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हम हमेशा चाहते हैं कि हमारे बच्चों की बेहतर सेहत के लिए उन्हें भरपूर पोषण मिले और इसके लिए उनका एक प्रॉपर व बैलेंस डाइट लेना बहुत जरूरी है। हालांकि, बेबी और टॉडलर को खाना खिलाना एक मुश्किल काम होता है, खासकर अगर बच्चा वह खाने से इंकार कर दे जो आप उसे खिलाना चाहती हैं। ऐसी कंडीशन में, पेरेंट्स अक्सर अपने बच्चों को जबरदस्ती खाना खिलाने की कोशिश करते हैं, लेकिन इससे बच्चे पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। यदि आप इस बारे में अधिक जानना चाहती हैं कि बच्चों को फोर्स फीडिंग या जबरदस्ती खाना खिलाना उनके लिए कितना हानिकारक हो सकता है, तो हम आपको यही सुझाव देंगे कि आप इस आर्टिकल को पढ़ना जारी रखें।
सभी पेरेंट्स अपने बच्चे को सही न्यूट्रिशन और नरिशमेंट प्रदान करना चाहते हैं, लेकिन कभी-कभी वे इसके चलते अपने बेबी को जबरदस्ती खाना खिलाने की टेक्निक अपना लेते हैं। नीचे कुछ पॉइंट दिए गए हैं, जिन्हें फोर्स फीडिंग या जबरदस्ती खाना खाने के लिए दबाव डालने के तरीके कहा जा सकता है:
माता-पिता के रूप में, हम इस बात का पूरा खयाल रखते हैं कि हम अपनी हर उस जिम्मेदारी को पूरा करें, जो हमारे बच्चे के लिए जरूरी है, खाना खिलाना और पोषण प्रदान करना उनमें से एक है। यहाँ आपको कुछ कारण दिए गए हैं जो बताते हैं कि पेरेंट्स क्यों अपने बच्चों को जबरदस्ती खाना खिलाने का प्रयास करते हैं:
हममें से ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि हमारी प्लेट में जो कुछ भी है वह सब हमारे पेट में जाना चाहिए। लेकिन बच्चों के मामले में यह चीज लागू नहीं करनी चाहिए, उन्हें सिर्फ उतना ही खाना चाहिए जितना खाने की अनुमति उनका पेट दे।
फीडिंग से जुड़ी यह एक बहुत ही आम गलती है, जो अक्सर पेरेंट्स बच्चों को पहली बार सॉलिड फूड खिलाते समय करते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे को उस भोजन को खाने के लिए मजबूर न करें जो उन्हें पसंद न हो, बल्कि उसके टेस्ट को डेवलप करने के लिए उसे वह चीज चुनने दें जो वो खाना पसंद करे।
छोटे बच्चे कम खाते हैं लेकिन थोड़ी-थोड़ी देर में खाते हैं। हम माता-पिता के रूप में यह सोचते हैं कि हमारे बच्चे को ये छोटी-छोटी मात्रा में खाना खाने से पर्याप्त पोषण नहीं मिल रहा होगा है और इसलिए हम उसे ओवर फीडिंग करा देते हैं।
बहुत से पेरेंट्स अपने बच्चों को खुद ही खाना खिलाना पसंद करते हैं, भले ही बच्चा खुद से खाने योग्य हो जाए, क्योंकि उन्हें लगता है कि बच्चा अभी खुद से खाना खाने के लिए सक्षम नहीं है। इससे आप उन्हें ओवर फीडिंग करा देते हैं।
हम ये सोचते हैं कि हमें बच्चे की जरूरतों के बारे में सब पता है और यही चीज खाने के मामले में भी है। इसलिए, जब बच्चा खाने से इंकार कर देता है, तो हम उसे जबरदस्ती खाना खिलाते हैं और सोचते हैं कि बच्चा अपने शरीर की आवश्यकताओं को खुद नहीं समझता है।
पेरेंट्स अक्सर अपने बच्चों को तब ज्यादा खाने के लिए फोर्स करते हैं जब वे उन्हें कोई नया फल, सब्जी या किसी और नए खाद्य पदार्थ से परिचित कराते हैं। इस चीज को इस बात से सपोर्ट किया जाता है कि बच्चों को बार-बार वही खाना लगातार देने से वो इसके टेस्ट से परिचित हो जाते हैं, लेकिन यह ठीक तरीका नहीं है।
यदि बच्चे की उम्र के दोस्त या कजिन उसकी तुलना में ज्यादा खाना खाते हैं, तो पेरेंट्स को लगता है कि वह अपने बच्चे को ठीक से नहीं खिला पा रहे हैं, इसलिए उन्हें बच्चे को जबरदस्ती खिलाना चाहिए।
सिर्फ इसलिए कि कोई खाना हेल्दी है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप इसे जबरदस्ती अपने बच्चे को खिलाएं। माता-पिता अक्सर ये सोचते हैं कि बच्चे में खाने की अच्छी आदत को डेवलप किया जाए और बच्चे को हेल्दी फूड खाना चाहिए भले ही वो इसे पसंद न करें।
हम समझते हैं कि आप अपने बच्चे के डेवलपमेंट के लिए उसे बेहतर न्यूट्रिशन देने के लिए हर मुमकिन प्रयास करते हैं और भोजन भी इसी का एक हिस्सा है। लेकिन फिर भी, बच्चे को जबरदस्ती खाना खिलाने से बचना चाहिए।
यहाँ बच्चे को जबरदस्ती खाना खिलाने के कुछ प्रभाव दिए गए हैं:
जब आप अपने बच्चे को उसकी इच्छा के विरुद्ध खाना खिलाते हैं, तो वह उसे मुँह से बाहर निकाल देते हैं या उल्टी कर देते हैं।
आप बच्चे को जो फीडिंग कराते हैं, हो सकता है न केवल उसे ये नापसंद हो, बल्कि उसे उस खाने से घृणा हो सकती है।
हम तब खाना खाते हैं जब हमें भूख लगती है और यही चीज बच्चों के लिए भी लागू होती है। लेकिन हम अपने बच्चों की इन बातों को नजरअंदाज कर देते हैं और उन्हें जबरदस्ती खाना खिलाते हैं। इस प्रकार उनकी भूख मर जाती है।
बच्चे को जबरदस्ती खाना खिलाने से उसके अंदर खाने के प्रति नेगेटिव इमोशन पैदा होने लगते हैं, यहाँ तक कि पेरेंट्स के प्रति भी यह भाव पैदा होने लगता है।
आपका बच्चा खाने से जुड़ी गलत आदतें डेवलप कर सकता है, क्योंकि जबरदस्ती करने से हेल्दी फूड के प्रति उसकी रुचि कम होने लगती है।
बच्चे को जबरदस्ती खाना खिलाने से टॉडलर या बड़े बच्चों पर जो सबसे खराब साइड इफेक्ट होता है वो ये कि उनका ईटिंग हैबिट पर से कंट्रोल खत्म हो सकता है।
क्योंकि खाने पर कोई नियंत्रण नहीं रहता है, इसकी वजह से ईटिंग डिसऑर्डर जैसे कि एनोरेक्सिया, बुलिमिया पैदा हो सकते हैं।
जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, वह ज्यादा मात्रा में खाने के बजाय कम खाना शुरू कर देता है।
बड़े होने पर बच्चे उस खाने से लंबे समय तक परहेज कर सकते हैं, जो उन्हें जबरदस्ती खिलाया जाता रहा है।
जब माता-पिता अपने बच्चों को जबरदस्ती खाना खिलाते हैं, तो बच्चों को महसूस होता है कि उनका अपने जीवन पर कोई कंट्रोल नहीं है। इससे उनके अंदर आत्मसम्मान कम होने लगता है।
छोटे बच्चों, टॉडलर या बड़े बच्चे को जबरदस्ती खिलाने से उनमें कई फिजिकल, इमोशनल और फिजियोलॉजिकल समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसलिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि आप अपने बच्चे को क्यों जबरदस्ती खिला रहे हैं और किस कारण से ऐसा हो रहा है। यदि आपको लगता है कि बच्चा अपने भाई/बहन की तुलना में कम खाता है या खाने से इंकार कर देता है और खाने से ज्यादा उनके साथ खेलना पसंद करता है तो यह बहुत नॉर्मल बात है। आपको शांति बनाए रखनी चाहिए और पैनिक नहीं होना चाहिए, इंतजार करें कि बच्चा खुद आपसे खाना मांगे।
इस संबंध में यहाँ आपको कुछ टिप्स दी गई हैं:
आपके फायदे के लिए यहाँ कुछ सामान्य प्रश्न दिए गए हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
यदि आपका बच्चा खाने में बहुत नखरे दिखाता है, तो पहली चीज जो आपको करने की जरूरत है वो ये है कि आप इसका कारण जानने का प्रयास करें। इससे आप इस स्थिति को बेहतर तरीके से डील कर पाएंगी। यहाँ तक कि अगर बच्चा किसी चीज़ में व्यस्त है और उसके खाने का टाइम निकला जा रहा है, तो उसे अकेले छोड़ दे और इंतजार करें कि जब उसे भूख लगे वो खुद आपके पास आए।
एक बेहतर रोल मॉडल होने के अलावा, अपने बच्चे को अपने भोजन का समय तय करने दें, उसके प्रेफरेंस और बाकी के फैक्टर उसमें खाने की अच्छी आदतों को डेवलप करने में मदद करते हैं।
बच्चों को हेल्दी फूड देना बहुत जरूरी है, लेकिन इसकी शर्त यह नहीं होनी चाहिए कि आप उसे जबरदस्ती खिलाएं। यदि आपका बच्चा खाने में बहुत ज्यादा नखरे दिखाता है या खाने से इंकार करता है तो अपने डॉक्टर से बात करें।
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