बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों में बैक्टीरियल या फंगल इन्फेक्शन

छोटे बच्चों और टॉडलर को सीजनल इन्फेक्शन होना आम है और इसकी वजह से उन्हें रैशेज, खांसी और बुखार भी आता है। आप सोचती होंगी कि यदि बच्चे की नाक बहती है या खांसी और बुखार आता है तो उसे किस तरह का इन्फेक्शन होने की संभावना है। वैसे यह बैक्टीरियल इन्फेक्शन है। पर कभी-कभी पेरेंट्स को समझने में कन्फ्यूजन हो जाता है कि यह बैक्टीरियल इन्फेक्शन है या फंगल इन्फेक्शन। इस आर्टिकल में दी हुई जानकारी से आप बच्चे में हुए बैक्टीरियल या फंगल इन्फेक्शन को समझ पाएंगी और इसका ट्रीटमेंट करवा पाएंगी। 

बच्चों में बैक्टीरियल इन्फेक्शन क्या है?

बैक्टीरियल इन्फेक्शन अक्सर शरीर या त्वचा में हानिकारक बैक्टीरिया के बढ़ने से होता है। चूंकि बच्चे का इम्यून सिस्टम अब भी विकसित हो रहा है इसलिए उसमें इन्फेक्शन से लड़ने की ताकत नहीं होगी और उसे कोई भी इन्फेक्शन बहुत जल्दी हो सकता है। 

बच्चों में आमतौर पर कई प्रकार के बैक्टीरियल इन्फेक्शन होते हैं और इसके कुछ कारण निम्नलिखित हैं। 

बच्चों में बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने के कारण और प्रकार

इम्युनिटी कमजोर होने और बैक्टीरिया वाली जगहों, जैसे डे केयर सेंटर्स और प्लेग्राउंड के संपर्क में आने से बच्चे को आसानी से बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो सकता है। 

बच्चों में यह इन्फेक्शन होने के कुछ सामान्य कारण यहाँ बताए गए हैं, आइए जानें;

  • जुकाम – जुकाम में अक्सर बच्चों की नाक बहती है, बुखार होता है और शरीर का टेम्परेचर बढ़ जाता है।
  • रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन – खांसी होना और इन्फेक्शन से संबंधित समस्याएं रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट की होती हैं, जैसे बैक्टीरियल ब्रोंकाइटिस।
  • इंटेस्टाइनल इन्फेक्शन – इंटेस्टाइन के ट्रैक्ट में बैक्टीरिया जाने से इंटेस्टाइनल इन्फेक्शन होता है जिसके परिणामस्वरूप बच्चों को उल्टी और डायरिया हो जाता है।
  • मेनिन्जाइटिस – यह मस्तिष्क की मेनिंग्स का इन्फेक्शन है।
  • सेप्सिस – यदि किसी इन्फेक्शन का इलाज न कराया गया हो और वह शरीर में मौजूद हो तो उसे सेप्सिस कहते हैं।

बच्चों में बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने के लक्षण

बच्चों में बैक्टीरियल इन्फेक्शन के लक्षण और संकेत समझने से इसे जल्दी ठीक करने में मदद मिलती है। इसके कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं, आइए जानें; 

  • हाई बॉडी टेम्परेचर – यदि बच्चे के शरीर का तापमान बढ़ता रहता है (101 डिग्री से ज्यादा) तो यह बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने का संकेत है।
  • काफी समय तक बुखार आना – यदि बच्चे को दो दिन से ज्यादा बुखार आता है।
  • भूख न लगना – यदि बच्चे को खाना खाने की इच्छा नहीं होती है या वह खाना खाने से मना कर देता है।
  • नियमित रूप से पॉटी न जाने की आदत – यदि बच्चे को पेशाब कम आती है और वह बार-बार पॉटी करता है।
  • नींद आना और सुस्त रहना – यदि बच्चा थका हुआ दिखाई देता है, वह दोस्तों के साथ घुलता-मिलता नहीं है और बार-बार सोता है।

बच्चों में बैक्टीरियल इन्फेक्शन का डायग्नोसिस

कभी-कभी यह बता पाना कठिन होता है कि बच्चे में बैक्टीरियल इन्फेक्शन हुआ है या वायरल इन्फेक्शन। डॉक्टर बच्चों में बैक्टीरियल इन्फेक्शन का डायग्नोसिस टिश्यू और खून के सैंपल से करते हैं। इसके लिए क्लिनिक में तेजी से टेस्ट होते हैं और जांच के लिए सैंपल को माइक्रोस्कोप में देखा जाता है। यदि बैक्टीरिया बहुत छोटा है और इसे समझ पाना कठिन है तो डॉक्टर पहले इसे लैब में बड़ा करते हैं फिर इसकी जांच करते हैं। बैक्टीरिया को लैब में बड़ा करने में लगभग 24 से 48 घंटे लगते हैं। 

बच्चों में बैक्टीरियल इन्फेक्शन से बचाव

बच्चों में बैक्टीरियल इन्फेक्शन से बचाव के कुछ निम्नलिखित तरीके हैं, आइए जानें; 

  • हाथ धोएं – आजकल बैक्टीरिया बहुत ज्यादा रेसिस्टेंट हो गए हैं जिसकी वजह से ज्यादातर एंटीबैक्टीरियल साबुन अप्रभावी हो गए हैं। टॉयलेट का उपयोग करने, खाना खाने से पहले और बाद में सादे पानी से हाथ धोने से मदद मिल सकती है।
  • एंटीबैक्टीरियल सैनिटाइजर का उपयोग करें – हमेशा एक छोटा हैंड सैनिटाइजर साथ रखें ताकि बच्चे हाथ को कभी भी और कैसे भी सैनिटाइज कर सकें।
  • चोट को साफ करें – यदि बच्चे को चोट लगती हैं तो उसे खुला न छोड़ें और ठीक करने के लिए साफ करें।
  • साफ-सफाई की आदत रखें – बच्चे में हाइजीन बनाए रखने की अच्छी आदतें डालें, जैसे खांसते या छींकते समय मुँह ढंकना।

बच्चों में बैक्टीरियल इन्फेक्शन के उपचार

यदि आपके बच्चे को बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है तो डॉक्टर उसे एंटीबायोटिक्स प्रिस्क्राइब कर सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा सही समय पर एंटीबायोटिक्स की सही डोज ले ताकि उसका बैक्टीरियल इन्फेक्शन ठीक हो सके। यदि आप बच्चे में वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन पहचानने में सक्षम नहीं है तो इसे बारे में डॉक्टर से चर्चा करें व उनकी सलाह को सही से सुनें। क्योंकि वायरल इन्फेक्शन के लिए सिर्फ एंटीबायोटिक्स ही पर्याप्त नहीं होते हैं। 

बच्चों में फंगल इन्फेक्शन क्या है?

फंगल इन्फेक्शन की वजह से बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। सभी प्रकार के फंगी पैथोजेनिक नहीं होते हैं और ज्यादातर फंगी से शरीर में इन्फेक्शन हो सकता है। फंगी अक्सर शरीर के भीतर, बाहर और बायोलॉजिकल सिस्टम के गहरे भाग में भी रह सकते हैं। 

बच्चों में फंगल इन्फेक्शन के प्रकार

बच्चों को कई प्रकार के फंगल इन्फेक्शन होते हैं जो इस प्रकार हैं; 

  • टिनिया कैपिटिस/सिर में रिंगवर्म होना – बच्चों में यह इन्फेक्शन होने से उनके सिर और बालों पर प्रभाव पड़ता है। इसमें लाल रंग के छोटे-छोटे गोले होते हैं जो रिंग की तरह बढ़ते रहते हैं। इस इन्फेक्शन की वजह से सिर में बाल झड़ने से खुजली के पैचेज बनते हैं।
  • एथलीट्स फुट – यह इन्फेक्शन अक्सर पैरों के पंजों की साइड में होता है पर यह पंजों के निचले हिस्से और पैरों के नाखूनों को भी प्रभावित करता है।
  • टीनिया कोर्पोरिस/शरीर में रिंगवर्म होना – इस फंगल इन्फेक्शन की वजह से पैर के पंजों, हथेली, ग्रोइन और सिर को छोड़कर पूरे शरीर में गोले जैसे रैशेज पड़ते हैं। यह इन्फेक्शन डर्माटोफायटिस की वजह से होता है।
  • जौक इच – इस इन्फेक्शन से ग्रोइन व जांघों के ऊपर का क्षेत्र प्रभावित होता है।
  • कैंडिडा – यह इन्फेक्शन बच्चों के नाखून में होता है जो उसके आसपास की त्वचा को प्रभावित करता है और इसकी वजह से कभी-कभी बच्चों के मुँह में भी पैचेज दिखाई दे सकते हैं। महिलाओं की वजायना के आसपास और अंदर हुए फंगल इन्फेक्शन को यीस्ट इन्फेक्शन भी कहा जाता है। बच्चों में डायपर रैशेज और थ्रश भी कैंडिडा इन्फेक्शन के प्रकार में ही आते हैं।

बच्चों में फंगल इन्फेक्शन होने के कारण

बच्चों में फंगल इन्फेक्शन होने के आम कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें; 

कपड़ों से – बच्चे को टाइट कपड़े पहनाने से उसके शरीर में हवा का आदान-प्रदान नहीं हो पाता है। गर्मियों में पसीना आने से नमी बढ़ती है जिसकी वजह से फंगल इन्फेक्शन होना संभव है। 

तौलिया शेयर करने से – फंगी कई दिनों तक नमी वाली जगहों पर रहता और बढ़ता है। किसी अन्य व्यक्ति की तौलिया का उपयोग करने से यह इन्फेक्शन एक से दूसरे की त्वचा में फैल सकता है। 

इंफ्लेमेटरी इन्फेक्शन से – शरीर में इंफ्लेमेटरी इन्फेक्शन होने से इंफ्लेमेटरी प्रभाव बढ़ता है और इसके कारण बच्चे का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और उसके हॉर्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं। इसी के परिणामस्वरूप फंगल इन्फेक्शन होता है। 

बच्चों में फंगल इन्फेक्शन होने के लक्षण

फंगल इन्फेक्शन होने के कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं, आइए जानें; 

  • बच्चों की त्वचा में फंगल इन्फेक्शन गहरे रैशेज के रूप में दिखाई दे सकता है।
  • इसमें खुजली बहुत होती है।
  • फंगल इन्फेक्शन की वजह से बच्चे की त्वचा फटती है।
  • इससे शरीर के संक्रमित जगह पर दर्द होता है।
  • फंगल इन्फेक्शन अक्सर सिर में होता है जिससे बाल भी झड़ते हैं।
  • इन्फेक्शन की वजह से पैरों और हाथों के नाखून टूटते हैं और इनका रंग पीला हो जाता है।

बच्चों में फंगल इन्फेक्शन होने के ट्रीटमेंट

यदि बच्चे को फंगल इन्फेक्शन है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उसके लिए प्रिस्क्राइब की हुई एंटीफंगल क्रीम लाएं। एक या दो सप्ताह तक एंटीफंगल क्रीम लगाएं और बच्चे को स्कूल न भेजें क्योंकि यह इन्फेक्शन फैल सकता है। यदि एंटीफंगल क्रीम काम नहीं करती है तो बच्चे को डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की हुई दवा दें। बच्चे को प्रभावी जगह पर खुजली करने से रोकें और इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा हर समय कॉटन के ढीले कपड़े पहने या इसके जैसा कोई भी कपड़ा पहनें ताकि उसके शरीर के प्रभावी जगहों पर नमी न हो। बच्चे को स्कूल भेजने से पहले फंगल इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए लगभग 48 घंटे का समय लें। 

क्या बच्चों में फंगल इन्फेक्शन खतरनाक होता है?

हाँ, यदि बच्चों में फंगल इन्फेक्शन ठीक नहीं किया गया तो इससे खतरा हो सकता है और यहाँ तक कि यदि आगे तक बच्चे का इम्यून सिस्टम मजबूत नहीं होता है और उसका इंफ्लेमेटरी रेस्पॉन्स कमजोर रहता है तो इससे मृत्यु भी हो सकती है। 

बच्चों में फंगल इन्फेक्शन से बचाव

फंगल इन्फेक्शन का बचाव शुरुआत में ही कर लेने से बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ रहता है। फंगल इन्फेक्शन को खत्म करने के लिए यहाँ कुछ टिप्स बताए गए हैं, आइए जानें; 

  • बच्चों को  प्रभावित जानवरों और लोगों से दूर रखें – फंगल इन्फेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है यहाँ तक कि यह इन्फेक्शन जानवरों से भी हो सकता है। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा प्रभावी जानवरों व लोगों से दूर रहे।
  • सही हाइजीन बनाएं – नियमित रूप से हाथ-पैर धोएं और अच्छी तरह से साफ कर लें। इस बात का भी ध्यान रखें कि फंगल इन्फेक्शन को खत्म करने के लिए बच्चों के नाखून समय पर काटे जाने चाहिए। इसमें पेरेंट्स को भी हाइजीन रखने की जरूरत है और उन्हें भी यह इन्फेक्शन नहीं होना चाहिए क्योंकि फंगल इन्फेक्शन फैल सकता है।
  • सही जूते पहनें – सही जूते पहनने से फंगल इन्फेक्शन से बचाव हो सकता है क्योंकि यह इन्फेक्शन सबसे पहले पैरों में ही होता है। बच्चे को नहलाते समय उसे फ्लिप-फ्लॉप्स या सैंडल पहनाएं।
  • घर को साफ और ड्राई रखें – इस बात का ध्यान रखें कि आपका घर साफ और ड्राई होना चाहिए। घर में जमीन से नमी वाली और ठंडक को खत्म कर दें क्योंकि बच्चे अक्सर जमीन पर ही क्रॉल करते हैं और इससे उन्हें फंगल इन्फेक्शन हो सकता है।

यद्यपि कभी-कभी बच्चों में वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन गंभीर रूप से हो सकता है और इससे कई जोखिम हो सकते हैं पर बचाव के कुछ आसान तरीकों का उपयोग करें इससे कई फायदे हो सकते हैं और इस समस्या को शुरुआत में ही ठीक किया जा सकता है। यदि आपके बच्चे को इन्फेक्शन है तो शुरूआती दिनों में ही डॉक्टर की मदद से इसे ठीक करें और उसे सही एंटीबायोटिक्स की डोज दें। इसे ठीक करने के लिए उचित रूप से हाइजीन बनाए रखें, नमी से बचें और गंदगी से दूर रहें। इसके अलावा हेल्दी डायट लेने, उचित कपड़े व जूते पहनने से बच्चे में फंगल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन कभी भी नहीं होगा। 

यह भी पढ़ें:

बच्चों में वायरल संक्रमण
बच्चों में खांसी – कारण, निदान और उपचार
बच्चों में खांसी के ३५ सुरक्षित घरेलू उपचार

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

1 day ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

1 day ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

1 day ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

3 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

3 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

3 days ago