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स्वास्थ्य और हाइड्रेशन अर्थात जलयोजन को बनाए रखने के लिए, नियमित मात्रा में पानी पीने के जिन नियमों का पालन हम करते हैं, वे शिशुओं पर लागू नहीं होते। यह हमें कई सवालों की ओर ले जाता है, जैसे कि ‘नवजात शिशु को किस महीने से उसे पानी दे सकते हैं?’ और ‘शिशुओं में पानी की कमी अर्थात डिहाइड्रेशन के लक्षण क्या हैं?’ आप यह भी सोच सकती हैं कि क्या 1 महीने का शिशु भी पानी पी सकता है? तो आइए, शिशु को पानी कैसे पिलाना है – इसके उचित और सटीक विवरणों पर एक नज़र डालते हैं।
पहली बार बने माता–पिता यह तय नहीं कर पाते हैं कि उन्हें अपने बच्चे के आहार में पानी कब शामिल करना चाहिए। व्यसकों के विपरीत, जिन्हें प्रतिदिन नियमित मात्रा में पानी पीना चाहिये, शिशुओं का मामला अलग होता है। उनकी पानी की आवश्यकता उम्र के अनुसार बदलती रहती है, और उनकी प्रणाली तैयार होने से पहले उन्हें बहुत अधिक पानी पिलाना हानिकारक हो सकता है।
माँ का दूध पीने से शिशुओं को अतिरिक्त पानी की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि स्तन के दूध को सर्वश्रेष्ट आहार माना जाता है, जो शिशु के सभी आहार और तरल आवश्यकताओं को पूरा करता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि माँ का दूध शिशु को आवश्यक मात्रा में सारे ज़रूरी तरल पदार्थ प्रदान कर देता है। संक्षेप में कहा जाए तो , जब तक आप शिशु की ज़रूरत के हिसाब से उसे दूध पिलाती हैं, तब तक आपको उसे अतिरिक्त पानी पिलाने के बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए।
बोतल से फॉर्मूला दूध पीने वाले शिशुओं को भी अतिरिक्त पानी की आवश्यकता नहीं होती है। अधिकांश फॉर्मूलों में पर्याप्त मात्रा में पानी मिलाने के निर्देश होते हैं। जब आप इन निर्देशों का पालन करके, शिशु की उम्र के हिसाब से फॉर्मूला में पानी की मात्रा घोलती हैं, तब ही उसे उपयुक्त पानी मिल जाता है।
क्या इस दौरान शिशुओं को पानी पिलाना चाहिए? इस प्रश्न के लिए कोई खास नियम नहीं है। जब तक वे 6 महीने के नहीं हो जाते, तब तक आपके बच्चे को स्तन के दूध या फॉर्मूला के अलावा कुछ भी पीने की जरूरत नहीं है। आमतौर पर शिशुओं को पानी तब देना शुरू किया जाता है जब वे नवजात अवस्था पार कर लें और उन्हें स्तन के दूध के अलावा ठोस खाना भी दिया जाने लगे।
आमतौर पर 6 से 8 महीने की उम्र के बीच शिशु ठोस आहार खाना शुरू कर देते है। इस दौरान, आप दिन में कुछ बार सिप्पी कप से उसे पानी के छोटे घूँट पीला सकती हैं। यह बार–बार पानी देने की आवश्यकता नहीं है, यह मानते हुए कि आप ठोस आहार के साथ अभी भी उसे स्तन का दूध या फॉर्मूला दूध दे रहे हैं।
जब शिशु करीबन एक साल का हो जाए, तो आप स्तनपान जारी रख सकती हैं और चाहें तो भोजन के समय एक कप में पानी या फलों का पतला रस दे सकती हैं।हालांकि, मिलावटी मिठास या सोडा वाले पेय देने से बचें। पहली बार बनी माँ होने के कारण आप अपने बच्चे के पानी की ज़रूरतों को लेकर चिंतित हो सकती हैं। चूँकि वे अपनी प्यास व्यक्त करने के लिए बहुत छोटे होते हैं, आप चिंतित हो सकती हैं कि आपके बच्चे को ठीक से पानी मिल रहा है या नहीं, और यदि आपको स्तनपान कराने के साथ उसे पानी पिलाना चाहिए या नहीं। लेकिन फिर भी आपका बच्चा कुछ संकेतों के द्वारा प्यास व्यक्त कर सकता है, जैसे कि चिड़चिड़ापन।
ठोस आहार का सेवन शुरू होने के बाद ही शिशुओं को पानी दिया जाना चाहिए । जब तक वे एक वर्ष के नहीं हो जाते, तब तक उनके गुर्दे पानी को मेटाबोलाइज़ करने के लिए पर्याप्त रूप से परिपक्व नहीं हुए होते हैं। नतीजतन, उनकी पानी की ज़रूरत कम से कम होती है। हालांकि, आप अपने बच्चे को छोटे–छोटे घूंट देकर उसे पानी के स्वाद से परिचित करवा सकती हैं। आप बच्चे की बोतल या सिप्पी कप से उसे प्यास लगने पर थोड़ा पानी पिला सकती हैं। और जब तक वह बड़ा ना हो जाए, उसे खुले कप से पानी ना दें।
यदि आप सोच रही हैं कि 6 महीने के शिशु के लिए कितना पानी आवश्यक है, तो आपको पता होना चाहिए कि यह शिशु और उसके भोजन की आदतों पर निर्भर करता है। आप उसे अभी भी स्तनपान करा रही हैं, तो पानी के कुछ घूंट उसे तृप्त करने के लिए पर्याप्त होंगे। शिशुओं में पानी की कमी होना असामान्य है क्योंकि उसे स्तनपान अथवा फॉर्मूला दूध से आवश्यक तरल पदार्थ मिल जाते हैं। तो यह एक चिंता का विषय नहीं होना चाहिए ये। 4 महीने से कम उम्र के शिशुओं को अलग से पानी उपलब्ध कराने की आवश्यकता नहीं होती है। यदि आप सोच रहे हैं कि 6 महीने के शिशु के लिए कितना पानी आवश्यक है, तो आपको पता होना चाहिए कि यह शिशु और उसके भोजन की आदतों पर निर्भर करता है। यदि वह अभी भी स्तनपान कर रहा है, तो कुछ घूंट उसे तृप्त करने के लिए पर्याप्त होंगे। शिशुओं में पानी की कमी होना असामान्य है क्योंकि उसे स्तनपान अथवा फॉर्मूला दूध से आवश्यक तरल पदार्थ मिल जाते हैं। तो यह एक चिंता का विषय नहीं होना चाहिए । 4 महीने से कम उम्र के शिशुओं को अलग से पानी उपलब्ध कराने की आवश्यकता नहीं होती है।
अत्यधिक पानी पीने से स्वस्थ व्यसकों को कोई गंभीर हानि नहीं होती, लेकिन छोटे शिशुओं में यह खतरे का कारण बन सकता है। 6 महीने से छोटे शिशुओं को अत्यधिक पानी पिलाने से, स्तन के दूध या फार्मूला दूध से पोषक तत्वों को अवशोषित करने की शरीर की प्राकृतिक क्षमता बाधित हो सकती है। बहुत कम समय में अत्यधिक मात्रा में पानी पीने से उनके शरीर में सोडियम का स्तर गिर सकता है। उनके गुर्दे एक साथ बड़ी मात्रा में पानी के लिए तैयार नहीं होते, और इस से एक हानिकारक स्थिति पैदा हो सकती है जिसे जल मादकता कहा जाता है। यदि आपके बच्चे में इसके लक्षण दिखाई दे, जैसे कि धुंधली दृष्टि, चिड़चिड़ापन या पानी पीने के बाद थकावट, तो तत्काल चिकित्सीय जाँच करवाएं । शिशु को अत्यधिक पानी पिलाने से उसे दौरा भी पड़ सकता है। इसी वजह से छोटे शिशुओं को तैराकी ना करवाने की सलाह दी जाती है। संभव है कि वे बड़ी मात्रा में पानी गटक लें, इस से जल मादकता या कोई अन्य आपातकालीन स्थति पैदा हो सकती है।
हालांकि एक नवजात शिशु को पानी पीने की ज़रूरत नहीं होती, उसके शरीर को बड़े होने के साथ ही इसकी आवश्यकता होगी। इसलिए, जैसे–जैसे आपका बच्चा बढ़ता है, आप सुरक्षित रूप से उसके आहार में पानी शामिल कर सकती हैं। 4 – 6 महीने के शिशु को लगभग 30 मिलीलीटर पानी पिला सकते हैं, लेकिन इस से ज़्यादा मात्रा में उसे पानी ना दें। 9 महीने से एक वर्ष की उम्र के शिशु के आहार में धीरे–धीरे पानी का सेवन बढ़ा सकते हैं। एक बार आपका बच्चा एक साल की उम्र से ज़्यादा का हो जाए, उसका शरीर बड़ी मात्रा में पानी सहन करने के लिए तैयार हो जाता हैं। लेकिन वह एक साल का होने के बाद भी पानी के सेवन को नियमित रखना ज़रूरी है।
आइए, हम शिशुओं को पानी देने के बारे में कुछ सबसे आम शंकाओं को या किसी भी भ्रम को दूर करने की कोशिश करते हैं।
इसका उत्तर यह है कि आप 4 से 6 महीने की उम्र के शिशुओं को पानी के कुछ घूंट पीला सकते हैं। हालांकि , एक दिन में 30-60 मिलीलीटर से अधिक की मात्रा असुरक्षित होती है।
यदि आप रेडी–टू–यूज़ फार्मूला दूध का इस्तेमाल कर रही हैं, तो आपको इसमें पानी मिलाने की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, यदि आप पाउडर फार्मूला दूध का इस्तेमाल कर रही हैं, तो इसे घोलने के लिए इसमें पानी मिलाना होगा। दी गई मात्रा से अधिक पानी ना मिलाए, क्योंकि इससे कई जटिलताएं पैदा हो सकती हैं, जैसे की दौरा पड़ना।
कई माता–पिता समझ नहीं पाते हैं कि वे किस उम्र से अपने बच्चे को पानी देना शुरू कर सकते हैं। जैसा कि पहले भी कहा गया है, स्तनपान कराने वाले और फॉर्मूला लेने वाले शिशुओं को अतिरिक्त पानी की आवश्यकता नहीं होती है। यह सलाह दी जाती है कि 4-6 महीने की उम्र के बाद ही बच्चे के आहार में पानी शामिल किया जाए।
जिन शिशुओं को उनकी ज़रूरत के हिसाब से स्तनपान कराया जाए, उनमें पानी की कमी होने की संभावना काफी कम होती है। यहाँ तक कि फॉर्मूला लेने वाले शिशुओं को अपने भोजन के साथ आवश्यक मात्रा में पानी मिलता रहता है।
स्तनपान कराने वाले शिशु को पानी ना देने का सुझाव दिया जाता है। बच्चे की तरल आवश्यकताएँ स्तन के दूध से ही पूरी हो जाती हैं।
हाँ, शिशुओं को अत्यधिक पानी देने से जल मादकता जैसी परिस्थिति पैदा होती है। यह इतना हानिकारक है कि इस से दौरा पड़ने का खतरा भी हो सकता है। इससे शिशु के शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि इसके कारण सोडियम का स्तर भी काफी कम हो जाता है।
निष्कर्ष: जीवों के अस्तित्व के लिए जल एक अनिवार्य आवश्यकता है। वयस्कों को हर दिन पर्याप्त पानी पीने की सलाह दी जाती है और अच्छे स्वास्थ्य के लिए दैनिक आवश्यकता को पूरा करना ज़रूरी होता है, लेकिन शिशुओं के संबंध में ऐसा नहीं है। सुनिश्चित करें कि शिशु के स्वस्थ रहने के लिए उसे पानी देने के बारे में अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करें।
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