हम सभी बड़े ही विधि–विधान के साथ अपने घर में माता का स्वागत करते हैं और हर वो मुमकिन काम करते हैं जिससे माता प्रसन्न हो सकें। नव का अर्थ है ‘नौ’ और रात्रि का अर्थ है ‘रात’, क्योंकि यह पर्व पूरे नौ रातों तक मनाया जाता है इसलिए इसे नवरात्रि कहा जाता है। अगर हम आपसे पूछे कि आपने यह रीति–रिवाज कहाँ से सीखे तो बेशक आप यही जवाब देंगी कि, जैसे–जैसे आपने अपने बड़ों को सभी रीति–रिवाजों का पालन करते देखा आपने भी उसी प्रकार इन्हे अपना लिया। हम सभी जब छोटे होते हैं, तो अपने माता–पिता और बुजुर्गों से ही इन परंपराओं को सीख कर इनका पालन करते हैं।
लेकिन, बदलते वक्त के साथ अब ऐसा जरूरी नहीं कि जिन परंपराओं का आप पालन करती आ रही हैं, आपका बच्चा भी बिना सवाल किए उन्ही परंपराओं का पालन करेगा। आज के समय में बच्चे हर चीज के पीछे लॉजिक ढूंढते हैं, वह यह जानने के इच्छुक होते हैं कि हम जिन रीति–रिवाजों का पालन कर रहे हैं उसके पीछे की वजह क्या है। बच्चों को त्योहार से जुड़ी हर बात जानने की उत्सुकता और जिज्ञासा होती है और वह सभी त्योहारों का सही मायने में तभी महत्व समझ पाएंगे, जब वो यह जानेंगे कि इन सभी रस्मों–रिवाजों को निभाने के पीछे कारण क्या है।
हमारा देश त्योहारों के मामले में एक विस्तृत देश है, जिसमें से एक नवरात्रि का त्योहार भी शामिल है, यह विभिन्न राज्यों में विभिन्न संस्कृतियों के अनुसार मनाया जाता है। इसलिए, हमे बच्चों को देश की सभ्यता के बारे में बताने के लिए इन त्योहारों और समारोहों के महत्व को समझाना बहुत महत्वपूर्ण है।
चूंकि, देवी दुर्गा को दिव्य स्त्री, ऊर्जा और शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है, इसलिए माता–पिता के लिए यह आवश्यक है कि वे माँ दुर्गा के बारे में बच्चों को बताएं और यह भी बताएं कि क्यों नवरात्रि को इतने बड़े स्तर पर मनाया जाता है।
इस शारदीय नवरात्रि के दौरान आप अपने बच्चों को नवरात्रि से जुड़ी इन 6 चीजों के बारे में जरूर बताएं जो कुछ इस प्रकार हैं:
पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर नामक एक शक्तिशाली राक्षस था जिसके आतंक से सभी देवता बहुत परेशान हो गए थे, इसके चलते देवताओं ने महिषासुर के आतंक को खत्म करने के लिए देवी आदिशक्ति का आह्वान किया।इस आह्वान के दौरान देवी दुर्गा प्रकट हुई। माँ दुर्गा ने महिषासुर के साथ पूरे 9 दिनों तक युद्ध किया और अंततः 10वें दिन यानी अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को उसका वध कर दिया। विजय के इसी पर्व को याद करते हुए दुर्गा पूजा मनाई जाती है। बच्चों के लिए नवरात्रि और दशहरा से जुड़ी जानकारियां
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हिन्दू धर्म में कन्याओं को देवी का दर्जा दिया गया है इसलिए वे सम्माननीय हैं। धर्म ग्रंथों में लिखा है कि जिस घर में नारी का सम्मान होता है, वहाँ ईश्वर खुद विराजमान होते हैं । अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं को नौ देवी का स्वरूप मानकर उनका स्वागत किया जाता है । यदि आप अपने घर पर कन्या पूजन आयोजित करते हैं, तो उन्हें पहले से ही अपने घर आने आमंत्रण दें । कन्या पूजा वाले दिन कन्याओं के पैर धोकर, माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाकर उन्हें आसन पर बैठाकर उनकी पूजा की जाती है। इसके बाद माता को भोग लगाए हुए प्रसाद के साथ उन्हें भोजन कराया जाता है । फिर सभी कन्याओं को उपहार देकर उपासक उनका आशीर्वाद लेते हैं।
उपवास रखना माँ दुर्गा के इस पवित्र उत्सव का सार है। मान्यता है कि नवरात्रि में व्रत रखने से तन–मन और आत्मा को शुद्धि मिलती है। व्रत का पालन करने से शारीरिक, मानसिक और धार्मिक सभी प्रकरों से फायदा होता है । नवरात्रि में उपवास रखने से शरीर तो स्वस्थ रहता ही है साथ ही मन भी शांत रहता है। अपने बच्चे को उपवास रखने के वैज्ञानिक महत्व के बारे में भी बताना महत्वपूर्ण है। आप उन्हें बताएं की कैसे 9 दिनों तक उपवास रखने से शरीर को उसमें मौजूद विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।
सभी धार्मिक कार्यो में कलश का बड़ा महत्व है।धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख समृद्धि और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है । नवरात्रि के दिनों में मंदिरों तथा घरों में कलश स्थापित किए जाते हैं। लेकिन, क्या आपके बच्चे को यह मालूम है कि कलश की स्थापना क्यों की जाती है? नवरात्र में स्थापित किए जाने वाले कलश के लिए हम सबसे पहले एक पात्र में मिट्टी डालकर उसमें गेँहू और जौ बोते हैं और उस पात्र के बीच में कलश रखते हैं । नवरात्र में जौ बोने के पीछे यह मान्यता बताई जाती है कि सृष्टि में सबसे पहली आने वाली फसल जौ ही थी और इसलिए हमें अन्न का सम्मान करना चाहिए ।
कलश में भरा जाने वाला पवित्र गंगा जल का मूल भाव यह है कि हमारा मन भी जल की तरह शीतल, स्वच्छ और निर्मल बना रहे । यदि हमारे मन में क्रोध, मोह, ईर्ष्या, घृणा आदि प्रवेश करने लगे तो यह जल के समान घुल जाए और हमारे मन को फिर से साफ कर दे।
जब आप उपवास के लिए खाने की चीजें बनाती हैं तो बच्चों को इसमें शामिल करके उन्हें त्योहार का पूरा आनंद लेने दें। आप अपने बच्चे को साबूदाना खिचड़ी या खीर और मखाने की खीर जैसे सरल व्यंजन बनाना सिखा सकती हैं। आप नवरात्रि में जो कुछ भी तैयारियां करें उसमें अपने बच्चे को शामिल करना न भूलें । जब वो आपके साथ साथ आपके कामों में हाथ बटाएंगे, तो त्योहार के महत्व को और भी करीब से जान पाएंगे ।
बच्चों को अनुशासन का महत्व समझाने का यह एक बेहतरीन तरीका है, आप उन्हें बता सकती हैं कि दिन की शुरुआत कैसे अनुशासन के साथ करें। सुबह स्नान करके अपने दिन को शुरू करें फिर पूजा पाठ करने के बाद शुद्ध विचारों से अपने दिनभर के बाकी काम करें । इस प्रकार आप अपने बच्चे को सिखा पाएंगी कि वह कैसे अनुशासन में रहकर इन रीति–रिवाजों का पालन कर सकते हैं।यह सभी उन्हें सिखाती है कि अपनी इंद्रियों को कैसे नियंत्रित किया जाना चाहिए और कैसे अपने शरीर को किसी भी बुरी चीज से प्रभावित होने से रोकना है ।
इन सभी बातों को आप अपने बच्चों को जरूर बताएं, ताकि आने वाले समय में वह त्योहार के महत्व को समझकर उसका पालन कर सकें।
बच्चों को त्योहार का महत्व बताने के साथ–साथ कुछ चीजों का खुद भी ख्याल रखना चाहिए और बच्चों को भी बताना चाहिए । नवरात्रि का त्योहार माँ दुर्गा के नौ रूपों की उपासना व आराधना करने का त्योहार है। हर भक्त माता के प्रति अपनी भक्ति को उसके अनुसार अभिव्यक्त करने की कोशिश करता है। लेकिन कई बार हमें बहुत सारी बातों का ज्ञान नहीं होता है और जाने अनजाने हम वह गलती कर बैठते हैं जो हमें कतई नहीं करनी चाहिए। जब हम किसी त्योहार को मनाते हैं, तो उसे संपूर्ण अनुष्ठान के साथ निभाना चाहिए, तभी उसका कुछ महत्व है। हम अपनी लापरवाही के चलते कुछ ऐसी गलतियां कर जाते है जिससे हमारी सारी पूजा पाठ व्यर्थ हो जाती है। यदि इस नवरात्रि आप माँ दुर्गा को पूर्ण रूप से प्रसन्न करना चाहते हैं, तो नीचे बताए गए कामों को बिलकुल न करें।
वह चीजें जो आपको नवरात्रि के दौरान नहीं करना चाहिए वे इस प्रकार हैं:
नवरात्रि के दौरान बालों को नहीं काटने चाहिए और न ही दाढ़ी–मूंछे बनवानी चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि देवी दुर्गा ऐसा करने से नाराज होती हैं । यदि काम की वजह से दाढ़ी बनवाना आपकी मजबूरी है, तो आप एक से दो बार शेव कर सकते हैं, लेकिन अपने सिर के बालों को न कटवाएं। इसके अलावा अगर आप नवरात्रि के समय अपने बच्चे का मुंडन समारोह आयोजित करने की सोच रहे हों तो, ऐसा बिलकुल न करें ।
इस त्योहार में लोग देवी को प्रसन्न करने के लिए बहुत कुछ करते हैं । घर पर कलश स्थापित करना उनमें से एक है। यदि आपने भी अपने घर में कलश स्थापित किया है तो ध्यान रहें कि इस अवधि में अपने घर को कभी भी खाली छोड़कर न जाएं। इसके अलावा, यदि आपने अखंड ज्योत जलाई है इसे घर के अंदर ही रखें, बाहर न जलाएं ।
हम सभी जानते हैं कि इस दौरान मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि मांस खाने से यह राजसी–तामसी प्रवृतियों को बढ़ावा देता है । इसलिए इसका सेवन नहीं करना चाहिए ।
आप इन नौ दिनों के लिए पूरी तरह तो नींद नहीं त्याग सकते, लेकिन जितना हो सके उतना कम सोना चाहिए । खासकर दिन में सोने से बचें। यह बात उपवास करने वालों लोगों के लिए विशेष रूप से लागू होती है, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यदि आप नवरात्रि के दौरान दिन में सोते हैं, तो उपवास के दौरान कमाएं सभी अच्छे कर्म व्यर्थ हो जाते हैं । इसलिए कोशिश करें की आप दिनभर ज्यादा से ज्यादा पूजा पाठ में अपना समय बिताएं ।
नवरात्र के समय नाखून काटना अच्छा नहीं माना जाता है। इसलिए, नवरात्र शुरू होने से पहले ही आप यह सारे काम कर लें, जो नवरात्र के समय करने से मना किए जाते हैं ।
नवरात्रि में आपको काले कपड़े नहीं पहनना चाहिए, क्योंकि काले कपड़ों को शुभ नहीं माना जाता है और त्योहार के समय कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जो अशुभ हो। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माने तो, काले रंग से माँ दुर्गा क्रोधित होती हैं ऐसे में नवरात्रि के नौ दिनों तक काले कपड़े पहनने से बचें। इन दिनों में माँ की पूजा में आप केसरिया, पीला, लाल, गुलाबी, हरा और आसमानी रंग आदि पहन सकते हैं।
नवरात्रि में नौ दिनों तक नींबू नहीं काटना चाहिए, नवरात्रि के समय नींबू काटना अशुभ माना जाता है।
नवरात्रि के दौरान जब आप उपवास रखें, तो इस बात का खास ध्यान रखें कि इन नौ दिनों में आप अनाज और नमक का सेवन न करें। इसके बजाए खाने में कुट्टू का आटा, सवा का चावल/मोरधन, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना, सेंधा नमक, फल, आलू, मेवे, मूंगफली आदि खा सकते हैं।
नौ दिन नवरात्रि में आपको प्याज अदरक लहसुन का उपयोग नहीं करना चाहिए और जितना मुमकिन हो सके इस दौरान सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए ।
नवरात्रि में तंबाकू और शराब जैसे अन्य नशीले पदार्थों का सेवन बिलकुल न करें।
नवरात्रि के दौरान शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए, क्योंकि इससे आपको आपके अच्छे कर्मों का फल नहीं मिलता है ।
हमें उम्मीद है कि इस लेख द्वारा दी गई जानकारी आपके और आपके बच्चों को त्योहार के महत्व को पूर्ण रूप से समझने और निभाने में मदद करेगा।
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