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भाई–बहन का रिश्ता हमेशा ही बहुत खास माना गया है। चाहे सुख हो या दुख, समय अच्छा हो या बुरा, बचपन हो या बुढ़ापा आ जाए, इनका बंधन अटूट रहता है। हालांकि बच्चों को छोटी उम्र से इस रिश्ते को कैसे संभालना है, यह समझाना माता–पिता की जिम्मेदारी होती है। अगर आप सोच रहे हैं कि इस बार बच्चों के साथ भैया दूज का त्यौहार कैसे मनाएं तो बेहतर होगा कि उन्हें हमारे त्यौहारों और परंपराओं की गहराई से जानकारी दें। हिंदू धर्म में प्रत्येक पर्व मनाने के पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा जरूर जुड़ी होती है और भाई दूज से जुड़ी भी एक कथा है। इस वर्ष 2024 में भाई दूज 3 नवंबर को मनाया जा रहा है और बच्चों को इस दिन का महत्व समझाने का यह सही अवसर है।
भैया दूज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है
यह त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। त्यौहार के नाम में ही सब कुछ छुपा है। भैया यानी भाई और दूज का अर्थ है द्वितीया तिथि। भारत के पूर्वी हिस्से में, इस त्यौहार को ‘भाई फोंटा’ के नाम से जाना जाता है। कई जगहों पर भैया दूज के दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और उसके जीवन में सुख समृद्धि की कामना करते हुए व्रत रखती हैं और जब तक वो अपने भाइयों के माथे पर सद्भाव का चंदन तिलक नहीं लगाती तब तक अपना व्रत नहीं तोड़ती हैं। यहाँ तक कि भाई दूज का इतना महत्व है कि जो बहनें या भाई एक दूसरे से दूर होने के कारण टीका नहीं लगा पाते, उनके लिए बहनें कुरियर या ई–मेल के माध्यम से इस दिन ‘टीका’ भेजती हैं और भाई से अपनी रक्षा निभाने का वचन लेती हैं!
भैया दूज की कथा
ऐसा कहा जाता है कि मृत्यु के देवता यमराज इस दिन अपनी बहन यामी से मिलने गए थे, दोनों भाई बहन एक दूसरे को देख बहुत खुश हुए, जाते समय यम ने अपनी बहन से उसकी इच्छा के अनुसार कोई वरदान मांगने को कहा, तो यामी ने अपने भाई से यह वरदान माँगा कि वो हर साल इस दिन उनसे मिलने आएंगे, इस तरह से इस दिन को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाने लगा। एक किस्सा यह भी बताया जाता है कि भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को हराने के बाद इस शुभ दिन अपनी बहन सुभद्रा से मुलाकात की थी। जब आप बच्चों को यह बताएंगे कि त्यौहार मनाने के पीछे यह कारण था तो उन्हें सुनकर अच्छा लगेगा और वैसे भी बच्चों को किस्सों और पौराणिक कथाओं को सुनने में रुचि भी बहुत होती है।
भैया दूज का त्यौहार कैसे मनाया जाता है
भाई दूज के उत्सव में बहनें के भाइयों के माथे पर रोली चंदन का तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी आयु और समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। दिया, बहन के कभी न खत्म होने वाले के प्रेम का प्रतीक जो हमेशा उसके भाई की रक्षा करता है और भाई भी इस मौके पर अपनी बहनों को उपहार देते हैं। त्यौहार का मतलब है सारे परिवार का एक साथ होना और मिलकर जश्न मनाना! रही बात बच्चों की तो उनके लिए वैसे भी दिवाली के ढेर सारे तोहफे मिले ही होंगे, बच्चों के साथ साथ आप भी त्यौहार का आनंद लें!
भाई दूज के मौके पर बच्चों के साथ करें कुछ मजेदार चीजें
- विशेष रूप से भाई–बहनों के लिए एक खेल का आयोजन करें। म्यूजिकल चेयर, अंताक्षरी, डम्ब शराड और बोर्ड गेम जैसे खेल सबके साथ खेलने में हमेशा मजा आता है। यदि आपके भाई भी साथ में हैं, तो बच्चे अपने मामा के साथ मिलकर खेल का मजा दुगुना कर सकते हैं।
- भाई दूज के लिए बच्चों के साथ मिलकर कोई विशेष मिठाई बनाएं। हाँ, हम जानते हैं आपके घर में पहले ही दिवाली की ढेरों मिठाई मौजूद होगी, लेकिन कहते है न, मीठा जितना भी हो कम ही होता है।
- कहानियों के सेशन रखें जिसमें पौराणिक कथाओं के बारे में बताएं। खेल खेल में बच्चे काफी कुछ सीख जाते हैं, इसलिए बच्चों को दिवाली और भाई दूज की परंपराओं के बारे में बताएं। अपनी जड़ों से जुड़े रहना बहुत जरूरी होता है। आप चाहें तो त्यौहारों पर आधारित फिल्में भी परिवार के साथ देख सकते हैं, या अपने वीडियो–कैमरे से कुछ खुद भी शूट कर सकते हैं!
- यदि आपका एक ही बच्चा है, तो उसे भाई–बहन के इस त्यौहार में अकेला न महसूस होने दें। बल्कि उसके चचेरे–ममेरे भाई–बहनों के साथ गेट टुगेदर रखें, ताकि वो भी मजे कर सकें।
- हम आपको दिवाली की ढ़ेरों बधाई देते हैं। अपने प्रियजनों के साथ मिलकर इस खूबसूरत त्यौहार का आनंद उठाएं और अपनी परंपराओं से जुड़े रहें!
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