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पेरेंट्स के लिए बच्चों को वैक्सीन लगवाने का समय बहुत कठिन होता है क्योंकि वे अपने बच्चे को रोता हुआ नहीं देख सकते। हालांकि वैक्सीन की मदद से बच्चे को भयानक बीमारियों से बचाती हैं और यह जरूरी भी है। वैक्सीन का एक साइड-इफ्फेक्ट यह है कि इसे लगाने के बाद कभी-कभी बच्चों को बुखार आ जाता है। पेरेंट्स होने के नाते आपको इस समय क्या करना चाहिए यह जानना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं कि वैक्सीन लगाने के बाद बच्चे को बुखार कैसे प्रभावित करता है।
कुछ बच्चों को वैक्सीन लगाने के बाद तेज बुखार आता है और यह बहुत आम है। इसका यह मतलब है कि वैक्सीन की वजह से बच्चे के इम्यून सिस्टम में प्रतिक्रिया हो रही है। इसलिए यदि बच्चे को थोड़ा बहुत बुखार हो तो इससे आपको चिंता नहीं करनी चाहिए।
वैक्सीनेशन होने वाले खतरों से बचने के लिए इम्युनिटी सिस्टम को तैयार करके, शरीर को इन्फेक्ट करने वाली बीमारियों से बचने में मदद करती है। वैक्सीन में मौजूद पदार्थ जीवों (वायरस / बैक्टीरिया) से बना होता है, जिससे इन्फेक्शन होता है जिसके खिलाफ सुरक्षा की आवश्यकता होती है। इन जीवों में बीमारी पैदा करने की क्षमता को कम रखा जाता है। जब वैक्सीन शरीर में प्रवेश करती है, तो यह शरीर में इम्युनिटी सेल्स को एक्टिव करती है, जो ऑर्गेनिज्म द्वारा आक्रमण के जवाब में, बदले में, शरीर में इंजेक्शन के स्थान पर सूजन, दर्द और बुखार का कारण बनती है। इसलिए बुखार आना शरीर में अच्छा इम्यून होने का संकेत है।
99 डिग्री फेरनहाइट तापमान को बच्चों में बुखार कहा जाता है और इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि बच्चे में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको ध्यान देने की जरूरत है। वे लक्षण कौन से हैं, आइए जानें;
यद्यपि वैक्सीन लगाने के बाद बच्चे को बुखार आना नॉर्मल है पर फिर भी आप यह जरूर चाहेंगे कि बच्चा पूरी तरह से रिलैक्स रहे और उसे आराम मिले। इसके लिए आप क्या कर सकते हैं, आइए जानें;
बच्चा अपने पेरेंट्स के प्यार और देखभाल से ज्यादा कुछ नहीं चाहता है। बस आप अपने बच्चे के लिए उसके साथ ही रहें। दिन को इस तरह से प्लान करें कि बच्चे को वैक्सीन लगाने के बाद आप 3 से 4 घंटे उसके साथ ही रहें।
इस समय आप बच्चे को हल्के व आरामदायक कपड़े पहनाएं। आप उसे एक सॉफ्ट ब्लैंकेट भी उढ़ा सकते हैं।
बुखार आने से शरीर डिहाइड्रेट हो जाता है इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे को खूब सारा तरल पदार्थ दें।
बच्चे के कमरे की खिड़कियां खुली रहने दें और ताजी हवा आने दें। आदर्श रूप से उसके कमरे का तापमान 18 डिग्री सेल्सियस (68 डिग्री फेरनहाइट) होना चाहिए। आप ह्युमिडिफायर का उपयोग भी कर सकते हैं।
यदि बच्चे को बुखार आता है या उसे तकलीफ होती है तो आप सीधे मेडिकल स्टोर से दवाई भी ले सकते हैं, जैसे पैरासिटामोल या इबुप्रोफेन। इबुप्रोफेन 6 महीने से कम व 6 महीने से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए एक जैसी सुरक्षित व प्रभावी है। 6 महीने से कम आयु के बच्चे के लिए पैरासिटामोल की तुलना में इबुप्रोफेन के ज्यादा साइड-इफेक्ट्स हैं। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि बुखार को ठीक करने के लिए आप पहले पैरासिटामोल ही लें और यदि इससे कोई भी फायदा नहीं होता है तो सिर्फ इबुप्रोफेन या इसे पैरासिटामोल के साथ भी उपयोग कर सकते हैं।
ज्यादातर मामलों में इम्यूनाइजेशन के बाद आने वाला बुखार अक्सर अपने आप ही ठीक हो जाता है। हालांकि आपको हमेशा समझदारी से काम लेना चाहिए और यदि कोई भी समस्या नजर आती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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