बच्चों में अंधेपन की समस्या – कारण, लक्षण और उपचार

बच्चों में अंधेपन की समस्या - कारण, लक्षण और उपचार

यह तर्क दिया जाता है कि हमारी पांच इंद्रियों में से देखने वाली इंद्री यानी कि आँख सबसे महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि बिना दृष्टि के जीवन जीने की कल्पना कोई भी नहीं करना चाहेगा। हम सब जीवन भर आँखों की रोशनी के साथ रहना चाहते हैं, लेकिन अगर इसका ठीक तरह से ध्यान नहीं रखा गया तो यह आपकी दृष्टि को प्रभावित कर सकता है।

आपको बता दें कि कई बार बढ़ते हुए बच्चों में अंधापन और आँखों की रोशनी जाने की समस्या देखी गई है। आँखों की रोशनी के बिना जीवन बिताना मुश्किल हो सकता है, लेकिन यदि आपका बच्चा ऐसे हालात में भी सामान्य जीवन जीना चाहता है तो आपको उसी मदद करनी चाहिए। अगर कभी आप यह महसूस कर सकती हैं कि बच्चा तेज रोशनी और चलती-फिरती वस्तुओं पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है, तो यह उसके आँखों की रोशनी खराब होने का संकेत हो सकता है। ऐसे में आइए इस आर्टिकल के जरिए जानें कि आखिर अंधापन क्या है, इसके कारण क्या हैं और इसका इलाज कैसे किया जाता है।

आँखों की रोशनी कम होना क्या है? 

आँखों की रोशनी कम होने या कमजोर होने के अंतर्गत कई सारी स्थितियां होती हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आपका बच्चा कुछ भी देख नहीं सकता है। आई साइट के कम होने या कमजोर होने का अर्थ है कि आँखों की रोशनी का पूरी तरह से जाना या फिर आँखों को थोड़ा बहुत नुकसान होना (जिसमें बच्चा कुछ हद तक तो देख सकता है, लेकिन स्पष्ट रूप से नहीं देख पाता है) या फिर कलर ब्लाइंड होना और इससे जुड़ी कई तरह की समस्याएं भी सामने आ सकती हैं। इस तरह की समस्या बच्चे को किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन ज्यादातर शुरुआत कम उम्र से ही होती है। कई मामलों में ये सभी समस्याएं थोड़े समय के लिए ही होती हैं और फिर धीरे-धीरे खत्म हो जाती हैं, लेकिन अन्य मामलों में, समय जितना बढ़ता है समस्या वैसी ही बनी रहती है या फिर और ज्यादा इसकी हालत बिगड़ भी सकती है। 

आँखों की रोशनी कम होने के दो प्रकार हैं:

1. धुंधली दृष्टि

इस तरह की समस्या में बच्चे को भले ही कम दिखाई देता हो लेकिन वह पूरी तरह से अंधा नहीं होता है। बच्चा वो सभी चीजें नहीं देख सकता है जो उसकी उम्र के बच्चे देखने में सक्षम होते हैं। इसमें धुंधला दिखना, रोशनी में कमी आना या लो विजन होना शामिल है। कलर ब्लाइंडनेस की समस्या भी इसमें शामिल है, जिसका मतलब है कि बच्चा कुछ रंग नहीं देख पाएगा।

2. अंधापन 

अगर बात की जाए तो जो बच्चे शुरू से ही अंधे होते हैं वह 6 मीटर की दूरी के बाद कुछ नहीं देख पाते वहीं जिन बच्चों को दृष्टि की समस्या नहीं होती है वह 60 मीटर तक देख सकते हैं, लेकिन तब जब दृष्टि की परिधि 20 डिग्री से कम हो। इसकी तुलना में एक सामान्य व्यक्ति 180 डिग्री तक देख सकता है।

आपका बच्चा कैसे देखता है? 

हमारी नजर का अहम हिस्सा है आँख, जिसमें रेटिना, कॉर्निया, लेंस, आईरिस और ऑप्टिक नर्व जैसे कई अन्य भाग होते हैं। इन सभी का कुछ न कुछ काम होता है और जब वे दिमाग के साथ मिलकर लाइट पर फोकस करके छवियों को इकट्ठा करने के लिए काम करते हैं, तो आपका बच्चा ऐसे में देख सकता है। यदि इनमें से कोई भी हिस्सा सही से काम नहीं करता है, तो इससे बच्चे की आँखों की रोशनी को पूरी तरह से या थोड़ा बहुत नुकसान होता है।

आपका बच्चा कैसे देखता है? 

बचपन में आँखों की रोशनी जाने के कारण 

बच्चों की आँखों की रोशनी जाने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें दुर्घटना से लेकर जेनेटिक वजह भी हो सकती है। इनमें से कुछ हैं:

  • जो बच्चे समय से पहले पैदा हो जाते हैं उनमे आँखों की रोशनी जाने की समस्या ज्यादा होती है, क्योंकि इस दौरान ऑक्सीजन उनके दिमाग तक कुछ समय के लिए नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में दिमाग के वो सभी सेल्स खराब हो जाते हैं जो दृष्टि सही रखने में मदद करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बच्चा अपनी आंखें खो देता है।
  • दिमाग में किसी भी तरह की ब्लीडिंग से भी बच्चों को अंधेपन की समस्या हो सकती है।
  • आंखें सही से काम करें, इसके लिए विटामिन ए का सेवन करना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसकी कमी से आँखों की रोशनी जा सकती है। हालांकि, आँखों पर इस प्रकार के प्रभाव को बदला जा सकता है। 
  • यदि आपके बच्चे में ऑप्टिक नर्व का सही से विकास नहीं हुआ होता है, तब भी उसकी आँखों की रोशनी जा सकती है।
  • कभी कभी अगर आपके परिवार में ये समस्या पहले से है, तो आपके बच्चे में भी ये समस्या खुद से ही पैदा हो सकती है जिसे जेनेटिक समस्या कहते हैं। 
  • ऐसी दुर्घटना जिसमें बाहरी चीजें बच्चे के आंख के संपर्क में आती है, तो वह भी उसकी आँखों को प्रभावित कर सकती है।
  • पैदा होते ही कई बच्चों में मोतियाबिंद पाया जाता है, जो अंधेपन का कारण बनता है। लेकिन इसका इलाज संभव है। 
  • बच्चे में कम उम्र में डायबिटीज की शुरुआत होने से यह डायबिटिक रेटिनोपैथी जैसे हालात पैदा कर देती है, जो धीरे-धीरे उसके आँखों को नुकसान पहुंचाती है। 

बच्चों में अंधेपन के लक्षण 

इस तरह की समस्या को इतनी कम उम्र में समझना बच्चों के लिए बेहद मुश्किल होता है, कि वे ठीक से क्यों नहीं देख पा हैं। इसलिए इसके लक्षणों को समझने और ढूंढने की कोशिश करें, जिससे आपको ये जानने में मदद मिल सके है कि बच्चे की आँखों की रोशनी गई है या नहीं। कुछ लक्षण नीचे दिए गए हैं।

  • बच्चे की आँखों की पुतली का साइज असामान्य हो जाता है।
  • कभी कभी पुतली का रंग काले के बजाय सफेद हो जाता है।
  • यदि आप बच्चे के सामने कोई वस्तु रखती हैं या उसके सामने से जाती हैं, तो हो सकता है कि उसकी आँखें न हिलें।
  • बच्चा अपनी आँखों को बार-बार क्रॉस करता है, जबकि पहले ऐसा नहीं था।
  • आँखें किसी चीज पर फोकस नहीं कर पाती हैं।
  • आपके बच्चे की आँखें उभरी होती हैं, लय में नहीं हिलती या फिर नियंत्रण से बाहर चली जाती हैं।
  • बच्चा कभी कभी चीजों को ठीक से न देख पाने के कारण तोड़ने लगता है।
  • आपका बच्चा कोई भी ऐसे कामों से बचने लगता जिसमें ज्यादा ध्यान लगाना पड़ता है या फिर अच्छी नजर की जरूरत हो।
  • बच्चा नजर टेढ़ी करना या जल्दी-जल्दी पलकें झपकना शुरू कर देता है।
  • बच्चा ऐसी स्थिति में टीवी को बेहद करीब से देखना शुरू कर देता है और साथ ही किताब को भी अपने चेहरे के एकदम पास लाकर पढ़ने लगता है। 

निदान कैसे होता है? 

यदि आपको लगने लगा है कि बच्चे की आँखों की रोशनी जा रही है, तो ऐसे में तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाकर जांच करवाएं। क्योंकि इस समस्या को रोकने या फिर ठीक करने के लिए उसका निदान होना जरूरी है। आप बच्चे को किसी फिजिशियन या बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले जा सकती हैं, ताकि वह उसकी आँखों की जांच कर सकें। फिर वह आपको बच्चों के आँखों के डॉक्टर के पास भेज सकते हैं। आँखों के डॉक्टर आपके बच्चे का टेस्ट करेंगे और समस्या क्या है उसका पता जल्द से जल्द लगाएंगे। यदि डॉक्टर कहते हैं कि आपके बच्चे की आंखें सही है, लेकिन आप अभी भी घबरा रहीं हैं, तो दूसरे डॉक्टर से जरूर राय ले सकती हैं।

निदान कैसे होता है? 

बच्चों पर अंधे होने का प्रभाव 

अंधापन न केवल सिर्फ आपके बच्चे की आँखों की रोशनी छीनता है बल्कि उसके व्यक्तित्व के कई पहलुओं को भी प्रभावित कर सकता है। इसके कुछ प्रभावों को नीचे बताया गया है।

  • उसे लोगों से बात करने में कठिनाई होती है, क्योंकि उसके लिए लोगों के हिलते हाथ या इशारे देखना मुश्किल होता है।
  • समाज में भी उसका उठना बैठना कम हो जाता है, क्योंकि बिना आँखों की रोशनी के वह खेल भी नहीं सकता है।
  • शायद ही आपका बच्चा दिन और रात के बीच का अंतर बता पाए।
  • आपके बच्चे के सामने चाहे जितनी दिलचस्प चीज रखी हो लेकिन वो हिलेगा नहीं क्योंकि उसे वह दिखाई नहीं देगी। 
  • पढ़ने और लिखने में भी उसे मुश्किल होगी।

बच्चों में अंधेपन का इलाज

बच्चों में आँखों की रोशनी कम होना आम बात है, इसलिए यह बेहद जरूरी है कि आप इसका इलाज जल्द ही शुरू कर दें। हालांकि इलाज के दौरान आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।

  • अगर आपको लगता है कि बच्चे की आँखों की रोशनी जा रही है, तो डॉक्टर से तुरंत मिलें और नियमित जांच के लिए जाना न भूलें।
  • जितने भी संकेत आप अपने बच्चे में देखती हैं, जिनसे महसूस हो कि वो उसकी आँखों की रोशनी कम हो रही है, उसे डॉक्टर को जरूर बताएं।  
  • कुछ मामलों में, सर्जरी द्वारा समस्या को सही किया जा सकता है। लेकिन कई ऐसे अन्य मामले हैं जिसमे डॉक्टर कॉन्टैक्ट लेंस या चश्मा लगाने के लिए कहते हैं।
  • कभी- कभी ढंग से पोषण न लेने से भी बच्चों की आई साइट खराब हो जाती है, इसलिए अपने बच्चे को हमेशा हेल्दी खाना ही खिलाएं।

आँखों की रोशनी की कमी के साथ बच्चे की परवरिश

आपको बता दें कि अगर आपका बच्चा आंशिक अंधेपन से जूझ रहा है तो इसमें किसी भी माता-पिता को अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में इसका समाधान चश्मा या लेजर सर्जरी है। यदि बच्चा पूरी तरह से देख नहीं सकता है, तो आपके बच्चे का पालन-पोषण करना कठिन हो जाता है, इस स्थिति को सही नहीं किया जा सकता है। ऐसे में आपको हमेशा अपने बच्चे का समर्थन करना चाहिए। आपको यह याद रखना होगा कि बच्चे का जीवन हो या विकास किसी भी क्षेत्र में कोई समस्या नहीं हो। आपको बस बच्चे का थोड़ा अधिक ख्याल रखने की जरूरत पड़ेगी।

आँखों की नजर कमजोर होना एक गंभीर समस्या है, इसलिए जैसे ही लगे कि आपके बच्चे की आँखों में कुछ गड़बड़ है, तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। एक हेल्दी डाइट, चश्मा और सर्जरी ज्यादातर समस्याओं का समाधान कर देते हैं, लेकिन यदि बच्चा पूरी तरह से अपनी आँखों की रोशनी खो बैठता है, तो ऐसे में आपको इस बात का ज्यादा ध्यान रखना होगा कि उसकी यह हालत उसके जीवन की दूसरी बातों को प्रभावित न करे।   

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