शिशु को स्तनपान कैसे कराएं

डॉक्टर हर नवजात शिशु के लिए पहले छह महीने तक केवल स्तनपान कराने की सलाह देते हैं, क्योंकि माना जाता है कि माँ का दूध शिशु को सबसे अच्छा पोषण प्रदान करता है। इसके अलावा, स्तनपान के दौरान स्रावित हार्मोन प्रसव पश्चात विकार से माँ के स्वास्थ्य में तेजी से लाभ पहुँचाने में मदद करते है।हालांकि कई माताओं को अपने नवजात शिशु को विभिन्न कारणों से स्तनपान कराने में मुश्किल होती है, जिनमें से कुछ में स्तनपान कराने के सही तरीके के बारे में जानकारी का अभाव हो सकता है। स्तनपान के दौरान उत्पन्न होने वाली अन्य सामान्य चिंताओं को दूर करने के लिए स्तनपान कराने का सही तरीका जानना महत्वपूर्ण है।

शुरुआत कैसे करें

हालांकि यह अजीब लग सकता है, बच्चे और उसकी माँ, दोनों को स्तनपान शुरू करते समय मार्गदर्शन की आवश्यकता हो सकती है। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं जिनकी मदद से आप शुरुआत कर सकते हैं।

कैसे बैठें?

यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने आप को जितना हो सके उतना सहज रखें ताकि आप अपने बच्चे पर पूरा ध्यान केंद्रित कर सकें। सहारे के लिए तकिए का उपयोग करें और अपने शरीर को एक स्वाभाविक और आरामदायक स्थिति में रखें। यदि आप सीसेक्शन के बाद स्वास्थ्यलाभ कर रही हैं, तो डॉक्टर आपको कह सकते हैं कि आप लेट कर शिशु को आपके बगल में रखते हुए स्तनपान कराएं। आप जैसी भी स्थिति में स्तनपान कराना चुनती हैं, याद रखें कि बैठते या लेटते समय अपनी रीढ़ की हड्डी को अस्वाभाविक रूप से न मोड़ें क्योंकि यह दर्द और परेशानी का कारण बनेगा।

जब आप तैयार हो जाती हैं, तो आपके बच्चे को स्तनपान कराने की दिशा में पहला कदम है कि बच्चा अच्छी तरह से मुंह में स्तन ले सके (लैचिंग)। लैचिंग से तात्पर्य है कि आपका शिशु किस तरह से अपना मुंह आपके स्तन पर रखता है। मुंह में स्तन को अच्छी तरह से लेना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे वह अच्छी तरह से चूस सकेगा और दूध के एक स्थिर प्रवाह सुनिश्चित होगी। यह इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि इससे आपके बच्चे की भोजन नली में हवा प्रवेश नहीं होती है जो संभावित रूप से पेट के परेशानी या यहाँ तक कि पेट के दर्द का कारण बन सकती है।

बच्चे के मुंह में स्तन कैसे डालें?

पहला कदम है कि बच्चे को ऐसे पकड़ें ताकि उसका मुंह आपकी तरफ हो और यह सुनिश्चित करे कि उसका पेट आपसे स्पर्श कर रहा हो। यदि आवश्यक हो तो बच्चे को सहारा देने के लिए तकिए का उपयोग करें।

  • अपने स्तन को पकड़ें और फिर अंगूठे और उंगलियों को अपने निप्पल के चारों तरफ के गहरे रंग के क्षेत्र के चारों ओर रखने की कोशिश करें।
  • अपने निप्पल को उसकी नाक और ऊपरी होंठ के बीच रखें। एक दूसरा तरीका है कि आप अपने बच्चे के गाल को धीरे से अपने निप्पल से स्पर्श कराएं। यह आमतौर पर सहज रूप से उसके मुंह को आपकी ओर मोड़ देता है, जिससे उसे निप्पल के करीब आने में मदद मिलती है।
  • अपने बच्चे के सिर को थोड़ा पीछे झुकाएं और धीरेधीरे उसके होंठों को अपने निप्पल से स्पर्श कराएं ताकि वह मुंह खोले।
  • पहले उसके निचले जबड़े को स्तन पर लगाकर अपने स्तन को अपने शिशु के मुंह में डालने में मदद करें। सुनिश्चित करें कि वह निप्पल के नीचे से स्तन को मुंह में अच्छी तरह से ले।
  • धीरे से उसके सिर को आगे बढ़ाएं। यह स्वाभाविक रूप से उसके ऊपरी जबड़े को स्तन पर मजबूती से पकड़ बना देता है।
  • यह सुनिश्चित करें कि पूरे निप्पल और कम से कम निप्पल के चारों तरफ के गहरे रंग के क्षेत्र का 1 1/2 इंच बच्चे के मुंह में हो।

बच्चे की भोजन की सहज प्रवृति तीव्र होती है और संभव है कि वह आपके द्वारा दिए गए प्रोत्साहन से प्रेरित होकर उचित प्रतिक्रिया दिखाएगा। लेकिन, यदि आपका शिशु इस क्रिया से उचित प्रतिक्रिया नहीं देता है, तो आप निम्नलिखित तकनीकों को आज़मा सकती हैं।

सफल तरीके से स्तनपान के लिए स्तन को मुंह में लेने की तकनीकें

शुरुआत में, अपने बच्चे को सही स्थिति में लाने के लिए आपको कुछ प्रयास करना पड़ सकता है। यहाँ बच्चे द्वारा स्तनपान के लिए स्तन को उसके मुंह में लेने की कुछ और तकनीकें दिए गए हैं:

  • यदि आपका शिशु अपना मुँह खोलकर प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है, तो अपने स्तन से उसके होठों पर दूध की कुछ बूँदें निचोड़ने का प्रयास करें।
  • यदि आपका बच्चा उसके मुंह की ओर किए गए निप्पल से मुंह मोड़ लेता है, तो धीरे से उसके उस गाल को सहलाएं जो आपकी तरफ है। इससे शिशु उत्तेजना की ओर मुड़ जाते हैं और चूसना (जड़ना) शुरू कर देते हैं। इसे रूटिंग रिफ्लेक्स भी कहा जाता है और यह शिशु को आपके स्तन की ओर घुमाता है और इस प्रकार स्तनपान प्रक्रिया में सहायता करता है।
  • जब आपका शिशु अपने मुंह को खोलकर स्तन की तलाश कर रहा हो, तो हमेशा याद रखें कि उसके ऊपर झुक कर बैठने के बजाय उसे अपने स्तन के पास ले जाएं।
  • सुनिश्चित करें कि आपके शिशु का मुँह आपके निप्पल और निप्पल के चारों तरफ के गहरे रंग के क्षेत्र, दोनों को ढँक रहा हो, इससे पुष्टि होती है कि वह सही तरीके से स्तन को मुंह में लिए हुए है।
  • सही तरीके से स्तन को मुंह में लेने से दूध के सुचारू प्रवाह में मदद होती है, जबकि गलत तरीके से स्तन को मुंह में लेने के परिणामस्वरूप शिशु सिर्फ निप्पल को चूसता है, जिससे निप्पल सूज जाता है और दर्द करता है और फट जाता है तथा दूध के प्रवाह को बाधित करता है।
  • यदि आप अपने बच्चे की ठोड़ी और उसकी नाक की नोक को अपने स्तन को छूते हुए महसूस करती हैं तो सही तरीके से स्तन को मुंह में लिया गया है। जाँच करें और सुनिश्चित करें कि बच्चे के होंठ बाहर की ओर निकले हुए हों।
  • शुरुआती दिनों में दूध पिलाने के दौरान समयसमय पर जाँच करें कि शिशु ने सही तरीके से स्तन को मुंह में लिया है या नहीं और कहीं शिशु अपने निचले होंठ या जीभ को तो नहीं चूस रहा है।
  • जैसे ही बच्चा दूध पीना शुरू करता है, आपको चूसनेनिगलनेसांस लेनेप्रक्रिया दोहराने का एक स्थिर पैटर्न नज़र आएगा। यह बच्चे के गाल और जबड़े में समान लयबद्ध गति के माध्यम से भी दिखाई देता है। आप उसके द्वारा दूध निगलने या सटकने की आवाज़ भी सुनाई दे सकती हैं।
  • यदि शिशु द्वारा स्तन को मुंह में लेने पर दर्द होता है या यदि बच्चे को स्तन को मुंह में लेने में परेशानी हो रही है, तो स्तन को उसके मुंह से निकाले। शिशु बहुत मजबूती से स्तन को मुंह में ले सकता है और उसे कभी भी अपनी माँ के स्तन से जबरन नहीं हटाना चाहिए। आपके बच्चे के जबड़े और आपके स्तन के बीच धीरे से अपनी उंगली डालकर लैचिंग को तोड़ा जाता है शिशु दूध न मिलने के कारण रोना शुरू कर सकता है। उस बारे में चिंता न करें और नए सिरे से अपने स्तन को उसके मुंह में डालने की प्रक्रिया शुरू करें।

कैसे सुनिश्चित करें कि शिशु ने स्तन को सही तरीके से मुंह में लिया है?

उपरोक्त तकनीकों का इस्तामाल करने के बाद, यह जांचना महत्वपूर्ण है कि क्या शिशु ने स्तन को सही तरीके से मुंह में लिया है और वह आरामदायक स्थिति में है। निम्नलिखित कुछ संकेत हैं जिनसे आप सुनिश्चित कर सकती हैं कि शिशु ने स्तन को सही तरीके से मुंह में लिया है।

  • आप अपने बच्चे को आराम से निगलते हुए सुन सकती हैं।
  • अपने बच्चे के निचले होंठ को धीरे से खींचे और यदि आप उसकी जीभ को ठीक से देख पा रहे हैं, तो यह इस बात का संकेत है कि आपके शिशु ने स्तन को सही तरीके से मुंह में लिया है।
  • अगर आपको क्लिकिंग या स्मैकिंग की आवाजें नहीं सुनाई देती हैं, तो यह स्तन को सही तरीके से मुंह में लिए जाने का संकेत है।
  • आपके बच्चे की ठोड़ी आपके स्तनों को छू रही है।
  • आपका बच्चा आपके स्तन को छोड़ते समय निप्पल को चपटा या विकृत नहीं करता है।
  • दूध पिलाने के अंत में, आपका शिशु किसी भी तरह का संकेत देता है या संतुष्टि की आवाज़ करता है।

स्तनपान कराने के दौरान सही स्थितियाँ

सही तरीके से स्तन को मुंह में लेने के साथ, यह भी महत्वपूर्ण है कि दूध पिलाने के लिए मां और बच्चा दोनों सही स्थिति में हों। दोनों को सहज और तनावमुक्त होना चाहिए।

यहाँ कुछ स्थितियाँ दी गई हैं जिन्हें आप आज़मा सकती हैं:

1 . क्रॉस क्रेडल पकड़: इस पकड़ को स्तनपान कराने के शुरूआती दिनों में उपयोग करें

यह स्थिति काफी प्रचलित है और शायद नई माताओं के लिए सबसे अधिक उपयोगी है क्योंकि यह उनके बच्चे के प्रसव के तुरंत बाद सही ढंग से स्तन को मुंह में लेने देता है। यह थोड़ा अटपटा लग सकता है, हालांकि इस स्थिति का सही तरीके से अभ्यास करना माँ और बच्चे दोनों के लिए स्तनपान की प्रक्रिया में बहुत मददगार और फायदेमंद साबित हो सकता है।

  • एक कुर्सी पर सीधे बैठें जिसमें आर्मरेस्ट हैं।
  • अपने बच्चे को दोनों हाथों से ऐसे पकड़ें जिससे उसका शरीर आपके पेट को छू रहा हो।
  • जो बांह उस स्तन के विपरीत है जिससे आप बच्चे को दूध पिला रही है, उस हाथ को मोड़ कर बच्चे को संभाले और उस हाथ की हथेली का उपयोग करके सिर के पीछे सहारा दें।
  • खाली हाथ का उपयोग करके स्तन को नीचे से पकड़ें और यूआकार की पकड़ का उपयोग करके अपने स्तन को बच्चे के मुंह तक ले जाएं।

2 . क्रेडल पकड़

आपका बच्चा जब कुछ हफ़्तों का हो जाए तो क्रेडल पकड़ का अभ्यास किया जा सकता है और आपको स्तनपान कराते समय इस स्थिति में बैठने की आदत हो जाएगी।

  • सीधे बैठें और अपने बच्चे को अपनी गोद में इस प्रकार ले जिससे उसका चेहरा और शरीर आपकी तरफ हो।
  • अपने हाथ की मदद से अपने बच्चे के सिर, पीठ और नितंब को संभालने की कोशिश करें।
  • दूध पिलाने वाले स्तन के विपरीत खाली हाथ से स्तन पकड़ें और इसे धीरे से दबाएं ताकि निप्पल बच्चे की नाक की ओर हो।

3. फुटबॉल पकड़

यह स्थिति अमरिकी फुटबॉल से प्रेरित है या रग्बी के नाम से भी जानी जाती है। यदि आपका सीसेक्शन हुआ है या यदि आपके जुड़वा बच्चों को स्तनपान कराने की आवश्यकता है, तो यह स्थिति अच्छी रहती है।

  • अपने बाह से बच्चे को नीचे से संभालें।
  • उसके सिर और गर्दन को अपने हाथ से पकड़ें।
  • आपकी पीठ की ओर अपने बच्चे के पैर उसी तरफ लटकने दें जिस तरफ के स्तन से आप उसे दूध पिला रही है।
  • आप अपने हाथ को सहारा देने के लिए एक तकिया का प्रयोग कर सकती हैं, और अपने खाली हाथ का उपयोग करते हुए अपने स्तन की ओर बच्चे के मुंह को घुमाएं।

4. करवट में लेटने की स्थिति

सीजेरियन प्रसव के बाद या अगर प्रसव के बाद आपके शरीर में दर्द महसूस हो तो यह स्थिति विशेष रूप से फायदेमंद है।

  • आप करवट ले तथा अपने शिशु को भी करवट में ऐसे लिटाएं जिससे आप और आपका शिशु आमने सामने हों।
  • अपने निचले स्तन के निप्पल की सीध में अपने बच्चे के सिर को रखने की कोशिश करें।
  • यदि आवश्यक हो, तो नीचे वाले हाथ का उपयोग करके उसके सिर को संभालें और अपने दूसरे हाथ से स्तन को पकड़ें अगर जरूरत पड़े तो।

5. अधलेटी अवस्था वाली पकड़

यह स्थिति उन माताओं के लिए बहुत उपयोगी है जिनका सीसेक्शन हुआ हैं या जिन्हें बैठने में मुश्किल हो रही है। जो माताएं बिस्तर पर अपने बच्चों को स्तनपान कराती हैं, वे भी इस पकड़ का अभ्यास कर सकती हैं।

  • एक सोफे या बिस्तर पर आराम से लेट जाएँ। और ऊपरी पीठ, गर्दन और सिर को आराम से एक तकिए के सहारे से रखें ।
  • अपने बच्चे को उसके पेट के बल अपनी छाती पर लिटाएं जिससे उसका मुंह आपके निप्पल के बस थोड़ी नीचे हो।
  • बच्चा स्वाभाविक रूप से निप्पल की तलाश करेगा। यदि आवश्यक हो, तो उसे प्रोत्साहित करने के लिए आप अपने स्तन को पकड़ कर अपने शिशु के मुंह की ओर ले जाएं।

छोटे बच्चे को स्तनपान कराने के लिए बढ़िया सुझाव

जब तक आपका शिशु थोड़ा बड़ा होता है, तब तक वह कुछ स्तनपान की स्थितियों का आदी हो जाता है। इस अवस्था में, अधिकांश बच्चे उछलकूद करते हुए स्तनपान करना पसंद करते हैं, कभी वे उल्टा होकर स्तनपान करने की कोशिश करते हैं, तो कभी एक पैर पर खड़े होकर, कभी इधरउधर मुड़ते हुए और उधम मचाते हुए। बच्चों के लिए स्तनपान के कुछ सुझाव हैं:

  • शिशु को अलगअलग स्थितियों की कोशिश करने देने के बजाय, आप उसे स्तनपान करते समय हाथ में पकड़ने और खेलने के लिए कुछ दे सकती हैं। आप अपने बच्चे का ध्यान कलाबाजी के अलावा किसी और चीज़ पर लाने के लिए एक “नर्सिंग हार” पहनने की कोशिश कर सकती हैं।
  • आप अपने बच्चे से बात करने की कोशिश कर सकती हैं या शायद एक किताब पढ़ कर उसे सुना सकती हैं। गाना गाने या उंगलियों से खेलना भी कुछ हद तक मदद कर सकते हैं।
  • यदि आप नहीं चाहती कि आपका शिशु बारबार स्थिति बदले, तो दृढ़ रहें और उसे बताएं, लेकिन अपनी आवाज धीमी रखें। यहाँ तक कि उसे गले लगाने से आपकी बात बन सकती है। आप उसे चेतावनी भी दे सकती हैं कि आप उसे दूध पिलाना बंद कर देंगी और उसे फिर से इसका कारण बताएं।
  • किसी सार्वजनिक स्थान पर जाने से पहले बच्चे को घर पर स्तनपान कराना सबसे अच्छा है। हमेशा एक स्नैक या जूस लेकर चलें, जिसे आप तब दे सकती हैं जब आपका बच्चा रोता है या स्तनपान करने के लिए चिल्लाता है।

कितनी देर तक एक नवजात शिशु को स्तनपान कराएं

आमतौर पर, एक सत्र 20 से 30 मिनट तक चलता है जब आप पहली बार एक नवजात शिशु को स्तनपान कराती हैं, लेकिन यह 60 मिनट तक भी चल सकता है। याद रखें कि प्रत्येक बच्चा अलग है और आप वास्तव में प्रत्येक बार के स्तनपान के लिए समय सीमा निर्धारित नहीं कर सकती हैं। आम तौर पर, शुरुआत में और विकास के दौरान अधिक समय तक स्तनपान कराने की आवश्यकता होती है। स्तनपान के लिए समयसारणी का पालन करने के बजाय अपने बच्चे द्वारा मांग करने पर उसे स्तनपान कराना आसान है।

एक बार जब आपका बच्चा स्तनपान करने में कुशल हो जाएगा, तो उसे स्तनपान करने में सिर्फ पाँच मिनट लग सकते हैं। यहाँ कुछ संकेत दिए गए हैं जो आपको यह समझने में मदद करेंगे कि क्या बच्चा अच्छी तरह से स्तनपान कर रहा है:

  • यदि आपके स्तन दूध पिलाने के सत्र के बाद नरम महसूस होते हैं, और आपका बच्चा आराम में और संतुष्ट लगता है तो इसका मतलब है कि उसने पेट भर लिया है।
  • कभीकभी, जब माँ बच्चे को दूध पिला रही होती है तो वे सो जाते हैं। यदि ऐसा होता है, तो स्तनपान कराने के दौरान बच्चे को जगाने के लिए उसके पैरों, गर्दन या कान के नीचे बस गुदगुदी करें। आप बच्चे को झपकी लेने से रोकने के लिए बीच बीच में उसे दूसरे स्तन से दूध पिला सकती हैं और बच्चे को डकार दिला सकती हैं।

मुझे कितने समय तक स्तनपान कराना चाहिए

यह अनुशंसा की जाती है कि आप पहले छह महीनों के लिए अपने बच्चे को केवल स्तनपान ही कराएं, और किसी भी प्रकार का भोजन या पानी उसे न दें। उसके बाद जब तक बच्चा चाहें, तब तक एक ठोस आहार के साथ स्तनपान करना जारी रख सकता है। स्तनपान केवल दूध पिलाने की ही क्रिया नहीं हैयह माँ और बच्चे के बीच के बंधन को मजबूत करता है और बच्चे को सुरक्षित महसूस कराता है। जब तक आप दोनों को परेशानी न हो, तब तक जारी रखें।

कितनी बार शिशु को स्तनपान कराना चाहिए

शिशुओं को जन्म के समय भूख नहीं लगती है, और उनकी भूख केवल तीसरे दिन बढ़ती है इसलिए, शुरू में, वे स्तनपान की कम मांग करेंगे, और आपको स्तनपान करने के लिए शिशु को शुरुआत करानी होगी या प्रोत्साहित करना होगा।

पहले कुछ हफ्तों में, आपके बच्चे को हर दोतीन घंटे में स्तनपान कराने की आवश्यकता होती है। इसका मतलब है कि 24 घंटे में आपको लगभग 8 से 12 बार स्तनपान कराने की आवश्यकता होगी। हालांकि, बहुत से लोग मानते हैं कि नवजात स्तनपान मांग पर होना चाहिए और केवल तभी जब आपका बच्चा भूखा हो ना कि किसी समय सारणी के अनुसार हम अनुशंसा करते हैं कि आप अपने डॉक्टर और एक स्तनपान विशेषज्ञ से परामर्श करें और उनकी सलाह का पालन करें।

जैसेजैसे बच्चा बढ़ता है, उसका पेट भी बढ़ता जाता है। समय के साथ, वह ज्यादा समय तक स्तनपान करना शुरू करेगा, और बारंबारता कम होती जाएगी।

इन सुझावों का उपयोग करें और लाभप्रद स्तनपान कराने के अनुभव के लिए अपनी सहजप्रवृत्ति पर भरोसा करें। हैप्पी नर्सिंग!

जया कुमारी

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