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‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ आपके बच्चे के जीवन के पहले 6 महीनों के लिए विशेष रूप से स्तनपान कराने की सलाह देता है क्योंकि स्तनपान से आपके बच्चे को कई लाभ मिल सकते हैं। हालांकि, स्तनपान कुछ माताओं के लिए एक चुनौती भी हो सकती है और जो माताएं इस चुनौती का सामना करती हैं यह लेख उनकी शिशु को बोतल से दूध पिलाने की जानकारी देने में मदद करेगा ।
दोबारा कार्य शुरू करने की इच्छा से लेकर शिशु की ज़रूरत के अनुसार स्तनों में पर्याप्त दूध बनाने में असमर्थ होने तक, कई ऐसे कारण हैं कि एक माँ शिशु को बोतल से दूध पिलाने का फैसला कर सकती है। एक नई माँ को अपने बच्चे को बोतल से परिचय कराने के लिए जो भी आवश्यक जानकारी चाहिए उसकी चर्चा इस लेख में की गई है।
स्तनपान विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि एक माँ अपने बच्चे को तब तक बोतल से दूध पिलाने की प्रतीक्षा करें जब तक कि स्तनपान की क्रिया पूरी तरह से स्थापित नहीं हो जाती और शिशु पूरी तरह से इस क्रिया को सीख चुका हो। अपने दैनिक कार्य या शिशु के अतिरिक्त पोषण की ज़रूरत के आधार पर, आप अपने बच्चे को बोतल से दूध पिलाना शुरु करा सकती हैं। बोतल से दूध पीने की आदत होने में कम से कम 2 सप्ताह का समय लगता है।
शिशु के लिए सही बोतल चुनना महत्वपूर्ण है, यदि आपका बच्चा बहुत छोटा है तो एक धीमे प्रवाह वाली बोतल से शुरुआत करें। एक बार जब शिशु को प्रवाह की आदत हो जाती है तो सामान्य प्रवाह वाली बोतल देने का समय होता है। सबसे अच्छी दूध की बोतलें वे होती हैं जो बी.पी.ए. (बिस्फेनॉल–ए ) और एस्ट्रोजन गतिविधि से मुक्त हैं।
शुरू में स्तनपान करने वाले शिशुओं की तरह, एक बोतल से दूध पीने वाला नवजात शिशु 30-60 मिलीलीटर दूध पीना शुरू कर देता है । 2-3 दिनों के बाद उसकी आवश्यकता 60-90 मिली तक बढ़ सकती है। साथ ही, शुरू–शुरू मे हर 3-4 घंटे में शिशु को दूध पिलाने की सलाह दी जाती है। शिशुओं को आहार के मध्य 4-5 घंटे सोने की आदत होती है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आप शिशु को दूध के लिए हर 5 घंटे के अंतराल पर जगाएं। पहले महीने के बाद आपका शिशु अपने सेवन को 120 मिलीलीटर तक बढ़ाएगा और आपको इसे हर 4 घंटे में पिलाना होगा। जब तक शिशु 6 महीने का नहीं हो जाता, उसका सेवन धीरे–धीरे बढ़कर 180-240 मि.ली. दिन में 4-5 बार तक हो जाएगा।
स्तनपान और फॉर्मूला–फीडिंग का संयोजन यह सुनिश्चित करने का सही तरीका है कि आपके शिशु को दोनों का सबसे अच्छा भाग मिल सके। यदि आप काम पर लौटने की योजना बना रही हैं तब कभी–कभी स्तनदूध को बोतल से पिला सकती हैं और देर रात में शिशु को स्तनपान कराएं, यह एक अच्छा संतुलन बनाएगा।
स्तनदूध और फॉर्मूला दूध को संयोजित करने के तरीके के कुछ सुझाव यहाँ दिए गए हैं:
जब तक बच्चा 1 वर्ष का नहीं हो जाता, तब तक दूध पिलाने वाली बोतलों और उनके सभी भागों को स्टरलाइज़ करना ज़रूरी है, यहाँ दूध की बोतलों को स्टरलाइज़ करने के कुछ तरीके दिए गए हैं:
हर बार दूध पिलाने के बाद, बोतलें, चुसनी और किसी भी अन्य दूध पिलाने वाले उपकरण को गर्म साबुन के पानी से अच्छी तरह धोएं और सुखाएं ।
सफाई का एक लम्बा ब्रश केवल दूध पिलाने वाली बोतलों और एक छोटा ब्रश चुसनी को साफ़ करने के लिए रखें। चुसनी को उल्टा करें और उन्हें गर्म साबुन के पानी से धोएं, कठोर डिटर्जेंट के बजाय नियमित तरल साबुन या बच्चे के विशिष्ट तरल साबुन का उपयोग करें।
सभी उपकरणों को बाद में ठंडे पानी से धोना न भूलें और सुनिश्चित करें कि उन पर कोई साबुन न बचा हो ।
यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनसे आप दूध पिलाने की बोतल को स्टरलाइज़ कर सकती हैं :
पारंपरिक उबालने की विधि – उबलते पानी के साथ दूध पिलाने के उपकरणों को स्टरलाइज़ करना सबसे पुरानी विधि है। दूध पिलाने के उपकरणों को स्टरलाइज़ करने के लिए उन्हें 10 मिनट तक उबालें। सुनिश्चित करें कि सभी उपकरण पानी में डूबे हुए हों,बोतलों और चुसनी की जाँच करें। चूंकि नियमित रूप से उन्हें उच्च तापमान पर उबालने से नुकसान हो सकता है।
माइक्रोवेव या इलेक्ट्रिक स्टरलाइज़र – दूध पिलाने के उपकरण को माइक्रोवेव या इलेक्ट्रिक स्टरलाइज़र में भी स्टरलाइज़ किया जा सकता है। इसमें आपको बोतल स्टेरलाइज़र के निर्माता के निर्देशों का पालन करने की आवश्यकता होगी। सुनिश्चित करें कि मशीन के अंदर सभी बोतलें व चुसनी नीचे की ओर रहें और सभी उपकरणों को केवल अनुशंसित समय के लिए मशीन के अंदर छोड़ दिया गया है।
स्टरलाइज़िंग उत्पाद – आप बाजार में उपलब्ध स्टरलाइज़िंग उत्पादों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, इसमें भी आप निर्माता के निर्देशों का पालन करें औरउपकरण स्टरलाइज़ करते समय यह सुनिश्चित करें कि सभी उपकरण पूरी तरह से तरल में डूबे हुए हैं।
ज़रूरत पड़ने तक स्टरलाइज़र में फीडिंग बोतल छोड़ना सबसे अच्छा है। यदि आप उबलने की विधि का पालन कर रहे हैं तो बोतलों को हटा दें और उन्हें चुसनी व ढक्कन से तब तक बंद रखें जब तक कि ज़रूरत न हो और साथ ही यह सुनिश्चित करें कि आप बोतलों को छूने से पहले अपने हाथ धो लें।
यदि शिशु का पसंदीदा भोजन सही तरीके से न दिया जाए तो वे उधम मचाते हैं। यहाँ दूध की बोतल गर्म करने के लिए सबसे अच्छे तरीके पर कुछ सुझाव दिए गए हैं:
आपको बस बोतल वार्मर में पानी भरने की ज़रूरत है, बोतल को उसके स्थान में फिट करें, वॉर्मर का स्विच ऑन करें और 4-5 मिनट बाद आपके पास शिशु के लिए सही तरह से गर्म पानी से साफ़ की हुई बोतल तैयार होगी।
एक गहरी बोतल में गर्म पानी भरें और दूध पिलाने की बोतल की निप्पल निकाल कर रखें, सुनिश्चित करें कि आप बैक्टीरिया के विकास से बचने के लिए इसे 10-15 मिनट से अधिक नहीं छोड़ें ।
शिशु की भूख के संकेतों पर नज़र रखें, स्तनपान करने वाले शिशुओं की तरह ही बोतल से पीने वाले शिशुओं में भूख़ के समय दूध ढूंढने की प्रतिक्रिया, चूसना, स्तन की खोज और दूध ढूंढ़ने के लिए होठों की प्रतिक्रिया जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
अगर आपका शिशु बोतल से दूध पीता है तो आपको इस बात का सही अंदाज़ा है कि आपका बच्चा कितना दूध पी रहा है। यहाँ कुछ संकेत दिए गए हैं जो बताते हैं कि आपका शिशु भूखा है:
शिशु को एक दिन में कम से कम 6-8 बार खिलाया जाना चाहिए, आपका शिशु भी नियमित रूप से दूध मांगेगा।
शिशु के ठीक से लेटने और दूध के अच्छी तरह नीचे की ओर जाने पर, आप उसके द्वारा दूध निगलने की आवाज़ को सुन पाएंगी । शिशु का पेट भर जाने पर वह दूध पीना बंद कर देता है और तुरंत अलग हो जाता है।
स्तन से और एक बोतल से दूध पीने के लिए अलग – अलग तरह से मुंह और जीभ चलाने की आवश्यकता होती है। इसलिए शिशु को इसकी आदत पड़ने और दोनों के ज़रीए आसानी से दूध पीने में कुछ समय की आवश्यकता होती है । बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के तरीके के बारे में कुछ सुझाव यहाँ दिए गए हैं:
दूध पिलाने का समय आपके शिशु के साथ संबंध बेहतर करने का सबसे अच्छा समय है। यहाँ नवजात शिशु को बोतल से दूध पिलाने के कुछ टिप्स दिए गए हैं :
बोतल से पिलाने का सर्वोत्तम तरीका कोई भी नहीं है। जब तक शिशु सो नहीं रहा है या बोतल से दूध पीते समय पीठ के बल नहीं लेटता है तब तक उपरोक्त तरीकों में से सभी ठीक हैं ।
स्तनपान की तरह, बोतल से दूध पिलाने की भी अपनी समस्याएं हैं। शिशुको बोतल से दूध पिलाने के दौरान आपको यह अनुभव हो सकते हैं:
स्तनपान का अगला सबसे अच्छा विकल्प बोतल से दूध पिलाना है। बोतल से दूध पिलाने के फायदे और नुकसान दोनों हैं, आइए एक नज़र डालते हैं फायदों पर:
बोतल से दूध पिलाने के नुकसान हैं:
स्तन से बोतल द्वारा संक्रमण में समय लग सकता है, लेकिन यह अंततः होगा। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं, जो माँ और शिशु दोनों के लिए स्तनपान छुड़ाने में कम दर्दनाक और तनावपूर्ण हो सकता है:
फॉर्मूला दूध जिसे 2 घंटे से अधिक समय तक बाहर रखा गया है, उसे बैक्टीरिया के विकास के कारण उपयोग नहीं करना चाहिए। उपयोग न किया हुआ फॉर्मूला दूध को रेफ्रिजरेटर में 24 घंटे तक रखा जा सकता है।
जबकि कुछ महिलाएं व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के कारण बोतल से दूध पिलाने का चयन करती हैं या क्योंकि वे काम पर लौटना चाहती हैं, जबकि अन्य महिलाओं को चिकित्सकीय बाधाओं के कारण ऐसा करने की आवश्यकता होती है। कारण जो भी हो, इन सरल युक्तियों का पालन करना माँ और शिशु दोनों के लिए एक सहज परिवर्तन सुनिश्चित करना है।
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