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जिंक एक माइक्रोन्यूट्रिएंट है जो एक बच्चे के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है और उसके इम्यून सिस्टम को ताकतवर बनाने में भी मदद करता है। जिंक नर्वस सिस्टम को भी मजबूत बनाता है इसलिए बच्चे के खाने में जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थ डालना जरूरी होता है। इस बात को और अच्छे से समझने के लिए इस आर्टिकल में आपको बच्चों के लिए जिंक के फायदे बताए गए हैं। इसके साथ साथ हम जिंक से भरे कुछ ऐसे पदार्थों के बारे में बताएंगे जिन्हें आप अपने बच्चे के आहार में शामिल कर सकती हैं। क्योंकि स्वाभाविक रूप से जब आपको जिंक के गुणों के बारे में जानकारी मिलेगी तो आप ऐसे आहार के बारे में भी जानना चाहेंगी जिसमें ढेर सारा जिंक पाया जाता हो ।
जिंक क्या है?
जिंक एक ट्रेस मिनरल है जिस पर 70 से भी ज्यादा डाइजेस्टिव एंजाइम शरीर में पाचन और मेटाबॉलिज्म के लिए निर्भर करते हैं। जिन बच्चों में जिंक की कमी होती है, उनके विकास में कमी और असामान्यताओं से गुजरना पड़ता है, इसलिए जिंक बच्चों के खाने का एक बहुत ही जरूरी हिस्सा है। यह बच्चों के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन (जननांग) के विकास के लिए भी बहुत जरूरी होता है।
बच्चों के लिए जिंक के फायदे
बच्चों के लिए जिंक के निम्नलिखित फायदे होते हैं –
- लंबाई और वजन बढ़ाने में मदद करता है।
- कॉग्निटिव विकास में मदद करता है।
- मूड और याददाश्त को सुधारता है।
- एडीएचडी से बचता है और फोकस बढ़ाता है।
- यह एक इम्यूनिटी बूस्टर है, यह बच्चों के लिए अच्छा होता है क्योंकि उन्हें इन्फेक्शन होने का ज्यादा खतरा होता है।
- चोट को ठीक करता है और उम्र से जुड़े मैक्यूलर डिजनरेशन को रोकता है।
- सर्दी-जुकाम और दस्त का इलाज करता है।
- रेटिना को नुकसान से बचाता है और आंखों की रोशनी कम नहीं होने देता।
- डायपर रैशेस को खत्म करने और सनबर्न को रोकने के लिए बच्चों की त्वचा पर टॉपिकल जिंक मलहम लगाया जाता है
- जिंक एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है और बच्चों में कैंसर के खतरे को कम करता है।
बच्चों के लिए जिंक की खुराक
यदि आप सोच रही हैं कि बच्चों को कितना जिंक देना चाहिए, तो यह जानने में हम आपकी मदद करेंगे। द ऑफिस ऑफ डाइटरी सप्लीमेंट्स के अनुसार, बच्चों के लिए ये जिंक की निम्नलिखित खुराक हैं –
- उम्र 4 से 8 – 5 मिलीग्राम/दिन
- उम्र 9 से 13 – 8 मिलीग्राम/दिन
- उम्र 14 से 18 – 9 मिलीग्राम/दिन
यह देखा गया है कि लगभग 25-50 मिलीग्राम जिंक और कॉपर खाने से मेटाबॉलिज्म पर गलत तरह से असर पड़ता है, इसलिए टीनएजर्स को जिंक और कॉपर से भरपूर खाने को बहुत ही सीमित मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है।
जिंक से भरपूर आहार
आप प्राकृतिक खाद्य स्रोतों के माध्यम से अपने बच्चे के आहार में जिंक की मात्रा बढ़ा सकती हैं। आप नीचे दिए गए जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपने बच्चे के आहार में शामिल कर सकती हैं –
- रेड मीट
- शेलफिश
- नट्स
- मशरूम
- होल ग्रेन सीरियल
- बिना छिले आलू
- बीन्स
- मां का दूध
- दाल
- फलियां
सही तरह से प्लान किया हुआ शाकाहारी खाना भी हर उम्र के लोगों को पर्याप्त जिंक दे सकता है, और शाकाहारियों को मांसाहारी लोगों की तुलना में जिंक की कमी का ज्यादा खतरा नहीं होता है। शाकाहारियों के लिए जिंक के जरूरी सोर्स में होल ग्रेन, फलियां, सोया प्रोडक्ट, नट्स, सीड्स, फोर्टिफाइड सीरियल और दूध से बने पदार्थ शामिल हैं।
बच्चों को जिंक सप्लीमेंट देते समय क्या सावधानियां रखें
अगर आप अपने बच्चों को जिंक सप्लीमेंट देने का सोच बना रही हैं, तो यहां कुछ चीजें हैं जो आपको जाननी चाहिए:
- बच्चे को उल्टी, मतली, दस्त, पेट दर्द, बुखार और सुस्ती जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
- जिंक को भारी मात्रा में खाने से ब्लड कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ सकता है, एचडीएल का लेवल कम हो सकता है और इन्फेक्शन भी हो सकता है।
- यह अन्य दवाओं जैसे कि इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स, ब्लड प्रेशर की दवाई और एंटीबायोटिक दवाओं के साथ रिएक्ट कर सकता है।
- 18 साल से छोटे बच्चों को डॉक्टर द्वारा बोले बिना ओवर-द-काउंटर जिंक की खुराक लेने की सलाह नहीं दी जाती है।
- अगर आप अपने बच्चे को जिंक सप्लीमेंट देना चाहती हैं तो इंट्रानेसल जिंक का उपयोग न करें क्योंकि इससे सूंघने की क्षमता चले जाने का खतरा होता है।
हालांकि शाकाहारी आहार में जिंक होता है, मगर कई बार यह रोजाना की खुराक को पूरा करने के लिए कम पड़ता है। आप अपने बच्चे के खाने में ब्रेड के यीस्ट रिसेन होल ग्रेन वाले टुकड़े, सोया आधारित आहार जैसे मीसो और टेंपेह शामिल करके उसे इसे खाने के लिए प्रोत्साहित करें। जिंक फोर्टीफाइड सीरियल और होल ग्रेन भी उन बच्चों के लिए एक अच्छा विकल्प होता है जो मीट और डेयरी प्रोडक्ट नहीं खाते हैं और या तो शाकाहारी या वेगन होते हैं।
बच्चों के लिए जिंक सप्लीमेंट का उपयोग करने से पहले अपने फैमिली डॉक्टर या सर्टिफाइड न्यूट्रिशनिस्ट से जरूर पूछे क्योंकि इसे सही मात्रा में न खाने की वजह से उन्हें ऊपर बताई गई परेशानियों के साथ साथ और भी कई साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ सकता है।
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