शिशु

बच्चों में अस्थमा (दमा) – कारण, लक्षण और उपचार

अस्थमा श्वास की सबसे आम बीमारियों में से एक है और यह बड़ों के साथ-साथ शिशुओं व बच्चों को भी प्रभावित कर सकता है। हालांकि, उचित देखभाल और चिकित्सीय सहायता से आप बच्चे के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली सुनिश्चित कर सकते हैं। हम इस लेख में अस्थमा के कारण, लक्षण और विभिन्न उपचार के विकल्पों पर चर्चा कर रहे हैं।

अस्थमा (दमा) क्या है

अस्थमा एक साँस की बीमारी है, जिसमें स्वास नलियों में सूजन आ जाती है और जिसके परिणामस्वरूप साँस लेने में तकलीफ होने लगती है। शरीर में विभिन्न प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं जो पर्यावरण के प्रदूषकों (जैसे प्रदूषण, धूल, तंबाकू के धुएं आदि) से उत्पन्न होती हैं, यह अस्थमा का कारण भी बन सकती हैं। अस्थमा और एलर्जी एक दूसरे से जुड़ा है। अक्सर यह देखा गया है कि वैसे लोग जिनका वायुमार्ग अत्यधिक संवेदनशील होता है, वैसे लोग अस्थमा से पीड़ित होते हैं।

शिशुओं में बड़े बच्चों और वयस्कों की तुलना में वायुमार्ग छोटे होते हैं। वायरल संक्रमण, बलगम या तंग वायुमार्ग द्वारा छोटे वायुमार्ग आसानी से अवरुद्ध हो जाते हैं जिससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। इसलिए, 12 महीने से कम उम्र के शिशुओं में अस्थमा अत्यधिक मुश्किल समस्या होती है।

बच्चों में अस्थमा कितना आम है

अस्थमा 10 से 12 प्रतिशत बच्चों को प्रभावित कर सकता है और यह आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं। आमतौर पर बच्चों को 5 वर्ष की आयु में अस्थमा होने की शुरुआत होती है। हालांकि, इसका निदान बाद में नहीं हो सकता है। अस्थमा बच्चों में एक क्रोनिक बीमारी का कारण बन चुका है।

बच्चों में अस्थमा के कारण

वैसे तो अस्थमा का सही कारण पता लगा पाना काफी मुश्किल है, किंतु कुछ संभावित कारण निम्नलिखित हैं;

1. एलर्जी के कारण अस्थमा

एलर्जी के कारण अस्थमा में इम्यून सिस्टम अत्यधिक संवेदनशील हो जाता है। यदि किसी बच्चे को एलर्जिक अस्थमा है, तो उसे कुछ चीजों से एलर्जी हो सकती है। बच्चों में एलर्जी के कारण भिन्न होते हैं जिन में से कुछ सामान्य कारण हैं – पराग, धूल के कण, पालतू जानवर के बाल या लार।

2. बिना एलर्जी के अस्थमा

अस्थमा अन्य कारणों से भी हो सकता है, जैसे अनुवांशिक बीमारी या परिवार के चिकित्सीय इतिहास में किसी को अस्थमा की समस्या होना या श्वसन में संक्रमण।

बच्चों में अस्थमा के लक्षण

अक्सर माता-पिता परेशान रहते हैं कि उन्हें कैसे पता चलेगा कि उनके बच्चे को अस्थमा है या नहीं। इसका जवाब है कि आप इसके लक्षणों को जानें और समझें, एक बच्चे में अस्थमा के निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं;

1. जल्दी-जल्दी सांस लेना (रैपिड ब्रीदिंग पैटर्न)

यदि आपके बच्चे को अस्थमा है, तो आप अपने बच्चे के साँस के पैटर्न में बदलाव देख सकती हैं। तीन महीने का बच्चा सामान्य रूप से 30-60 सेकंड प्रति मिनट सांस लेता है। हालांकि, अस्थमा से पीड़ित बच्चे के सांस लेने का पैटर्न 50% तक बढ़ सकता है।

2. छाती में जकड़न

अस्थमा के कारण बच्चे की छाती की मांसपेशियों में खिंचाव और जकड़न हो जाती है।

3. सांस लेने में तीव्रता

आप देख सकती हैं कि आपके बच्चे को सांस लेने में अधिक कठिनाई हो रही है और पेट की हलचल एवं फूलते हुए नथुने, इसका लक्षण होते हैं।

4. अत्यधिक बलगम या खांसी

इस समस्या के कारण बच्चे को अनियंत्रित रूप से खांसी हो सकती है। शाम के समय या रात के समय बच्चे को बहुत ज्यादा खांसी होती है।

5. घरघराहट की आवाज

अस्थमा से ग्रसित बच्चा सांस लेते समय घरघराहट की आवाज कर सकता है। यह आवाज सांस लेने के कारण ही होती है।

6. भोजन करने में कठिनाई

अस्थमा से पीड़ित बच्चे को भोजन करने में कठिनाई हो सकती है। यह वास्तव में बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने के कारण होता है।

7. थकान और सुस्ती

अस्थमा से ग्रसित बच्चा सामान्य से कम सक्रिय होता है।

8. रोने की हल्की आवाज

इस समस्या के कारण बच्चे की रोने की आवाज हल्की निकालती है या सामान्य बच्चों की तुलना में उनका रोना बहुत हल्का होता है।

9. नीली या पीली त्वचा और नाखून

रक्त में ऑक्सीजन कम हो जाने से बच्चे के होंठ या नाखून के आसपास का क्षेत्र नीले या पीले रंग का दिखाई देता है।

यह बच्चों में अस्थमा के कुछ लक्षण होते हैं जो आपको समझने में मदद करेंगे कि आपका बच्चा इस समस्या से पीड़ित है।

बच्चों में अस्थमा के कारण होने वाली आपातकालीन समस्याएं

अस्थमा का प्रभाव हल्का, मध्यम या गंभीर हो सकता है। हल्के अस्थमा में शिशु सामान्य महसूस कर सकता है। हालांकि मध्यम या गंभीर अस्थमा के प्रभाव के कारण शिशु में कुछ निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं:

  • सांस की दर बढ़ जाना (सोते समय 40 से अधिक सांस प्रति मिनट)
  • छाती फूलना
  • त्वचा के रंग में बदलाव (होंठ और नाखूनों के आसपास पीलापन या नीलापन हो जाना)
  • दूध पीना या चूसना बंद हो जाता है
  • नथुने फैल जाते हैं
  • रोने की हल्की आवाज आना

यदि आप अपने शिशु में ऊपर दिए हुए संकेतों को देखती हैं तो तुरंत उपचार करें।

किन बच्चों को अस्थमा का अधिक खतरा होता है?

आपके बच्चे को निम्नलिखित परिस्थितियों में अस्थमा होने का खतरा हो सकता है, आइए जानते हैं;

1. पारिवारिक चिकित्सीय इतिहास में अस्थमा की समस्या

अस्थमा के अधिकांश मामले आनुवांशिक होते हैं और यदि माता-पिता में से किसी को भी अस्थमा है। यदि माता-पिता को अस्थमा है तो बच्चे को भी अस्थमा होने की संभावना अत्यधिक हो सकती है। यदि आपके किसी नजदीकी रिश्तेदार को अस्थमा है तो बच्चे को भी अस्थमा हो सकता है।

2. एलर्जी

यदि आपके बच्चे को हवा में उत्पन्न होने वाले कणों, जैसे धूल के कण, परागकण, पौधों के फाइबर, फफूंदी से एलर्जी है, तो उसे अस्थमा होने की संभावना अधिक हो सकती है। लगभग 60% से अधिक मामलों में एलर्जी से अस्थमा हो सकता है। यदि आपके बच्चे को ऊपर दिए हुए किसी भी चीज से एलर्जी है तो उसके इम्युनिटी सिस्टम में अधिक प्रभाव पड़ सकता है। इससे बदले में वायुमार्ग में सूजन और बलगम होता है जिससे अस्थमा होने की संभावना बढ़ जाती है।

3. एक्जिमा

एक्जिमा और अस्थमा के बीच संबंध वैज्ञानिक रिसर्च भी मानती है। इसका मतलब है कि यह दोनों बीमारियां एक ही उत्परिवर्तित जीन (म्यूटेड जीन) के कारण हो सकती हैं।यदि आपका बच्चा एक्जिमा से पीड़ित है, उसे अस्थमा होने की 20% तक संभावना हो सकती है।

4. इयोसिनोफिल की अधिक मात्रा

यदि आपके बच्चे को एलर्जी होने का खतरा है, तो उसमें इयोसिनोफिल की मात्रा (एक प्रकार का श्वेत रक्त कोशिका) अधिक हो सकती है। आपके बच्चे के रक्त और लार में चार प्रतिशत से अधिक इयोसिनोफिल की गिनती उसे अस्थमा के प्रति संवेदनशील बनाती है।

5. घरघराहट

यदि आपको लगता है कि ठंड के कारण आपके बच्चे को घरघराहट की अधिक समस्या हो रही है तो इसका मतलब है कि बच्चे का वायुमार्ग अवरुद्ध है। बच्चों में यह समस्या अस्थमा का कारण बन सकती है।

6. भोजन से एलर्जी

खाद्य पदार्थ से एलर्जी के कारण अस्थमा होना आम नहीं है। हालांकि, बच्चों को कुछ खाद्य पदार्थों से एलर्जी के कारण अस्थमा होने की संभावना हो सकती है।

बच्चों में अस्थमा का निदान कैसे किया जाता है

यदि आपके बच्चे को अस्थमा की समस्या है तो डॉक्टर आपसे निम्नलिखित जानकारी प्राप्त करने के लिए कुछ सवाल पूछ सकते हैं, वे इस प्रकार हैं;

1. लक्षणों के बारे में पूछताछ

डॉक्टर आपके बच्चे में दिखाई देने वाले विभिन्न लक्षणों के बारे में पूछ सकते हैं।

2. पारिवारिक चिकित्सीय इतिहास की जानकारी

डॉक्टर आपके पारिवारिक चिकित्सीय इतिहास के बारे में भी पूछ सकते हैं । यदि परिवार में पहले भी किसी को एलर्जी, एक्जिमा या अस्थमा हुआ है तो डॉक्टर इस बारे में अधिक सवाल पूछ सकते हैं।

3. सीने का एक्स-रे

डॉक्टर आपको ‘ब्रोन्किओल्स’ में किसी भी रुकावट, टिश्यू में सूजन या बलगम के जमाव की जांच करने के लिए बच्चे के सीने का एक्स-रे करने की सलाह दे सकते हैं।

4. रक्त जांच

इयोसिनोफिल की जांच के लिए डॉक्टर बच्चे का रक्त परीक्षण करवाने की सलाह दे सकते हैं। इसकी गिनती की वृद्धि, अस्थमा का लक्षण होता है।

निदान ऊपर दिए हुए मापदंडों की जांच के बाद किया जाता है। निदान के पूर्ण होते ही डॉक्टर बच्चे के सर्वोत्तम उपचारों के बारे में आप से चर्चा कर सकते हैं।

बच्चों में अस्थमा का उपचार

अस्थमा के लिए कोई इलाज नहीं है, इस समस्या में दवा केवल बीमारी के लक्षणों को कम करने में मदद करती है। आपके बच्चे को दवा देने के विभिन्न तरीके हैं, जैसे:

  1. नेबुलाइजर
  2. ड्राई-पाउडर इन्हेलर (डी.पी.आई.)
  3. मेटर्ड-डोज इन्हेलर (एम.डी.आई.)
  4. इंजेक्शन

यदि आप अपने बच्चे में अस्थमा की समस्या को ठीक करने के लिए दवाओं की तलाश में हैं तो आपको यह पता होना चाहिए अस्थमा की दवाएं आमतौर पर 3 श्रेणियों में आती हैं, आइए जानते हैं;

  • लंबे समय के लिए नियंत्रण करने वाली दवाएं (लौंग टर्म दवाएं)

जैसा कि नाम से ही पता चलता है, कि अस्थमा के लक्षणों को रोकने के लिए शिशुओं को लंबे समय तक इस दवा को लेने की आवश्यकता हो सकती है। आपके बच्चे में अस्थमा की गंभीरता डॉक्टर को यह तय करने में मदद करती है कि आपके बच्चे को कितने समय तक दवा की आवश्यकता हो सकती है।

  • तुरंत असर करने वाली दवाएं (क्विक रिलीफ)

यह दवाएं सांस की तकलीफ, घरघराहट और छाती की मांसपेशियों में जकड़न से जल्दी राहत देती हैं। इन दवाओं को नसों के द्वारा या एम.डी.आई. के माध्यम से दिया जा सकता है। यह अस्थमा के लक्षणों से तुरंत राहत प्रदान करती है और इसका उपयोग लंबे समय तक लाभ प्रदान करने के लिए नहीं किया जाता है।

  • एलर्जी के लिए अस्थमा की दवाएं

यदि आपको एलर्जी के साथ अस्थमा की समस्या है तो डॉक्टर आपको इसके उपचार का अलग कोर्स करने की सलाह देते हैं। एलर्जी के लिए दी गई अस्थमा की दवाएं तुरंत व लंबे समय तक राहत दोनों एक साथ प्रदान करती हैं।

बच्चों में अस्थमा के लक्षणों को कम करने के सुझाव

एक माता-पिता के रूप में आपको हमेशा एक चिंता रहती होगी कि अस्थमा के प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है या आप बच्चों में अस्थमा के लक्षणों को कम करने के लिए क्या उपाय अपना सकती हैं। चिंता न करें, यहाँ आपकी समस्या के कुछ संभावित समाधान हैं:

  • बच्चे को अस्थमा का प्रभाव छोड़ने वाली चीजों से दूर रखें, जैसे धुंआ, धूल, गंदगी और इत्यादि।
  • बच्चे के कमरे को साफ और धूल रहित रखें।
  • बच्चे को ऐसे खिलौने दें, जिन्हें आप नियमित रूप से धो सकें और उन्हें सप्ताह में एक बार जरूर धोएं।
  • अपने बच्चे को पालतू जानवरों से दूर रखें।
  • आवश्यक होने पर एयर प्यूरीफायर और ह्यूमिडिफायर का प्रयोग करें।
  • बच्चे को ऐसा भोजन न दें जिससे एलर्जी हो सकती है।

ऊपर दिए हुए सभी सुझाव आपके बच्चे की मदद कर सकते हैं। हालांकि यदि आप अपने बच्चे में अस्थमा के लक्षण देखती हैं तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

बच्चों में अस्थमा को कैसे ठीक करें

अस्थमा सिर्फ बच्चे के लिए ही नहीं बल्कि माता-पिता के लिए भी परेशानी का कारण बन सकता है। निम्नलिखित सुझावों की मदद से आप अपने बच्चे की समस्या को कम करने में मदद कर सकती हैं, आइए जानते हैं;

  • अपने बच्चे में अस्थमा के आपातकालीन संकेतों को समझें और जानने का प्रयास करें। बच्चे में अस्थमा के पैटर्न को समझने से देखभाल में सही मदद मिल सकती है।
  • डॉक्टर की मदद से आपातकालीन स्थितियों के लिए बच्चे की देखभाल योजना बनाना महत्वपूर्ण है।
  • बच्चे की देखभाल योजना का निरंतर पालन करें और इस बारे में डॉक्टर से भी चर्चा करें।
  • अपने बच्चे को उसकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं व स्थिति व्यक्त करना सीखने में मदद करें।

क्या अस्थमा का इलाज संभव है?

अस्थमा एक ऐसी समस्या है जो आपके बच्चे को लंबे समय तक प्रभावित कर सकती है। अस्थमा के लिए कोई इलाज उपलब्ध नहीं है, हालांकि बढ़ती आयु के साथ कुछ बच्चों में अस्थमा के लक्षण कम गंभीर हो जाते हैं। यह देखा गया है कि लगभग 50 प्रतिशत बच्चों में किशोरावस्था तक अस्थमा के लक्षण कम हो जाते हैं।

माता-पिता के लिए यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि यदि आप अपने बच्चे की उचित देखभाल करते हैं तो अस्थमा शिशु के सही विकास में बाधा नहीं डाल सकता है। इस बीमारी के दौरान बच्चों की देखभाल करने के लिए सही उपचार व निर्देश प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।

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जया कुमारी

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