शिशु

छोटे बच्चों को खाने से एलर्जी होना

कहा जाता है कि फूड एलर्जी से लगभग 4 से 6% बच्चे प्रभावित हो सकते हैं। यह शिशुओं और छोटे बच्चों में बहुत आम है। हालांकि, यह किसी भी उम्र के बच्चों में दिखाई दे सकती है। यदि परिवार में भी एक्जिमा या अस्थमा का इतिहास रहा हो, तो शिशुओं में फूड एलर्जी होने की अधिक संभावना हो सकती है। इस तरह की स्थिति में, बच्चे को उसके जन्म के बाद पहले 6 महीनों तक माँ का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है। यदि यह संभव नहीं है, तो अपने डॉक्टर से बच्चे को फॉर्मूला मिल्क देने के बारे में बात करें। खाने से होने वाली एलर्जी हल्की से लेकर गंभीर तक हो सकती है। कुछ फूड आइटम्स किसी समय ज्यादा रिएक्ट नहीं करते हैं तो वहीं कभीकभी इनसे ज्यादा रिएक्शन हो जाता है। एलर्जी की गंभीरता के अनुसार ही इसका उपचार किया जाता है।

फूड एलर्जी क्या है?

खाने से होने वाली एलर्जी एक सीरियस मेडिकल कंडीशन है , जो कई बार बच्चे के लिए घातक साबित हो सकता है। यह एक तरह से देखा जाए तो बच्चे के इम्यून सिस्टम का रिएक्शन होता है, जो किसी भोजन का सेवन करने और उसका बच्चे पर किस प्रकार प्रभाव पड़ रहा है वो बताता है। यहाँ तक कि कम मात्रा में भी भोजन का सेवन करने से एलिर्जी हो सकती है जो खतरनाक साबित हो सकती है।

क्या छोटे बच्चों को खाने से एलर्जी हो सकती है?

12 महीने से कम उम्र के नन्हे बच्चों में कुछ खाद्य पदार्थों के प्रति एलर्जी हो सकती है, लेकिन इसका लेवल हर बेबी में अलगअलग हो सकता है। फूड एलर्जी के लक्षणों से दूसरी बीमारियां समझकर कंफ्यूज होना आम है क्योंकि इसके लक्षण बहुत सी दूसरी बीमारियों जैसे होते हैं। इसके सटीक लक्षणों को पहचानना और डॉक्टर से जल्द से जल्द परामर्श करना जरूरी है।

छोटे बच्चों में फूड एलर्जी के लक्षण

यहाँ आपको बच्चों में खाने से होने वाली एलर्जी के लक्षण कुछ इस प्रकार दिए गए हैं:

  • पित्ती (रेड रैशेस जो मच्छर के काटने के समान दिखते हैं) जो कि फैलते हैं।
  • खुजलीदार रैशेस होना (ये ज्यादातर मुँह या गले वाले हिस्से में दिखाई देते हैं और कई बार शरीर के अन्य हिस्सों पर भी दिखाई देती हैं)
  • गले और जीभ में खुजली महसूस होना
  • आँखों से पानी आना
  • मुँह, जबान और होंठों में सूजन आने से बोली का प्रभावित होना
  • मुँह के आसपास रैशेस होना
  • लगातार छींकना
  • बहती हुई ना या नाक में जमाव हो जाना
  • खुजलीदार लाल आँखें
  • घरघराहट होना
  • सांस लेने में तकलीफ होना
  • लगातार खांसी आना
  • मतली, चक्कर और उल्टी लगना
  • दस्त
  • पेट में दर्द
  • पीले या नीले रंग का चेहरा या होंठ होना
  • सिर भारी होना
  • रेस्पिरेटरी संबंधी समस्या होना
  • होश खो बैठना
  • निगलने में तकलीफ होना
  • पल्स कमजोर होना
  • एनाफिलेक्सिस (यह एक ऐसी जानलेवा स्थिति है, जो सांस को प्रभावित कर सकती है और इससे बच्चे को झटके आ सकते हैं।

छोटे बच्चों को फूड एलर्जी कैसे होती है?

अस्थमा और एक्जिमा जैसी स्वास्थ्य समस्याओं वाले बच्चों को एलर्जी का होने का खतरा ज्यादा होता है। यह उन बच्चों में बहुत आम होता है जिनके परिवार में इसका इतिहास रहा हो और यह बच्चे को जन्म के बाद शुरुआती कुछ महीनों में तीव्रता से प्रभावित कर सकती है।

किन बच्चों को फूड एलर्जी होने की संभावना ज्यादा होती है?

आहार और सांस से जुड़ी एलर्जी विकसित होना अक्सर आनुवंशिक रूप से निर्धारित होता है। जिन बच्चों में एलर्जी का कोई पारिवारिक इतिहास नहीं है, उनमें से 12% बच्चे, मां या पिता में से किसी एक को एलर्जी होने वाले 30-50% बच्चे, और दोनों पेरेंट्स में एलर्जी होने वाले 60-80% बच्चों में खाने से एलर्जी विकसित होने का खतरा अधिक होता है।

बेबी में एलर्जी पैदा करने वाले खाद्य पदार्थ

लगभग 160 खाद्य पदार्थ प्राकृतिक रूप से एलर्जिक हो सकते हैं। कुछ आम फूड आइटम हैं, जो बच्चों को दिए जाने पर उनमें एलर्जी पैदा कर सकते हैं, नीचे आपको उन फूड आइटम की लिस्ट दी गई है।

  • गाय का दूध
  • अंडा
  • नट्स जैसे अखरोट, मूंगफली, काजू आदि
  • सी फूड
  • सोयाबीन
  • गेहूं
  • तिल
  • शेलफिश, प्रॉन, झींगा
  • टमाटर
  • चना या चने का आटा

छोटे बच्चों में फूड एलर्जी का निदान कैसे होता है?

अपने बच्चे में एलर्जिक रिएक्शन देखे जाने पर तुरंत डॉक्टर से बात करें। डॉक्टर आपसे सारी जानकारी लेंगे और परिवार के मेडिकल इतिहास के बारे में पूछेंगे। इसके बाद वो बच्चे के लिए कुछ टेस्ट लिखेंगे और शारीरिक जांच करेंगे। इसके बाद बच्चे की त्वचा की जांच, ब्लड टेस्ट और कुछ एक अन्य टेस्ट किए जा सकते हैं ताकि एलर्जेन का पता लगाया जा सके।

अगर बेबी में कुछ खाने से एलर्जिक रिएक्शन दिखाई दे तो क्या करें?

जब बच्चे को परेशानी होती है तो मातापिता का चिंतित हो जाना जाहिर सी बात है। हालांकि अगर आपको बेबी की त्वचा पर रैशेस दिखाई दें, तो सबसे पहले आप खुद को शांत रखें। इस विषय में जितना जल्दी हो सके अपने डॉक्टर से बात करें।

छोटे बच्चों में खाने से एलर्जी का इलाज कैसे किया जाता है?

केवल एक एलर्जिस्ट ही आपके बच्चे का सही इलाज कर पाएगा। अगर एलर्जी के लक्षण माइल्ड हैं, तो उसके लिए एंटीहिस्टामाइन से इलाज करवा सकते हैं या एक एल्ब्युटेरोल इनहेलर (हल्की घरघराहट के मामले में) दिया जा सकता है। गंभीर फूड एलर्जी रिएक्शन के मामले में एड्रेनालाईन के साथ इलाज करना पड़ता है जिसे अक्सर एक एपिनेफ्रिन ऑटोइंजेक्टर (जैसे एपिपेन) के माध्यम से दिया जाता है। जब तक उपचार नहीं दिया जाता, तब तक बच्चे के पैरों को ऊंचा करके उसे लिटाए रखें। अगर बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही हो तो उसे बिठा दें।

क्या आप अपने बेबी को खाने से एलर्जी होने से बचा सकती हैं?

नीचे बताए गए आसान स्टेप्स से आप छोटे बच्चों में होने वाली फूड एलर्जी को रोकने का प्रयास कर सकती हैं।

  • बेबी के एक्जिमा को कंट्रोल करें: एक्जिमा की सूजन को कम करें और उसे कंट्रोल में रखें। इसके लिए आप बच्चे के डॉक्टर या डर्मेटोलॉजिस्ट से बात करें।
  • बेबी को ब्रेस्टफीडिंग कराएं: ब्रेस्टफीडिंग से एलर्जी की संभावना कम हो जाती है, क्योंकि माँ के दूध में पाए जाने वाले एंटीबॉडी हेल्दी इम्यून सिस्टम बनाए रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा अगर बच्चा माँ का दूध पी रहा है तो उसे गाय का दूध या फॉर्मूला मिल्क देने की जरूरत नहीं पड़ती। जो एलर्जिक नेचर के होते हैं।
  • कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज करें: सावधानी के लिए, अगर आप नोटिस करती हैं कि आपके कुछ खाने के बाद बेबी ब्रेस्टफीडिंग के दौरान परेशान करता है, तो उस भोजन को खाने से बचें। कम से कम तब तक, जब तक बच्चा ब्रेस्टफीडिंग कर रहा हो। हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं मिलता है कि बच्चे को आपके किसी चीज को खाने से एलर्जी होने का खतरा हो सकता है।
  • हाई रिस्क एलर्जी: यदि आप अपने बच्चे को हाई रिस्क वाली एलर्जी के कारण ब्रेस्टफीडिंग नहीं करा सकती हैं, तो आप उसे हाइपोएलर्जेनिक फॉर्मूला दे सकती हैं। इस फॉर्मूला में प्रोटीन छोटे टुकड़ों में टूट जाता है जो एलर्जी रिएक्शन को होने से रोकता है।
  • सोयाबीन फार्मूला से बचें: हाई रिस्क एलर्जी वाले बच्चों को सोया फार्मूला नहीं देना चाहिए। सोया प्रोटीन भी बच्चों में एलर्जी पैदा कर सकता है।
  • 6 महीने के बेबी को एलर्जिक फूड देना: आम एलर्जी पैदा करने वाले भोजन को आपके बच्चे को सॉलिड फूड देते समय एक बार ही दिया जाना चाहिए। ऐसा भोजन देते समय आपको बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। एक बात और ध्यान में रखें कि फैमिली हिस्ट्री भी बच्चे में एलर्जी का एक बड़ा कारण हो सकती है। आप बच्चे को वो भोजन न दें जो परिवार के बाकी लोग नही खाते हैं।
  • आम फूड एलर्जेन का नियमित सेवन करना: आम फूड एलर्जेन को बच्चे की डाइट में नियमित रूप से शामिल करने पर बच्चे की उस पदार्थ को लेकर सहनशीलता बढ़ जाती है जो भविष्य में उसे फूड एलर्जी को होने से बचाती है।

हालांकि, अपने बेबी को कोई भी एलर्जेनिक भोजन देने से पहले डॉक्टर से बात कर लें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

यहाँ बच्चों में होने वाली फूड एलर्जी से जुड़े अक्सर पूछे गए सवालों के जवाब दिए गए हैं, तो आइए एक नजर इस पर भी डालते हैं।

1. छोटे बच्चों में खाने से एलर्जी होना कितना आम है?

शिशुओं में खाने से एलर्जी होना काफी आम है। लगभग 6-8% बच्चे फूड एलर्जी से पीड़ित होते हैं।

2. क्या छोटे बच्चों में फूड एलर्जी आनुवंशिक होती है?

बच्चों में एलर्जी विकसित होने का कारण आनुवंशिक हो सकता है, हालांकि ऐसा हर मामले में जरूरी नहीं है। जिन बच्चों के पेरेंट्स को एलर्जी होती है उनमें इसका खतरा ज्यादा होता है।

3. क्या बेबी की एलर्जी खत्म हो सकती है?

इस सवाल को सबसे ज्यादा मातापिता पूछते हैं, जब बच्चे में पहली बार एलर्जी का निदान किया जाता है। वो बच्चे जो दूध, अंडा या सोया के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देते हैं उनमें आगे चल कर एलर्जी खत्म होने की संभावना ज्यादा होती है, बजाय उन बच्चों के जिन्हें शेलफिश, ट्री नट और मूंगफली से एलर्जी होती है। जितनी जल्दी पहली एलर्जी प्रतिक्रिया होगी, बच्चे में उम्र के साथ इसके जाने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। इन कारणों के अलावा, जिन बच्चों में केवल हल्की या मध्यम एलर्जी का इतिहास हो, उन्हें केवल एक पदार्थ से एलर्जी हो और एकमात्र लक्षण के रूप में उन्हें एक्जिमा हो, उनमें उम्र के साथ एलर्जी खत्म होने की संभावना अधिक होती है। दूसरी ओर, एलर्जी के गंभीर लक्षण जैसे श्वसन समस्या, सूजन और एनाफिलेक्सिस आदि मामलों में बच्चे को आगे चलकर एलर्जी खत्म होने की संभावना कम होती है।

4. फूड एलर्जी और फूड इन्टॉलरेंस के बीच अंतर क्या है?

फूड एलर्जी इम्यून सिस्टम के रिएक्शन का कारण बनती है, जो शरीर में कई अंगों को प्रभावित कर सकती है। इससे कई लक्षण दिख सकते हैं और यह जानलेवा हो सकती है। दूसरी ओर फूड इन्टॉलरेंस अक्सर पाचन समस्याओं का कारण बनती है जो आमतौर पर बहुत गंभीर नहीं होते हैं।

फूड एलर्जी से पीड़ित शिशुओं को एलर्जी वाले पदार्थों के सेवन के कारण खतरनाक, जानलेवा रिएक्शन हो सकता है। किसी भी गंभीर स्थिति से बचने के लिए आवश्यक उपाय और सावधानी बरतें।

यह भी पढ़ें:

बच्चों को दूध से एलर्जी होना
शिशुओं में गेहूँ से एलर्जी – लक्षण और कैसे ठीक करें
शिशुओं में फॉर्मूला एलर्जी – कारण, लक्षण और विकल्प

समर नक़वी

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