बच्चों में भाषा का विकास

बच्चों में भाषा का विकास

आपके बच्चे में भाषा का विकास, सबसे जरूरी विकासों में से एक है, जो कि बड़े होने पर उसे प्रभावी रूप से बात करने के लिए तैयार करता है। अगर आप यह समझ लें, कि आप इसे पाने में अपने बच्चे की मदद कैसे कर सकते हैं, तो एक मजबूत नींव तैयार हो जाएगी और उसके इस प्रक्रिया से गुजरने के दौरान आप उसकी अच्छी तरह से मदद कर पाएंगे। 

शब्दों और वाक्यों का इस्तेमाल करके दूसरों से बात करना सीखना एक ऐसा गुण है, जो आपका बच्चा अपने शुरुआती बचपन में सुनकर सीखता है। यह गुण आगे चलकर उसे अपनी भावनाएं व्यक्त करने में मदद कर सकता है, और शिक्षा और कम्युनिकेशन के लिए मजबूत आधार तैयार हो सकता है। 

शुरुआती बचपन में लैंग्वेज डेवलपमेंट की स्टेज

बच्चों में भाषा का विकास बचपन से ही धीरे-धीरे और अलग-अलग स्तर पर होने लगता है। शुरुआती बचपन से भाषा के विकास के विभिन्न स्तर नीचे दिए गए हैं: 

तीन से बारह महीने

आपके बच्चे को प्यार, गुस्सा, लगाव जैसी भावनाओं की समझ होती है और वह अनोखे ढंग से बड़बड़ा कर इन पर अपनी प्रतिक्रिया देता है। इस स्तर पर यदि आप बच्चे को किसी शब्द से मिलता-जुलता कुछ बोलते हुए सुनें, तो उसे बात करने के लिए प्रोत्साहित करें। बड़बड़ाना, भाषा के विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू हो सकता है, क्योंकि यह आपके बच्चे के पास कम्युनिकेट करने का पहला तरीका होता है। इस स्तर पर उसका नाम पुकारे जाने पर, वह उस पर प्रतिक्रिया देता है और ‘बा’, ‘मा’, ‘दा’ जैसे आसान शब्द बोलने में सक्षम भी होता है, क्योंकि इनका उच्चारण करना आसान होता है। 

बारह से अठारह महीने

अब तक आपका बच्चा सिंगल शब्द बोलने के लायक हो चुका होगा और आप जो कहते हैं, उसकी नकल करने की कोशिश करेगा। इसके साथ ही वह बार-बार बात करने की कोशिश भी करेगा और यह जरूरी है, कि आप उस पर प्रतिक्रिया देकर बात करने के लिए उसे प्रोत्साहित करें। नए शब्दों और वाक्यों को समझने में मदद करने के लिए आपको उनसे बात करने की भी जरूरत पड़ेगी। 

अठारह महीने से दो साल

इस उम्र तक आपका बच्चा अपनी वोकैबलरी में और भी कई शब्दों को शामिल कर चुका होगा। अब तक वह लगभग 300 शब्द समझ और बोल सकेगा और खुद छोटे-छोटे वाक्य बनाने की कोशिश भी करेगा। हालांकि हर बच्चे में भाषा के विकास का स्तर अलग होता है, अगर अब तक आपका बच्चा एक साधारण शब्द बोलने में भी सक्षम नहीं है, तो जरूरी है, कि आप आगे के मार्गदर्शन के लिए एक प्रोफेशनल से परामर्श लें। 

दो से तीन साल

आपके बच्चे की वोकैबलरी अब तक काफी  विस्तृत हो जाएगी और अब वह लंबे वाक्य बोल पाएगा। वह आपकी कही गई बातों को भी काफी बेहतर तरीके से समझने में सक्षम होगा। बातचीत करने की उसकी क्षमता बढ़ेगी और दूसरे लोग भी उसकी कही गई बात को समझने में सक्षम होंगे। वह एक साथ कई काम भी कर पाएगा, जैसे – वह खेलते-खेलते बात भी कर पाएगा। 

तीन से पाँच साल

जैसे-जैसे उसकी उत्सुकता बढ़ेगी, बच्चा आपसे बहुत सारे सवाल करेगा और अधिक कठिन वाक्य भी अधिक बोल पाएगा। कठिन ग्रामर को भी बेहतर तरीके से समझ पाएगा और उसे अपनी बातचीत में इस्तेमाल भी करेगा। उसे किताबें पढ़कर प्रोत्साहित करने के लिए यह एक बहुत ही अच्छा समय है। इससे उसकी वोकैबलरी और भी ज्यादा बढ़ेगी साथ ही उसकी ग्रामर भी अच्छी होगी। 

पाँच से छह साल

अब तक आपका बच्चा अपनी टीचर की कही गई बातों को समझने में सक्षम होगा और उस पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए, अपनी बात को सही तरह से रख भी पाएगा। वह अधिक शब्द पहचानने में सक्षम होगा और उन्हें वाक्यों में इस्तेमाल भी कर पाएगा। उसे किताब पढ़ने और बौद्धिक बातचीत में शामिल करने से, उसकी वोकैबलरी और ग्रामर और भी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। 

बच्चों में लैंग्वेज डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के कारगर तरीके

इन विभिन्न स्टेज के दौरान, आप अपने बच्चे की भाषा की समझ को बढ़ावा देने के लिए, उसे कई आसान और मजेदार गतिविधियों में शामिल कर सकते हैं। शुरुआती बचपन में भाषा के विकास के लिए यहाँ पर कुछ एक्टिविटीज दी गई हैं: 

1. किताबें पढ़कर सुनाना

अपने बच्चे को नए शब्दों से परिचय करवाने के लिए, सबसे बेहतर तरीकों में से एक है, सोते समय कहानियां पढ़कर सुनाना। आप काफी छोटी उम्र से इसकी शुरुआत कर सकते हैं और इसे एक आदत बना सकते हैं। 

2. बौद्धिक बातचीत करना

हालांकि बच्चा प्रभावी तरीके से प्रतिक्रिया देने में सक्षम नहीं होगा, फिर भी आप उससे ऐसे बातचीत कर सकते हैं, जैसे कि, वह आपको समझ रहा हो। वह आपको सुनेगा और शायद सही जवाब देने की कोशिश भी करेगा। 

3. गाने सुनना

गाने सुनने और राइम्स गाने से उसे कुछ निश्चित शब्द चुनने में मदद मिलेगी और वह उनके रिदम को भी समझ पाएगा। 

4. दोहराना

आपका बच्चा जो कुछ भी कहता है, उसके लिए उसे उलाहना देने के बजाय, उस शब्द को सही उच्चारण और सही व्याकरण के साथ दोहराने की आदत बनाएं। 

5. कंप्यूटर और टेलीविजन का कम इस्तेमाल 

कुछ स्टडीज में ज्यादा स्क्रीन टाइम को भाषा के विकास में देरी से जोड़ा गया है। ऐसे में बच्चे को केवल वैसी एक्टिविटीज देखने की इजाजत दें, जिससे उसकी भाषा को बढ़ाने में मदद मिले। 

6. अपने बच्चे को बाहर ले जाएं

नए वातावरण को देखने से आपके बच्चे की उत्सुकता बढ़ेगी और वह अपने आसपास की चीजों का नाम जानना चाहेगा। उसकी वोकैबलरी को बढ़ावा देने का यह एक बेहतरीन तरीका हो सकता है। 

7. अपने बच्चे से वैसे ही चीजों के बारे में बात करें जिनमें उसे दिलचस्पी है

इससे वह बातचीत में पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लेगा और अधिक बातचीत करेगा। 

8. नए शब्दों से धीरे-धीरे परिचय कराएं

एक बार में बहुत सारे शब्द न बताएं, बल्कि एक-एक कदम बढ़ाते हुए बातचीत में नए शब्दों को शामिल करें, ताकि वह उनके अर्थ को अच्छी तरह से समझ सके और उसे बरकरार रख सके। 

लैंग्वेज और स्पीच में क्या अंतर है? 

आपका बच्चा जिन शब्दों को समझता है और बातचीत के दौरान उनका इस्तेमाल करता है, उससे एक भाषा का निर्माण होता है। इसमें लिखने और बोलने की क्षमता भी शामिल है। वहीं दूसरी ओर, आवाज निकालने की आपके बच्चे की क्षमता को स्पीच कहते हैं, जिससे कि शब्द बनते हैं। 

बच्चों में भाषा के विकास में देर के संकेत

अगर आपके बच्चे में नीचे दिए गए कुछ संकेत दिख रहे हैं, तो उसमें भाषा को सीखने के विकास में देर की समस्या हो सकती है: 

  • वह बड़बड़ाता नहीं है या बात करने की कोशिश नहीं करता है। 
  • उसने ‘मामा’, ‘दादा’ या ऐसे अन्य आसान शब्द अब तक नहीं कहे हैं। 
  • वह चीजों की ओर उंगली दिखा कर, उनके नाम पुकारने की कोशिश नहीं करता है। 
  • उसने एक भी शब्द कहना नहीं सीखा है। 
  • उसने हाथों से संकेत करना, उंगली दिखाना, या हाथ हिलाना अब तक शुरू नहीं किया है। 
  • वह आपके छोटे और आसान निर्देशों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है। 
  • वह शब्दों और एक्शन की नकल नहीं करता है। 
  • वह शब्दों को जोड़कर आसान वाक्य नहीं बना पाता है। 
  • वह अक्सर हकलाता है। 
  • वह दूसरे लोगों से प्रभावी ढंग से बात नहीं कर पाता है। 
  • वह ‘मैं’, ‘मुझे’, ‘तुम’ जैसे सर्वनामों का इस्तेमाल ठीक से नहीं कर पाता है। 

शुरुआती बचपन में भाषा सीखना जरूरी होता है, ताकि बच्चे से जो कुछ कहा जाए, वह उसे समझ सके और उस पर अपनी प्रतिक्रिया दे सके। इससे बातचीत, शिक्षा और यहाँ तक कि भविष्य के संबंधों के भी मुख्य पहलुओं का निर्माण भी होता है। एक बार जब आपका बच्चा, जरूरत के अनुसार, शब्दों के अर्थ और उद्देश्य के साथ उनका इस्तेमाल करना सीख जाता है, तो वह खुद को बेहतर तरीके से व्यक्त कर पाता है। इससे उसका कॉन्फिडेंस बढ़ता है और वह अपनी राय को सही तरह से व्यक्त भी कर पाता है। अगर आपको ऐसा लगता है, कि बच्चा सही तरह से संवाद करने में सक्षम नहीं है या आसान शब्द नहीं बोल पाता है, तो इसका कारण समझने के लिए, आपको एक विशेषज्ञ से परामर्श लेने की जरूरत होगी और उसे जरूरी थेरेपी देनी होगी। 

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