बच्चे जब दुनिया के साथ तालमेल बिठाना सीख रहे होते हैं, तब उन्हें गाइड करने के लिए एक सहारे की जरूरत होती है। बच्चे को अपनी दुनिया के साथ घुलना-मिलना जरूरी है और उपलब्ध मौकों का अधिक से अधिक फायदा उठाने के साथ-साथ जमीन से जुड़े रहने की जरूरत होती है। बच्चों को अपनी कोई प्रिय चीज पाने के लिए और उससे जुड़े रहने के लिए प्रेरित या प्रोत्साहित करना कठिन हो सकता है। लेकिन ऐसे कुछ तरीके हैं, जिनकी मदद से आप बच्चे के मन में अपने आसपास मौजूद चीजों के प्रति दिलचस्पी पैदा कर सकते हैं।
बच्चों को मोटिवेट करना एक कठिन काम लग सकता है, खासकर अगर वे थोड़े बड़े हो गए हों तो। यहां पर 11 टिप्स दी गई हैं, जिनके द्वारा आप अपने बच्चे को अपना बेस्ट देने के लिए मोटिवेट कर सकती हैं:
बच्चे को मोटिवेट करने के लिए सबसे जरूरी बातों में से एक है – उसके लिए गोल सेट करना। बच्चों को एक बेहतर वयस्क बनने के लिए सही दिशा और सही ढांचे की जरूरत होती है। बच्चों के लिए आसान लक्ष्य निर्धारित करें, जैसे हर रात अलार्म सेट करना या पढ़ाई के बाद टेबल साफ करना आदि। गोल सेट करने के सबसे बेहतरीन तरीकों में से एक है, बच्चे के साथ चर्चा करना कि इन लक्ष्यों को कैसे पूरा किया जा सकता है। क्या आपके बच्चे को हर दिन अलार्म लगाने के लिए एक अलार्म क्लॉक चाहिए? क्या वे अपने जन्मदिन का केक खुद बनाना चाहते हैं? इसे अपने बच्चे के लिए दिलचस्प बनाएं और आप एक बड़ा अंतर महसूस कर पाएंगी।
एक प्लान बनाने से भी आपके बच्चे को स्ट्रक्चर समझने में मदद मिलेगी। अगर इसे बनाने में आप बच्चे को भी एक्टिव रूप से शामिल करेंगी तो बेहतर होगा। अगर बच्चा अपने स्कूल की बास्केटबॉल या क्रिकेट टीम में जगह बनाना चाहता है, तो इसके लिए उसे कौन से कदम उठाने चाहिए और कितनी प्रैक्टिस करनी चाहिए? अपने बच्चे के प्रयासों पर ध्यान दें और वह अपने आप ही हाथ में आए हुए काम के लिए खुद को जिम्मेदार समझेगा।
अधिकतर पेरेंट्स बच्चे से कोई काम करवाने के लिए उसे रिश्वत देने के जाल में फंस जाते हैं। चाहे अपने कमरे की सफाई करनी हो या हर दिन एक घंटे के लिए पढ़ाई करनी हो, जहां यह थोड़े समय के लिए ही काम करता है, वहीं यह बच्चे के चरित्र के निर्माण में या उसे वैल्यू सिखाने में कोई मदद नहीं करता है। वहीं इनाम का इस्तेमाल करने के दौरान उन चीजों के बारे में सोचें, जिनसे आपके बच्चे को खुशी मिलेगी। फिर चाहे वह उसके साथ में एक पूरा दिन बिताना हो या एक साथ कुकीज बेक करना हो। अपने बच्चे से पूछें, कि वह किसी काम को पूरा करने के बाद कैसा महसूस करता है। इससे वह यह समझ पाएगा, कि अनुभव के साथ जो एहसास आता है, वो ही अपने आप में एक इनाम होता है।
बच्चों को वैसी ही बातचीत करनी पसंद होती है, जिससे उनकी उत्सुकता को संतुष्टि मिल सके। जब आप बच्चे से कुछ करने को कहती हैं, तब उसे समझाएं कि उसे यह काम करने की जरूरत क्यों है। आपके बच्चे का नजरिया बहुत अलग हो सकता है और जरूरी नहीं कि वो लॉजिकल हो। एक वयस्क के रूप में आपको उचित कारण ढूंढने की जरूरत है और यह ढूंढने की जरूरत है, कि आपके बच्चे को कौन सी चीज प्रेरित करती है, जैसे – उसे बताएं कि अपना कमरा साफ करने से उसे और उसके दोस्तों को आसानी से खेलने के लिए जगह मिलेगी, इसलिए उसे अपना कमरा साफ करना चाहिए।
प्रोत्साहन एक ऐसी चीज है, जो न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी जरूरी है। चीजों को सकारात्मक तरीके से लागू करें और उसमें बच्चे के द्वारा किए गए प्रयासों को समझें। अगर वे थोड़ी सी भी तरक्की करते हैं, तो उनकी कड़ी मेहनत और लगन के लिए उनकी प्रशंसा करें। प्रोत्साहन अस्पष्ट नहीं होने चाहिए, बल्कि बड़े और स्पष्ट होने चाहिए, ताकि आपका बच्चा या समझ सके कि कौन से मूल्य वास्तव में आदर भाव को दर्शाते हैं। जिस काम में बच्चे फेल हो चुके हैं, उन कामों को जारी रखने के लिए उन्हें प्रेरित करें। अपने छोटे बच्चों को सकारात्मक रूप से मोटिवेट करने के बेहतरीन तरीकों में से एक यह तरीका है।
अपने बच्चे के द्वारा किए गए प्रयासों की प्रशंसा करें, जैसे खाना बनाने में मदद करना या बिना कहे कमरे को साफ करना। इस मौके को सीखने-सिखाने में इस्तेमाल न करें, बल्कि इस बात का आनंद लें, कि आपके बच्चे ने कुछ ऐसा किया है जिस पर आपको गर्व होना चाहिए। बच्चों को यह सीखने की जरूरत होती है कि खुद की पीठ कैसे थपथपाएं और यह वे आप से ही सीख सकते हैं।
अपने बच्चे को यह सिखाना बहुत जरूरी है, कि उनके द्वारा किए गए चुनावों के नतीजे होते हैं और उन्हें उन नतीजों से निपटना आना चाहिए। अपने बच्चे को फैसले लेने की जिम्मेदारी दें, जैसे किस खिलौने से खेलना है या कौन सी ड्रेस पहननी है आदि। बड़े बच्चों को किसी एक एक्टिविटी को चुनने का मौका दिया जा सकता है, जिसे उन्हें जारी रखना है और उस एक्टिविटी को सीखने में अपने बेहतर से बेहतर प्रयास करने हैं।
आपको ऐसा लग सकता है, कि आप केवल एक आलसी बच्चे को प्रेरित कर रही हैं। लेकिन हर वक्त बच्चे के पीछे पड़े रहने से आप केवल उसे डीमोटिवेट ही करती हैं। हमेशा पीछे पड़े रहने से आपका बच्चा विद्रोही बन सकता है और आपकी इच्छा के विपरीत काम कर सकता है।
बच्चों को यह सिखाना कि हर इंसान में कमियां होती है और आप में भी कमियां हैं, एक बहुत ही जरूरी शिक्षा है। बच्चों को यह सीखना जरूरी है, कि गलतियां जीवन का हिस्सा होती है और इन्हें खुशियों या सफलता के मार्ग में आने नहीं देना चाहिए। अगर बच्चा इस बात को लेकर सचेत है, कि वह कैसा दिखता है, लेकिन उसे पानी बहुत पसंद है, तो उसे स्विमिंग सीखने के लिए प्रेरित करें और उसे शॉपिंग को लेकर जाएं और ऐसा स्विमसूट ढूंढने में मदद करें, जिसमें उसे कंफर्टेबल महसूस हो।
बच्चों को सिखाने के सबसे बेहतरीन तरीकों में से एक है, खुद एक उदाहरण बनना। बच्चे नकल करने में माहिर होते हैं और वे अपने आसपास के वयस्कों की आदतों (अच्छी और बुरी दोनों), शब्द, लाइफ स्किल और यहां तक कि हाव-भाव की भी नकल भी करते हैं। अपने इर्द-गिर्द के लोगों और अपने बच्चे से बात करने के दौरान प्लीज और थैंक्यू जैसे शब्दों का इस्तेमाल करें। इससे बच्चे को यह महसूस होगा कि आप उसका सम्मान करती हैं। कभी-कभी बच्चे को कुछ अच्छा सिखाने के लिए या उसमें वैल्यू डालने के लिए आप किस तरह से उसे मोटिवेट कर सकती हैं, यह आपको ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके लिए आपका व्यवहार ही उसके लिए पर्याप्त होता है।
कभी-कभी ऐसा लगता है, कि आप केवल बच्चे को तैयार करना, काम के लिए दौड़ भाग, रात का खाना तैयार करना, सफाई करना और थक कर सोने जैसे काम ही कर सकते हैं। लेकिन यह जरूरी है, कि आप अपने बच्चे के जीवन में दिलचस्पी लें। जब आप ऐसा करती हैं, तो आपके बच्चे को यह विश्वास होता है, कि वह जो चीजें कर रहा है, वे योग्य हैं। डिनर की तैयारी करने में मदद लेकर या उसका दिन कैसा गया, यह पूछकर आप उसे ऐसा एहसास करा सकती हैं। इसे बच्चे को लाइफ लेसन सिखाने की एक्सरसाइज की तरह न लें। बस दिलचस्पी लें और उसके जीवन में सब कैसा चल रहा है और वह कैसा महसूस कर रहा है, इसके बारे में जानने के लिए उससे सवाल पूछें।
बच्चों को मोटिवेट करना एक बहुत ही मुश्किल काम लग सकता है, लेकिन आप अपने बच्चे के साथ जितने सम्मान के साथ घुलती-मिलती हैं, उतना ही बेहतर व्यवहार आप बच्चों के तरफ से पाते हैं। ऐसे उदाहरण का इस्तेमाल करें जिसे वे समझ सकें और अधिक भाषण न दें। ‘चाहिए’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल से बचें और ऐसा लगने दें, जैसे बच्चे अपने फैसले खुद कर रहे हैं, न कि उनके लिए आप फैसले कर रही हैं।
ऊपर दिए गए टिप्स का इस्तेमाल करके आप पढ़ाई और अन्य विभिन्न गतिविधियों के प्रति अपने बच्चे के तौर-तरीकों, व्यवहार और प्रवृत्ति में एक परिवर्तन देखेंगे। अगर फिर भी बच्चा पहले की तरह ही उदासीन दिखे, तो बेहतर होगा कि आप आगे की गाइडेंस के लिए बच्चे के स्कूल काउंसलर से परामर्श लें।
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