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क्या आपका बच्चा आपसे बहुत लड़ने लगा है या स्कूल में अपने टीचर्स से बहस करने लगा है? क्या वह अपने साथियों को बुली करके गुस्सैल व्यवहार दिखा रहा है? आपने यह भी नोटिस किया होगा, कि आपका बच्चा लंबे समय तक उदास और निराश रहता है और किसी से बात नहीं करता है। समस्या यह है, कि उसके पास कोई मजबूत और सकारात्मक रोल मॉडल नहीं है, जिससे वह प्रेरणा ले सके। इस तरह का व्यवहार स्कूल और घर में स्वस्थ वातावरण की कमी का एक संकेत है, पर चिंता न करें, क्योंकि अनुशासन के द्वारा इस समस्या को ठीक किया जा सकता है।
हममें से ज्यादातर लोग अनुशासन के डांट-फटकार और पिटाई जैसे तरीकों के अंदर ही पले-बढ़े हैं और ऐसा लगता है, जैसे अब हमने इसे व्यक्तित्व विकास की प्रक्रिया के रूप में स्वीकार कर लिया है। पर अब आंकड़े और रिसर्च यह दर्शाते हैं, कि बच्चों की पिटाई करने से उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर अनचाहे प्रभाव दिख सकते हैं।
पहली बार बच्चे पर हाथ उठाने पर यह कारगर दिखता है। आपका बच्चा आपकी बात सुनता है और अमल करने लगता है। पर बार-बार ऐसा करने से उस पर पिटाई का असर दिखना बंद हो जाता है और बच्चे के मन में नकारात्मक भावनाएं जन्म लेने लगती हैं। इसका सबसे बुरा पहलू यह है, कि पिटाई से बच्चे के मन में डर पैदा होता है और वह अक्सर स्वतंत्र रूप से अपनी बात रख पाने में कठिनाई महसूस कर सकता है, क्योंकि उसके मन में डांट-फटकार और पिटाई का डर होता है।
शुरुआत में, आप उससे शांति और धैर्य के साथ बात करने की कोशिश कर सकती हैं। पर जब आप उस पर हाथ उठाना शुरू कर देती हैं, तो बच्चे को ऐसा महसूस होने लगता है, कि अब आप उसकी फिक्र नहीं करती हैं। जिससे केवल उसके गुस्से और गुस्सैल व्यवहार को हवा मिलती है और वह अपनी हरकतों की जिम्मेदारी नहीं लेता है। वह यह स्वीकार करने लगता है, कि झगड़ों को हैंडल करने के लिए और उन पर नियंत्रण बनाने के लिए गुस्सा ही एकमात्र उचित तरीका है और जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है, गुस्से के कारण शारीरिक लड़ाई-झगड़े दिखने लगते हैं, जिससे अंत में बच्चे को ही चोट पहुंचती है।
रिसर्च भी यही दर्शाते हैं, कि हाथ उठाने से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर दूरगामी व्यावहारिक असर दिख सकते हैं। झगड़े को हैंडल करने में परिपक्व तरीके की समझ न होने के कारण, ऐसे बच्चे बड़े होकर अपनी भावनाओं को संभालने के लिए शराब और हिंसा का सहारा लेने लगते हैं। अपने जीवन साथी और बच्चों पर हाथ उठाते हैं और आगे चलकर एक परेशानी भरा जीवन जीते हैं।
बच्चे के अच्छे व्यवहार के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया देकर उसके नखरों से बचा जा सकता है। अगर वह काम में आपकी मदद करता है या समय पर अपना काम खत्म करता है, तो शाबाशी के लिए उसकी पीठ थपथपाएं और प्रोत्साहन के लिए कुछ अच्छे शब्द कहें। इससे उसके मन में सकारात्मक विचार पैदा होंगे।
जब कभी भी आपको लगे, कि किसी खास स्थिति के कारण उसे गुस्सा आ सकता है, तो बच्चे को प्रतिक्रिया देने से पहले ही उचित कदम उठाएं और उससे पूछें, कि वह कैसा महसूस कर रहा है या अगर वह आपसे कुछ बताना चाहता है, तो बता सकता है। अगर वह अपनी समस्या आपको सही तरह से बताता है, तो समस्या को सुलझाने में उसकी मदद कीजिए। लेकिन, अगर वह चिड़चिड़ा होने लगता है, तो आप शांत बनी रहें और उसे समझाएं कि ऐसी हरकतें करना अच्छी बात नहीं है। उसे सौम्य स्वर में समझाएं, कि अगर उसे गुस्सा आ रहा है, तो वह गुस्सा कर सकता है, पर घर में आसपास की चीजें फेंकने की इजाजत उसे नहीं है। इससे उसे यह समझ में आएगा, कि उसकी हरकतें गलत है और आपका धैर्यपूर्ण व्यवहार उसे खुश करेगा और उसे ऐसा महसूस होगा कि उसकी भावनाओं का खयाल रखा जा रहा है। धैर्य से भरा व्यवहार हमेशा ही काम करता है।
पर अगर बच्चे का नियंत्रण पूरी तरह से खो जाता है और वह शैतानी करने लगता है, तब उसके व्यवहार को पूरी तरह से नजरअंदाज करें और सामान्य रूप से अपने काम जारी रखें। लेकिन उस पर नजर भी बनाए रखें, ताकि यह सुनिश्चित हो सके, कि वह खुद को या घर में किसी और को कोई नुकसान न पहुंचा सके। अगर उसका ऐसा व्यवहार बन रहा है और वह शारीरिक रूप से हिंसक हो रहा है, तो उसे सख्ती से पकड़ कर रोकें। उसे नियंत्रित करने के लिए थप्पड़ न जड़ें या पिटाई न करें। उसे इतनी जोर से पकड़ें, कि उसकी शारीरिक गतिविधि रुक जाए और वह धीरे-धीरे शांत हो जाएगा।
जब बच्चे का गुस्सा ठंडा हो जाए, तब उसे थोड़ा पानी पीने को दें और उसका चेहरा धो दें। इस मुद्दे से उसका ध्यान हटाने के लिए किसी अलग विषय पर बात करें या घर के किसी काम के लिए बच्चे की मदद मांगे। अगर वह समझ सकता है, तो उसे समझाएं, कि ऐसी शैतानियां नुकसानदायक क्यों है और उसे ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए और भविष्य में बच्चे से बात करने के लिए बेहतर तरीके ढूंढें।
जब बच्चे बढ़ रहे होते हैं, तो उनके व्यवहार पर नजर रखना पेरेंट्स की जिम्मेदारी होती है, वरना वे हाथ से निकल सकते हैं। जो बच्चे छोटी उम्र में ही बिगड़ जाते हैं, वे जिंदगी भर के लिए बिगड़े रह जाते हैं। इसलिए थोड़ा अनुशासन जरूरी है, आपको नहीं लगता! पर बच्चों को इस प्रकार अनुशासित रखें, जिसे वे सकारात्मक रूप से देख सकें। यहां पर कुछ ऐसे तरीके दिए गए हैं, जिनके इस्तेमाल से शारीरिक या शाब्दिक चोट के बिना बच्चे सही व्यवहार करना सीख जाएंगे:
बच्चा अपनी सभी भावनाओं को ठीक तरह से व्यक्त करना नहीं जानता है, इसलिए जब आप उसे कुछ करने को कहती हैं, जो वह नहीं कहना चाहता है या नापसंद करता है, तो वह नखरे दिखाता है या शैतानी करता है। अपने बच्चे को बेहतर तरीके से समझ कर और उसे अनुशासन में रखने के लिए सही तरीके अपनाने से आपका बच्चा न केवल बेहतर व्यवहार करना सीखेगा, बल्कि वह आपके करीब भी आएगा।
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