प्रीस्कूलर (3-5 वर्ष)

बच्चों को प्रीस्कूल भेजने की सही उम्र क्या है?

अपने लाडले बच्चे को प्ले स्कूल में भेजने के लिए उसकी सही उम्र होना काफी जरूरी है और इसलिए, माता-पिता इस बारे में बहुत सोच-विचार करते हैं। जबकि अधिकांश प्रीस्कूल 3 साल से 4 साल की उम्र के बच्चों के लिए स्कूल में नामांकन (एनरोलमेंट) शुरू कर देते हैं, इसके लिए सबसे बेहतर उम्र क्या होनी चाहिए, इस बारे में कुछ तय नहीं किया गया है, क्योंकि बच्चों की उम्र के अलावा भी अन्य कई कारक हैं, जो आपके बच्चे का प्रीस्कूल शुरू करने के लिए सही उम्र निर्धारित करने में मदद करते हैं।

किस उम्र में बच्चे को प्रीस्कूल भेजा जाना चाहिए?

प्रत्येक माता-पिता अपने बच्चे के प्रीस्कूल जाने के लिए सही उम्र को लेकर कंफ्यूज हो जाते हैं। यह बिल्कुल सामान्य बात है, क्योंकि एक पैरेंट के रूप में आप हमेशा अपने बच्चे के लिए सब कुछ बेस्ट करना चाहते हैं। ज्यादातर प्रीस्कूल कम से कम ढाई साल की उम्र के बच्चों को लेने की अनुमति देते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं हुआ कि हर बच्चा जो इस उम्र तक पहुंच जाए, वह प्रीस्कूल जाना शुरू कर सकता है। हम सभी इस सवाल का जवाब जल्द से जल्द जानना चाहते हैं, जिसका सभी पेरेंट्स जिंदगी में एक बार जरूर सामना करते हैं। लेकिन यह समझने की जरूरत है कि केवल उम्र ही प्रीस्कूल में एडमिशन के लिए एकमात्र कारक नहीं है। हर बच्चा न केवल शारीरिक रूप से बल्कि सामाजिक और भावनात्मक रूप से भी अलग तरह से बढ़ता है। इसलिए, सभी कारकों पर विचार किया जाना चाहिए।

क्या आपका बच्चा प्रीस्कूल के लिए तैयार है?

प्रीस्कूल जाने से आपके बच्चे को कुछ घंटे के लिए आपसे दूर रह पड़ेगा। दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो आपके बच्चे को कुछ बेसिक बातों को खुद करते आने की आवश्यकता होगी, जैसे कि खेलने के बाद हाथ धोना, पानी पीना, अकेले सोना आदि क्योंकि नॉर्मल रूटीन की तरह अब आप उसकी मदद करने के लिए उसके पास नहीं होंगी।

आपको सबसे पहले यह चेक करना होगा कि आपका बच्चा अभी प्रीस्कूल के लिए तैयार है या नहीं। वह शारीरिक और भावनात्मक रूप से तैयार हो सकता है, लेकिन हो सकता है कि अभी तक उसमें सोशल स्किल डेवलप न हुई हो। प्रीस्कूल में आने का मतलब है अब उसे अन्य बच्चों के साथ भी इंटरैक्ट करना होगा। नीचे कुछ पॉइंट दिए गए हैं, जो आपको यह तय करने में मदद करेंगे कि आपका बच्चा प्रीस्कूल के लिए तैयार है या नहीं।

  1. आत्मनिर्भर होना: जब आपका बच्चा प्रीस्कूल जाना शुरू करता है तो उससे थोड़ी आत्मनिर्भरता की उम्मीद की जाती है। उदाहरण के लिए, आपको यह देखना होगा कि क्या आपके बच्चे में बेसिक स्किल हैं जैसे खुद से भोजन करना, पानी पीना, टॉयलेट जाना, अकेले सोना, ये सभी काम वो खुद से कर सकता है या नहीं।
  2. दूसरों के साथ सहज होना: अक्सर बच्चे, कम उम्र में, अपने माता-पिता की अनुपस्थिति में सहज महसूस नहीं करते हैं, क्योंकि नॉर्मली आप हमेशा उनके साथ रही हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपके पास एक आया है जो आपके बच्चे की देखभाल करती है, तो जब आप बच्चे को कुछ घंटों के लिए खुद से दूर प्रीस्कूल भेजेंगी तो ज्यादा समस्या नहीं होगी।
  3. ग्रुप एक्टिविटी: प्रीस्कूल में बहुत सारी ग्रुप एक्टिविटी होती हैं, जिसमें सभी बच्चों को एक साथ भाग लेना जरूरी होता है। बेशक, यह अन्य बच्चों के साथ घुलने-मिलने और नई चीजों को सीखने के लिए एक अच्छा कदम होगा। हालांकि, 3 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इस तरह की ग्रुप एक्टिविटी थोड़ी मुश्किल हो सकती है, जो ज्यादातर बहुत मस्ती करने वाले होते हैं। अगर आपका बच्चा अभी तक इसका आदी नहीं हुआ है, तो आप उन्हें ग्रुप एक्टिविटी से परिचित कराना शुरू कर सकती हैं।
  4. प्रीस्कूल के लिए शारीरिक क्षमता: प्रीस्कूल एक एक्टिव प्लेस होता है, जिसमें आर्ट और पेंटिंग, फील्ड ट्रिप, प्ले ग्राउंड है आदि शामिल होते हैं, जिसका अर्थ है कि बहुत सक्रिय रूप से घूमना। यदि वह अभी भी एक काम से दूसरी काम पर रुख करना पसंद नहीं करता है या फिर बार-बार थोड़ी देर के लिए सोना पसंद करता है, तो शायद अभी ये उसके लिए प्रीस्कूल का समय नहीं है।
  5. एक स्टैंडर्ड शेड्यूल रखना: बच्चे रूटीन के साथ अधिक सहज होते हैं और इसलिए आमतौर पर, प्रीस्कूल में एक स्टैंडर्ड शेड्यूल का पालन किया जाता है: सर्कल टाइम, प्ले टाइम, स्नैक, प्ले ग्राउंड और अंत में लंच। यदि आपका बच्चा यही रूटीन नहीं रखता है, तो शायद उसका प्रीस्कूल शुरू करने से पहले आपको उसे कुछ बातों की आदत डालने की जरूरत पड़ सकती है।
  6. अकेला प्लेयर: ग्रुप एक्टिविटी के अलावा, प्रीस्कूल  में आर्ट और क्राफ्ट से जुड़े कई ऐसे खेल या काम भी होते हैं, जिनके लिए अच्छे फोकस और एकाग्रता की आवश्यकता होती है। यदि आपका बच्चा घर पर अकेले पजल सॉल्व करना या ड्राइंग करना पसंद करता है, तो यह एक अच्छा संकेत है कि उसे प्रीस्कूल में भी कोई मुश्किल नहीं होगी।

  7. सेहत: एक अन्य कारक जिस पर विचार किया जाना चाहिए वह है आपके बच्चे की सेहत। इससे पहले कि आप उसे प्रीस्कूल भेजने का फैसला करें, एक पल रुकें और सोचें कि क्या उसे जल्दी इन्फेक्शन होने या आसानी से बीमार होने का खतरा रहता है। यदि बच्चे को अक्सर कान के इन्फेक्शन या ब्रोंकाइटिस जैसे इन्फेक्शन होते हैं, तो बेहतर होगा कि अभी उसका प्रीस्कूल शुरू न किया जाए।

क्या बच्चों के लिए प्रीस्कूल वास्तव में जरूरी है?

यहाँ तक ​​​​कि अगर वह प्रीस्कूल के लिए तैयार है, फिर भी आपको इस बारे में सोच लेना चाहिए कि क्या सच में आपके बच्चे को प्रीस्कूल की जरूरत है या नहीं। उसे प्रीस्कूल भेजने के पीछे आपका उद्देश्य क्या है? क्या इसलिए आप बच्चे को प्रीस्कूल भेजना चाहती हैं, ताकि आपको अपने लिए समय मिल सके? यह उन लोगों के लिए एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है, जहाँ माता-पिता दोनों वर्किंग हों, तो ऐसे में डे केयर उनके बच्चे के लिए बहुत आवश्यक हो जाता है। हालांकि, अगर आपको सिर्फ अपने लिए समय चाहिए या उसे नर्सरी या किंडरगार्टन के लिए तैयार करना है, तो एक आया या बेबीसिटर को काम पर रखने जैसे ऑप्शन भी आपके लिए उपलब्ध हैं।

बच्चों के लिए प्रीस्कूल के लाभ

प्रीस्कूल बच्चों में अकादमिक और सोशल स्किल विकसित करने के लिए एक बेहतरीन जगह है, जो आगे चलकर उनके लिए उपयोगी होगा। प्रीस्कूल के कुछ लाभ नीचे दिए गए हैं।

  1. सोशल और इमोशनल डेवलपमेंट में मदद मिलती है: कुछ सीखने के लिए बच्चे को यहां टीचर से अच्छी केयर और सराहना मिलती है। 3 साल से कम उम्र के बच्चे के लिए माता-पिता के अलावा अन्य लोगों पर भरोसा करना एक बड़ा कदम है। टीचर द्वारा बनाया गया एक खुशनुमा और केयरिंग माहौल बच्चों में सामाजिक कौशल को मजबूत करेगा।
  2. चीजों का खुद चुनाव करना सीखना: प्रीस्कूल में बच्चों को यह विकल्प मिलता है कि वे अपने लिए कई सारी एक्टिविटीज को खुद चुन सकते हैं। यह बच्चों में आत्मनिर्भरता की भावना विकसित करता है और उन्हें अपनी खुद की पसंद को चुनने का मौका मिलता है, यह स्किल बच्चे में आगे चलकर काफी उपयोगी साबित होती है।
  3. स्वतंत्र रहना सीखना: आप बच्चे के लिए घर पर कई बेसिक एक्टिविटी कर सकती हैं, लेकिन प्रीस्कूल में वे उन कामों (खाने, सोने, हाथ धोने आदि) को अपने दम पर करते हैं, जो उन्हें स्वतंत्र बनाते हैं और यह बच्चों में विकसित होने वाली एक अच्छी आदत है।
  4. लैंग्वेज स्किल में मदद मिलती है: प्रीस्कूल भाषाई विकास में मदद करता है। जहाँ कविताएं या गाने गाकर, किताबें पढ़कर, कहानी सुनाकर बच्चों में लैंग्वेज स्किल डेवलप की जाती हैं, इन सभी एक्टिविटीज से उन्हें अपने कम्युनिकेशन और लैंग्वेज स्किल में सुधार करने में मदद मिलती है।
  5. किंडरगार्टन के लिए तैयार करता है: प्रीस्कूल बच्चों के लिए एक मजेदार जगह हो सकती है, जो बच्चों में अकादमिक लर्निंग के साथ-साथ प्ले टाइम का भी बैलेंस बनाए रखती है। किंडरगार्टन में पढ़ाई ज्यादा हो जाती है और इसमें बच्चों को ज्यादा एकाग्रता दिखाने की आवश्यकता होती है। प्रीस्कूल आपके बच्चे को सर्कल टाइम, स्टोरी टेलिंग, बुक रीडिंग आदि एक्टिविटीज के माध्यम से फोकस करना सिखाता है।

बच्चों को प्रीस्कूल भेजने के कई लाभ हैं और यह आपके बच्चे के विकास को रोचक और मजेदार मोड़ देता है। लेकिन यह सलाह दी जाती है कि आप ऊपर बताई गई सभी बातों को ध्यान में रखते हुए ही यह तय करें कि बच्चा प्रीस्कूल जाने के लिए तैयार है या नहीं, क्योंकि सिर्फ बच्चे की उम्र को उसका प्रीस्कूल शुरू करने के लिए सही आधार नहीं माना जा सकता है।

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समर नक़वी

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