाते हैं। वे आयरन सप्लीमेंट्स हों या कोई अन्य मल्टीविटामिन इस बात को नहीं भुलाया जा सकता कि ये बाहरी आर्टीफिशल पदार्थ हैं। ये तभी अच्छी तरह से काम कर सकते हैं जब उन्हें उचित मात्रा में रखा जाए। इस बात को ध्यान में रखते हुए, आपका शिशु स्वस्थ रूप से बढ़ता रह सकता है और जल्द ही पूर्ण रूप से ठोस आहार शुरू कर सकता है।
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