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छोटे बच्चों में फेब्राइल सीजर जैसी समस्या बहुत आम बीमारी है जो कन्वल्जन से संबंधित है। फेब्राइल – बुखार सा होना, सीजर – बुखार के दौरे होते हैं और यह 3 महीने से 6 साल तक के बच्चों में ज्यादा देखा गया है। फेब्राइल सीजर आमतौर पर 12 से 18 महीने तक के बेबीज में ज्यादा देखा जाता है। वैसे तो यह सीजर आपके व बच्चे के लिए थोड़े चिंताजनक हो सकते हैं पर इसके लिए कोई भी ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है या इससे अन्य कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं होती है।
फेब्राइल सीजर एक प्रकार का दौरा है जो अक्सर किसी इन्फेक्शन से होने वाले तेज बुखार के कारण होता है। इस बुखार से पेरेंट्स हो अत्यधिक चिंताएं हो सकती हैं।
बच्चों को तेज बुखार होने से उनका दिमाग प्रतिक्रिया देता है जिसे फेब्राइल सीजर या बुखारी दौरे भी कहते हैं और यह अक्सर बुखार होने के पहले दिन होता है। ज्यादातर मामलों में इसका प्रभाव बहुत दिनों तक नहीं रहता है। इसके कारण बच्चों को कुछ भी सीखने में कठिनाई या अन्य कोई गंभीर समस्या नहीं होती है। हालांकि यदि बच्चे को फेब्राइल सीजर होता है तो आप डॉक्टर से संपर्क करें।
पेरेंट्स होने के नाते आप बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए सीजर के दौरान और बाद में भी कंफर्टेबल करें। फेब्राइल सीजर से बच्चे में कोई भी कॉग्निटिव समस्याएं, एपिलेप्सी या दिमाग में डैमेज की समस्या नहीं होती है। वास्तव में जिन बच्चों में बुखारी दौरे पड़ते हैं, उनमें न्यूरॉन के सामान्य फंक्शन के लिए रोगों का निदान होता है।
यदि बच्चे के परिवार में पहले कभी फेब्राइल सीजर हुआ है तो उसे यह समस्या होने की संभावना बहुत ज्यादा है। यदि बच्चे को पहले कभी फेब्राइल सीजर हुआ है और वह 15 महीने से कम उम्र का था तो उसे भविष्य में यह समस्या हो सकती है। 33% मामलों में जिन बच्चों को सीजर हुआ है, उन्हें 1-2 साल के अंदर-अंदर यह दिक्कत दोबारा से होती है। शुक्र है 5 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को यह समस्या नहीं होती है।
क्या आप सोचती हैं कि छोटे बच्चों में फेब्राइल सीजर होने का क्या कारण है? बुखार में जब तापमान 102 डिग्री फारेनहाइट हो तो बच्चे अक्सर डिस्टर्ब हो जाते हैं। सीजर अक्सर बुखार आने के 24 घंटों में आता है पर जरूरी नहीं है कि यह बुखार बढ़ने पर ही आए।
बच्चों में फेब्राइल सीजर होने का कोई भी विशेष कारण नहीं है। यह समस्या वायरस की वजह से होती है। कुछ बच्चों में विकसित हो रहा दिमाग तेज बुखार पर रिएक्ट करता है जिससे सीजर आता है।
बच्चों को बैक्टीरियल इन्फेक्शन और बुखार होने के कारण दौरे पड़ना बहुत दुर्लभ है। फेब्राइल सीजर वायरल इन्फेक्शन, जैसे फ्लू के साथ तेज बुखार होने से होता है।
यह गलत आशंका है कि कुछ वैक्सीनेशन, जैसे डिप्थीरिया की वैक्सीन, टिटनेस और/या मीजल-मम्प्स-रूबेला की वैक्सीन से फेब्राइल सीजर होने की संभावनाएं बढ़ती हैं। वास्तव में फेब्राइल सीजर आमतौर पर वैक्सीन से नहीं बल्कि कम ग्रेड वाले बुखार से होता है।
फेब्राइल सीजर के लक्षण माइल्ड से गंभीर रूप तक और स्टेयरिंग से कंपकंपी या मसल्स टाइट होने तक भी हो सकता है। इसके कुछ लक्षण और संकेत निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
बच्चे में फेब्राइल सीजर आना तब संभव है जब;
यदि बच्चे को फेब्राइल सीजर हुआ है तो उसे थकान महसूस हो सकती है या वह सो सकता है। उसके हाथ और पैरों में अकड़न आती है और सीजर सिर्फ कुछ सेकण्ड्स या 15 सेकण्ड्स तक ही रहता है।
शुरुआत में एक बार फेब्राइल सीजर आने के बाद बच्चे को अक्सर साल भर के भीतर दोबारा आता है। फेब्राइल सीजर बार-बार होने के कुछ निम्नलिखित कारण हैं, जैसे;
6 महीने और 5 साल की उम्र तक के बच्चों में फेब्राइल सीजर आना आम है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, इसके दोबारा होने की संभावना कम हो जाती है।
कुछ प्रकार के फेब्राइल सीजर जेनेटिक होते हैं।
कम समय के लिए थोड़ा बहुत बुखार होने पर भी फेब्राइल सीजर हो सकता है।
मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार लगभग 30% बच्चों में अन्य बीमारी होने के दौरान बार-बार दौरे पड़ते हैं।
फेब्राइल सीजर की सबसे आम कॉम्प्लिकेशन यह बार-बार होना है। यह समस्या तब हो सकती है जब;
इसके डायग्नोसिस के लिए डॉक्टर शरीर की जांच, न्यूरोलॉजिकल जांच या जरूरत पड़ने पर लैब टेस्ट करते हैं जिससे पहले हुए लक्षणों के बारे में पता लगता है।
डॉक्टर सीजर के संभावित कारण और वायरस या बैक्टीरिया या वाइट ब्लड सेल्स के अधिक स्तर को जानने के लिए खून पेशाब की जांच और लम्बर पंक्चर करते हैं। इसमें इन्फेक्शन होने की संभावनाएं अधिक होती हैं। बच्चे को डिहाइड्रेशन (उदाहरण, उल्टी या डायरिया के कारण) और मेनिन्जाइटिस से संबंधित बुखार आने से भी उसे दौरे पड़ सकते हैं।
कॉम्प्लेक्स फेब्राइल सीजर में बहुत ज्यादा डायग्नोस्टिक टेस्ट की जरूरत पड़ती है। इसमें अधूरा लैब टेस्ट, शरीर की अधूरी जांच और न्यूरोलॉजिकल समस्या से संबंधित असामान्य संदेह होने पर डॉक्टर आपसे कुछ सवाल पूछ सकते हैं। इसके लिए इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम (इइजी) नॉन-इनवेसिव टेस्ट किया जाता है और यह आमतौर पर फेब्राइल सीजर आने के बाद होता है।
निम्नलिखित मामलों में कोई भी अन्य टेस्ट कराने की जरूरत नहीं पड़ती है, जैसे;
ज्यादातर फेब्राइल सीजर के मामले अपने आप ही कुछ मिनटों में सही हो जाते हैं। यदि बच्चे को कुछ मिनटों से ज्यादा सीजर आता है या बार-बार आता है तो यह सलाह दी जाती है कि आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
यदि बच्चे को लगातार इन्फेक्शन होने पर बुखार आने से दौरे पड़ते हैं या इन्फेक्शन का कारण समझने में कठिनाई हो रही है तो आगे की ऑब्जर्वेशन के लिए उसे अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है।
यदि बच्चे को फेब्राइल सीजर होते हैं तो इस समस्या को हैंडल करने के लिए पेरेंट्स को निम्नलिखित कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए, आइए जानें;
फेब्राइल सीजर को मैनेज करने के लिए फैमिली को इसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए। फेब्राइल सीजर से ज्यादातर पेरेंट्स डर जाते हैं। इस बात को समझना बहुत जरूरी है कि इससे बच्चे को कोई भी संभावित खतरा नहीं है।
यदि कॉम्प्लेक्स फेब्राइल है तो इसके ट्रीटमेंट का अगला स्टेप गंभीर इन्फेक्शन को ठीक करना है, जैसे मेनिन्जाइटिस और एन्सेफलाइटिस। ये समस्याएं लम्बर पंक्चर, क्लिनिकल एसेसमेंट या लैब टेस्ट, जैसे इइजी या न्यूरोइमेजिंग करके ठीक हो सकते हैं। डॉक्टर गंभीर बीमारियों के बारे में जानने के लिए उचित रूप से डायग्नोसिस करते हैं और आवश्यक ट्रीटमेंट लेने की सलाह देते हैं।
बच्चे को अक्सर तेज बुखार होने के कुछ घंटों के बाद दौरे पड़ते हैं। ऐसे मामलों में बुखार कम करने के लिए आप बच्चे को पेरासिटामोल या अस्टमीनोफेन दे सकती हैं। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि इससे फेब्राइल सीजर की समस्या खत्म नहीं होगी।
दुर्लभ मामलों में फेब्राइल सीजर का उपचार करने के लिए एंटी-कंवल्जेंट प्रिस्क्रिप्शन का उपयोग किया जाता है। चूंकि इन दवाओं के साइड-इफेक्ट भी होते हैं इसलिए जब तक जरूरी न हो तब तक बच्चे को यह न दें।
बच्चों में रेकरिंग फेब्राइल सीजर या लंबे समय से होने वाले सीजर को ठीक करने के लिए डॉक्टर कुछ विशेष दवाएं प्रिस्क्राइब करते हैं।
फेब्राइल सीजर या दौरे बच्चे को अक्सर बुखार आने के 24 घंटे के भीतर आते हैं और यह बीमारी का सबसे पहला लक्षण है। यदि बच्चे को दौरे पड़ते हैं तो आप उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।
फेब्राइल सीजर को साधारण और कॉम्प्लेक्स के रूप में विभाजित किया गया है, आइए जानें;
यह दौरे बहुत साधारण रूप से आते हैं जो कुछ सेकंड से 15 मिनट तक रह सकते हैं। ऐसे दौरे 24 घंटों में दोबारा नहीं पड़ते हैं और आमतौर पर इससे शरीर पर कोई भी प्रभाव नहीं होता है।
यह सीजर 15 मिनट से ज्यादा समय तक रहता है और 24 घंटों के भीतर दोबारा भी आ सकता है। काम्प्लेक्स फेब्राइल सीजर के मामलों में बच्चा बेहोश हो सकता है या यह शरीर के एक भाग को प्रभावित कर सकता है।
यदि बच्चे में कॉम्प्लेक्स फेब्राइल सीजर के लक्षण दिखाई देते हैं या उसे सांस लेने में दिक्कत होती है तो आप तुरंत उसे डॉक्टर के पास ले जाएं।
यह दौरे भले ही साधारण हों पर फिर भी आप इन्हें नजरअंदाज न करें। बच्चे में फेब्राइल सीजर के प्रभावों को कम करने के लिए ऊपर बताई हुई गाइडलाइन्स फॉलो करें।
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