बच्चों में एस्पर्जर सिंड्रोम

बच्चों में एस्पर्जर सिंड्रोम

कुछ खास अवसरों पर आप अपने बच्चे को लोगों के साथ इंटरैक्ट करने में या अपनी जरूरतों के बारे में बात करने में कठिनाई महसूस करता हुआ नोटिस कर सकते हैं। ज्यादातर बच्चों को बढ़ने के साथ यह गुण सीखने में समय लगता है, लेकिन कुछ बच्चों को इसमें बहुत अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है, जो उनके व्यवहार में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। ऐसे मामलों में संभावना हो सकती है कि आपका बच्चा एस्पर्जर सिंड्रोम से ग्रस्त हो। 

बच्चों में एस्पर्जर सिंड्रोम क्या है?

बच्चों में एस्पर्जर सिंड्रोम क्या है?

एस्पर्जर सिंड्रोम को ऑटिज्म का एक प्रकार माना जाता है और यह एक ऐसी स्थिति है जो व्यक्ति की भाषा को समझने की क्षमता, बातचीत करने की क्षमता और सामाजिक संकेतों को समझने की क्षमता को प्रभावित करती है। पहले यह एक अलग स्थिति मानी जाती थी, लेकिन अब इसे भी ऑटिज्म के एक प्रकार के रूप में देखा जाने लगा है। लो फंक्शनिंग या हाई फंक्शनिंग किड्स, टेंडेंसीज डिपिक्टिंग ऑटिज्म, डेवलपमेंट डिसऑर्डर एवं ऐसे ही अन्य कई टर्म्स ऐसे व्यवहार के वर्णन में इस्तेमाल किए जाते हैं। एस्पर्जर से ग्रस्त बच्चे आमतौर पर ऑटिज्म के हाई फंक्शनिंग साइड पर निर्भर करते हैं। लड़कियों की तुलना में लड़कों में यह सिंड्रोम होने की संभावना लगभग 3 या 4 गुना अधिक होती है। 

इसके संभावित कारण क्या हैं?

आमतौर पर बच्चों में एस्पर्जर सिंड्रोम के कारण अनुवांशिक होते हैं। हालांकि ऐसे किसी खास जीन को अब तक अलग नहीं किया जा सका है, जिसे इस स्थिति के लिए जिम्मेवार माना जा सके। एस्पर्जर की तीव्रता में भिन्नता को देखते हुए ऐसा कहा जा सकता है, कि इस स्थिति के लिए एक से अधिक जीन्स भी जिम्मेवार हो सकते हैं। 

अब तक किए गए रिसर्च के आधार पर यह पाया गया है, कि मानव मस्तिष्क की संरचना में कुछ खास असामान्यताएं एस्पर्जर का संभावित कारण हो सकती हैं। संरचना की इस असामान्यता के कारण मस्तिष्क की कुछ खास सर्किट्री अलग तरह से इंटरैक्ट करती हैं, जिससे बच्चों के विचार और व्यवहार प्रभावित होते हैं। साथ ही कुछ खास जीन्स और वातावरण की स्थितियों के बीच कुछ खास इंटरेक्शन के कारण एंब्रियो स्टेज में मस्तिष्क की कोशिकाओं के विकास के दौरान यह हो सकता है। इसके कारण मस्तिष्क या तो आवश्यकता से अधिक बढ़ सकता है या फिर वह अपनी पूरी क्षमता तक विकसित नहीं हो पाता है। एडवांस्ड लाइफ एमआरआई स्कैन ये दर्शाते हैं, कि ऐसे बच्चों के फ्रंटल लोब में ब्रेन एक्टिविटी बड़े पैमाने पर कम हो जाती है और साथ ही जब सामाजिक संकेतों और अभिव्यक्ति को समझने के लिए कहा जाता है, तब उनका मस्तिष्क अलग तरह से प्रतिक्रिया देता है। 

बच्चों में एस्पर्जर सिंड्रोम के क्या लक्षण दिख सकते हैं?

  • चेहरे के हाव भाव, बॉडी लैंग्वेज और अन्य भाव भंगिमा को समझने में कठिनाई। 
  • चुटकुले या हंसी ठिठोली को न समझ पाना और कन्फ्यूजन महसूस करना। 
  • बातचीत के दौरान आवाज में कोई उतार चढ़ाव न होना या कोई खास रिदम न होना। 
  • दोस्त बनाने में या अपनी उम्र के बच्चों के साथ बातचीत करने में कठिनाई। 
  • नजर मिलाने से बचना और अकेलेपन को प्राथमिकता देना। 
  • बातचीत न करना या कोई इंटरेस्टिंग बात शेयर न करना। 
  • अपनी भावनाओं के बारे में बात न करना। 
  • किसी एक खास चीज के प्रति जरूरत से ज्यादा लगाव होना। 
  • खास रूटीन को लेकर जरूरत से ज्यादा जिद्दी होना और छोटे बदलाव होने पर भी निराश हो जाना। 
  • असामान्य रूप से गतिविधियों को दोहराना, जैसे झूलना, गोल-गोल घूमना, उंगलियों को हिलाना और ऐसी ही अन्य बहुत सारी चीजें। 
  • लापरवाही भरे मूवमेंट और स्थिर रहने में अक्षमता। 
  • केवल कुछ बहुत ही खास चीजों के बारे में ही बिना रुकावट बोल पाना। 
  • दूसरों की तुलना में स्वाद, सुगंध या किसी एहसास के प्रति बहुत ही अलग प्रतिक्रिया देना। 

बच्चों में एस्पर्जर सिंड्रोम की पहचान कैसे की जाती है?

ऐसा कोई स्टैंडर्ड चाइल्डहुड एस्पर्जर सिंड्रोम टेस्ट उपलब्ध नहीं है, जिसे हर बच्चे पर लागू करके एक नतीजा प्राप्त किया जा सके। हर डॉक्टर इसकी पहचान के लिए विभिन्न क्राइटेरिया और विभिन्न स्क्रीनिंग तरीके अपनाते हैं। डॉक्टरों में आपस में भी एस्पर्जर को ऑटिज्म का एक प्रकार मानने या इसे एक अलग स्थिति मानने को लेकर विवाद हैं। ज्यादातर मामलों में कुछ खास व्यावहारिक लक्षणों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जिनके एस्पर्जर से ग्रस्त बच्चों में मौजूद होने की बहुत अधिक संभावना होती है, जैसे –

  • नजर मिलाने से बचना और भाव-शून्य रहना। 
  • उनका अपना नाम से पुकारे जाने पर भी ध्यान न देना। 
  • वस्तुओं के बारे में बताने के लिए भाव भंगिमा के इस्तेमाल या इन्हें समझने में कठिनाई। 
  • दूसरे बच्चों के साथ खेलने या उनसे बातचीत करने से बचना। 

ये व्यावहारिक लक्षण शुरुआती महीनों में ही दिख सकते हैं या फिर बाद में भी दिख सकते हैं, लेकिन मुख्यतः 3 वर्ष की उम्र से पहले दिखने लगते हैं। आपके फैमिली डॉक्टर विकास संबंधी संकेतों और प्रतिक्रियाओं की जांच के लिए प्राइमरी स्क्रीनिंग करेंगे। बाद में साइकोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, स्पीच एक्सपर्ट्स और ऐसे ही अन्य डॉक्टरों की एक टीम आपके बच्चे की जांच करेगी और इस निष्कर्ष पर आएगी, कि वह वास्तव में एस्पर्जर से ग्रस्त है या नहीं। इनमें इंटेंसिव कॉग्निटिव टेस्ट और लैंग्वेज असेसमेंट किए जाते हैं और साथ ही मोटर फंक्शन की भी जांच की जाती है। हर पहलू में कम्युनिकेशन के विभिन्न गैर शाब्दिक स्वरूप, उनकी शक्ति और कमजोरियों की जांच की जाती है। आपके बच्चे को विभिन्न क्षेत्रों में ऑब्जर्व करके, सभी डॉक्टर अपने-अपने विचारों को एक साथ रखकर उसके लिए प्रोफाइल बनाते हैं, जिससे इस स्थिति को पहचानने में मदद मिल सकती है। 

इसका इलाज कैसे किया जाता है?

इसका इलाज कैसे किया जाता है?

पहचान की तरह ही बच्चों में एस्पर्जर सिंड्रोम का कोई विशेष इलाज उपलब्ध नहीं है, जो कि हर बच्चे पर काम करे। जिस मुख्य बात पर ध्यान दिया जाता है, वह है कम्युनिकेशन, ऑब्सेशन और क्लम्सीनेस की समस्याओं को सुलझाना। आपके बच्चे के लिए एक ट्रीटमेंट प्रोग्राम खास तौर पर तैयार किया जाएगा, जो उसकी सभी समस्याओं का समाधान कर सके, एक ऐसा शेड्यूल दिया जाएगा जिसका वह पालन कर सके, सरल टास्क दिए जाएंगे और सही प्रकार के व्यवहार को करने को कहा जाएगा। यह सब कुछ इस प्रकार किया जा सकता है –

  • ग्रुप थेरेपी सेशन जो सोशल इंटरेक्शन स्किल के निर्माण पर फोकस करें। 
  • बिहेवियरल थेरेपी सेशन जो बच्चों को खुद से बेहद भावनात्मक बातचीत को कुछ इस प्रकार करने में मदद कर सके जिससे वे शांत हो सकें। 
  • इस स्थिति के गंभीर प्रभावों की वजह से एंग्जायटी या डिप्रेशन से ग्रस्त बच्चों के लिए दवाएं। 
  • फिजिकल थेरेपी सेशन जो उनके मोटर स्किल्स पर नियंत्रण का विकास करने में मदद कर सके। 
  • स्पीच थेरेपी, जिससे बच्चे बातचीत के गुणों को समझ सकें। 
  • घर पर सही तकनीकों के इस्तेमाल को लेकर पेरेंट्स को शिक्षा देने के लिए सेशन। 

क्या एस्पर्जर से ग्रस्त बच्चों को भविष्य में किन्हीं चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है?

जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए जरूरी गुणों के विकास की शुरुआत के लिए एस्पर्जर से ग्रस्त बच्चों की मदद के लिए सही समय पर दखलंदाजी की बेहद जरूरत है। सही इलाज के साथ इससे काफी हद तक सुलझाया जा सकता है। हालांकि जीवन में आगे बढ़ने पर उन्हें विभिन्न सामाजिक स्थितियों में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है या फिर किसी के साथ व्यक्तिगत संबंध स्थापित करने में कठिनाई महसूस हो सकती है। एस्पर्जर से ग्रस्त लोग अपने परिवार और प्रियजनों के द्वारा उचित सहयोग और प्रोत्साहन के साथ आज लगभग हर प्रकार के काम करते हुए देखे जा सकते हैं।

इसी स्थिति से ग्रस्त अन्य लोगों के साथ इंटरैक्ट करके और अपनी-अपनी बाधाओं को पार करने के तरीकों के बारे में जानकर बच्चे को बहुत सी जानकारी मिल सकती है और भविष्य में इन्हें लागू करके वह कई प्रकार की समस्याओं से बच सकता है। 

एस्पर्जर से ग्रस्त बच्चे की मदद कैसे करें?

  • अपने बच्चे की मदद करने से पहले खुद की मदद करना जरूरी है। ऐसे प्रोग्राम की खोज करें, जो एस्पर्जर से ग्रस्त बच्चों की देखभाल को लेकर माता-पिता को जानकारी देने में मदद करता है। 
  • आपका ध्यान इस बात पर होना चाहिए, कि किस प्रकार आपका बच्चा अपनी जिंदगी को खुद जी सकता है और अपने आसपास के लोगों पर लगातार निर्भरता से बच सकता है। बच्चे में उन गुणों का विकास करने में मदद करें, जिनसे वह आगे अपने जीवन में स्वतंत्र रूप से जी सके। 
  • हो सकता है, कि आप इस बात को लेकर निश्चित न हों, कि आपके बच्चे को एस्पर्जर है या कोई अन्य समस्या है। परिस्थिति चाहे जो भी हो, उसके शिक्षकों और डॉक्टरों से एक ईमानदार और स्पष्ट बातचीत करना और उसकी संभावित खास जरूरतों या एक्स्ट्रा अटेंशन की आवश्यकता को लेकर बात करना जरूरी है। 
  • आपका बच्चा कुछ खास गतिविधियों में बहुत अच्छा हो सकता है और अन्य कामों के साथ उसे समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे प्रोग्रामों की खोज करें, जो खासतौर पर उन क्षेत्रों पर ध्यान देते हों, जिनमें बच्चे को दिक्कत आती है और एक-एक करके उन्हें सुलझाने की शुरुआत करें। 
  • ऐसे प्रोग्राम या इलाज की तकनीकों को अधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जो लगातार विकास सुनिश्चित करने के लिए लॉन्ग टर्म इंगेजमेंट के विकास में मदद करें। 
  • कभी भी बच्चे को परिवार से अलग महसूस न होने दें। घर के बाकी सभी सदस्यों की तरह ही आपके बच्चे की भी कुछ खास जरूरतें हो सकती हैं। स्थिति को हैंडल करने में आप उस पर अपनी भावनात्मक और शारीरिक समस्याओं का बोझ न डालें, क्योंकि इसके कारण उसे अपने बारे में बुरा महसूस हो सकता है। आप सहयोग के लिए अपने परिवार के सदस्यों और मित्रों से मदद ले सकते हैं और इस तरह अपने बच्चे को सपोर्ट कर सकते हैं। 

एस्पर्जर टॉडलर में हो या बड़े बच्चों में, इस तरह की स्थिति को संभालना आसान नहीं होता है। इसके बारे में जानकारी होने और इलाज के दौरान उचित सावधानियां बरतने से बच्चों का विकास लंबे समय के लिए सुनिश्चित हो सकता है। आपका बच्चा चाहे जैसा भी हो, उसे हमेशा प्यार दें। आपके प्यार और सहयोग से उन्हें स्वीकार्य महसूस होता है और वे अपने गुणों को बेहतर बनाने के लिए पूरी तीव्रता और लगन के साथ आगे बढ़ पाते हैं। 

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