बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों को अनुशासन में कैसे रखें – पेरेंटिंग के तरीके और जरूरी टिप्स

क्या आपका बच्चा आपसे बहुत लड़ने लगा है या स्कूल में अपने टीचर्स से बहस करने लगा है? क्या वह अपने साथियों को बुली करके गुस्सैल व्यवहार दिखा रहा है? आपने यह भी नोटिस किया होगा, कि आपका बच्चा लंबे समय तक उदास और निराश रहता है और किसी से बात नहीं करता है। समस्या यह है, कि उसके पास कोई मजबूत और सकारात्मक रोल मॉडल नहीं है, जिससे वह प्रेरणा ले सके। इस तरह का व्यवहार स्कूल और घर में स्वस्थ वातावरण की कमी का एक संकेत है, पर चिंता न करें, क्योंकि अनुशासन के द्वारा इस समस्या को ठीक किया जा सकता है। 

बच्चे को अनुशासन सिखाने के लिए उसे मारना सही उपाय क्यों नहीं है?

हममें से ज्यादातर लोग अनुशासन के डांट-फटकार और पिटाई जैसे तरीकों के अंदर ही पले-बढ़े हैं और ऐसा लगता है, जैसे अब हमने इसे व्यक्तित्व विकास की प्रक्रिया के रूप में स्वीकार कर लिया है। पर अब आंकड़े और रिसर्च यह दर्शाते हैं, कि बच्चों की पिटाई करने से उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर अनचाहे प्रभाव दिख सकते हैं। 

पहली बार बच्चे पर हाथ उठाने पर यह कारगर दिखता है। आपका बच्चा आपकी बात सुनता है और अमल करने लगता है। पर बार-बार ऐसा करने से उस पर पिटाई का असर दिखना बंद हो जाता है और बच्चे के मन में नकारात्मक भावनाएं जन्म लेने लगती हैं। इसका सबसे बुरा पहलू यह है, कि पिटाई से बच्चे के मन में डर पैदा होता है और वह अक्सर स्वतंत्र रूप से अपनी बात रख पाने में कठिनाई महसूस कर सकता है, क्योंकि उसके मन में डांट-फटकार और पिटाई का डर होता है। 

शुरुआत में, आप उससे शांति और धैर्य के साथ बात करने की कोशिश कर सकती हैं। पर जब आप उस पर हाथ उठाना शुरू कर देती हैं, तो बच्चे को ऐसा महसूस होने लगता है, कि अब आप उसकी फिक्र नहीं करती हैं। जिससे केवल उसके गुस्से और गुस्सैल व्यवहार को हवा मिलती है और वह अपनी हरकतों की जिम्मेदारी नहीं लेता है। वह यह स्वीकार करने लगता है, कि झगड़ों को हैंडल करने के लिए और उन पर नियंत्रण बनाने के लिए गुस्सा ही एकमात्र उचित तरीका है और जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है, गुस्से के कारण शारीरिक लड़ाई-झगड़े दिखने लगते हैं, जिससे अंत में बच्चे को ही चोट पहुंचती है। 

रिसर्च भी यही दर्शाते हैं, कि हाथ उठाने से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर दूरगामी व्यावहारिक असर दिख सकते हैं। झगड़े को हैंडल करने में परिपक्व तरीके की समझ न होने के कारण, ऐसे बच्चे बड़े होकर अपनी भावनाओं को संभालने के लिए शराब और हिंसा का सहारा लेने लगते हैं। अपने जीवन साथी और बच्चों पर हाथ उठाते हैं और आगे चलकर एक परेशानी भरा जीवन जीते हैं। 

अगर बच्चा गुस्से में उल्टी-सीधी हरकतें करे, तो क्या करना चाहिए?

बच्चे के अच्छे व्यवहार के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया देकर उसके नखरों से बचा जा सकता है। अगर वह काम में आपकी मदद करता है या समय पर अपना काम खत्म करता है, तो शाबाशी के लिए उसकी पीठ थपथपाएं और प्रोत्साहन के लिए कुछ अच्छे शब्द कहें। इससे उसके मन में सकारात्मक विचार पैदा होंगे। 

जब कभी भी आपको लगे, कि किसी खास स्थिति के कारण उसे गुस्सा आ सकता है, तो बच्चे को प्रतिक्रिया देने से पहले ही उचित कदम उठाएं और उससे पूछें, कि वह कैसा महसूस कर रहा है या अगर वह आपसे कुछ बताना चाहता है, तो बता सकता है। अगर वह अपनी समस्या आपको सही तरह से बताता है, तो समस्या को सुलझाने में उसकी मदद कीजिए। लेकिन, अगर वह चिड़चिड़ा होने लगता है, तो आप शांत बनी रहें और उसे समझाएं कि ऐसी हरकतें करना अच्छी बात नहीं है। उसे सौम्य स्वर में समझाएं, कि अगर उसे गुस्सा आ रहा है, तो वह गुस्सा कर सकता है, पर घर में आसपास की चीजें फेंकने की इजाजत उसे नहीं है। इससे उसे यह समझ में आएगा, कि उसकी हरकतें गलत है और आपका धैर्यपूर्ण व्यवहार उसे खुश करेगा और उसे ऐसा महसूस होगा कि उसकी भावनाओं का खयाल रखा जा रहा है। धैर्य से भरा व्यवहार हमेशा ही काम करता है। 

पर अगर बच्चे का नियंत्रण पूरी तरह से खो जाता है और वह शैतानी करने लगता है, तब उसके व्यवहार को पूरी तरह से नजरअंदाज करें और सामान्य रूप से अपने काम जारी रखें। लेकिन उस पर नजर भी बनाए रखें, ताकि यह सुनिश्चित हो सके, कि वह खुद को या घर में किसी और को कोई नुकसान न पहुंचा सके। अगर उसका ऐसा व्यवहार बन रहा है और वह शारीरिक रूप से हिंसक हो रहा है, तो उसे सख्ती से पकड़ कर रोकें। उसे नियंत्रित करने के लिए थप्पड़ न जड़ें या पिटाई न करें। उसे इतनी जोर से पकड़ें, कि उसकी शारीरिक गतिविधि रुक जाए और वह धीरे-धीरे शांत हो जाएगा। 

जब बच्चे का गुस्सा ठंडा हो जाए, तब उसे थोड़ा पानी पीने को दें और उसका चेहरा धो दें। इस मुद्दे से उसका ध्यान हटाने के लिए किसी अलग विषय पर बात करें या घर के किसी काम के लिए बच्चे की मदद मांगे। अगर वह समझ सकता है, तो उसे समझाएं, कि ऐसी शैतानियां नुकसानदायक क्यों है और उसे ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए और भविष्य में बच्चे से बात करने के लिए बेहतर तरीके ढूंढें। 

बच्चों को अनुशासित रखने के बेहतरीन तरीके

जब बच्चे बढ़ रहे होते हैं, तो उनके व्यवहार पर नजर रखना पेरेंट्स की जिम्मेदारी होती है, वरना वे हाथ से निकल सकते हैं। जो बच्चे छोटी उम्र में ही बिगड़ जाते हैं, वे जिंदगी भर के लिए बिगड़े रह जाते हैं। इसलिए थोड़ा अनुशासन जरूरी है, आपको नहीं लगता! पर बच्चों को इस प्रकार अनुशासित रखें, जिसे वे सकारात्मक रूप से देख सकें। यहां पर कुछ ऐसे तरीके दिए गए हैं, जिनके इस्तेमाल से शारीरिक या शाब्दिक चोट के बिना बच्चे सही व्यवहार करना सीख जाएंगे: 

  1. दूसरा मौका – अगर आपका बच्चा आपके या किसी और के प्रति बुरा व्यवहार करता है, तो उसे बताएं कि उसका यह व्यवहार गलत है और उसे बिना बदतमीजी किए दोबारा वही काम करने को कहें।
  2. बात न करना – अगर बच्चे ने कोई बदतमीजी की हो या कुछ बुरा कहा हो, तो सख्ती से उसे कुछ समय के लिए चुप रहने को कहें। इससे उसे सोचने और अपने व्यवहार पर विचार करने के लिए थोड़ा समय मिलेगा। उसे यह समझ आएगा, कि उसका व्यवहार पूरी तरह से बेबुनियाद था और वह भविष्य में इसे याद रखेगा।
  3. उसे जीतने दें – अगर बच्चे की कोई बात आपको पसंद नहीं है, लेकिन इससे किसी को कोई नुकसान नहीं हो रहा है, तो आप उसे एक बहस जीतने दे सकती हैं और उसे अपनी जिंदगी पर थोड़ा नियंत्रण रखने को दे सकती हैं।
  4. सांस लेना – जब बच्चा पहले से ही शैतानियां कर रहा हो और चीख रहा हो, उस पर चिल्लाने से केवल शोर ही होगा और पड़ोसियों को परेशानी होगी। इसलिए चीखने-चिल्लाने के बजाय, आप बच्चे को सख्ती से उसके कमरे में भेज दें और कुछ समय के लिए कोने में बैठने को कहें और उसे शांत होने दें। पर इस दौरान उस पर नजर भी रखें कि कहीं वो खुद को चोट न पहुंचा ले।
  5. छड़ी दूर रखें – बच्चे को चोट पहुंचाना या उसे मारना शायद ही कोई विकल्प हो सकता है। हल्के रूप में भी छड़ी का इस्तेमाल बच्चे के मन में उसकी हरकतों की जिम्मेदारी लेने के बजाय मन में डर पैदा करता है। इसलिए याद रखें, अगर आप गुस्सा हों, तो भी बच्चे पर हाथ न उठाएं। आप नहीं चाहेंगी कि आपका बच्चा आपसे डरे।
  6. ‘मैंने तो पहले ही कहा था’ ना कहें – आने वाली किसी समस्या के बारे में आपने उसे पहले से ही चेतावनी दे दी हो, तो भी वह उसे नजरअंदाज कर सकता है, जब तक यह समस्या उसके सामने ना आ जाए। आपको ऐसा करने की बहुत इच्छा होगी, लेकिन ‘मैंने तो पहले ही कहा था’ जैसे वाक्य न दोहराएं। उसे समस्या से खुद निपटने दें और उसे अच्छा लगेगा जब आप उसके साथ होंगी।
  7. स्मार्ट बनें – जब बच्चा आपकी बात नहीं सुनना चाहता है, तो उसके लिए कुछ मनोरंजक दृश्य पैदा करें, ताकि वह आपको सुने और आपके अनुसार काम करे।
  8. त्याग – बच्चे को उसकी हरकतों की कीमत दिखाने के लिए थोड़े समय के लिए उसका पसंदीदा खिलौना या वीडियो गेम उससे ले लें, ताकि उसे समझ आए कि उसने क्या गलत किया है।
  9. सामाजिक इंटरेक्शन से मना करना – बच्चे की सामाजिक इंटरेक्शन पर रोक लगाना एक समाधान हो सकता है, क्योंकि वह अपने दोस्तों के सामने शर्मिंदा नहीं होना चाहेगा। लेकिन जब वह अपने दोस्तों या रिश्तेदारों के बीच हो, तब ऐसा न करें। इससे उसके मन में हीन भावना जगेगी और वह आपको नापसंद करने लगेगा। हालांकि यह एक विकल्प है, पर जितना हो सके इससे बचना सबसे बेहतर है।
  10. प्यार और प्रोत्साहन – लोगों के बीच यह एक गलतफहमी है, कि बच्चों को अनुशासित रखने के लिए सख्ती बरतने की जरूरत होती है। यह बिल्कुल भी सच नहीं है। अच्छे व्यवहार के लिए शाबाशी देकर बच्चे को अनुशासित रखा जा सकता है। आप अपने बच्चे से शांतिपूर्ण तरीके से बात करें और वह आपको सुनेगा। अनुशासन के लिए सख्ती बरतने की कोई जरूरत नहीं होती है। सकारात्मक बातचीत से ही यह संभव हो सकता है।

बच्चा अपनी सभी भावनाओं को ठीक तरह से व्यक्त करना नहीं जानता है, इसलिए जब आप उसे कुछ करने को कहती हैं, जो वह नहीं कहना चाहता है या नापसंद करता है, तो वह नखरे दिखाता है या शैतानी करता है। अपने बच्चे को बेहतर तरीके से समझ कर और उसे अनुशासन में रखने के लिए सही तरीके अपनाने से आपका बच्चा न केवल बेहतर व्यवहार करना सीखेगा, बल्कि वह आपके करीब भी आएगा। 

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पूजा ठाकुर

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