बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों को पैसों के बारे में कैसे सिखाएं

आप अपने बच्चे को धन का महत्व सिखाना चाहते हैं, आप चाहते हैं, कि आपके बच्चे बड़े होने पर फाइनेंस को लेकर सही निर्णय लें, ताकि उन्हें रुपए-पैसे से संबंधित समस्याओं का सामना ना करना पड़े। लेकिन आप उन्हें फाइनेंशियल जिम्मेदारियों के बारे में सिखाने की शुरुआत कैसे कर सकते हैं? इसकी शुरुआत जल्द करना एक बुद्धिमानी भरा निर्णय होगा, क्योंकि आपका बच्चा कम उम्र में पैसों से संबंधित जो बातें सीखेगा, उसे लंबे समय तक याद रखेगा। अब अगर आप अपने बच्चे को यह सिखाना चाहते हैं, कि ‘पैसे पेड़ पर नहीं उगते हैं’ (आपको पता था कि यह लाइन आने वाली है, है ना?) और यह सिखाने के तरीके ढूंढ रहे हैं, तो हम आपके लिए कुछ प्रैक्टिकल तरीके लेकर आए हैं। 

बच्चों को पैसों के बारे में सिखाने के तरीके

अगर आप चाहते हैं, कि आपका बच्चा बड़ा होकर एक जिम्मेदार इंसान बने, जो पैसों के महत्व को समझे, तो यहां पर उम्र के अनुसार उचित तरीके दिए गए हैं। अपने बच्चे को फाइनेंशली निपुण बनाने के लिए इन पर नजर डालें।

1. 2 से 3 साल की उम्र

इतनी कम उम्र में बच्चे को धन के बारे में सिखाना मुश्किल लग सकता है, लेकिन कुछ सिंपल तरीकों से यह आपको आसान लगने लगेगा। इस उम्र में फाइनेंस के सिंपल कांसेप्ट से परिचय कराना फायदेमंद हो सकता है। यहां पर कुछ सिंपल गेम्स और आइडियाज दिए गए हैं, जिनके द्वारा आप अपने बच्चे को धन के बारे में सिखा सकते हैं। 

  • बच्चे के लिए एक ट्रांसपेरेंट पिगी बैंक (गुल्लक) लेकर आएं

अपने टॉडलर को एक ट्रांसपेरेंट गुल्लक दें और उसे प्रेरित करें, कि वह बड़ों से मिलने वाले सिक्के और नोट उसमें डाले। समय के साथ वह इस छोटे से गुल्लक में अपने पैसे को बढ़ता हुआ देखेगा और जमा किए हुए हर एक सिक्के से उसे सफलता का एहसास होगा। 

  • सिक्कों को पहचानने वाला गेम खेलें

बच्चे को अलग-अलग राशि के सिक्कों से परिचय कराएं और उसे हर सिक्के को ध्यान से देखने दें। उसे यह समझ में आएगा, कि हर सिक्का अपने रंग, आकार और आकृति के आधार पर अलग है। जब वह हर सिक्के के बीच अंतर को पहचानना सीख जाए, तब आप उसे हर सिक्के की वैल्यू के बारे में बता सकते हैं। 

  • एक अच्छे रोल मॉडल बनें

आप अपने बच्चे के प्रमुख रोल मॉडल होते हैं। आप किस प्रकार व्यवहार करते हैं, वह उसकी हर बारीकी पर ध्यान देता है। अगर आप जरूरत से ज्यादा खर्च करते हैं, तो वह भी ऐसा ही करता है। जब वह देखता है कि आप पैसे को बुद्धिमानी से खर्च करते हैं और समय पर बिलों का भुगतान करते हैं, तो उसे भी बड़े होने पर ऐसी ही आदतें बनाने में मदद मिलेगी।

2. 4 से 5 साल की उम्र

धन को मैथ्स के एडिशन के सिंपल कांसेप्ट से जोड़ कर बच्चे में पैसे गिनने और कैलकुलेट करने की आदत  बुद्धिमानी से डाली जा सकती है। इसके अलावा यहां पर कुछ और गतिविधियां दी गई हैं, जिनके द्वारा आप उसे धन के बारे में सिखा सकते हैं। 

  • इंतजार की कला सिखाएं

इस मामले में धैर्य की आदत डालना फायदेमंद साबित हो सकता है। यहां पर बच्चे को यह सिखाना जरूरी है, कि कुछ खरीदने से पहले पैसे बचाने पड़ सकते हैं। यह बड़ों के लिए भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ऐसे में कम उम्र से ही बच्चे से इसका परिचय कराना बहुत अच्छा होता है।

  • डिस्काउंट कूपन का इस्तेमाल

इस एक्टिविटी में अपने बच्चे से कहें, कि वह बाजार जाने से पहले जरूरी सभी कूपन इकट्ठे करने में आपकी मदद करे। दुकान पर जाने के बाद उसे प्रोडक्ट के साथ कूपन को मैच करने के लिए कहें। इससे उसे पैसे का महत्व सिखाने में मदद मिल सकती है। 

  • मनी मोमेंट्स को आजमाएं

बच्चे को पैसों से संबंधित सरल बातों में शामिल करें। जैसे, उसे एक ₹10 का नोट दें और इस सीमा के अंदर चॉकलेट खरीदने को कहें। साथ ही चॉकलेट खरीदने के बाद उसकी पेमेंट करने के लिए भी कहें। इस तरह से आपके बच्चे को यह समझ में आएगा, कि कुछ भी खरीदने के लिए पैसों की जरूरत होती है। 

3. 6 से 8 साल की उम्र

‘पॉकेट मनी’ शब्द से बच्चे का परिचय कराने के लिए यह समय बिल्कुल सही है। बच्चे ने अब तक जो कुछ भी सीखा है, उस आधार पर उसे अपने माता-पिता से विश्वास, कॉन्फिडेंस और प्रेरणा मिलती है। यहां पर कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनके द्वारा आप अपने बच्चे को फाइनेंशली रिस्पांसिबल बना सकते हैं। 

  • दान का महत्व

बच्चे को चैरिटी के रूप में समाज को वापस देने का सिद्धांत सिखाना बहुत जरूरी है। चाहे वह कोई एनजीओ हो या कोई चैरिटेबल ट्रस्ट, किसी खास सामाजिक उद्देश्य के लिए आप अपने बच्चे को कुछ धनराशि रखने को दे सकते हैं। इस प्रकार बच्चे धन का महत्व समझ पाते हैं। 

  • पॉकेट मनी

बिना मेहनत किए बच्चे को साप्ताहिक रूप से पॉकेट मनी देना व्यर्थ हो सकता है। इस प्रक्रिया में वह कुछ भी नहीं सीखेगा और वह आपको फॉर ग्रांटेड लेगा। आप कमरे की सफाई या किचन में मदद जैसे सिंपल घरेलू काम देकर और फिर हर सप्ताह उसे पॉकेट मनी देकर पैसों का महत्व सिखा सकते हैं। इस तरह से वह यह सीखेगा, कि कोई काम किए बिना पॉकेट मनी की उम्मीद करना गलत है। उसे यह एहसास होगा, कि पैसे कमाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें, कि हर बार कोई छोटा और आसान सा घरेलू काम करने पर बच्चे को पैसे मांगने की आदत ना पड़ जाए। 

  • बच्चे की खर्च करने की आदतों पर नजर रखना

बच्चा अपने पैसों को किस प्रकार खर्च करता है और पिछले कुछ महीनों में उसने कितने पैसे बचाए हैं, इसके बारे में उससे बात करें। हम निश्चित रूप से कह सकते हैं, कि वह इस बारे में अपना मूल्यांकन करने में सक्षम होगा। उससे पूछें कि उसने अपने लिए किसी तरह का फाइनेंशियल गोल सेट किया है या नहीं और वह जिन अच्छी आदतों को फॉलो कर रहा है, उसे लेकर मोटिवेट करें। 

  • बच्चे से पूछें कि वह बड़ा होकर क्या करना चाहता है

बच्चा बड़ा होकर क्या करना चाहता है, यह जानना करियर और उनके स्कोप के बारे में बात करने का एक बेहतरीन तरीका है। इस मुद्दे पर चर्चा करें, कि हर कोई पैसे कमाने के लिए काम करता है। काम करने और पैसे कमाने को लेकर पॉजिटिव महसूस कराने से बच्चे को इस बारे में हेल्दी एटीट्यूड रखने की प्रेरणा मिलेगी। 

4. 9 से 12 साल की उम्र

इस उम्र तक बच्चों में समझदारी की एक भावना विकसित हो जाती है और वे दिए गए निर्देशों को फॉलो करना सीखते हैं। उनमें अच्छी आदतें डालने के लिए यह समय बिल्कुल सही होता है। अपने बच्चे में बचत करने की आदत डालने के लिए नीचे दी गई बातों को अपनाएं:

  • बच्चे के लिए एक सेविंग अकाउंट खोलें

बच्चे के लिए बैंक अकाउंट खोलने के लिए यह उम्र बिल्कुल सही है, क्योंकि इस समय तक उसमें पैसे बचाने और कैलकुलेट करने की बेहतर समझ विकसित हो चुकी होती है। इससे बचाए हुए पैसों से मनचाही चीज खरीदने का मौका मिलता है और उससे स्वामित्व का सच्चा एहसास होता है। 

  • जरूरत और इच्छा के बीच अंतर सिखाना

किसी चीज को लेकर इच्छा और जरूरत के बीच के अंतर के बारे में बताना जरूरी है। इससे खर्च को लेकर प्राथमिकता के निर्णय पर प्रभाव पड़ता है। इससे उसे पैसे खर्च करने के लिए निर्णय लेने में मदद मिल सकती है। 

  • अपने बच्चे को कार्ड के बारे में सिखाना

अब तक निश्चित रूप से आपके बच्चे ने आपको डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड स्वाइप करते हुए नोटिस किया होगा और इसके बारे में पूछा भी होगा। आपके बच्चे को इन कार्ड्स के बारे में कहीं से गलत जानकारी मिले, इससे पहले उसे बिठाएं और बैंक अकाउंट के आधार पर अलग-अलग कार्ड्स और उनके फंक्शन के बारे में बताएं। 

5. 13 से 15 साल की उम्र

यह वो उम्र होती है, जब बच्चे पार्ट टाइम काम भी शुरू कर सकते हैं। पार्ट टाइम काम करने से वे यह समझ पाते हैं, कि पैसे कमाने में मेहनत लगती है। उन्हें पैसों का महत्व सिखाने के लिए नीचे दी गई तकनीकों को आजमाया जा सकता है:

  • बजट बनाना

अब तक आपका बच्चा अपने टीनएज तक पहुंच चुका होता है और बजट बनाने के कांसेप्ट से उसका परिचय कराने का यह बिल्कुल सही समय है, क्योंकि उसे पैसे बचाने, पैसे खर्च करने और दान करने के बारे में सिखाया जा चुका है। ऐसे में बजटिंग से उसे अपने खर्चों की एक लिस्ट बनाने में और अनावश्यक खर्चों को रेगुलेट करके इन्हें पूरा करने में मदद मिल सकती है। यह आपके बच्चे की इनकम पर भी निर्भर करता है। 

  • खर्चों को लेकर गलतियां करने दें

पैसों से जुड़े मामलों पर आपके और आपके बच्चे के बीच तकरार हो सकती है। हो सकता है, कि उसने किसी ऐसी चीज पर खर्च कर दिया हो, जो आपकी इच्छा के विरुद्ध हो और इस बात पर उसे गुस्सा आ सकता है। लेकिन यह सब सीखने की एक प्रक्रिया है। आगे चलकर गलती करने से अच्छा है, कि वह अभी गलतियां करे और उनसे सीखे, क्योंकि अभी उसकी मदद करने के लिए आप मौजूद हैं। यह अपने टीनएज बच्चे को गाइड करने का और फाइनेंशियल वैल्यूज को रिवाइज करने का समय है, जो आपने उसे इतने वर्षों में सिखाया है। 

  • इनाम के रूप में धन

अब तक बच्चे ने घर के काम करके पैसे कमाने के कांसेप्ट को समझ लिया होगा। आप उसे बड़े काम देकर अधिक पैसे कमाने में मदद कर सकते हैं। जैसे घर के किसी सदस्य को कोई काम करने में मदद करके, जो उसे इसके लिए पैसे देने के लिए भी तैयार हो। 

  • निवेश से परिचय कराना

सेविंग से होने वाले इंटरेस्ट के द्वारा पैसे कमाने के अलावा बच्चों को पैसे के बारे में सिखाने का एक अन्य विकल्प भी मौजूद है। एक फैमिली एक्टिविटी बनाएं, जिसमें आपके बच्चे समेत हर व्यक्ति ऐसी कंपनी के स्टॉक में इन्वेस्ट करने का दिखावा करते हैं, जिससे वे परिचित हैं। फिर अखबार पढ़ें या न्यूज देखें और चुने गए स्टॉक्स की वैल्यू के बारे में पता करें और जानें कि वह किस प्रकार ऊपर-नीचे होता है। 

छोटी उम्र से ही बच्चों को फाइनेंशियल कांसेप्ट के बारे में बताने से खर्च करने की उनकी आदतें प्रभावित हो सकती हैं और उन्हें स्वतंत्र रूप से बेहतर फाइनेंशियल फैसले लेने में मदद मिल सकती है। बचत करने की आदत फायदेमंद होती है और लंबे समय तक रहती है। आपका बच्चा अंत में यह समझ जाएगा, कि धन एक सीमा तक सुरक्षित और स्थिर भविष्य दे सकता है। 

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पूजा ठाकुर

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