डॉक्टरों के अनुसार शिशुओं को उनके जीवन के पहले छह महीनों में माँ के दूध के अलावा कुछ और नहीं देना चाहिए। अगर कुछ माताएं स्तनपान कराने में असमर्थ होती हैं तो वे अपने बच्चे को बेबी फार्मूला दूध दे सकती हैं। एक बार जब आपका बच्चा 6 महीने का हो जाए, तो आप उसे ठोस आहार जैसे फल की प्यूरी, दाल, खिचड़ी आदि खिलाना शुरू कर सकती हैं। कुछ शिशु खाने के मामले में नखरैल हो सकते हैं और संभवतः वे दिए जाने वाले हर भोजन का स्वाद या बनावट पसंद न करें। इस लेख में हमने आपको शिशुओं के लिए रात के स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन के विकल्पों के बारे में बताया है, जो आपके लाडले को जरूर पसंद आएंगे।
शिशुओं को धीरे-धीरे ठोस पदार्थों से परिचित कराया जाना चाहिए। उनके भोजन में नमक या चीनी नहीं होनी चाहिए क्योंकि ये पदार्थ बच्चे के स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं होते हैं। खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने के लिए आप नमक या चीनी के बजाय खजूर या अन्य फलों की प्यूरी का इस्तेमाल कर सकती हैं और इलायची पाउडर, दालचीनी पाउडर, जीरा पाउडर, धनिया पाउडर, अदरक आदि के इस्तेमाल से बच्चे के खाने का स्वाद बढ़ा सकती हैं।
रात के खाने हेतु बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के ऐसे खाद्य पदार्थ होते हैं, जो स्वादिष्ट भी हैं और पौष्टिक भी। इनमें से कुछ तो बिल्कुल परंपरागत भारतीय पद्धति के अनुसार हैं और पीढ़ियों से बच्चों के लिए इस्तेमाल होते रहे हैं। शिशुओं के लिए स्वास्थ्यप्रद और स्वादिष्ट भारतीय व्यंजनों की सूची इस प्रकार है:
शिशु के लिए बनाया जाने वाला यह सबसे आसान खाद्य पदार्थ है। ठोस आहार की बेहतरीन शुरुआत के लिए यह एक अच्छा विकल्प होता है । फल पौष्टिक, प्राकृतिक रूप से मीठे और अपने आप में संपूर्ण आहार हैं। ये आसानी से पच भी जाते हैं। अधिकांश शिशुओं को मसला हुआ या पीसा हुआ फल पसंद होता है। 6 महीने के बच्चे इसे आसानी से पचा सकते हैं।
सामग्री
विधि
ओटमील यानि जई का दलिया शिशुओं के लिए बहुत ही सुरक्षित और पौष्टिक शुरुआती ठोस आहार है। ओट्स में कैल्शियम, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन, प्रोटीन और फाइबर होते हैं। फल विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट के उत्कृष्ट स्रोत होते हैं जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।
सामग्री
विधि
रागी एक पूर्ण अनाज है जिसमें कई पोषक तत्व होते हैं जो एक बढ़ते बच्चे के लिए फायदेमंद होते हैं। रागी में कैल्शियम भरपूर होता है। इसमें आयरन और बी-विटामिन भी होते हैं। रागी में लगभग 80% कार्बोहाइड्रेट होते हैं जो आपके सक्रिय, बढ़ते बच्चे को ऊर्जा प्रदान करते हैं। रागी प्रोटीन और फाइबर का भी अच्छा स्रोत है।
सामग्री
विधि
लाल मसूर (मसूर दाल) में उच्च मात्रा में प्रोटीन और फाइबर होते हैं। मसूर की दाल जल्दी पकती है और बच्चों के लिए पचने में भी आसान होती है। सूप में सब्जियाँ डालने से वे विटामिन और खनिज जैसे अन्य मूल्यवान पोषक तत्व प्रदान करती हैं, जो आपके शिशु या बच्चे के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक है।
सामग्री
विधि
1 साल के बच्चे के लिए यह एक स्वादिष्ट और स्वास्थ्यप्रद भोजन होता है। आप खिचड़ी में पालक या आलू जैसी अन्य सब्जियां भी मिला सकती हैं। खिचड़ी एक पौष्टिक और संतुलित आहार है क्योंकि इसमें दाल से प्रोटीन, चावल से कार्बोहाइड्रेट और सब्जियों से विटामिन और खनिज प्राप्त होते हैं। हल्दी में एंटीऑक्सिडेंट और बायोएक्टिव यौगिक होते हैं जिनमें एंटीइंफ्लेमेट्री और उपचारकारक गुण होते हैं। हल्दी में एंटी-माइक्रोबियल गुण भी होते हैं और ये बच्चे को वायरल और बैक्टीरिया के संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
सामग्री
विधि
चावल आपके बच्चे के पेट के लिए बहुत सुरक्षित और हल्का आहार है क्योंकि यह बहुत आसानी से पच जाता है। चावल बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन से भरपूर होता है। बच्चे को चावल की खीर खिलाने से उसको तुरंत ऊर्जा मिलेगी।
सामग्री
विधि
सब्जियों का सूप बहुत पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है। आप एक छोटी चुटकी हींग, जीरा पाउडर या धनिया पाउडर का उपयोग करके इसके स्वाद को बढ़ा सकती हैं। यह सूप गाजर, पालक, आलू और बीन्स जैसी सब्जियों से बनता है। पालक शिशुओं के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि यह आयरन, फोलेट, विटामिन ए, सी, के और बी-कॉम्प्लेक्स, आहार के फाइबर, पोटेशियम, फॉस्फोरस और कैल्शियम का एक बड़ा स्रोत होता है।
सामग्री
विधि
चूंकि यह दलिया अलग अलग प्रकार के साबुत अनाज से बना होता है, इसलिए इसमें प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व होते हैं जो आपके बढ़ते बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद है। आप मल्टीग्रेन दलिया पाउडर को अधिक मात्रा में बनाकर और एक एयरटाइट डिब्बे में भरकर एक महीने तक इस्तेमाल कर सकती हैं। जब भी आपको बच्चे को दूध पिलाने की आवश्यकता हो, तो इस पिसे हुए मल्टीग्रेन मिक्स की थोड़ी मात्रा का उपयोग दलिया बनाने के लिए किया जा सकता है। आप दलिया के मिश्रण से मीठा और खट्टा दोनों तरह का आहार बना सकती हैं। दाल, चावल और गेहूं का संयोजन, इस दलिया को प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का एक अच्छा संतुलन देता है। वहीं सूखे मेवे विटामिन, खनिज और फाइबर प्रदान करते हैं।
सामग्री
विधि
शिशु और बच्चे खाने के दौरान अक्सर बहुत नखरे करते हैं। इन नए खाद्य पदार्थों को 3 से 4 बार उन्हें खिलाकर देखें कि क्या वे उनका स्वाद और बनावट पसंद करते हैं। एक वर्ष से कम उम्र के शिशुओं के भोजन में प्रति दिन 1 ग्राम से अधिक नमक नहीं डालना चाहिए। नमक के बजाय भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए मसाले और जड़ी-बूटियों का उपयोग करें। चीनी भी शिशुओं के लिए अच्छी नहीं होती है।
भोजन को मीठा करने के लिए आप खजूर या अन्य फलों की प्यूरी का उपयोग कर सकती हैं। 1 साल के ऊपर की आयु वाले शिशुओं के लिए शहद का उपयोग किया जा सकता है। ‘3-दिन’ नियम का पालन करके नए खाद्य पदार्थों को धीरे-धीरे बच्चे के आहार में शामिल करें और हर दिन मात्रा बढ़ाएं। बच्चे को पहले दिन 1 बड़ा चम्मच, दूसरे दिन 2 चम्मच, और तीसरे दिन 3 चम्मच आहार यह जानने के लिए देना जरूरी है कि क्या वह भोजन पसंद कर रहा है और उसे कोई एलर्जी तो नहीं हो रही है। 1 वर्ष या उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए आप दाल के डोसे, गाजर और सूजी की इडली, ओट्स उपमा, मेथी पराठा, और अंडे के साथ ओट्स व केला पैनकेक जैसे खाद्य पदार्थ आजमा सकती हैं। भारतीय मसालों और जड़ी बूटियों का उपयोग करके आपके बच्चे के भोजन का स्वाद बढ़ाया जा सकता है और वह निश्चित रूप से इसे पसंद करेगा।
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…