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बच्चे अभी भी अपने आसपास की दुनिया को समझने का प्रयास कर रहे होते हैं। माता पिता होने के नाते आपका कर्तव्य बनता है कि आप अपने बच्चे पर ध्यान दें। उसे सही गलत का मतलब बताएं, जिंदगी के असली मायने सिखाएं और अपने सकारात्मक और नकारात्मक अनुभवों से उसका मार्गदर्शन करें। आत्मसम्मान में कमी महसूस करने वाले बच्चों की मदद करना उतना ही जरूरी है जितना कि यह सुनिश्चित करना कि क्या मेरा बच्चा ठीक खा पी रहा है या नहीं। जिन बच्चों में लो सेल्फ एस्टीम यानी आत्मविश्वास की कमी होती है, उन बच्चों में अक्सर डिप्रेशन, खुद से नफरत करना या फिर आत्महत्या जैसे विचार आ सकते हैं इसलिए उन पर ध्यान देना बहुत ज्यादा जरूरी होता है ताकि वह कोई गलत कदम न उठा लें। इस लेख आपको बच्चों में आत्म सम्मान में कमी पाए जाने के कुछ संकेत दिए गए हैं और साथ-साथ यह उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए विभिन्न तरीकों को समझने में मदद करेगा।
बच्चों के अंदर कम उम्र से ही सेल्फ एस्टीम विकसित होने लगती है और बड़े होने के साथ-साथ ये चीज बढ़ती जाती है। बार-बार असफलता का सामना होने से बच्चों को आत्म सम्मान और आत्मबल में कमी महसूस हो सकता है। वहीं दूसरी ओर बच्चा अगर सफल होता है तो उन्हें अपने अंदर की क्षमताओं का पता चलता है। हालांकि बच्चों को अपने काम पर गर्व करना बहुत ही जरूरी है, लेकिन उन्हें ये महसूस नहीं होना चाहिए कि बिना मेहनत किए वो जीत के लायक हैं। आत्म सम्मान की कमी अक्सर बच्चों को उन रोजाना की चुनौतियों से निपटने से रोकती है, जिनसे दूसरे बच्चे आसानी से गुजर रहे होते हैं।
जिन बच्चों में आत्म सम्मान की कमी नहीं होती है वे अपने मन मुताबिक परिणाम पाते हैं। ऐसे बच्चे जीतने के लिए और ज्यादा चैलेंजिंग चीजें करते हैं ताकि वे खुद को साबित कर सकें। इसे आप पॉजिटिव फीड बैक लूप मान सकते हैं। बच्चे जितना अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं, उतना ही बेहतर प्रदर्शन करते हैं। बच्चों का उनके माता-पिता और उनके शिक्षकों द्वारा स्वीकार किया जाना बहुत जरूरी है, क्योंकि इन्हीं लोगों से बच्चों को प्रेरणा मिलती है इसलिए आपका बर्ताव बच्चे के प्रति कैसा है यह बात बहुत मायने रखती है।
आपका बच्चा भावनात्मक स्थिति में अग्रेसिव व्यवहार या बदमाशी का सहारा ले सकता है। वह अपनी कमजोरी को छुपाने के लिए ऐसा करता है। ऐसे बच्चे अक्सर उन बच्चों पर अपना गुस्सा दिखाते हैं, जो इनसे कमजोर होते हैं, ताकि वे अपने अंदर के कॉन्फिडेंस से निपट सकें।
जो बच्चे उटपटांग और जोकरों जैसी हरकतें करते हैं, वो अक्सर ये अपनी असुरक्षा की भावना को छुपाने के लिए ऐसा करते हैं। मूर्खतापूर्ण हरकतें करने से उनका दिमाग उनकी परेशानियों से हट तो जाता है, लेकिन यह कभी पूरी तरह से काम नहीं करता है।
जिन बच्चों में आत्मविश्वास की कमी होती है, उन्हें अक्सर अपनी क्षमताओं पर संदेह रहता है और अगर वह किसी भी काम में असफल हो जाते हैं तो दोबारा कोशिश करने के बजाय जल्दी निराश हो जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि उन्हें बार-बार हार जाने का डर सताता है और वे इसका सामना करने के लिए तैयार नहीं होते हैं।
जिन बच्चों में आत्मविश्वास की कमी होती है और उन्हें ऐसा लगता है कि उनका अपने जीवन पर कोई कंट्रोल ही नहीं है। ऐसे बच्चे अक्सर स्थिति को अपने वश में करने के लिए आक्रामक रूप धारण कर लेते हैं।
कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो बिना सोचे समझे प्रतिक्रिया देते हैं। लेकिन अगर उनकी यह हरकत हद से ज्यादा देखने को मिलती है, तो इसका मतलब वह एक टेक्निक अपना रहे हैं। ताकि वह अपना काम जल्दी कर सकें और उन्हें दबाव ना महसूस करना पड़े।
आत्मविश्वास की कमी वाले बच्चों का हर चीज को लेकर इंकार कर देना काफी कॉमन है। यह एक आसान तरीका है कि वह आने वाली अपनी समस्याओं का सामना करते वक्त निराशा और पीड़ा से बच सकें। इंकार कई तरीकों से किया जा सकता है जैसे कि स्कूल में उनकी कामयाबी और दोस्ती बनाए रखना।
यहाँ बच्चों में आत्म-सम्मान बढ़ाने के कुछ तरीके दिए गए हैं, जो इस प्रकार:
माता-पिता होने के नाते आपको अपने बच्चे के साथ वक्त बिताना चाहिए। भले ही आप उसे आइसक्रीम खिलाने बाहर ले जाए या फिर उसे कहानियां सुनाएं। छोटे बच्चों को आप के लाड प्यार और ध्यान की ज्यादा जरूरत होती है।
बच्चे को अपनी पसंद और नापसंद की आजादी दें, ताकि उसे महसूस हो कि वह अपने जीवन पर नियंत्रण रख सकता है। उसे अपने खाने, कपड़ों के बारे में अपने विचार रखने दें। लेकिन ऐसा भी न करें कि आप उनको मन मर्जी करने की पूरी छूट दे दें, खासतौर पर तब जब बच्चे काफी छोटे हों। आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि बच्चा जो चुन रहा है उसका रिजल्ट क्या निकल सकता है, ताकि वो उसके अनुसार कोई फैसला ले।
बच्चों को यह जानने की जरूरत है कि उनका हर समय परफेक्ट होना जरूरी नहीं है। बच्चों के असफल हो जाने पर उन्हें समझाने की कोशिश करें। आप जितनी ज्यादा निराशा बच्चे को दिखाएंगे उतना ही उनके आत्मविश्वास पर असर पड़ेगा। यह छोटे बच्चों पर भी लागू होता है जैसे कि खुद चलना सीखना, अपने कपड़े पहनना।
आपको इस बात का खयाल रखना चाहिए कि आप बच्चे की बहुत ज्यादा बढ़ा चढ़ा के तारीफ न करें, इससे उनके अंदर खुद को लेकर ओवर कॉन्फिडेंस आ सकता है। इस प्रकार उनकी ग्रोथ पर असर पड़ेगा। बच्चे आपसे एक सही फीडबैक की उम्मीद करते हैं और उन्हें अंधेरे में नहीं रखना चाहिए, न ही उन्हें ये अहसास दिलाना चाहिए कि वे कुछ नहीं कर सकते। बल्कि यहां आपको बैलेंस हो कर चलना बहुत जरूरी है।
बच्चों को उनके अनुसार काम करने की आजादी दें, लेकिन उनकी जरूरतों को देखते हुए एक लिमिट भी सेट करें। उदाहरण के लिए, किस एक दिन घर की साफ सफाई में हाथ बंटाना, उनसे कहना कि वो अपना डे टास्क पूरा करें। उन्हें ये समझाने का प्रयास करें कि अगर उन्होंने अपना काम ठीक से नही किया तो इससे दूसरों के काम पर असर पड़ेगा।
अपने बच्चों पर गुस्सा निकालना सही नहीं है। कभी भी उन्हें गाली न दें, उनकी बेइज्जती न करें, हमेशा उन्हें उनके नाम से पुकारे। याद रखें कि आप अपने बच्चे से प्यार करते हैं, भले ही उनके किसी काम से निराश हैं। नेगेटिव तरीके से बच्चे को डील करना कोई अच्छा तरीका नहीं है, इनसे समस्या और बढ़ सकती है। आपके ऐसे बर्ताव के कारण हो सकता है कि बच्चे के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचे।
अगर आप अपने बच्चे की हर वक्त मदद करते रहेंगे तो आपका बच्चा कभी भी जीवन में अपनी समस्याओं का समाधान नहीं निकाल पाएगा। अच्छे कपड़े पहना देने से बच्चे के मोटर स्किल में सुधार नहीं आएगा। हो सकता है बच्चे को अपने आप चीजों से निपटने देना आपके लिए मुश्किल हो, लेकिन फिर उन्हें खुद ये करने दें, अपनी रिस्क लेने दें, नई चुनौतियों का सामना करने दें। जैसे जब आप बच्चे को गिलास भर के पानी देंगी तो आपको पता है वे आधा पानी गिरा देंगे, लेकिन अब ये बात बच्चे को भी समझ आ जाएगी कि अगली बार उन्हें अपनी समस्या कैसे सुलझानी है।
घर में हो रहे कामों में बच्चे को आपकी मदद करने के लिए कहें और साथ ही किसी भी काम की जिम्मेदारी भी दें। यह उसे स्वतंत्र बनाएगा और अपना काम खुद करना सिखाएगा। साथ ही बच्चे में आत्म विश्वास भी बढ़ेगा।
आपका बच्चा जैसा भी हो आप उसे तहे दिल से स्वीकार करें। और जितना हो सके उससे प्रेम करें। अपने बच्चे की किसी से भी तुलना न करें। बच्चों को यह जानने की जरूरत है कि आप उनके लिए हमेशा मौजूद रहेंगे, भले ही वे अपने और अपनी क्षमताओं के बारे सुरक्षित महसूस कर रहे हों।
आपको समझना होगा कि हर बच्चा एक जैसा नहीं होता और बच्चा दुनिया को उस नजरिए से नहीं देख सकता जिस नजरिए से आप देखते हैं। यदि आपका छोटा बच्चा बिना किसी वजह के रो रहा है तो यह सिर्फ आपके दृष्टिकोण के कारण हो। बड़े बच्चों की तुलना में छोटे बच्चे चीजों से बहुत जल्दी प्रभावित होते हैं और वे भावनात्मक रूप से भी काफी कमजोर होते हैं।
इससे पहले कि आपका बच्चा अपने आत्मसम्मान का निर्माण करे, आपका सेल्फ कॉन्फिडेंट होना बहुत जरूरी है। बच्चे के लिए उसके माता-पिता उसके पहले रोल मॉडल होते हैं। अगर आप बिना शिकायत करे किसी काम को पूरा करती हैं, तो बच्चा भी आपसे यही सीखेगा।
आत्मविश्वास में कमी वाले बच्चों को खुद बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। असुरक्षा की भावना और आत्मविश्वास की कमी होना बच्चों को ये अहसास दिलाता है कि वे दूसरे बच्चों की तुलना में अच्छे नहीं है। ऐसे बच्चे अपनी उपलब्धियों से ज्यादा अपनी असफलताओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं और इसके लिए वे अपनी स्किल या पर्सनालिटी को दोष देते हैं। इस आर्टिकल में आपको यही बताने का प्रयास किया गया है कि बच्चे में कॉन्फिडेंस लाने के लिए आपकी बहुत अहम भूमिका है। बच्चे को हौसला दें, उसे सपोर्ट करें, न केवल शब्दों से बल्कि आपके एक्शन में भी वो केयर दिखनी चाहिए। हम जानते हैं ये काम काफी मुश्किल है, लेकिन पेरेंट्स अपने बच्चे की खुशी और अच्छी ग्रोथ के लिए हर मुमकिन प्रयास करते हैं।
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