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जैसा भाई-बहनों के बीच का बंधन होता है वैसे शायद ही कोई हो। भारत में, भाई और बहनों के प्यार का यह सेलिब्रेशन बहुत खास होता है – भारत में भाई बहन के लिए मनाएं जाने वाले दो त्यौहार हैं पहला ‘रक्षा बंधन’ और दूसरा ‘भाई दूज’। भाई बहन का रिश्ता हमेशा ही बहुत खास माना गया है। चाहे सुख हो या दुख, अच्छा या बुरा, इस सब के बाद भी इनका बंधन अटूट है और यही कारण है कि इस रिश्ते को इतना महत्व भी दिया जाता है। आप सभी यह जानते होंगे कि दिवाली के तीसरे दिन भाई दूज का यह पर्व सारे भारत में बड़ी धूम से मनाया जाता है। लेकिन हर पर्व के पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा जरूर जुड़ी होती है और भाई दूज से जुड़ी भी एक कथा है। हमे यकीन है आप सब उस कथा से भली-भांति परिचित भी होंगे, लेकिन क्या आपके बच्चे इस पर्व के पीछे की किस्सा जानते है? बच्चों को रीति रिवाजों को सही परख तब होती है, जब वो यह समझ जाते हैं कि हम जो भी कर रहे है या जो भी त्यौहार मना रहे हैं उसका कारण क्या है। भाई दूज के बारे में बच्चों को बताने के लिए यह सही मौका है इसलिए बच्चों को पहले इस दिन का महत्व समझाएं। भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और तरक्की की कामना करते हुए इस दिन व्रत रखती हैं, रोली चंदन करती हैं, फिर भाई को मिठाई खिला कर खुद कुछ खाती हैं।
भारतीय संस्कृति और परंपराओं में हर तरह के प्यार और बॉन्डिंग के बारे में बताया गया है। भाई दूज का यह पर्व भी अतीत की कहानियों से संबंधित है, जिसकी वजह से भाई दूज का यह पर्व सदियों से मनाया जाता आ रहा है!
इस वर्ष 2023 में भाई दूज 14 नंवबर को मनाया जा रहा है। आइए विस्तार से जानते हैं कि भाई दूज का त्योहार क्यों और कैसे मनाया जाता है।
यह त्यौहार नए चाँद निकालने के दूसरे दिन मनाया जाता है। त्यौहार के नाम से ही आप समझ गए होंगे कि यह त्यौहार किसके लिए हैं। ‘भाई’ का अर्थ है भाई या भैया और ‘दूज’ का अर्थ है नए चाँद का दूसरा दिन। भारत के पूर्वी हिस्से में, इस त्यौहार को ‘भाई फोंटा’ के नाम से जाना जाता है। जैसे की आपको पहले भी बताया गया है कि बहनें अपने भाई लंबी उम्र और उसके जीवन में सुख समृद्धि की कामना करते हुए व्रत रखती है और जब तक वो अपने भाइयों के माथे पर सद्भाव का चंदन से तिलक नहीं लगाती हैं, तब तक अपना व्रत नहीं तोड़ती हैं। यहाँ तक कि भाई दूज का इतना महत्व है कि जो बहनें या भाई एक दूसरे से दूर होने के कारण टीका नहीं लगा सकते हैं, उनके लिए उनकी बहनें कुरियर या ई-मेल के माध्यम से इस दिन “टीका” भेजती हैं और भाई से अपना वादा निभाने की बात करती हैं!
कहा जाता है कि मृत्यु के देवता यमराज इस दिन अपनी बहन यामी से मिलने गए थे, दोनों भाई बहन एक दूसरे को देख बहुत खुश हुए, जाते समय यम ने अपनी बहन से उसकी इच्छा के अनुसार कोई वरदान मांगने को कहा, तो यामी ने अपने भाई से यह वरदान माँगा कि वो हर साल इस दिन उनसे मिलने आएंगे, इस तरह से इस दिन को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाने लगा। एक किस्सा यह भी बताया जाता है कि भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को हराने के बाद इस शुभ दिन अपनी बहन सुभद्रा से मुलाकात की थी। जब आप बच्चों को यह बताएंगे कि त्योहार मनाने के पीछे यह कारण था तो उन्हें सुनकर अच्छा लगेगा और वैसे भी बच्चों को किससे और पौराणिक कथाओं को सुनने में रुचि भी बहुत होती है।
भाई दूज के उत्सव में बहने के भाईयों के माथे पर रोली चंदन का तिलक लगाने और उनकी लंबी आयु और समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। दिया, बहन के कभी न खत्म होने वाले के प्रेम का प्रतीक जो हमेशा उसके भाई की रक्षा करता है और भाई भी इस मौके पर अपने बहनों को उपहार देते हैं। त्यौहार का मतलब है सारे परिवार का एक साथ होना और मिलकर जश्न मनाना! रही बात बच्चों की तो उनके लिए वैसे भी दिवाली के ढेर सारे तोहफे मिले ही होंगे, बच्चों के साथ साथ आप भी त्यौहार का आनंद लें!
यहाँ हम आपको दिवाली सेशन की ढेरों बधाई देते हैं। अपने प्रियजनों के साथ मिलकर इस खूबसूरत त्यौहार का आनंद उठाएं और अपनी अनुष्ठानों से जुड़े रहें!
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