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बच्चे चाहे किसी भी उम्र के हों, उनके सिर में चोट लगने की संभावना बनी ही रहती है। लेकिन छोटे बच्चे जब चलना सीखते हैं, तो इस दौरान गिरकर सिर में चोट आने की संभावना ज्यादा होती है। सिर और चेहरे पर आने वाले छोटी और सतही चोट आमतौर पर बिना ज्यादा परेशानी के ठीक हो जाती है। सिर पर थोड़ा सा भी कट जाए, तो उसमें से काफी खून निकल सकता है, जो कि परेशान कर सकता है लेकिन यह चोट आमतौर पर अधिक गंभीर नहीं होती है और घर पर ही देखभाल के साथ ठीक हो जाती है। लेकिन, अगर सिर में अंदरूनी चोट लग जाए, तो दिमाग पर लगने वाले किसी आघात या किसी गंभीर तकलीफ के बारे में बता पाना मुश्किल हो जाता है। यह लेख आपको सिर में विभिन्न प्रकार की चोट, उनके लक्षण और उनके इलाज के तरीकों को समझने में मदद करेगा।
बच्चों में सिर में लगने वाली चोट को विकलांगता और मृत्यु के मुख्य कारणों में से एक माना जाता है। हेड इंजरी शब्द के इस्तेमाल से बच्चे की खोपड़ी, सिर की त्वचा, मस्तिष्क और बच्चे के सिर में ब्लड वेसल, मांसपेशियों, हड्डियों और टिशू को आघात पहुँचाने वाली कई तरह की चोटों के बारे में बताया जा सकता है। साधारण शब्दों में, सिर के किसी भी हिस्से में लगने वाली कोई भी चोट या ट्रॉमा को हेड इंजरी कहा जा सकता है।
सिर की चोट थोड़ी सी सूजन, जमा हुआ खून या सिर पर एक छोटा सा कट भी हो सकता है या फिर आघात, खुले घाव, गहरे कट, अंदरूनी ब्लीडिंग या खोपड़ी की हड्डियों में फ्रैक्चर के कारण होने वाला ट्रॉमाटिक ब्रेन इंजरी (टीबीआई) भी हो सकता है।
सिर की चोट दो तरह की हो सकती है, सिर की अंदरूनी चोट और सिर की बाहरी चोट। अंदरूनी चोट सामान्यतः दिमाग या खोपड़ी से जुड़ी होती है, जिसमें खोपड़ी के अंदर स्थित ब्लड वेसल भी शामिल होते हैं। वहीं बाहरी चोट आमतौर पर सिर की त्वचा से संबंधित होती है।
हमारा मस्तिष्क सेरेब्रॉस्पाइनल फ्लूइड (सीएसएफ) से ढका होता है, जो कि मस्तिष्क को चोटों से बचाता है। लेकिन अगर सिर पर गंभीर चोट लग जाए, तो इससे दिमाग पर चोट लग सकती है या खोपड़ी की हड्डियों, मांसपेशियों या ब्लड वेसल्स को आघात पहुँच सकता है। इसलिए सिर की अंदरूनी चोटों को आमतौर पर गंभीर माना जाता है और यह जानलेवा भी हो सकता है।
लक्षण
अगर सिर में अंदरूनी चोट लगने के बाद बच्चे में नीचे दिए गए लक्षण दिखते हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इनमें से कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:
आप क्या कर सकते हैं?
सबसे पहले यह जरूरी है, कि बच्चे के एक्सीडेंट के बाद आप शांत रहें। शांत रहने से आपको स्थिति को ठीक से संभालने में मदद मिलेगी। सिर की आंतरिक चोट की स्थिति में नुकसान का सही तरह से पता लगाना आसान नहीं होता है, इसलिए ऐसी स्थिति में हमेशा एक डॉक्टर से संपर्क करने में ही समझदारी होती है। एक्सीडेंट के बाद अगले 24 घंटों तक बच्चे पर नजर रखने की सलाह दी जाती है, ताकि किसी चिंताजनक संकेत का पता लगाया जा सके। डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चे को कोई भी दवा नहीं देनी चाहिए।
अगर आपका बच्चा होश में है, तो जितना हो सके, बच्चे को शांत करने के लिए अपनी तरफ से हर संभव प्रयास करें। चोट पर सीधा दबाव डालने से बचें, क्योंकि किसी तरह के फ्रैक्चर होने की स्थिति में यह और भी गंभीर रूप ले सकता है। अगर बच्चा उल्टियां कर रहा है, तो उसे चोकिंग से बचाने के लिए बाईं करवट पर सुलाएं।
अगर बच्चा बेहोश है, तो उसे हिलाने-डुलाने से बचें। उसके सिर और गर्दन को सीधा रखें, ताकि गर्दन या रीढ़ को किसी संभावित नुकसान से बचाया जा सके। बेहोशी की स्थिति में टाइट कपड़ों को ढीला कर दें, खासकर गर्दन के आसपास। फर्स्ट एड देने के लिए बच्चे के शरीर की चोटों की जांच करें और तुरंत डॉक्टर को बुलाएं या जा कर मिलें।
सिर की बाहरी चोट भले ही कोई मामूली कट ही क्यों ना हो, उसमें से खून बहुत बहता है, क्योंकि सिर की त्वचा और चेहरे में अनगिनत ब्लड वेसल होते हैं, जो कि त्वचा की सतह से काफी नजदीक स्थित होते हैं। सिर में किसी तरह की चोट की स्थिति में, सिर की त्वचा की नसों में मौजूद खून या तरल पदार्थ लीक हो सकता है और त्वचा के अंदर इकट्ठा हो सकता है, जिससे सिर पर सूजन या “गूज़ एग” हो सकता है। इस सूजन को ठीक होने में कई दिन लग सकते हैं।
लक्षण
सिर की बाहरी त्वचा पर चोट लगने पर बच्चे में निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं:
आप क्या कर सकते हैं?
ब्लीडिंग की स्थिति में थोड़ी देर के लिए एक साफ बैंडेज या कपड़े के साथ घाव पर दबाव डालकर मदद मिल सकती है। लेकिन अगर यह कट गंभीर है, तो मेडिकल मदद की जरूरत पड़ सकती है। सूजन की जगह पर ठंडी सिंकाई करने से खून के जमाव और त्वचा की सूजन में मदद मिल सकती है। इससे तकलीफ भी थोड़ी कम हो सकती है और दर्द से भी आराम मिल सकता है। आइस पैक लगाते समय इसे एक साफ और मुलायम कपड़े में लपेटकर इस्तेमाल करना चाहिए। खुले घाव पर सीधे बर्फ लगाने से आगे चलकर तकलीफ हो सकती है।
अगर घाव में कोई चीज फंसी हुई हो, तो उसे निकालने से बचें। अगले 24 घंटों तक अपने बच्चे पर नजर रखें। अगर चोट लगने के बाद आपका बच्चा सोना चाहता है, तो वह ऐसा कर सकता है, लेकिन जब वह सोया हो तो उस पर लगातार अपनी नजर बनाए रखें। अगर उसमें अंदरूनी चोट के कोई लक्षण दिखते हैं या आपको कुछ असामान्य लगता है, तो तुरंत डॉक्टर को कॉल करें।
अगर सिर पर कोई क्लोज्ड चोट लग जाए, तो उसे कंकशन कहते हैं। जब सिर पर लगने वाली किसी चोट में खोपड़ी में दरार न आए, लेकिन दिमाग का सामान्य फंक्शन थोड़े समय के लिए बदल जाए, तो उसे क्लोज्ड इंजरी कहते हैं। ऐसी इंजरी जोर से हिलाने से, गिरने से या तेज झटके से हो सकती है। बार-बार ऐसा होने से मस्तिष्क को स्थाई नुकसान हो सकता है।
धुंधला दिखना, अटकती हुई बोली, उनींदापन और उल्टियां, टेंपरेरी मेमोरी लॉस, सिर दर्द, संतुलन बनाने में परेशानी आदि बच्चे में कंकशन के कुछ संकेत हैं। लेकिन आमतौर पर कंकशन के अधिकतर प्रभाव तात्कालिक होते हैं और बच्चा बिना किसी लंबे चलने वाले नुकसान के, थोड़े समय के बाद ही पूरी तरह से इससे ठीक हो सकता है। कंकशन से निपटने के कुछ टिप्स नीचे दिए गए हैं:
यहाँ पर कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनकी मदद से आप बच्चों को सिर की चोट से बचा सकते हैं:
जब बच्चों के सिर में चोट लगने की बात आती है, तो पेरेंट्स अक्सर ऐसे सवाल पूछते हैं, कि मेडिकल मदद कब लेनी चाहिए और फर्स्ट एड कैसे देना चाहिए। सिर में चोट लगने के मामलों में चिंता होना स्वाभाविक है, लेकिन यह समझना जरूरी है, कि इनमें से अधिकतर चोट मामूली होती हैं और इनके कोई खतरनाक नतीजे नहीं होते हैं। ब्रेन इंजरी या ब्लीडिंग के कारण होने वाली सिर की गंभीर चोटें काफी दुर्लभ होती हैं।
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