शिशु

बच्चों को काबुली चने देना – फायदे, नुकसान और रेसिपी

काबुली चने फलियां हैं जिसे लगभग भारत के सभी परिवारों में बड़े शौक से बनाया और खाया जाता है। काबुली चने को सफेद चना, छोले, चिक-पी व हरभरा भी कहा जाता है। आज, भारत काबुली चने का दुनिया भर में सबसे बड़ा उत्पादक है। काबुली चने अच्छी मात्रा में प्लांट बेस्ड प्रोटीन, जिंक, आयरन, फाइबर और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व प्रदान करता है। इसका नाश्ते या फिर रात के समय खाने में सेवन किया जा सकता है। लेकिन क्या बच्चों को सुरक्षित रूप से काबुली चने दिए जा सकते हैं? यदि आपके मन में यह सवाल है, तो चिंता न करें। यह जानने के लिए पढ़ें कि क्या आप अपने बच्चे के आहार में काबुली चने शामिल कर सकती हैं।

बच्चों को काबुली चने देना कब शुरू करें?

बच्चे के आठ महीने का हो जाने के बाद आप उसे काबुली चना दे सकती हैं। हालांकि, आपके बच्चे के आहार में काबुली चने शामिल करने का बेहतरीन समय आठ से दस महीने के बीच होता है।

काबुली चने के प्रकार

काबुली चने दो प्रकार के होते हैं – बड़े, सफेद रंग के जिसे ‘काबुली चना’ या ‘गार्बेंजो बीन्स’ के रूप में जाना जाता है और जो हार्ड व छोटे चने होते हैं उसे ‘बंगाल चने’ के रूप में भी जाना जाता है। बंगाल चना का रंग डार्क ग्रीन से लेकर रेडिश ब्राउन तक हो सकता है।

काबुली चना की न्यूट्रिशनल वैल्यू

एक कप उबले हुए काबुली (164 ग्राम) में 269 कैलोरी होती है। यह जानने के लिए कि काबुली में अन्य पोषक तत्व कौन से हैं, इसके लिए नीचे टेबल दी गई है:

पोषक तत्व मात्रा
कार्बोहाइड्रेट 45 ग्राम
फाइबर 12.5 ग्राम
प्रोटीन 14.5 ग्राम
फैट 4.2 ग्राम
विटामिन
विटामिन ‘बी6’ 0.2 मि.ग्रा
विटामिन ‘के’ 6.6 माइक्रोग्राम
फोलेट 282 माइक्रोग्राम
मिनरल्स
फास्फोरस 276 मिलीग्राम
कॉपर 0.6 मिलीग्राम
आयरन 4.7 मिलीग्राम
मैग्नीशियम 78.7 मिलीग्राम
जिंक 2.5 मिलीग्राम
पोटैशियम 477 मिलीग्राम
कैल्शियम 80 मिलीग्राम

बच्चों के लिए काबुली चने के फायदे

यहाँ बच्चों को काबुली चने देने के फायदे बताए गए हैं। जानते हैं कि कैसे आपके बच्चे काबुली चने से पोषण प्राप्त करते को उनके विकास में मदद करता है।

1. बच्चे की ग्रोथ

काबुली चने में पाए जाने वाला प्रोटीन इसका एक बेहतरीन स्रोत माना जाता है। वास्तव में, शाकाहारी भोजन में काबुली चने और बीन्स प्रोटीन का मुख्य स्रोत होते हैं। एक बच्चे में नए सेल्स, मांसपेशियों, कार्टिलेज, रक्त, हार्मोन और एंजाइम के निर्माण के लिए प्रोटीन बेहद आवश्यक होता है। एक बढ़ते बच्चे को विकास के लिए ज्यादा मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता होती है। इसलिए, बच्चे को काबुली चना देने से उसकी प्रोटीन की आवश्यकता को कुछ हद तक पूरा किया जा सकता है।

2. मस्तिष्क का विकास

काबुली चने में पॉली-अनसेचुरेटेड फैट की बहुत कम मात्रा होती है। अनसेचुरेटेड फैट आपके बच्चे के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह आपके बच्चे के मस्तिष्क के विकास में मदद करते हैं, उन्हें एनर्जी प्रदान करते हैं, और त्वचा को सॉफ्ट बनाए रखने में करते हैं। शरीर के एक अंग से दूसरे हिस्से तक कुछ फैट-घुलनशील विटामिनों को स्थानांतरित करने के लिए भी आवश्यक होता है।

3. एनीमिया से बचाता है

काबुली चने में आयरन अच्छी मात्रा में पाई जाती है। शरीर में नई रेड ब्लड सेल्स बनाने के लिए आयरन एक आवश्यक तत्व होता है। यदि शरीर में आयरन अपेक्षित मात्रा में नहीं होता है, तो यह रेड ब्लड सेल्स को बनाने में विफल रहता है, जिसके परिणामस्वरूप एक्टिव रेड ब्लड सेल्स बनना रुक सकते हैं। इस स्थिति को एनीमिया कहा जाता है। जिसे आप बच्चे को काबुली चने देकर उनमें एनीमिया की समस्या को दूर कर सकते हैं।

4. हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत करता है

हड्डियों के विकास और दाँतों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कैल्शियम आवश्यक होता है। यह मांसपेशियों के कॉन्ट्रैक्शन और नर्व स्टिमुलेशन में भी मदद करता है। काबुली चने में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम होता है और इसे दूध से मिलने वाले कैल्शियम का सप्लीमेंट माना जाता है।

5. पाचन को बेहतर करता है

काबुली चने में फाइबर अच्छी मात्रा में मौजूद होता है। फाइबर के मदद से आसानी से मल त्याग होता है। बड़ी आंत में मौजूद बैक्टीरिया काबुली चने से प्राप्त होने वाले फाइबर को मेटाबोलाइज करता है और ‘’शॉर्ट-चेन फैटी एसिड्स’’ (एस सीएफए) का उत्पादन करता है। ये एससीएफए आंतों की कोशिकाओं में फ्यूल के रूप में काम करता है, साथ ही कोलन कैंसर या कोलन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है ।

6. अन्य खाद्य पदार्थों से पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है

आपके बच्चे के पाचन तंत्र में ठोस भोजन के प्रति खुद को ढाल रहा है। इसका मतलब है कि उसके आहार में वो सभी चीजें शामिल होनी चाहिए जो उसे अच्छी तरह से पोषण प्रदान कर सके। काबुली चने में मैंगनीज होता है जो शरीर को विटामिन बी और विटामिन ई जैसे पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से अवशोषित करने में मदद करता है।

7. हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है

काबुली चने में मौजूद घुलनशील फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट और पॉलीअनसेचुरेटेड फैट इसे एक बेहतरीन भोजन बनाते हैं जो हृदय स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छा होता है। एक महीने इसका सीमित मात्रा में सेवन करने से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और कुल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। हालांकि खराब कोलेस्ट्रॉल की समस्या आमतौर पर शिशु स्वास्थ्य से जुड़ा नहीं होता है, कोलेस्ट्रॉल का स्तर बड़े होने के साथ घटता बढ़ता रहता है। इसलिए जिन बच्चों का वजन ज्यादा होता है उनमें हृदय रोग का खतरा अधिक होता है।

8. नए सेल्स बनाने में मदद करता है

काबुली चने में फोलेट होता है जो एक प्रकार का विटामिन है। यह डीएनए को दोबारा बनाने के लिए आवश्यक होता है, जो हर बार नए सेल बनने पर होता है, इसलिए इसे सेल को बनाने और बच्चे के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

9. डायबिटीज का खतरा कम करता है

काबुली चने में कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जिसे शरीर ब्रेक करता है और यह उसे धीरे-धीरे ऊर्जा प्रदान करता है। चीनी और सफेद चावल जैसे खाद्य पदार्थों से आसानी से मिलने वाली वाली ऊर्जा ब्लड शुगर में स्पाइक्स और डिप्स का कारण बन सकती है, जो बच्चे के हाइपोग्लाइकेमिया या टाइप -1 डायबिटीज की पहले से मौजूद शुगर की समस्या को बढ़ा सकती है। रिफाइंड (तेज-बनने वाले कार्बोहाइड्रेट) के बजाय आप धीमी गति से ऊर्जा देने वाले कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लें जो भविष्य में टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को कम करता है। यदि आपके माँ या पिता के तरफ किसी को यह समस्या है तो आपको इसपर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है।

10. इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करता है

जिंक आपके बच्चे की इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है। यह शरीर में 70 से अधिक प्रकार के एंजाइमों के बेहतर रूप करने के लिए बहुत आवश्यक है।

छोटे बच्चों में काबुली चने का सेवन के कुछ आम दुष्प्रभाव

1. गैस

काबुली चने जैसे फलियां में प्रोटीन उच्च मात्रा में होता है, जो बच्चों की आंतों में गैस का कारण बन सकता है। गैस की समस्या हर बच्चे में भिन्न होती है। इसलिए आपको यह सलाह दी जाती है कि आप अपने बच्चे के आहार में काबुली चने को कम मात्रा में ही शामिल करें, ताकि उनका मेटाबोलिज्म नए भोजन के प्रति सहज हो सके। यदि बच्चे का पेट थोड़ा फूला हुआ नजर आए, तो यह किसी बड़ी चिंता का कारण नहीं है, हालांकि, अगर गैस की समस्या इतनी गंभीर हो जाए कि इससे बच्चे को पेट दर्द और बेचैनी होने लगे, तो आपको इसका तुरंत इलाज करने की जरूरत होती है।

2. एलर्जी

जिन बच्चों को सोया या अन्य दाल या लेटेक्स से एलर्जी होती है, उन्हें काबुली चने का सेवन करने से भी एलर्जी होने की संभावना होती है। इसके अलावा, यदि आपके परिवार में काबुली चने से एलर्जी होने का इतिहास रहा हो, तो बेहतर होगी कि अपने बच्चे का एलर्जी टेस्ट करा लें।

काबुली चने से होने वाली एलर्जी ज्यादातर नाक जमने का कारण बनती है। यह कभी-कभी एक्जिमा या पित्ती का कारण भी बन सकती है। गंभीर मामलों में, यह एनाफिलेक्सिस का कारण भी बन सकता है।

एलर्जी के शुरुआती कुछ संकेत:

  • मुँहासे
  • थकान
  • साँस अटकना
  • नाक बहना
  • सरदर्द
  • सूजन
  • त्वचा में खुजली
  • इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम

बच्चों के लिए काबुली चने कैसे चुनें और उन्हें कैसे स्टोर करें?

  • काबुली चने खरीदते समय इस बात का ध्यान दें कि वो अच्छे हो, साफ हो और सड़े हुए न हो। यदि आपको काबुली चने दिखने में खराब लग रहे हो तो उन्हें मत खरीदें।
  • बिना भिगोए हुए काबुली चने खरीदें। ताकि आप इन्हें लंबे समय तक आसानी से एक एयर-टाइट कंटेनर या प्लास्टिक बैग में रख सके।
  • बाजार में उपलब्ध रोस्टेड काबुली चने की शेल्फ लाइफ कम होती है। और तो और, काबुली चने को भूनने से इनका पोषण लाभ कम हो जाते हैं।
  • काबुली चने से बनाए कोई भी डिश जो बच जाती है उसे फ्रिज में रखें।

काबुली चने पकाने के आसान व उपयोगी टिप्स

  1. काबुली चने को भिगोने से पहले इसे अपने हाथों से रगड़ कर अच्छी तरह पानी से साफ करें ।
  2. काबुली को पकाने से पहले इसे रात भर पानी में भिगोएं, अगर आप इसे रात भर नहीं भिगो सकती हैं तो कम से कम 5 से 6 घंटे तक भिगोएं, यह पानी को जल्दी सोख सकें इसके लिए काबुली को गर्म पानी में भिगोएं। यह काबुली चने पर लागू होता है जो  बंगाल चने के मुकाबले नरम होता है।
  3. हो सकता है सभी काबुली चने एक समान रूप में न पके हो और इनमें से कुछ पकने बाद कठोर हो सकते हैं । इसलिए जब आप इसे अपने बच्चे को दें तो मैश करके के दें। ताकि यह उसके गले में अटके नहीं।
  4. पहले इसे पानी में भिगोकर रखें और उसके बाद ही इसे पकाने से काबुली चने का आकार दोगुना हो जाएगा, इसलिए उसके अनुसार इसकी मात्रा कम या ज्यादा करें ।
  5. काबुली चने भारी होते हैं, इसलिए आप इसे बच्चे को कम मात्रा में ही दें ।
  6. अगर आपके बच्चे को अदरक और लहसुन का स्वाद अच्छा लगता है, तो काबुली तैयार करते समय इसे शामिल करें। ये पाचन में सहायता करता है और गैस को कम करने में मदद हैं।
  7. काबुली चने को पकाते समय उसमें सॉफ्टनिंग एजेंट जैसे बेकिंग पाउडर न डालें। यह भोजन में सोडियम की मात्रा को बढ़ाता है। सोडियम की मात्रा का ज्यादा होना हाई ब्लड प्रेशर और वजन बढ़ने जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।

बच्चों के लिए घर के बने काबुली चने की रेसिपी

काबुली चने पकाने के बाद इसे आसानी से प्यूरी की तरह बनाकर बच्चों को दिया जा सकता है, आप इस बेहतरीन भोजन को अपने बच्चे के आहार में शामिल कर सकती हैं जो बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद होता है, आपको नीचे काबुली चने बनाने की कुछ रेसिपी दी गई जिसे आप अपने बच्चे के सामने परोस सकती हैं, आइए जानते उन स्वादिष्ट व्यंजनों की विधि!

1. काबुली चने और वेजिटेबल प्यूरी

शुद्ध और प्राकृतिक काबुली चने बनाना बहुत आसान है, इस हेल्दी रेसिपी को आप अपने बच्चे को खिला सकती हैं।

सामग्री

  • काबुली चना – 3 बड़े चम्मच (रात भर भिगोए हुए)
  • 1 छोटा आलू – छोटे आकड़ों में कटा हुआ
  • 1 छोटा टमाटर – कटा हुआ
  • 1 बड़ा चम्मच हरी मटर (ताजी या फ्रोजन)

विधि

  • एक कप पानी में काबुली चने को कुकर में डालकर इसे 6 सीटी होने तक अच्छी तरह से पकाएं ।
  • बाकि सब्जियों को कुकर में 2 सीटी होने तक पकाएं ।
  • कुकरों से अतिरिक्त पानी निकाल दें और थोड़ा सा पानी बचा दें इसे मैश करें ।
  • आप चाहे तो इसे ब्लेंडर में डालकर मैश कर सकती हैं या फिर अपने हाथ से भी मैश कर सकती हैं।

2. काबुली चने और मटर की प्यूरी

काबुली चने से बनी यह प्यूरी न केवल बच्चों की पसंदीदा है बल्कि साथ साथ यह रेसिपी बड़ों को भी बहुत पसंद आती है।

सामग्री

  • काबुली चना – 5 बड़ा चम्मच (रात भर भिगोए हुए)
  • मटर (ताजा या फ्रोजन) – 2 बड़े चम्मच
  • लहसुन – 1
  • एक चुटकी जीरा
  • 1 छोटा चम्मच – तेल

विधि

  • काबुली चने को 1.5 कप पानी के साथ कुकर में 6 सीटी आने तक पकाएं।
  • हरी मटर को 1 कप पानी में 2 सीटी आने तक पकाएं।
  • अब लहसुन (बारीक कटा हुआ) और जीरा डालकर इसे चलाएं।
  • फिर काबुली चने व हरी मटर को उसके शोरबे के साथ सारी सामग्री को अच्छी तरह मिलाएं।
  • इसे ब्लेंडर में डालकर मैश कर लें, फिर इसे बच्चे को परोसें इस डिश को परोसें ।

*इस डिश में लहसुन और जीरा बच्चे में होने वाली गैस की समस्या को दूर करने में मदद करता है। शोरबा बनाने के लिए आपको पकी हुई हरी मटर के पानी इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि पके हुए काबुली  के पानी से बनाए जाने वाला शोरबा बच्चे में गैस की समस्या पैदा कर सकता है ।

3. काबुली चने और सेब की प्यूरी

यह व्यंजन सेब, शकरकंद और लाल शिमला मिर्च तीनों के स्वाद को मिलाकर तैयार किया गया एक बेहतरीन व्यंजन है, जो काबुली चने की एक स्वादिष्ट रेसिपी है, इस व्यंजन को कैसे तैयार करना इसका तरीका आपको नीचे बताया गया है।

सामग्री

  • 4 बड़ा चम्मच काबुली चना – (रात भर भिगोए हुए)
  • 1 छोटा आलू – (कटा हुआ)
  • 1 छोटा शकरकंद – छोटा (कटा हुआ)
  • 1 सेब (लाल) – (कटा हुआ)
  • 1 छोटा लाल शिमला मिर्च – (बीज निकालकर और कटा हुआ)
  • 1 छोटा प्याज का ½ भाग – (बारीक  कटा हुआ)
  • ½ कप हरी मटर (ताजा या फ्रोजन)
  • 1 बड़ा चम्मच ऑलिव ऑयल (या अन्य वेजिटेबल ऑयल)
  • 1 ½ छोटा चम्मच करी पाउडर

विधि

  • एक कप पानी के साथ काबुली चने को 6 सीटी होने तक कुकर में पकाएं ।
  • एक कप पानी में मटर को 2 सीटी होने तक कुकर में पकाएं।
  • एक पैन में तेल गरम करें।
  • इसमें आलू, शकरकंद, प्याज और कढ़ी पाउडर डालें और इसे अच्छी तरह से मिलाएं ।
  • आँच को धीमी कर दें और पैन को ढक्कन से ढक दें, जब तक आलू नरम न हो जाए।
  • लाल शिमला मिर्च, काबुली चना और हरी मटर डालें, इसे मिलाएं और ढक्कन बंद करके धीमी आँच पर 5 मिनट तक और पकाएं।
  • अब इसमें सेब के कटे हुए टुकड़े डालें और तब तक पकाएं जब तक कि सेब नरम न हो जाए।
  • ठंडा होने पर इस मिश्रण को अच्छे से मैश करें।

4. काबुली चने की प्यूरी के साथ सेब और नाशपाती

काबुली चने का स्वाद ऐसा होता है जो मीठे या नमकीन डिश के साथ आसानी से मिक्स हो जाता है। यह व्यंजन आपके बच्चे को प्राकृतिक रूप से मिठास प्रदान करता है।

सामग्री

  • काबुली चना – 1 बड़ा चम्मच (रात भर भिगोए हुए)
  • नाशपाती – 1 (कटा हुआ)
  • सेब का जूस – 6 बड़ा चम्मच
  • किशमिश – 1 ½ छोटा चम्मच
  • दालचीनी पाउडर  – 2 चुटकी

विधि

  • काबुली चने में पानी डालकर इसे 6 सीटी होने तक कुकर में पकाएं। इसका पानी निकाल दें और इसे अलग रख दें।
  • एक पैन में नाशपाती, किशमिश और सेब का जूस डालें और इसे उबाल लें।
  • जब यह उबलने लगे, तो आँच कम कर दें और 2 मिनट तक इसे धीमी आँच पर पकाती रहें।
  • इसमें काबुली चने डालें और 3 मिनट तक और पकाएं।
  • अब इसमें दालचीनी और प्यूरी डालें। यदि मिश्रण बहुत सूखा है तो इसके लिए सेब के जूस का इस्तेमाल करें।

5. काबुली चने के साथ केला और कद्दू की प्यूरी

यह काबुली चने से बनाया जाने वाली एक और स्वीट डिश है, जिसे आप अपने बच्चे के लिए परोस सकती हैं।

सामग्री

  • कद्दू – 1 ½ बड़ा चम्मच
  • काबुली चना – ½ बड़ा चम्मच (रात भर भिगोए हुए)
  • ½ छोटा केला – पका हुआ

विधि

  • काबुली में पानी डालकर इसे 6 सीटी होने तक कुकर में पकाएं।
  • कद्दू को बारीक काट लें और एक पैन में थोड़ा पानी डालकर इसे नरम होने तक पकाएं।
  • सभी सामग्री को ब्लेंड करें और इसे अपने बच्चे को परोसें।

काबुली चने आपके बच्चे के लिए एक बेहतरीन भोजन है। कम शब्दों में कहा जाए तो यह आपके बच्चे को बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है साथ ही साथ इसे बच्चों को अलग-अलग तरीके से परोसने से यह उनके स्वाद भी विकसित करता है।

संसाधन और संदर्भ:

स्रोत १
स्रोत २

यह भी पढ़ें:

बच्चों को दलिया खिलाने के फायदे और रेसिपीज
बच्चों के लिए साबूदाना (सागो)

समर नक़वी

Recent Posts

अलीजा नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Aliza Name Meaning in Hindi

हर माँ-बाप की ख्वाहिश होती है कि उनके बच्चे का नाम कुछ खास और मतलब…

1 day ago

समीक्षा नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Sameeksha Name Meaning in Hindi

अगर आप अपनी बेटी के लिए ऐसा नाम ढूंढ रहे हैं जो उसमें एक आदर्श…

1 day ago

विनीता नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Vinita Name Meaning in Hindi

हम सब जानते हैं कि जब किसी घर में बेटी जन्म लेती है, तो वो…

1 day ago

डॉली नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Dolly Name Meaning in Hindi

आजकल माता-पिता अपने बच्चे का नाम रखने का फैसला बहुत सोच-समझकर करते हैं। वे चाहते…

1 day ago

रेशमा नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Reshma Name Meaning In Hindi

जब माता-पिता अपने बच्चों के लिए नाम चुनते हैं तो वे बहुत सारी बातों को…

1 day ago

अक्ष नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Aksh Name Meaning in Hindi

बच्चे का नाम रखना हर माता-पिता के लिए बहुत खास होता है। जब बात बेटे…

2 days ago