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शिशु को कौन सा दूध पिलाना चाहिए यह जानना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना यह महत्वपूर्ण है कि शिशु को दूध कैसे पिलाना चाहिए। शिशु की पकड़, दूध पीने के लिए उसके द्वारा स्तन को मुँह में लेना और फिर डकार लेना शिशु के अच्छे पोषण के लिए ज़रूरी है,इसके अतिरिक्त इन कारकों के महत्व को जानने से कार्य आसान भी हो जाता है। दूध पीने के दौरान शिशु हवा के बुलबुले भी निगल लेते हैं और इसी वजह उन्हें डकार आती है। चूंकि वे एक नाज़ुक अवस्था में होते हैं, इसलिए उन्हें यह सिखाना ज़रूरी है कि ठीक से डकार कैसे लें।
स्तनपान या बोतल से दूध पिलाने के दौरान शिशुओं में हवा के बुलबुले निगलने की प्रवृत्ति होती है।यह हवा के बुलबुले बच्चे के पाचन तंत्र में फंस जाती है जिससे वे परेशान हो होते हैं और उनके पेट में गैस बनती है। डकार मुँह के माध्यम से पाचन तंत्र की गैस निवारण प्रक्रिया है। हालांकि, ऐसे और भी कारण हैं जिनकी वजह हवा के बुलबुले शिशु के पाचन तंत्र में पहुँचते हैं, जिनमें से कुछ के बारे में नीचे चर्चा की गई हैं।
ऐसे तीन तरीके हैं जिस वजह से शिशु हवा के बुलबुले निगल लेते हैं
जब शिशु के पेट में हवा के बुलबुले फंस जाते हैं, तो इससे उन्हें परेशानी और बेचैनी होती है। वे भरा और फूला हुआ महसूस करते हैं और इसलिए रोकर आपको संकेत देते हैं कि उन्हें आपकी मदद की आवश्यकता है ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके। यह सलाह दी जाती है कि शिशु के परेशान ना होने पर भी उन्हें डकार दिलाई जानी चाहिए, शिशुओं के लिए डकार काफी फायदेमंद मानी जाती है। खासकर उनके लिए जो लगातार गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं से ग्रसित रहते हैं। आमतौर पर यह भी माना जाता है कि स्तनपान करने वाले शिशुओं को उतनी डकार दिलाने की ज़रूरत नहीं पड़ती है जितनी बोतल से दूध पीने वाले शिशुओं को आवश्यकता होती है क्योंकि वे स्तनपान के दौरान कम हवा निगलते हैं। हालांकि, यह पूरी तरह से विभिन्न बच्चों पर निर्भर करता है और शिशुओं के आहार की आवश्यकताओं के अनुसार उनके संकेतों पर ध्यान दें।
शिशुओं को उनके पेट में फंसी हवा को बाहर निकालने में मदद की आवश्यकता होती है। जब एक नवजात शिशु बार-बार डकार लेता है तो आपको समझने की ज़रूरत है कि यह महत्वपूर्ण क्यों है:
शिशुको थपकी देने का सबसे अच्छा समय भोजन खिलाने के तुरंत बाद का है, खासकर पहले छह महीनों में। पहले छह महीनों के लिए, दूध पिलाते समय आप अपने शिशु को लगभग 10 या 15 मिनट के लिए सीधे अवस्था में रख सकते हैं (कभी-कभी जब बच्चा दूध उगलता है तो यह अधिक समय तक हो सकता है )।
अगर बच्चा थूक निकालता है तो चिंता न करें क्योंकि यह प्राकृतिक है और बच्चे के लिए अच्छा भी है।
आपको सही थपकी की तकनीक के बारे में पता होना चाहिए जिसका इस्तेमाल बच्चे को डकार दिलाने में किया जा सकता है। उन्हें सही स्थिति में लेकर, आप गैस को उनके पाचन तंत्र से बाहर निकाल सकते हैं। हालांकि कुछ बच्चे दूध पिलाने के तुरंत बाद सो जाते हैं और इसलिए उन्हें थपथपाना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। निम्नलिखित पंक्तियों में सोते और जागते हुए शिशु को थपथपाने के अच्छे तरीके है दिए गए है:
सबसे पहली और महत्वपूर्ण स्थिति है सही पकड़ और विभिन्न तकनीकों का अनुसरण। यहाँ बच्चे को थपथपाने के कुछ तरीके दिए गए है।
बच्चे को अपने सीने या कंधे पर सीधा रखते हुए थपथपाएं
सीधे बैठकर शिशु को सीने से लगाएं और ठोड़ी कंधे से लगा कर रखें, शिशु के उगलने की स्थिति में अपने कपड़ों को बचाने के लिए कंधे पर एक अलग कपड़ा रखें। एक हाथ से शिशु की पीठ को सहारा दें और धीरे-धीरे से रगड़ें या थपथपाएं।
यदि शिशु का सिर और पीठ पर नियंत्रण है, तो आप उसे अपने कंधे पर इस तरह से पकड़ सकते हैं कि आपका कंधा बच्चे के पेट को हल्का सा दबाए, यह अवस्था थोड़ा दबाव बनाने और डकार लेने में मदद करती है, एक हाथ से बच्चे की पीठ को सहारा देकर उसे धीरे-धीरे से रगड़ें और थपथपाएं।
शिशु को गोद में लेना
शिशु के सीने पर एक कपड़ा रखें और इस तरह से बैठें कि उसका चेहरा आपसे थोड़ा दूर हो। बच्चे की ठोड़ी और जबड़े पर अपनी उंगलियाँ रखते हुए अपने एक हाथ को शिशु की छाती पर रखकर उसके शरीर को सहारा दें। शिशु को थोड़ा आगे की ओर झुकाएं और दूसरे हाथ से धीरे-धीरे शिशु की पीठ को रगड़ें या थपथपाएं।
शिशु के चेहरे को नीचे झुकाते हुए अपनी गोद में एक बिब रखें और उसमें बच्चे का चेहरा रखें ताकि शिशु आपके घुटनों के बल लेटा रहे, जो आपके शरीर से समानांतर हो। एक हाथ से शिशु की ठोड़ी को सहारा दें और धीरे से शिशु की पीठ को रगड़ें या थपथपाएं। शिशु के सिर को बहुत नीचे न करें, सावधानी बरतें, शिशु का शारीरिक रक्त सिर की ओर न जाने दें।
टहलते हुए, शिशु को डकार दिलाएं
एक बार बच्चे के भलीभांति सिर संभाल लेने के बाद इस तकनीक को आज़माया जा सकता है। आप अपने बच्चे को खड़े होने और चलने के दौरान सीधा पकड़ सकते हैं। थोड़ा दबाव डालने के लिए एक हाथ को नीचे और दूसरे को शिशु के पेट पर रखें।
फॉर्मूला दूध पिलाते समय, अपने बच्चे को हर 60-90 मिली दूध पिलाने के बाद डकार दिलवाएं। यदि आप शिशु को स्तनपान करवा रही हैं तो आप स्तनों को बदलते समय उसे डकार दिला सकती हैं।
यदि आप दूध पिलाने के बाद बच्चे को कैसे डकार दिलवातें हैं, इस बारे में सबसे अच्छी तकनीक जानना चाहती हैं, तो आपको ऐसा करना चाहिए कि जब बच्चा आपके कंधे पर सो रहा हो तो अपनी ओर उसका मुँह करें और धीरे से उसकी पीठ को रगड़े। बच्चे को डकार दिलवाते समय, आप उसे गले लगाए रखें ।
आपके बच्चे को डकार दिलवाने की आवृत्ति इस बात पर निर्भर करती है कि आप उसे कितनी बार दूध पिला रही हैं ।
यदि बच्चे को गैस होने या थूकने की प्रवृत्ति होती है, तो बोतल से दूध पिलाते समय हर बार (लगभग 30 मि.ली.) या स्तनपान के दौरान हर 5 मिनट में उसे डकार दिलवाने की कोशिश करें।
यदि आपका शिशु कुछ मिनटों के बाद भी डकार नहीं लेता है, तो आप डकार दिलाने की तकनीक को बदलने पर विचार कर सकती हैं।
डकार दिलवाने की प्रक्रिया में फ़ार्मूला मिल्क/ब्रेस्ट मिल्क, उगलने का कारण हो सकता है। बोतल से दूध पीने वाले शिशुओं के मामले में भी ऐसा होता है क्योंकि कुछ फॉर्मूला ब्रांड हवा-युक्त होते हैं।
निम्नलिखित सावधानियाँ बरतें अगर आपका शिशु दूध उगलता है: –
जब बच्चा दूध पिलाने के दौरान दूध या फ़ार्मूला दूध के साथ बहुत अधिक हवा निगल लेता है, तो इससे बच्चे को असुविधा होती है और वह रोने लगता है। रोने का एक और कारण तब हो सकता है जब बच्चा थूकता है (यह गैस्ट्रो-ओसोफेगल रिफ्लक्स सकता है)।
बच्चे को आहार देने के दौरान कई बार डकार दिलवाना और बच्चे को अधिक सीधी स्थिति में खिलाना इसमें मदद कर सकता है।
खिलाने के दौरान और उसके बाद नियमित अंतराल पर शिशुओं को डकार दिलवाना अनिवार्य है । आप अपने बच्चे को डकार दिलवाने के लिए विभिन्न तकनीकों को आज़मा सकते हैं हालांकि, यह तब तक ठीक है जब तक बच्चा डकार न ले और जब तक उसे उल्टी न हो। अगर उल्टी एक या दो बार होती है तो यह चिंता का कारण नहीं है।इसके बाद कभी-कभी, बच्चा शायद खुश और आरामदायक हो सकता है इसलिए, यअगर वह डकार नहीं लेता है तब भी चिंता का विषय नहीं है। आपको भोजन के बाद अपने बच्चे के व्यवहार का निरीक्षण करना चाहिए।
आपके बच्चे को डकार दिलवाने को रोकने के लिए कोई विशेष उम्र नहीं है, हालांकि जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसका पाचन तंत्र परिपक्व होता है और डकार दिलवाना कम आवश्यक हो जाता है। जैसे ही शिशु 2 से 3 महीने का हो जाता है, नियमित रूप उसे डकार दिलवाने की आवश्यकता नहीं होती है। चूंकि बच्चे तब तक सीधे बैठना सीख जाते हैं, इसलिए वे खुद डकार ले पाने में सक्षम होते हैं।
यदि शिशु को 100.4 डिग्री बुखार, दस्त, दस्त में रक्त या अत्यधिक गैस हो तो चिकित्सीय सलाह लेना अनिवार्य है।
निष्कर्ष: यदि शिशु को गैस की समस्या है लेकिन वह सही मात्रा में भोजन कर रहा है, तो चिंता का कोई कारण नहीं है। शिशुओं में आमतौर पर डकार लेने की प्रवृत्ति होती है क्योंकि उनका पाचन तंत्र अभी भी विकसित हो रहा हैं। अगर वह डकार नहीं ले रहा है, तो आप यह सुनिश्चित करें कि वह डकार ले। यदि आपको आवश्यक लगे तो डॉक्टर से परामर्श लेने में संकोच न करें।
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