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चिकनगुनिया के लक्षण डेंगू जैसे ही होते हैं और इसीलिए शुरुआत में अक्सर इसका निदान गलत हो जाता है। एशिया, अफ्रीका और भारतीय सब-कॉन्टिनेंट के ज्यादातर देशों में लोग इस वायरस से ग्रसित हुए हैं। किमोकोंडे भाषा में चिकनगुनिया का मतलब होता है शरीर पीला पड़ जाना। इससे ग्रसित ज्यादातर लोग कुछ सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। हालांकि दुर्लभ मामलों में कुछ लोगों में यह रोग लगभग कुछ महीने या सालों तक भी रहता है जबकि अधिक उम्र के लोगों में कुछ की इसकी वजह से मृत्यु भी हो सकती है। साल 2005 में इंडियन ओशन यानी हिन्द महासागर के पास के क्षेत्रों में गंभीर रूप से चिकनगुनिया मामले सामने आए थे। वहीं यूरोप और अमेरिका के कुछ हिस्सों में भी इसके मामले देखे गए थे। बारिश का मौसम शुरू होते ही चिकनगुनिया से अपने बच्चे का बचाव करना सभी पैरेंट्स की प्राथमिकता बन जाती है। चिकनगुनिया के लक्षण, ट्रीटमेंट और बचाव के टिप्स जानने के लिए इस लेख को आगे पढ़ें।
चिकनगुनिया एक ऐसा वायरल इन्फेक्शन है जो मच्छरों से होता है और यह रोग बच्चों के साथ-साथ किसी को भी हो सकता है। इससे लक्षण ज्यादातर डेंगू जैसे ही होते हैं और यह छोटे बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। चिकनगुनिया जैसी बीमारी ज्यादा खतरनाक इसलिए है क्योंकि इसका पता लगा पाना कठिन है। यह समस्या होने पर अक्सर बुखार आता है, जोड़ों में दर्द होता है और पोस्चर में झुकाव आ जाता है। चिकनगुनिया के कारण होने वाला जोड़ों का दर्द लगभग 1 से 2 सप्ताह तक रहता है और जिन मच्छरों की वजह से यह बीमारी फैलती है, उन्हें एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस कहते हैं। डेंगू जैसी बीमारी भी इन्हीं मच्छरों की वजह से फैलती है।
चिकनगुनिया एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलता है। चिकनगुनिया इन्फेक्शन सिर्फ मच्छरों के काटने से ही होता है।
चिकनगुनिया वायरस सिर्फ मच्छरों से होता है जिसे पानी से भरे कंटेनर को साफ करके, उचित रूप से हाइजीन बनाए रखकर और आस-पास की जगह जहाँ पर मच्छर पैदा हो सकते हैं उन जगहों को साफ रखकर खत्म किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि यदि एक बार यदि कोई इस वायरस से प्रभावित हुआ तो उसका शरीर इसके प्रति इम्यून हो जाता है।
ये मच्छर खासकर दोपहर में ज्यादा काटते हैं। यदि बच्चे स्कूल में हों या बाहर खेल रहे हों तो उन्हें मच्छर जल्दी काट सकते हैं।
बच्चों में चिकनगुनिया होने के निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं, आइए जानें;
इस बीमारी के अन्य कम ज्ञात लक्षण में अस्थाई रूप से लिवर का डैमेज होना भी है।
चिकनगुनिया वायरस की पहचान लैब में टेस्ट करके की जाती है। इसमें सीरम या प्लाज्मा का टेस्ट होता है। इसे कैसे करते हैं, आइए जानें;
चिकनगुनिया को ठीक करने के लिए कोई भी विशेष दवा या वैक्सीन नहीं है। हालांकि नीचे बताए हुए कुछ टिप्स से रिकवरी में मदद मिल सकती है, आइए जानें;
दवा के विकल्प में घरेलू उपचार, आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट और हर्बल ट्रीटमेंट का उपयोग करें जिससे चिकनगुनिया होने के बाद होने वाले जोड़ों के दर्द को ठीक किया जा सके। इस वायरस से संबंधित जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए कुछ नेचुरल रेमेडीज निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
निष्कर्ष: पूरी दुनिया में चिकनगुनिया के मामले बढ़ने के साथ ही इसे ठीक करने के लिए उचित रूप से हाइजीन बनाए रखना, सही कपड़े पहनना और न्यूट्रिशियस डाइट के सेवन से लंबे समय के लिए इसका इलाज किया जा सकता है।
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