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मछली में बहुत प्रोटीन होता है और यह मांसहारी खाद्य पदार्थों में प्रोटीन का सबसे बेहतरीन और हेल्दी स्रोत है। यदि आप नॉन-वेज खाती हैं तो आपके बच्चे के आहार में इस स्ववास्थ्यप्रद खाद्य पदार्थ को जरूर शामिल करें पर ऐसा करने से पहले आपको खोजना होगा कि आपके बच्चे के लिए कौन सी मछली सबसे बेहतरीन है।
आपके बच्चे के स्वास्थ्य व विकास के लिए मछली निम्नलिखित कारणों से सबसे बेहतरीन खाद्य पदार्थ है, आइए जानते हैं;
एक बच्चे को मछली देना सॉलिड फूड देने के बराबर होता है। यद्यपि 6 महीने से अधिक उम्र के बच्चे को थोड़ी मात्रा में कुछ प्रकार की मछली खिलाई जा सकती है। पर ऐसा करने से पहले यह देखना जरूरी है कि आपके बच्चे को मछली से एलर्जी न हो। यदि बच्चे को मछली से एलर्जी है तो उसे यह खिलाने के लिए लगभग 8 महीने तक रुकें क्योंकि तब तक बच्चे में एलर्जी का प्रभाव कम हो सकता है या आप इस बारे में डॉक्टर से भी बात कर सकती हैं। यदि आप अपने बच्चे को सीरियल या घर पर बने अन्य खाद्य पदार्थ खिलाती हैं जिससे बच्चे को कोई भी समस्या नहीं है तो उसे मछली खिलाने में भी कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। किसी भी स्थिति में बच्चे को मछली खिलाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें और यदि परिवार में पहले किसी को भोजन से एलर्जी हुई है तो इस बारे में भी डॉक्टर को बताएं।
बच्चे को कोई भी नया खाद्य पदार्थ खिलाते समय पूरी सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है और साथ ही यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि वह ठोस आहार अच्छी तरह से खा पा रहा है या नहीं। बच्चे को अलग-अलग तरह की मछली एक साथ खिलाना शुरू न करें। इसके बजाय उसे एक प्रकार की मछली का व्यंजन बनाकर खिलाएं और देखें कि आपका बच्चा इसे खा पा रहा है या नहीं। यदि कोई समस्या नहीं होती है तो फिर आप उसे एक-एक करके अन्य प्रकार की मछली भी खिला सकती हैं। बच्चे के पाचन के लिए स्टीम की हुई मछली बेहतरीन होती है और इसलिए मछली खाने का यह तरीका बहुत अच्छा माना जाता है। आप मछली के कांटे निकाल कर इसे शैलो फ्राई या बेक भी कर सकती हैं और फिर इसकी प्यूरी बनाकर अपने बच्चे के नियमित आहार में शामिल करें। इसके अलावा आप मछली को हल्दी में मैरीनेट करके फ्राई भी कर सकती हैं और फिर इसके कांटे निकाल कर अपने बच्चे को खिलाएं।
बच्चे को मछली खिलाना शुरू करते समय निम्नलिखित सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है, आइए जानते हैं;
बच्चों के लिए वह मछली ही सर्वोत्तम है जिसमें ज्यादा प्रोटीन और कम मरक्युरी होने के साथ-साथ वह आकार में बड़ी होती है। बड़ी मछली का मतलब है उसमें कांटे भी बड़े होंगे और इससे आपके बच्चे के गले में कांटे फसने का खतरा भी कम होता है। बच्चों के आहार में निम्नलिखित मछलियां शामिल करना बेहतर हो सकता है, आइए जानें;
इसे आम भाषा में तरली या पेड़वे कहा जाता है, इस मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन, विटामिन डी और फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसमें विटामिन ‘डी’ काफी मात्रा में होने के कारण यह शरीर में कैल्शियम और फॉस्फोरस को अब्सॉर्ब करता है और हड्डियों को मजबूत बनाता है।
इस मछली में विटामिन ‘ए’, ‘बी3’, ‘बी12’, ‘ई’ और नियासिन प्रचुर मात्रा में होता है जो अच्छी त्वचा और पाचन तंत्र को ठीक करने के लिए बेहतरीन है। पॉम्फ्रेट में मरक्युरी की मात्रा बहुत कम होती है।
भारत में यह मछली रावस के नाम से उपलब्ध है और यह बच्चों के आहार में सबसे सुरक्षित खाद्य पदार्थ है। रावस में मरक्युरी की मात्रा बहुत कम होती है और इससे एलर्जी होने की संभावना भी बहुत कम होती है, ये गुण इसे बच्चे के आहार के लिए बेहतरीन बनाते हैं।
बच्चों के आहार में निम्नलिखित प्रकार की मछलियां नहीं देनी चाहिए, आइए जानते हैं;
बच्चों के आहार में मछली शामिल करने से पहले इससे होने वाले दुष्प्रभावों को जानना भी जरूरी है, वे इस प्रकार हैं;
जब आप अपने बच्चे को पहली बार मछली खिलाती हैं तो आपको निम्नलिखित लक्षणों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, आइए जानते हैं;
आप अपने बच्चे के लिए मछली की निम्नलिखित स्वादिष्ट रेसिपी बना सकती हैं, आइए जानते हैं;
सामग्री
विधि
सामग्री
विधि
मछली में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल भरपूर मात्रा में होने के कारण इसे बच्चों के विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। खयाल रखें इसका उपयोग बहुत ज्यादा संयमित मात्रा में होना चाहिए। अपने बच्चे को मछली खिलाने से पहले उसमें मौजूद मरक्युरी की मात्रा जरूर जांच लें, यह आपके लिए फायदेमंद होगा।
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