एक माँ के लिए बच्चे का पालन पोषण करना एक बड़ी चुनौती होता है, खासकर बच्चे के स्वास्थ्य का अच्छे तरीके से ध्यान रखना। किसी भी कारण से बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ना आपके लिए चिंता का बड़ा विषय होता है। वातावरण के साथ समायोजित होने की प्रक्रिया में या कभी-कभी मौसम में बदलाव के कारण बच्चों को अक्सर छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं। बच्चों में होने वाली ऐसी ही एक आम समस्या है अपच। इसलिए इस लेख में विशेष रूप से बच्चे की पाचन प्रक्रिया को बेहतर करने के घरेलू उपाय बताए गए हैं, जिसे पढ़कर आप बच्चों में होने वाली अपच की समस्या को दूर कर सकती हैं।
शिशुओं और बच्चों का पाचन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ होता है, जिसके कारण वो अभी चीजों को अच्छी तरह पचाने में सक्षम नहीं होते हैं और उनका पाचन तंत्र अतिसंवेदनशील होता है। यदि आपके बच्चे को उल्टी, दस्त, कब्ज या इस तरह की कोई अन्य पेट संबंधी परेशानी होती है, तो इसका अर्थ है कि वह अपच की समस्या से पीड़ित हो सकता है। हालांकि, यदि आप निम्नलिखित घरेलू उपचारों में से किसी का उपयोग करती हैं, तो यह बच्चे के अपच की समस्या के इलाज में मदद कर सकता है।
गर्म सिकाई, शिशुओं और बच्चों में गैस या पेट फूलने की परेशानी से छुटकारा दिलाने में मदद करती है जिससे बच्चे के पेट को आराम मिलता है । आपको बस एक नर्म वॉशक्लॉथ या तौलिया लेना है और एक कटोरी गर्म पानी ले लें। गर्म पानी में तौलिया भिगोएं और इसमें से अतिरिक्त पानी को निचोड़ दें।दो से तीन मिनट के लिए धीरे-धीरे बच्चे के पेट के ऊपर गर्म तौलिया रखते हुए उसकी सिकाई करें। आप इस समस्या को दूर करने के लिए इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार दोहरा सकती हैं।
स्तनपान या बोतल से दूध पिलाने के बाद बच्चे को अच्छी तरह से डकार दिलानी चाहिए, क्योंकि दूध पीते समय बच्चा हवा अंदर निगल लेता है। यह हवा बच्चे के पेट में दर्द, गैस बनने और पेट फूलने आदि समस्या का कारण बनता है, जिससे वह असहज महसूस करता है। इस समस्या को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय यह है कि जब आप बच्चे को स्तनपान कराएं या कुछ खिलाएं तो उसके बाद याद रखते हुए उसे हमेशा डकार दिलाएं । बच्चे को डकार दिलाने के लिए आप उसे गोद में उठाकर एक हाथ से उसकी पीठ को सहारा दें और दूसरे हाथ से ऊपर की ओर बच्चे की गर्दन को सहारा देकर, उसे सीधा खड़ा करें, कुछ देर बाद वो डकार ले लेगा या फिर आप बच्चे को पेट के बल अपनी गोद में लिटा कर उसकी पीठ सहलाएं ।
जैसा कि ऊपर बताया गया है, आपके बच्चे का पाचन तंत्र अपरिपक्व होता है, इसलिए बच्चे को छह महीने तक केवल तक केवल स्तनपान ही कराना चाहिए। अधिकतर डॉक्टर नई माओं को अपने बच्चों को छह महीने तक केवल स्तनपान कराने का ही सुझाव देते हैं। बच्चे को माँ का दूध पीने से न केवल सभी आवश्यक पोषण मिलते हैं, बल्कि यह आपके बच्चे के पाचन के लिए भी काफी लाभदायक होते है।
कभी-कभी स्तनपान कराने की पोजीशन में मामूली बदलाव करने से आपके बच्चे को एसिड रिफ्लक्स से निपटने में मदद मिल सकती है। यदि आपका बच्चा लगातार या रोजाना उल्टियां करता है, तो हो सकता है कि वह एसिड रिफ्लक्स से पीड़ित हो । स्तनपान करते समय या बोतल से दूध पिलाते समय आप अपने बच्चे को सीधा पकड़ें । यह दूध को भोजन नलिका में वापस आने से रोकता है। इसके अलावा, कम से कम आधे घंटे के लिए अपने बच्चे को एक स्थिर अवस्था में रखें, ये एसिड रिफ्लक्स को दूर करने में मदद करेगा।
दही में अच्छे बैक्टीरिया और प्रोबायोटिक्स होते हैं जो आपके बच्चे की पाचन क्रिया को बेहतर करने के लिए बेहद फायदेमंद होता है। अगर आपका शिशु दस्त, उल्टी या कब्ज से पीड़ित है, तो दही देना मददगार साबित हो सकता है। कुछ चम्मच दही लें और इसमें थोड़ा पानी डालकर इसे पतला कर लें। इसे अपने बच्चे को दिन में कई बार या जब तक वह बेहतर महसूस न करे तब तक खिलाएं। हालांकि, छह महीने से कम उम्र वाले बच्चों को दही देने की सलाह नहीं दी जाती है। आप अपने बच्चे को दही देने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
मसाज करने से आपके बच्चे की हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत होती हैं और साथ-ही-साथ, यह आपके बच्चे की किसी भी पाचन-संबंधी असुविधा को कम करने के लिए बेहतरीन रूप काम करता हैं। आप बच्चे की मालिश करने के लिए किसी भी अच्छे तेल का प्रयोग कर सकती हैं, बच्चे की नाभि के चारों ओर अच्छे से मालिश करें। अपने हाथों को क्लॉकवाइज घुमाते हुए बच्चे की हल्के हाथों से मालिश करें । यह आपके बच्चे के पेट में फंसी हुई किसी भी गैस को निकालने में मदद करता है। आप बच्चे के पैरों को उसके पेट की ओर ले जाते हुए धीरे से दबाएं, आप इस प्रकार से भी बच्चे की मालिश कर सकती हैं ।
केला पेट के लिए बेहतरीन खाद्य पदार्थों में से एक माना जाता है, जो बच्चे के पाचन को बेहतर करने में मदद करता है । आप बच्चे के ठोस आहार देना शुरू करें तो उसमें आप केला शामिल कर सकती हैं, क्योंकि यह आपके बच्चे के पाचन तंत्र के लिए बहुत अच्छा होता है। फाइबर से भरपूर होने के कारण, केला बच्चों में कब्ज का इलाज करने में मदद करता है और यदि आपका बच्चा उल्टी या दस्त से पीड़ित है, तो केला खाने से ये बच्चे के पेट के लिए फायदेमंद साबित होगा। हालांकि, छह महीने से कम उम्र वाले बच्चों को केला देने की सलाह नहीं दी जाती है।
आप अदरक, कैमोमाइल और सौंफ के बीज के साथ घर पर भी ग्राइप वाटर बना सकती हैं। अधिकांश डॉक्टर आपके बच्चे को बाजार से खरीदा गया ग्राइप वाटर देने की सलाह नहीं देंगे, लेकिन घर का बना ग्राइप वाटर निश्चित रूप से सुरक्षित होता है। यह बच्चों के साथ-साथ बड़े बच्चों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।
ब्रोकोली आपके बच्चे के लिए भी बढ़िया विकल्प है। यह हरी फाइबर युक्त सब्जी, फोलेट, कैल्शियम और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है। ब्रोकोली आपके बच्चे के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में किसी भी तरह की जलन-सूजन को कम करने में मदद करती है। इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर होता है, जो कब्ज की परेशानी को दूर करने में सहायक है । यह आंतों के स्वास्थ्य, पोषक तत्वों के अवशोषण और आपके बच्चे की इम्युनिटी को बेहतर करने में भी मदद करता है। हालांकि, अपने बच्चे को ब्रोकोली बहुत ज्यादा मात्रा में न दें, क्योंकि इससे उसे में पेट फूलना, गैस और इस तरह की अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
पाचन से संबंधित समस्याओं से लड़ने के लिए सौंफ का तेल बेहतरीन काम करता है। आप इस तेल की कुछ बूंदें लेकर बच्चे के मालिश वाले तेल के साथ या नारियल तेल के साथ मिला सकती हैं। इसके बाद तेल से धीरे-धीरे बच्चे के पेट की मालिश करें। यह पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
ये कुछ घरेलू उपचार हैं, जो शिशुओं और बच्चों में अपच की परेशानी से लड़ने में उनकी मदद करते हैं और आपके बच्चे को राहत प्रदान करते हैं। फिर भी अगर इनमें से कोई भी उपाय बच्चे पर असर नहीं करते हैं तो बात ज्यादा बिगड़ने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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